Suicide Case: दिशा डाक्टरी पढ़ रही थी तभी उसे अपने सीनियर शुभेंदु सारस्वत से प्यार हो गया. उस ने उस से विवाह भी कर लिया. शादी के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि दिशा को आत्महत्या करनी पड़ी. एकलौती बेटी होने की वजह से दिशा मांबाप की बेहद लाड़ली थी. उस के मांबाप के पास इतना कुछ था कि उस ने जो चाहा, उसे वह मिला. पिता रविंद्र सलूजा और मां अनीता सलूजा ने उस की हर इच्छा पूरी की थी. मूलरूप से टैगोर गार्डन, दिल्ली के रहने वाले रविंद्र सलूजा यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया में मैनेजर थे. उन के परिवार में पत्नी अनीता सलूजा, बेटा रजत और बेटी दिशा सलूजा थी. उन की तबादले वाली नौकरी थी. पिछले कई सालों से उन की तैनाती आगरा के फ्रीगंज स्थित शाखा में थी.

आगरा में रविंद्र सलूजा थाना न्यू आगरा के दयालबाग स्थित प्रतीक्षा एन्कलेव में मोहनलाल की कोठी नंबर 69 का ग्राउंड फ्लोर किराए पर ले कर रह रहे थे. रजत ने गुड़गांव से सौफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढा़ई की तो उसे वहीं किसी कंपनी में नौकरी मिल गई थी. रजत की नौकरी लग गई तो रविंद्र सलूजा ने मुजफ्फरनगर के बिजनसमैन गुलशन बाटला की बेटी सिल्की से उस की शादी कर दी थी. गे्रजुएशन करने के बाद दिशा ने मोदीनगर के डी.जे. डेंटल कालेज में दाखिला ले लिया था. वहां वह कालेज के गर्ल्स हौस्टल में रहती थी. वे दिन दिशा की जिंदगी के गोल्डन डेज थे. उन्हीं दिनों दिशा की मुलाकात शुभेंद्र सारस्वत से हुई. वह उस का सीनियर था.

शुभेंदु दिल्ली के शाहदरा के गोरख पार्क एक्सटेंशन का रहने वाला था. वह मोदीनगर के उसी कालेज से एमडी कर रहा था, जहां से दिशा बीडीएस कर रही थी. उस के पिता स्व. भारतेंदु सारस्वत कश्मीरी ब्राह्मण थे, जबकि मां बीना सारस्वत पजांबी थीं. भारतेंदु आयुर्वेदिक डाक्टर थे, बरसों पहले उन की मौत हो चुकी थी. पति की मौत के बाद बीना सारस्वत ने बेटे शुभेंदु और बेटी सुनैना की परवरिश की थी. वह दिल्ली के सरिता विहार स्थित सेंट जोसेफ एकेडमी में अध्यापिका थीं. सुनैना की शादी अभिलेश के साथ हुई थी. वह पति के साथ दुबई में रहती थी. एकलौता बेटा होने की वजह से बीना की सारी उम्मीदें शुभेंदु पर ही टिकी थीं.

कालेज की लाइबे्ररी में जब दिशा की मुलाकात शुभेंदु से हुई तो दिशा में उस ने ऐसा न जाने क्या देखा कि उस का मन उस पर रीझ गया. इस के बाद वह दिशा के बारे में जानकारियां जुटाने लगा. आतेजाते मुलाकात होने पर दिशा और शुभेंदु के बीच हायहैलो होने लगी थी. कालेज में तमाम लड़कियां थीं, जिन में कुछ तो बहुत ही खूबसूरत थीं, लेकिन शुभेंदु का दिल दिशा पर ही आ गया था. उस का मन करता था कि वह दिशा को देखता रहे और ढेर सारी बातें करे. दिशा खूबसूरत थी तो शुभेंदु भी कम आकर्षक नहीं था. वह लंबाचौड़ा, गोराचिट्टा और खुशमिजाज नौजवान था. अपने आकर्षक व्यक्तिव से वह किसी को भी बांध लेने की क्षमता रखता था. यही नहीं, वह अपने कैरियर के प्रति भी गंभीर था. इसलिए उस का देखना दिशा को भी अच्छा लगता था.

दोनों भले ही एकदूसरे के प्रति अपनेअपने मनों में कोमल भावनाएं महसूस करने लगे थे, लेकिन आगे आ कर मन की बात कहने की पहल किसी ने नहीं की थी. जब शुभेंदु को पता चला कि दिशा मांबाप की एकलौती बेटी है. उस के पिता बैंक में मैनेजर हैं और भाई भी अच्छी नौकरी में है. इस के बाद वह दिशा के साथ भविष्य की कल्पना करने ही नहीं लगा था, बल्कि एक दिन हिम्मत कर के दिशा से कह भी दिया कि वह उस से प्यार करता है.

शुभेंदु दिशा का सीनियर था. वह उसे मन ही मन पसंद करने के साथ उस का सम्मान भी करती थी. लेकिन एकदम से फैसला नहीं ले सकती थी, इसलिए निर्णय के लिए उस ने समय मांगा. तब शुभेंदु ने कहा, ‘‘दिशा, मैं तुम्हें ले कर काफी गंभीर हूं और तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं.’’

‘‘मैं कहां कह रही हूं कि आप गंभीर नहीं हैं, फिर भी पूरी जिंदगी का सवाल है, इसलिए एकदूसरे को समझना बेहद जरूरी है. मैं ऐसे गंभीर मामले पर इतनी जल्दी फैसला नहीं ले सकती.’’ दिशा ने कहा.

दिशा ने शुभेंदु से न मना किया था और न ही हां की थी. लेकिन जब उस ने मन ही मन गौर किया तो उसे लगा कि शुभेंदु ठीकठाक लड़का है. जीवनसाथी के रूप में एक लड़की जिस तरह के पति की कामना करती है, वह सब कुछ उस में है. इस से आकर्षण की डोर कुछ और मजबूत हुई तो दिशा ने अपना फोन नंबर शुभेंदु को दे कर उस का भी फोन नंबर ले लिया. दिशा और शुभेंदु के बीच फोन पर बातें होने लगीं. इन बातों में दोनों एकदूसरे की पसंद नापसंद बताते, घरपरिवार पर चर्चा करते. इन बातों से धीरेधीरे मन का संकोच खत्म होता गया और दोनों करीब आते गए.

अब दोनों को जब भी मौका मिलता, साथ घूमने भी चले जाते, कभीकभी खाना भी बाहर ही खा लेते. दोनों का यह प्यार मौजमस्ती के लिए नहीं, शादी के लिए था. इसलिए एक दिन दिशा ने कहा, ‘‘हम दोनों ने तो शादी का निर्णय ले लिया, जबकि हमारे घर वालों को अभी इस की भनक तक नहीं है.’’

‘‘चिंता करने की जरूरत नहीं है,’’ शुभेंदु ने कहा, ‘‘इस बार घर जाऊंगा तो मम्मी को सब बता दूंगा.’’

‘‘अगर तुम्हारी मम्मी ने मना कर दिया तो…?’’

‘‘नहीं, मम्मी मेरी खुशी को ही अपनी खुशी समझती हैं, इसलिए मना नहीं करेंगी.’’ शुभेंदु ने आश्वस्त किया.

छुट्टियां होने पर शुभेंदु दिल्ली गया तो उस ने मां को दिशा का फोटो दिखा कर शादी की बात की. दिशा सुंदर तो थी ही, डाक्टरी की पढ़ाई भी कर रही थी, इसलिए बीना ने कहा, ‘‘लड़की भी ठीकठाक है और घरपरिवार भी. लेकिन तुम ने लवमैरिज कर लिया तो मेरे उन सपनों का क्या होगा, जो मैं ने अपने एकलौते बेटे को ले कर देखे हैं कि मैं अपने बेटे की खूब धूमधाम से शादी करूंगी और खूब दहेज लूंगी.’’

‘‘मम्मी मेरे और दिशा के प्यार के बीच यह दहेज कहां से आ गया? मैं शादी उसी से करूंगा.’’

मैं ने कब मना किया तुम उस से शादी मत करो. मैं चाहती हूं कि यह शादी दिशा के मांबाप की मर्जी से होनी चाहिए. क्योंकि उन की मर्जी से शादी होगी, तभी मेरा सपना पूरा होगा.’’ बीना सारस्वत ने कहा.

शुभेंदु ने दिशा से प्यार किया था और शादी करना चाहता था. लेकिन मां ने उस के मन में दहेज का लालच भर दिया. अब उस की सोच बदल गई. छुट्टी खत्म होने पर वह कालेज पहुंचा तो उस ने दिशा से कहा, ‘‘मैं ने मम्मी से बात कर ली है. अब मैं तुम्हारे मम्मीपापा से मिलना चाहता हूं.’’

‘‘ऐसी भी क्या जल्दी है. अभी तो हम पढ़ ही रहे हैं.’’ दिशा ने कहा.

‘‘नहीं, अब मैं पूरी तरह आश्वस्त हो जाना चाहता हूं, इसलिए तुम्हारे मम्मीपापा से मिलना चाहता हूं.’’

दरअसल, दिशा के मम्मीपापा से मिल कर शुभेंदु इस बात की जानकारी ले लेना चाहता था कि वे किस हद तक उस की मां के अरमान पूरे कर सकते हैं. लेकिन दिशा ने मना कर दिया था. उस ने कहा था कि पहले वह अपने मम्मीपापा से बात करेगी. उस के बाद अगर उन की अनुमति मिलेगी तो वह उसे उन से मिलवाएगी. इस के बाद दिशा घर गई तो उस ने भी मां को शुभेंदु के बारे में बता कर उस से शादी की इच्छा प्रकट की.

अनीता को खुशी हुई कि बेटी ने उन से कुछ नहीं छिपाया था. उन्हें लगा कि बेटी ने शुभेंदु को पसंद किया है तो सोचसमझ कर ही पसंद किया होगा. उन्हें बेटी की शादी कहीं न कहीं तो करनी ही थी. अगर बेटी की पसंद का लड़का ठीकठाक है तो उसी से शादी कर देने में क्या बुराई है1 उन्होंने दिशा से कह दिया कि वह शुभेंदु को उन से मिलवाए. शुभेंदु दिशा के साथ आगरा आया तो पहली ही नजर में वह रविंद्र और अनीता सलूजा को पसंद आ गया. उन्हें लगा कि शुभेंदु अकेला बेटा है, छोटे परिवार में उन की बेटी खुश और सुखी रहेगी. शुभेंदु ने भी पहली ही नजर में रविंद्र सलूजा की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगा लिया था. वह समझ गया कि सलूजा दंपति शादी में दहेज देने में कोई कसर नहीं रखेंगे. आकर्षक व्यक्तित्व वाले शुभेंदु ने मीठीमीठी बातें कर के रविंद्र और अनीता सलूजा के दिल में अपने लिए जगह बना ली.

लड़का एमडी कर रहा था और अच्छे परिवार से था. सलूजा दंपति को लगा कि बेटी के लिए और क्या चाहिए. दिशा के लिए वह उन्हें उचित लगा, इसलिए वे निश्चिंत हो गए. दिशा और शुभेंदु अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगे थे. रविंद्र सलूजा पत्नी के साथ दिल्ली गए और बीना सारस्वत से मिल कर बात आगे बढ़ाई. बीना ने भी मीठीमीठी बातें कर के सलूजा दंपति को अपने जाल में फंसा लिया. बीना ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की खुशी के अलावा और कुछ नहीं चाहिए. बेटे की खुशी के लिए ही वह दिशा को अपनी बहू बना रही हैं.

दोनों की सगाई हो गई. जब दिशा और शुभेंदु की सगाई होने की बात कालेज के दोस्तों को पता चली तो उन्हें हैरानी हुई कि दिशा शुभेंदु से शादी को कैसे राजी हो गई? दरअसल शुभेंदु सिगरेट ही नहीं, शराब भी पीता था. उस का चरित्र भी ठीक नहीं था. जब यह सब दिशा को पता चला तो परेशान हो गई. उस ने शुभेंदु से पूछा तो वह हंसते हुए बोला, ‘‘यार, तुम भी कितनी भोली हो. लगता है, लोग हमारी खुशियों से जलने लगे हैं. हम हाई सोसाइटी के लोग हैं. कभीकभार दोस्तों के साथ पार्टी में पीनापिलाना हो जाता है. मैं कोई आदी तो नहीं हूं.’’

दिशा असमंजस मे फंस गई कि वह क्या करे? इस के अलावा उसे एक बात यह भी परेशान करने लगी थी कि अब शुभेंदु उस पर हुक्म चलाने लगा था. इसी असमंजस में दिशा घर चली गई. वह घर पहुंची भी नहीं थी कि शुभेंदु का फोन आ गया. फोन अनीता ने उठाया तो उस ने कहा, ‘‘आंटी, आप की बेटी मुझे बिना बताए ही आगरा चली गई. यह अच्छी बात नहीं है.’’

शुभेंदु का बातचीत का लहजा अनीता को अच्छा नहीं लगा कि अभी तो सगाई ही हुई है तो यह हाल है. जब शादी हो जाएगी तो पता नहीं क्या होगा. यही नहीं, बीना का भी फोन आता था तो उस का भी लहजा अजीब होता था. अब तक दिशा की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और वह दांतों की डाक्टर बन गई थी. संयोग से उसे उसी कालेज में नौकरी मिल गई थी. अनीता ने महसूस किया कि दिशा भी कुछ परेशान सी है. उन्होंने दिशा से परेशानी की वजह पूछी तो उस ने सब कुछ सचसच बता दिया. शाम को उन्होंने रविंद्र सलूजा से पूरी बात बता कर सगाई तोड़ने को कहा तो उन्होंने दिशा से पूछा, ‘‘तुम क्या कहती हो दिशा?’’

दिशा काफी उलझन में थी. उसे डर लग रहा था कि उस का यह कदम कहीं उस के भविष्य के लिए कोई खतरा न बन जाए. काफी सोचविचार कर उस ने कहा, ‘‘पापा, पहले तो वह मुझ से बड़ी अच्छीअच्छी बातें करता था. उस की बातों में ही आ कर मैं उस से प्यार कर बैठी. अब जो बातें मुझे पता चली हैं, मैं ने आप को बता दी हैं. आप जो निर्णय लेंगे, मुझे ऐतराज नहीं होगा.’’

आखिर में तय हुआ कि यह रिश्ता करना ठीक नहीं है. अगले दिन अनीता ने फोन कर के बीना से कह दिया कि वे लोग यह रिश्ता नहीं कर सकते. यह सुन कर बीना के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने तुरंत शुभेंदु को फोन कर के आगरा जाने को कहा. शुभेंदु आगरा पहुंचा और दिशा के मम्मीपापा से मिला. उस ने साफसाफ कहा, ‘‘मैं दिशा को आत्मा से प्यार करता हूं और उस के बिना जिंदा नहीं रह सकता. अगर यह शादी नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेगा.’’

उस ने अपनी बातों से दिशा ही नहीं, उस के मम्मीपापा को विश्वास दिलाया कि वह दिशा को पलकों पर बिठा कर रखेगा. वह जहां चाहेगी, उसे नौकरी करने देगा. अगर वह अपना क्लिनिक चलाना चाहेगी तो वह उस के लिए क्लिनिक खुलवा देगा. रविंद्र और अनीता सलूजा को लगा कि शुभेंदु सचमुच दिशा को बहुत प्यार करता है. शुरूशुरू में इस तरह की बातें होती ही रहती हैं. शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा. उन्होंने शुभेंदु से शादी की तैयारी करने को कह दिया. इस के बाद बीना भी आगरा गईं और अपनी मीठीमीठी बातों से सलूजा दंपति का मन मोह लिया. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए. वे जो कुछ भी देना चाहें, अपनी बेटी को दे सकते हैं.

10 नवंबर, 2011 को दिशा और शुभेंदु की शादी धूमधाम से हो गई. दिशा दुल्हन बन कर शुभेंदु के घर आ गई. शादी में रविंद्र सलूजा ने अपनी हैसियत के हिसाब से दहेज दिया था. लेकिन बीना को लगा, वह उन के हिसाब से काफी कम है. यह बात दिशा से कह भी दी गई.

तब दिशा ने शुभेंदु से शिकायत की, ‘‘यह हमारे बीच दहेज कहां से आ गया? हम ने तो प्रेम विवाह किया है.’’

‘‘छोड़ो न यार, मैं थोड़े ही कुछ कह रहा हूं. वह तो मम्मी कह रही हैं,’’ शुभेंदु ने कहा, ‘‘मम्मी की बात का क्या बुरा मानना.’’ अगले ही दिन बीना ने घर की सारी जिम्मेदारी दिशा पर डाल दी. यही नहीं, उन्होंने यह भी कह दिया कि अब वह नौकरी नहीं करेगी. तब दिशा को लगा, उस ने शुभेंदु से शादी कर के बहुत बड़ी गलती की है. लेकिन उस ने भी सास से साफसाफ कह दिया कि वह नौकरी बिलकुल नहीं छोड़ेगी.

15 दिनों बाद दिशा शुभेंदु के साथ मायके गई तो उस ने सारी बात मां से बता दी. तब अनीता ने शुभेंदु से कहा, ‘‘तुम्हारी मां जो कह रही हैं, वह ठीक नहीं है. तुम अपनी मां को समझाओ.’’

‘‘आंटी, मेरी ओर से तो दिशा को पूरी छूट है. आप चिंता न करें. मैं मम्मी को समझा दूंगा.’’ शुभेंदु ने सास को आश्वासन दिया.

ससुराल आने के बाद दिशा दिल्ली से मोदीनगर अपनी नौकरी पर जाने लगी. शादी के बाद शुभेंदु को भी मोदीनगर के यशोदा अस्पताल में नौकरी मिल गई थी. दिशा सिर्फ नौकरी ही नहीं करती थी, बल्कि शाम को आने पर घर के सारे काम भी उसी को करने पड़ते थे. इस समस्या के निदान के लिए शुभेंदु ने कहा, ‘‘अगर तुम अपने पापा से कुछ रुपए मांग लो तो हम तुम्हारे लिए घर के निचले हिस्से में क्लिनिक खुलवा दें.’’

न चाहते हुए भी दिशा ने अपने पापा से बात की. तब रविंद्र सलूजा ने आश्वासन ही नहीं दिया, बल्कि पूरी मदद की. उन्हीं की मदद से घर के निचले हिस्से में पर्ल डेंटल क्लिनिक खुल गई. दिशा अब घर का काम करने के साथसाथ क्लिनिक भी संभालने लगी. दिशा गर्भवती हुई तो बीना का कोई भी रिश्तेदार आता तो वह यही कहती कि उसे पोता ही चाहिए. सास के मुंह से पोते की रट सुनतेसुनते दिशा डर गई कि अगर उसे बेटी हो गई तो…? उस ने शुभेंदु से बात की तो उस ने कहा, ‘‘भई, हर कोई अपनी खुशी बेटे में ही देखता है. अगर मां ऐसा सोच रही हैं तो बुराई क्या है?’’

दिशा की डिलीवरी नजदीक आई तो शुभेंदु ने कहा कि उस के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह उस की डिलीवरी दिल्ली में करा सके. इसलिए वह आगरा चली जाए. दिशा ने यह बात मांबाप को बताई तो वे हैरान रह गए. बहरहाल बेटी की बात थी, इसलिए रविंद्र सलूजा ने फोन कर के कहा कि पैसे की कोई बात नहीं है, वह अस्पताल का सारा पेमेंट कर देंगे. 9 मार्च, 2013 को दिशा ने बेटी को जन्म दिया. बेटी पैदा होने पर बीना अस्पताल में रोने लगी. तब दिशा ने कहा, ‘‘मम्मी, बेटी की परवरिश मुझे करनी है, आप क्यों रो रही हैं?’’

दिशा की बेटी पुष्पांजलि अस्पताल में हुई थी. अस्पताल का सारा पेमेंट रविंद्र सलूजा ने कर दिया. अस्पताल से घर आने के बाद दिशा ने महसूस किया कि उस की बेटी को न तो पिता का प्यार मिल रहा है और न ही दादी का. कुछ दिनों बाद दिशा आगरा आ गई. दिशा 2 महीने तक मायके में रही, इस बीच न तो शुभेंदु ने दिशा और बेटी का हालचाल पूछा और न बीना ने. दिशा समझ गई कि यह बेटा न पैदा होने की सजा है. इस बार दिशा ससुराल आई तो शुभेंदु ने उस के साथ मारपीट भी शुरू कर दी. मारपीट हद पार करने लगी तो दिशा बगावत कर थाना वेलकम पहुंच गई. दिशा के थाने जाने की जानकारी बीना को हुई तो वह रिश्तेदारों के साथ थाने जा पहुंची. रिर्पोट लिखी जाती, उस के पहले ही पुलिस को आश्वस्त कर के वह दिशा को समझाबुझा कर घर ले आई. रिश्तेदारों ने भी दिशा से कहा कि घर की लड़ाई थाने ले जाना ठीक नहीं है.

उसी बीच दिशा को पथरी हो गई. शुभेंदु ने उस का औपरेशन कराने से मना कर दिया. तब दिशा ने अपने पापा से बात की. उन्होंने 25 हजार रुपए खाते में डलवाए तो शुभेंदु ने दिशा का औपरेशन करवाया. उसी दौरान किसी दिन शुभेंदु का मोबाइल फोन दिशा के हाथ लग गया तो उस ने मैसेज बौक्स खोला. उस में कई लड़कियों के रोमांटिक मैसेज थे. दिशा ने शुभेंदु को फोन दिखा कर पूछा, ‘‘यह सब क्या है?’’

दिशा के हाथ में अपना मोबाइल फोन देख कर शुभेंदु को गुस्सा आ गया. उस ने तड़ातड़ कई तमाचे दिशा को जड़ कर कहा, ‘‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा मोबाइल फोन देखने की. तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारे लिए मैं अन्य लड़कियों से संबंध तोड़ लूंगा.’’

शुभेंदु से मार तो दिशा पहले भी कई बार खा चुकी थी, लेकिन इस बार उस ने जो बातें कह दी थीं, वे वैवाहिक जीवन की चूलें हिला देने वाली थीं. साफ हो गया था कि अब यह शादी ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं थी. वह सिर थाम कर बैठ गई. उस ने सारी बात मम्मीपापा को बताई तो उस समय वे अमेरिका में थे. 14 अगस्त, 2014 को वे दिल्ली आए तो उन्होंने शुभेंदु से कहा कि वह दिशा और उस की बेटी आर्या को को छोड़ जाए. उस समय वे दिल्ली के टैगोर गार्डन स्थित अपने घर पर थे. शुभेंदु दिशा और उस की बेटी आर्या को छोड़ गया तो रविंद्र और अनीता सलूजा उसे साथ ले कर आगरा आ गए. दिशा अब काफी तनाव में रहने लगी थी.

प्यार में धोखा खाई दिशा अकेली बैठी हमेशा सोच में डूबी रहती. उसे अपने और बेटी के भविष्य की चिंता सता रही थी. मांबाप कह रहे थे कि उस का तलाक करवा कर कहीं अच्छी जगह शादी कर देंगे. लेकिन एक बार धोखा खा चुकी दिशा अब शादी नहीं करना चाहती थी. उस की भाभी सिल्की भी उसे समझाती, खुश रखने की कोशिश करती. दिशा को उम्मीद थी कि शुभेंदु को अपनी गलती का अहसास होगा और वह अपने किए की माफी मांग कर उसे ले जाएगा. करवाचौथ पर दिशा आगरा में ही थी. उस ने व्रत भी रखा, लेकिन आने की कौन कहे, शुभेंदु ने फोन तक नहीं किया. पति की इस उपेक्षा से दिशा बेचैन हो उठी. उस ने खुद ही शुभेंदु को फोन किया. दोनों के बीच क्या बातें हुईं, किसी को पता नहीं चला. लेकिन इस बातचीत के बाद दिशा अवसादग्रस्त हो गई और व्रत तोड़े बगैर ही अपने कमरे में चली गई.

12 अक्टूबर, 2014 को रविंद्र सलूजा तीन दिनों की ट्रेनिंग के लिए दिल्ली चले गए. दिशा पूरी तरह अवसादग्रस्त हो चुकी थी. वह न कुछ खाती थी, न किसी से बात करती थी. गुमसुम न जाने क्या सोचा करती थी. पूरा परिवार समझ रहा था, लेकिन शायद शुभेंदु के बिना उसे जिंदगी बेकार लग रही थी. 15 अक्टूबर को दिशा सुबह 10 बजे के आसपास बड़ी मुश्किल से उठी और 11 बजे के आसपास नाश्ता कर के आर्या को ले कर अपने कमरे में चली गई. 12 बजे के आसपास सिल्की ने देखा कि वह अपने टेबलेट पर कुछ काम कर रही है. सिल्की रसोई में चली गई, अनीता ड्राइंगरूम में थी, तभी दिशा के कमरे से कुछ गिरने की आवाज आई. इसी के साथ आर्या जोरजोर से रोने लगी. सिल्की ने कहा, ‘‘मम्मी, लगता है आर्या गिर गई है.’’

सासबहू दिशा के कमरे की ओर भागीं. लेकिन अंदर से कुंडी लगी थी. उन्होंने दरवाजा खटखटाया, अंदर से कोई रिस्पौंस नहीं मिला. शोर सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. बारबार दरवाजा खटखटाने पर अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो बगल में काम करने वाले मजदूरों को बुला कर किसी तरह कुंडी तोड़वा कर दरवाजा खुलवाया गया. अंदर दिशा पंखे से लटकी हुई थी. नीचे एक स्टूल गिरा पड़ा था. उसे इस हालत में देख कर सभी सन्न रह गए. मजदूरों की मदद से उसे नीचे उतारा गया. अनीता ने जल्दी से कार निकाली और दिशा को अस्पताल पहुंचाया. रास्ते से ही अनीता ने फोन कर के पति को इस बारे में बता दिया था.

डाक्टरों ने दिशा को मृत घोषित कर दिया था. अस्पताल से थाना न्यू आगरा पुलिस को सूचना दे दी गई थी. थानाप्रभारी अजयपाल सिंह और सीओ अशोक कुमार तुरंत अस्पताल पहुंच गए थे. जरूरी काररवाई के बाद दिशा के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. 5 बजे रविंद्र सलूजा आगरा पहुंचे तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को एक तहरीर दी, जिस के आधार पर थाना न्यू आगरा में अपराध संख्या 991/2014 पर भांदंवि की धारा 487ए/304बी व 3/4 के तहत दिशा की सास बीना सारस्वत और पति शुभेंदु सारस्वत के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया.

दिशा के आत्महत्या की जानकारी शुभेंदु को भी दे दी गई थी. सूचना मिलते ही वह अपने वकील के साथ यह पता लगाने के लिए ससुराल पहुंच गया कि उस के खिलाफ तो कोई काररवाई नहीं हो रही. जब रिश्तेदार उसे उलटासीधा कहने लगे तो उस ने इस के लिए सासससुर को ही दोषी ठहराते हुए कहा, ‘‘इस में मेरी क्या गलती है. जो कुछ किया है, इन लोगों ने किया है. इसलिए मेरे खिलाफ कोई काररवाई हुई तो मैं तुम सभी लोगों को देख लूंगा.’’

पुलिस को शुभेंदु के आने की सूचना दे दी गई थी, लेकिन पुलिस पहुंचती, उस के पहले ही वह भाग निकला. पोस्टमार्टम के बाद दिशा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. गिरफ्तारी के डर से बीना और शुभेंदु घर से फरार हो गए थे. लेकिन आगरा पुलिस ने दिल्ली पुलिस की मदद से 19 अक्टूबर को दोनों को गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल दोनों जेल में है. निचली अदालत से उन की जमानतें भी नहीं हुई हैं. अब हाईकोर्ट से कोशिश की जा रही है. दिशा के आत्महत्या की जानकारी उस के दोस्तों और कालेज के छात्रों को हुई तो सभी आगरा स्थित उस के घर पहुंचे. उन्होंने रविंद्र सलूजा को आश्वासन दिया कि इंसाफ की इस लड़ाई में वे सभी उन के साथ हैं. बेटी तो गई ही, अब सलूजा दंपत्ति को दिशा की बेटी आर्या की चिंता है. Suicide Case

—कथा पुलिस सूत्रों, रविंद्र सलूजा एवं अनीता सलूजा द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित

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