Love Story in Hindi: सकीना कासिम को प्यार करती थी, जबकि कासिम का दोस्त शाहीन सकीना को प्यार करता था. यह बात शाहीन को बिलकुल अच्छी नहीं लगी. आखिर शाहीन ने ऐसा क्या किया कि सकीना न कासिम की रही और न उस की. सपने पूरे हों या न हों, लेकिन देखने में कोई बुराई नहीं है. आज हर कोई ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश में लगा है. इसी ज्यादा पाने की कोशिश में कभी आदमी कुछ गलत भी कर बैठता है. कासिम और शाहीन भले ही निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से थे, लेकिन टीवी और मोबाइल ने उन्हें महत्त्वाकांक्षी बना दिया था. छोटा परदा उन्हें नएनए सपने दिखाता था और उस पर दिखाई देने वाली लड़कियां दोनों को बहुत अच्छी लगती थीं.
इटावा के मोहल्ला गाड़ीपुरा का रहने वाला इश्तियाक मजदूरी कर के अपने परिवार को पाल रहा था. लेकिन उस का बेटा कासिम सपनों की दुनिया में जीने वाला युवक था. मोहल्ले के ही रहने वाले सलीम के बेटे शाहीन से उस की पक्की दोस्ती थी, दोनों अक्सर साथसाथ रहते थे. इसलिए दोनों को एकदूसरे का हर राज पता होता था. एक दिन मोहल्ले के ही रहने वाले शकील की बेटी सकीना से कासिम की नजरें लड़ीं तो वह मुसकरा उठी. कासिम दिल थाम कर रह गया. सकीना की मुसकराहट ने उस के दिल पर जादुई असर किया था. इस के बाद वह अपने दिल की बात कहने को बेचैन रहने लगा था.

उसी दिन के बाद से कासिम सकीना के घर के इर्दगिर्द मंडराने लगा था. वह उस से दिल की बात कहना चाहता था, लेकिन यह इतना आसान नहीं था. इसलिए वह मौका तलाश रहा था कि सकीना कब अकेले में मिले. जहां चाह होती है, वहां राह मिल ही जाती है. ऐसा ही कुछ कासिम के साथ भी हुआ. मोहल्ले में होने वाली एक शादी समारोह में कासिम की मुलाकात सकीना से हो गई. उस ने उस के पास जा कर कहा, ‘‘सकीना, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’
कासिम भले ही मोहल्ले का रहने वाला था, लेकिन सकीना से उस की कभी बात नहीं हुई थी. इसलिए उस ने झिझकते हुए पूछा, ‘‘कोई खास काम है क्या?’’
‘‘खास काम है, तभी तो कह रहा हूं.’’
‘‘तो बताओ न क्या काम है?’’ सकीना ने पूछा.
‘‘इस भीड़ में नहीं कह सकता. अकेले में मिलोगी, तब कहूंगा.’’ कसिम ने सकीना को चाहत भरी नजरों से ताकते हुए कहा.
‘‘ठीक है, कल शाम को सब्जी मंडी सब्जी लेने आऊंगी, वहीं मिलना. तुम अपना मोबाइल नंबर दे दो, मैं तुम्हें फोन कर दूंगी.’’ सकीना ने कहा.
कासिम ने सकीना को मोबाइल नंबर दे दिया. सकीना तो चली गई, पर कासिम के दिल में हलचल मचा गई. कासिम को उस रात नींद नहीं आई. वह यही सोचता रहा कि दिल की बात सकीना से कैसे कहेगा? सकीना ने मिलने के लिए हामी भर दी थी, जिस से वह इतना तो समझ ही गया था कि सकीना उस की बात को हवा में नहीं उड़ाएगी.
अगले दिन सुबह से ही उसे सकीना के फोन का इंतजार था. 5 बजे के आसपास घंटी बजते ही उस का दिल धड़क उठा. सकीना के बुलाने पर वह सब्जी मंडी पहुंच गया. सकीना वहां उस का इंतजार कर रही थी. कासिम उसे चाट के एक ठेले पर ले गया. गोलगप्पे खाते हुए सकीना ने कहा, ‘‘तुम कुछ कहना चाहते थे न?’’
‘‘हां, पहले गोलगप्पे खा लो, उस के बाद कह दूंगा.’’ कासिम ने कहा.
गोलगप्पे खाने के बाद मुंह पोंछते हुए सकीना ने कहा, ‘‘जो भी कहना है, जल्दी कहो, मुझे घर भी जाना है. तुम्हारे साथ किसी ने देख लिया तो…?’’
‘‘सकीना, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, इसलिए मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. मन करता है, तुम्हें ही देखता रहूं.’’ कासिम ने बिना किसी भूमिका के दिल की बात कह दी.
कासिम की इस बात पर सकीना गंभीर हो कर बोली, ‘‘कासिम, तुम्हें पता होना चाहिए कि हमारे यहां प्यारमोहब्बत कोई मायने नहीं रखता. हमारे यहां तो वैसे भी आए दिन मेरी शादी की बात होती रहती है.’’
कासिम ने सकीना का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘सकीना, मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकता. अब तुम्हीं बताओ, मैं अपने इस दिल का क्या करूं जो तुम पर आ गया है.’’
सकीना का दिल तेजी से धड़कने लगा था. उस ने कासिम का हाथ मुट्ठी में ले कर कहा, ‘‘अधर में तो नहीं छोड़ दोगे, निभाओगे मेरा साथ?’’
अपना दूसरा हाथ सकीना के हाथ पर रख कर कासिम बोला, ‘‘वादा करता हूं, मरते दम तक मैं तुम्हारा ही रहूंगा सकीना. हम और तुम एकदूसरे के लिए बने हैं, तभी तो अचानक तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो.’’
उस दिन के बाद कासिम और सकीना की जिंदगी बदल गई. दोनों ही एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने बुनने लगे. लेकिन ये सपने आगे चल कर किस कदर महंगे पड़ने वाले हैं, यह कोई नहीं जानता था. मोहब्बत के रंग लाते ही दोनों के रात और दिन खुशियों से भर गए. समय के साथ दोनों एकदूसरे के करीब आते गए. वे जब भी मिलते, दिल की बातें करते और भविष्य के सपने बुनते. इन बहारों के दिन में दोनों बहुत खुश थे, पर उन की खुशियों को नजर लगते देर नहीं लगी.
सकीना से प्यार होने के बाद कासिम का दोस्तों से मिलनाजुलना काफी कम हो गया. एक दिन शाहीन ने उसे टोका, ‘‘क्या बात है भई, कहां रहता है, जो दिखाई नहीं देता?’’
‘‘अब्बा के साथ काम पर जाता हूं. सोचता हूं, कुछ कमाईधमाई कर लूं, जो आगे जरूरत पड़ने पर काम आएगी.’’
‘‘यार, अभी तो तेरी उम्र मौजमस्ती करने की है. तू कहां कमाईधमाई के चक्कर में पड़ गया? तेरा बाप तो वैसे भी 5 सौ रुपए रोज के ले आता है.’’
कासिम ज्यादा बहस नहीं करना चाहता था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘भाई शाहीन, निठल्ले बैठे रहना ठीक नहीं है. अब तुझे भी कामधाम करना चाहिए.’’
कासिम की सलाह पर शाहीन को हैरानी हुई. उस की समझ में नहीं आया कि कासिम को अचानक क्या हो गया कि वह कमाई के चक्कर में पड़ गया. लेकिन ज्यादा दिनों तक उसे हैरान नहीं रहना पड़ा. जल्दी ही उसे पता चल गया कि कासिम की दोस्ती मोहल्ले की ही सकीना से हो गई है. पूरी बात उस की समझ में आ गई, लेकिन इस बात से उसे गहरा धक्का लगा, क्योंकि वह खुद भी सकीना को पसंद करता था. उस ने कई बार सकीना से बात करने की कोशिश भी की थी, पर सकीना ने उसे मौका नहीं दिया था. उसे कासिम से ईर्ष्या हो गई.
सकीना और कासिम के प्रेमसंबंधों का पता चलते ही शाहीन सकीना को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करने लगा. उसे ऐसे मौके की तलाश रहने लगी, जब सकीना से वह दिल की बात कह सके. आखिर एक दिन वह बाजार में मिल गई तो उस ने कहा, ‘‘यहां बाजार में क्या कर रही हो सकीना?’’
‘‘बाजार में कोई क्या करने आता है?’’ सकीना ने पलट कर पूछा.
‘‘मुझे तुम से कुछ कहना था सकीना.’’ शाहीन ने कहा तो सकीना बोली, ‘‘अगर तुम्हें कुछ कहना है तो मेरे घर आ जाना. यहां बाजार में कोई बात नहीं हो सकती. अम्मीअब्बू को पसंद नहीं कि मैं बाहर सड़क पर किसी से बातें करूं.’’
सकीना की इस बात से शाहीन को बहुत गुस्सा आया. लेकिन गुस्से का वहां कोई मतलब नहीं था. उस ने एक बार और कोशिश की, ‘‘मेरी बात तो सुन लो सकीना.’’
‘‘शाहीन, अगर तुम ने मुझे परेशान किया तो मैं अब्बू से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी. तुम्हें क्या कहना है, मुझे पता है. एक बात ध्यान से सुन लो, फिर कभी मेरे सामने आए तो ठीक नहीं होगा.’’ कह कर सकीना चली गई.
शाहीन का दिल जल उठा. आखिर कासिम में ऐसी क्या खासियत है, जो सकीना उस से प्यार करने लगी. जबकि उस की बात तक सुनने को तैयार नहीं है. लौटते समय उसे तसलीम मिल गया. वह भी मोहल्ले के रहने वाले मोहम्मद सरवर का बेटा था. शाहीन की उस से दोस्ती थी. उस ने सारी बात तसलीम को बताई तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘भई उन दोनों का प्यार पूरे शबाब पर है. ऐसे में वह तुम्हें क्यों घास डालेगी.’’
‘‘भई, तुम्हें कैसे पता कि दोनों का प्यार शबाब पर है?’’
‘‘मैं ने खुद दोनों को स्कूल के पास बातें करते देखा है. आखिर तू सकीना को ले कर इतना परेशान क्यों है? मोहल्ले में और भी तो लड़कियां हैं.’’ तसलीम ने कहा.
‘‘जो बात सकीना में है, वह किसी और में नहीं है. सब से बड़ी बात तो यह है कि कासिम से उस ने प्यार कर लिया और मुझ से बात तक नहीं करना चाहती.’’
शाहीन किसी भी तरह सकीना से प्यार करना चाहता था, साथ ही ईर्ष्या की आग में जल रहा था. इसीलिए जब भी कासिम मिलता, उस पर दगाबाजी के लिए ताने कसता, दोस्तों के बीच उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता. एक दिन उस ने कासिम से कहा, ‘‘यार कासिम, एक बार मुझे भी सकीना से मिलवा दे.’’
कासिम सन्न रह गया. उस ने हैरानी से कहा, ‘‘मैं तुझे उस से कैसे मिलवा सकता हूं?’’
‘‘भाई मुझे पता है कि तू सकीना से प्यार करता है, इसलिए तू चाहे तो मुझे उस से मिलवा सकता है.’’ शाहीन ने कहा तो कासिम को गुस्सा आ गया. उस ने कहा, ‘‘मैं सकीना से प्यार करता हूं तो भाई तुझे क्यों परेशानी हो रही है? जब देखो, तब उलटीसीधी बातें किया करता है.’’
‘‘भाई, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि हम दोस्त हैं तो हमें मिलबांट कर खाना चाहिए न?’’ शाहीन ने हंसते हुए कहा.
कासिम को शाहीन की यह बात बुरी तो बहुत लगी, पर उस ने कहा कुछ नहीं, जबकि दूसरी ओर शाहीन ने मन ही मन तय कर लिया कि सकीना अगर उस की नहीं हो सकती तो वह उसे कासिम की भी नहीं होने देगा. शकील सकीना के लिए लड़का तलाश रहा था, इसलिए कासिम सोच रहा था कि उस के पास कुछ पैसे हो जाएं तो वह सकीना को ले कर कहीं दूर निकल जाए और अपनी दुनिया बसा ले. सकीना को भी कासिम पर पूरा विश्वास था, लेकिन उसे यह भी पता था कि वह अपने प्यार को आसानी से छिपा नहीं सकती.
शाहीन को पूरा विश्वास था कि सकीना उसे किसी भी कीमत पर मिलने वाली नहीं है, इसलिए उस ने तय कर लिया कि जैसे भी होगा, वह कासिम को सकीना से अलग कर देगा. यही सोच कर एक दिन वह शकील से मिला और उस से कहा, ‘‘अंकल, आप को कुछ मालूम भी है, आप के घर में क्या हो रहा है?’’
‘‘क्या हो रहा है भाई?’’ शकील ने पूछा.
‘‘या तो आप को पता नहीं है या फिर आप जानबूझ कर अनजान बन रहे हैं कि आजकल आप की बेटी क्या गुल खिला रही है?’’
‘‘क्या बकवास कर रहा है तू?’’ शकील गुस्से से बोला.
‘‘बकवास नहीं कर रहा, बल्कि सच कह रहा हूं. सकीना कासिम के साथ खुलेआम इश्क फरमा रही है. यह बात पूरे मोहल्ले को पता है, जबकि तुम कह रहे हो कि तुम्हें कुछ नहीं पता ही है. लगता है तुम बड़े भोले हो.’’ शाहीन ने कहा और चल दिया.
शाहीन तो चला गया, लेकिन शकील के दिल में आग लगा गया. गुस्से में भरा वह घर पहुंचा और बिना कुछ पूछे सकीना को धुन दिया.
‘‘यह सब क्या हो रहा है?’’ शकील की बीवी आमना ने पूछा तो उस ने पूरी बात उसे बता दी. इस के बाद आमना ने कहा, ‘‘यह तो चिंता की बात है. हमें तुरंत इस के लिए लड़का ढूंढना चाहिए, वरना यह हमारी नाक कटा देगी.’’
इस के बाद सकीना का घर से निकलना बंद हो गया और उस के लिए लड़के की तलाश तेजी से शुरू हो गई. किसी दिन सकीना के हाथ फोन लग गया तो उस ने कासिम को फोन कर के सारी बात बता दी. उस ने यह भी बता दिया कि शाहीन ने ही उस के अब्बू से चुगली की है. कासिम हैरान था कि उस के दोस्त ने ऐसा क्यों किया? लेकिन अब वह क्या कर सकता था. घर वालों से सकीना के बारे में बता नहीं सकता था और उस के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह सकीना को ले कर भाग जाता. इस के बावजूद उस ने कोशिश की. हिम्मत कर के उस ने इश्तियाक से कहा, ‘‘अब्बू, मैं सकीना से प्यार करता हूं और उस से निकाह करना चाहता हूं.’’
इश्तियाक ने कहा, ‘‘बेटा, मौजमस्ती के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है. पहले कुछ कमाईधमाई कर के घर की गाड़ी चलाने की कोशिश करो. उस के बाद निकाह की सोचो.’’
सकीना उस से अलग न हो जाए, यह सोच कर कासिम तनाव में रहने लगा. उस का मन भी काम में नहीं लग रहा था. गुस्से में भरा वह शाहीन के पास पहुंचा. उस ने शाहीन का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तू तो बड़ा कमीना निकला. मैं तो तुझे अपना दोस्त समझता था, जबकि तू ने मेरी पीठ में छुरा घोंप दिया.’’
‘‘मैं ने क्या किया, पूरा मोहल्ला जानता है कि तू सकीना से प्यार करता है. किसी से उस के घर वालों को पता चला गया होगा.’’
कासिम समझ गया कि शाहीन सचमुच गद्दार दोस्त है. दोस्त की वजह से वह परेशानी में पड़ गया, लेकिन अभी तो बहुत कुछ होना बाकी था. शाहीन खुश था कि उस ने सकीना को कासिम से अलग कर दिया था. अब वह खुद शकील के घर के इर्दगिर्द मंडराने लगा कि कासिम से अलग होने के बाद शायद सकीना उस की हो जाए.
एक दिन उस ने मौका पा कर सकीना से कहा, ‘‘सकीना, मैं तुम से प्यार करता हूं.’’
यह सुनते ही सकीना भड़क उठी, ‘‘खबरदार, तुम मुझ से दूर ही रहना, वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा. तू कितना कमीना है, मैं यह अच्छी तरह जानती हूं.’’
सकीना की बात सुन कर शाहीन सन्न रह गया. यह सब कासिम की वजह से हुआ था. उस ने तय कर लिया कि किसी भी कीमत पर कासिम को नहीं छोड़ेगा, क्योंकि उस के रहते सकीना उसे कभी नहीं मिलेगी. वह सकीना और कासिम को सबक जरूर सिखाएगा. उस ने तय कर लिया कि कासिम को खत्म कर देगा. लेकिन यह काम वह अकेला नहीं कर सकता था, इसलिए उस ने अपने दोस्त तसलीम से बात की. तब तसलीम ने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा करने से सकीना तो तुझे मिलेगी नहीं.’’
‘‘भले न मिले, लेकिन कासिम की वजह से मेरी जो बेइज्जती हुई है, उस का बदला तो ले लूंगा.’’
शाहीन अब कासिम की जान ले कर ही मानेगा, यह सोच कर तसलीम ने बिना सोचेसमझे उस का साथ देने के लिए हामी भर दी. शाहीन के संबंध कासिम से बिगड़ चुके थे, इसलिए उसे बहलाफुसला कर कहीं एकांत में लाने की जिम्मेदारी उस ने तसलीम को सौंप दी. योजना के अनुसार तसलीम ने कासिम के पास जा कर कहा, ‘‘यार, मैं चाहता हूं कि हम तीनों दोस्तों को एक बार फिर से एक साथ होना चाहिए.’’
‘‘अब इन बातों के लिए दिल में कोई जगह नहीं है. फिर मैं अपना काम छोड़ कर आवारागर्दी नहीं कर सकता.’’ कासिम ने कहा. तसलीम अपनी बातों से कासिम को फुसलाता रहा. अंतत: उस ने कासिम को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वह शाहीन के साथ घूमने चलेगा. न चाहते हुए भी कासिम मान गया.
22 मई, 2014 को देर रात कासिम घर नहीं पहुंचा तो घर वालों को चिंता हुई. पूरे मोहल्ले में उसे तलाशा गया, दोस्तों और रिश्तेदारों को फोन किए गए, लेकिन कासिम का कुछ पता नहीं चला. अगले दिन इश्तियाक परिजनों के साथ कोतवाली पहुंचा और कोतवाली प्रभारी एफ.एस. जाफरी को सारी बात बता कर कासिम की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पूरा घर परेशान था कि कासिम किसी को बिना कुछ बताए कहां चला गया, जबकि वह ऐसा कभी नहीं करता था.
अगले दिन कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि कब्रिस्तान में एक युवक की लाश पड़ी है. कोतवाली प्रभारी ने इस बात की सूचना इश्तियाक को दे कर खुद पुलिस बल के साथ कब्रिस्तान पहुंच गए. युवक की हत्या ईंटपत्थर से मार कर की गई थी. लाश देख कर इश्तियाक दहाड़ें मार कर रोने लगा. इस से साफ हो गया कि मृतक युवक इश्तियाक का गुमशुदा बेटा कासिम था. पूछताछ में वह यह नहीं बता सका कि हत्या किस ने की होगी. पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैलाया तो पता चला कि शकील की बेटी सकीना से कासिम का प्रेमसंबंध था. पुलिस ने मोहल्ले में पूछताछ की तो पता चला कि घटना वाले दिन से कासिम के 2 दोस्त शाहीन और तसलीम गायब हैं.
गायब होने से पुलिस को उन्हीं दोनों पर शक हुआ. पुलिस ने शकील से पूछताछ की तो उस ने बताया कि एक दिन शाहीन कासिम के खिलाफ उस के कान भरने आया तो था, पर कासिम के साथ उस के संबंध कैसे थे, यह उसे नहीं मालूम. पुलिस को इस से पूरा विश्वास हो गया कि कासिम की हत्या में शाहीन और तसलीम का हाथ है. पकड़े जाने के डर से दोनों फरार हैं. दोनों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने बहुत हाथपैर मारे, लेकिन वे पकड़ में नहीं आए. घर वाले भी दोनों के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे थे. आखिर कोई कब तक छिपा रह सकता है.
6 दिसंबर को शाहीन तसलीम के साथ दिल्ली से इटावा आने वाली ट्रेन से उतरा तो किसी मुखबिर ने उसे देख लिया. इस के बाद उस ने पुलिस को यह बात बताई तो कोतवाली प्रभारी एफ.एस. जाफरी ने पुलिस टीम के साथ पहुंच कर दोनों को पकड़ लिया. पुलिस के शिकंजे में फंसने पर दोनों हैरान रह गए. उन्होंने सोचा था कि अब तक सब ठीक हो गया होगा. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने कासिम की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. शाहीन ने बताया कि वह सकीना से प्यार करता था, जबकि कासिम ने उस का अपमान किया. उसी का बदला लेने के लिए उस ने तसलीम के साथ कासिम को ठिकाने लगा दिया.
पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों की जमानत नहीं हुई थी. Love Story in Hindi
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






