Cyber Fraud: झारखंड के जिला जामतारा में करीब ढाई हजार ऐसे कोचिंग सेंटर हैं, जहां एटीएम के माध्यम से की जाने वाली ठगी सिखाई जाती है. मुरादाबाद पुलिस ने इस जिले के 2 ठगों को पकड़ा तो यह बात खुली. कृपया सावधान रहें आजकल सब से ज्यादा ठगी एटीएम के जरिए से होती है. कोई भी बड़ा अधिकारी ट्रांसफर के बाद जब नई जगह चार्ज लेता है तो अपने अधीन आने वाले विभागों, अफसरों और विभागीय फाइलों को अपने नजरिए से देखता, समझता है और जरूरी निर्देश देता है. गत दिनों मुरादाबाद आ कर डा. रामसुरेश यादव ने जब एसपी सिटी का पदभार संभाला तो उन्होंने भी यही किया. इस काररवाई में उन्हें पता चला कि मुरादाबाद में कई मामले ऐसे हुए हैं, जिन में ठगों ने फरजी बैंक अफसर बन कर एटीएम के माध्यम से कई लोगों के साथ ठगी की है.

ठगी के इस मामले को पुलिस की साइबर शाखा देख रही थी. डा. रामसुरेश यादव ने इस संबंध में एसएसपी लव कुमार से बात की. वह भी इस बात से सहमत हुए कि पुलिस को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल काररवाई कर के उन लोगों तक पहुंचना चाहिए, जो फरजी बैंक अधिकारी बन कर लोगों से फोन पर उन के बैंक एकाउंट और एटीएम कार्ड की जानकारी लेते हैं और उन के एकाउंट से पैसा निकालते हैं. एसएसपी से बात होने के बाद डा. रामसुरेश यादव ने उन केसों का अध्ययन किया, जिन में लोगों को इस तरह ठगा गया था.

नागफनी थानाक्षेत्र में रहने वाले अधिवक्ता वैभव अग्रवाल और उन की पत्नी हेमलता का आईसीआईसीआई बैंक की सिविल लाइंस ब्रांच में जौइंट एकाउंट था. 14 मई को जब वह कोर्ट जा रहे थे तो करीब सवा 10 बजे उन के मोबाइल पर एक फोन आया. वैभव ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से फोन करने वाले ने खुद को आईसीआईसीआई बैंक का अफसर बता कर कहा कि उन्होंने बैंक को अपना पैन नंबर नहीं दिया है, इसलिए तत्काल पैन कार्ड की कौपी जमा करा दें. इस पर वैभव ने एकदो दिन में कौपी जमा कराने को कह दिया. फोन करने वाले ने कहा कि उन का खाता अपडेट करना है, जिस के लिए उन्हें कुछ जरूरी जानकारी चाहिए. उस वक्त वैभव की कुछ समझ में नहीं आया और उन्होंने पूछने वाले को वांछित जानकारी दे दी.

वैभव ने गाड़ी चलातेचलाते ट्रैपिँक की टेंशन में जानकारी तो दे दी, लेकिन उन्हें कुछ संदेह हुआ. संदेह होते ही वह बैंक की ओर दौड़े. बैंक जा कर उन्होंने मैनेजर फैजान अब्बासी से पूरी बात बता कर तुरंत खाता ब्लौक करने को कहा, लेकिन अब्बासी ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया. इस के बाद वैभव के फोन पर 4 मैसेज आए, जिन में उन के एकाउंट से 50-50 हजार रुपए निकाले जाने की जानकारी दी गई थी. उस समय वैभव के एकाउंट में 2 लाख 10 हजार रुपए पड़े थे, जिन में से 2 लाख रुपए निकाल लिए गए थे. इस के बाद वह फिर बैंक गए और बैंक मैनेजर को मोबाइल के मैसेज दिखा कर अविलंब खाता ब्लौक करने को कहा. आरोप के अनुसार, बैंक मैनेजर ने खाता ब्लौक करने में आनाकानी की.

इस पर वैभव ने अपने साथियों को सूचना दे कर बुला लिया. तत्पश्चात वह अधिवक्ता राकेश वशिष्ठ, धर्मवीर सिंह, आदेश कुमार को साथ ले कर थाना सिविल लाइंस पहुंचे और बैंक प्रबंधक फैजान अब्बासी के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत का आरोप लगा कर आईपीसी की धारा 420, 406 और आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. वैभव का कहना था कि अगर समय रहते उन का खाता ब्लौक कर दिया गया होता तो उन के साथ यह धोखाधड़ी नहीं होती. यह मामला चूंकि एक अधिवक्ता से जुड़ा था, इसलिए पुलिस भी तुरंत हरकत में आ गई. पुलिस ने तुरंत बैंक जा कर पूछताछ की तो बैंक ने स्टेट बैंक औफ इंडिया के 4 खातों के नंबर उपलब्ध कराए, जिन में वैभव के खाते से रकम ट्रांसफर की गई थी.

पुलिस ने स्टेट बैंक जा कर पूछताछ की तो पता चला कि उन खातों में ट्रांसफर हुई रकम निकाल ली गई है. ये सभी खाते झारखंड के थे. बाद में यह मुकदमा विवेचना के लिए साइबर सेल को ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले में साइबर विशेषज्ञों का मानना था कि शातिर ठगों ने पहले वैभव अग्रवाल के बैंक खाते में औनलाइन सेंध लगाई होगी, उस के बाद उन का कोड बदलने की प्रक्रिया अपनाई होगी. इस तरह का यह पहला मामला सामने आया था, वरना इस से पहले जो ठगियां हुई थीं, वे एटीएम की जानकारी ले कर हुई थीं.

इस से पहले स्टेशन के सामने रेलवे की डबल स्टोरी बिल्डिंग में रहने वाले नदरुल हसन को एटीएम कार्ड की जानकारी ले कर ठगा गया था. मई के पहले हफ्ते में रेलवे कर्मचारी नदरुल हसन के मोबाइल पर एक महिला का फोन आया. उस ने खुद को बैंक अधिकारी बताते हुए कहा, ‘‘देखिए, आप के बैंक एकाउंट में प्रौब्लम आ गई है. हमें उसे अपडेट करना है, वरना आप का एटीएम कार्ड काम करना बंद कर देगा.’’

यह सुन कर नदरुल घबरा गए. उन्होंने उस महिला को अपने बैंक एकाउंट से संबंधित सारी जानकारी दे दी. एटीएम कार्ड का सीक्रेट कोड भी बता दिया. इस के चंद मिनट बाद नदरुल हसन के मोबाइल पर उन के एकाउंट से 12,300 रुपए कटने का मैसेज आ गया. इस से वह समझ गए कि उन के साथ धोखाधड़ी हुई है. उन्होंने 3 मई, 2015 को इस मामले की रिपोर्ट थाना कोतवाली में लिखा दी. इस से पहले 2 दिसंबर, 2014 को भी थाना कटघर में एक ऐसी ही रिपोर्ट दर्ज हुई थी. यह रिपोर्ट सूरजनगर निवासी वीर सिंह ने लिखाई थी. दरअसल वीर सिंह को मुंबई से एक तथाकथित बैंक अफसर का फोन आया था. उस ने वीर सिंह से कहा था, ‘‘आप का एटीएम बंद होने वाला है. अगर आप चाहते हैं कि एटीएम काम करता रहे तो हमें आप का खाता अपडेट करना पड़ेगा.’’

‘‘इस के लिए मुझे क्या करना होगा?’’ वीर सिंह ने पूछा तो फोन करने वाले ने उन से उन के खाते और एटीएम के बारे में पूरी जानकारी मांग ली, एटीएम का सीक्रेट कोड भी. इस के 5 मिनट बाद ही वीर सिंह के मोबाइल पर उन के खाते से 46,400 रुपए कटने का मैसेज आ गया. ठगे जाने का अहसास हुआ तो वीर सिंह ने थाना कटघर में रिपोर्ट दर्ज करा दी. यही सब अनीता के साथ भी हुआ था. चांदपुर के हिंदू इंटर कालेज की शिक्षिका अनीता मुरादाबाद के जिला चिकित्सालय के परिसर में रहती हैं. 23 फरवरी, 2015 को अनीता के मोबाइल पर किसी तथाकथित बैंक अफसर का फोन आया. उस ने अनीता से कहा, ‘‘आप का एटीएम कार्ड बंद हो गया है. अगर आप चाहती हैं कि आप का एटीएम चालू रहे तो हमें आप का एकाउंट अपडेट करना पड़ेगा.’’

‘‘उस के लिए मुझे क्या करना होगा?’’ अनीता ने पूछा तो फोन करने वाले ने उन से उन का खाता नंबर से ले कर उन के एटीएम कार्ड से जुड़ी सारी जानकारी मांग ली. फोन बैंक से ही आया होगा, यह सोच कर अनीता ने सब कुछ बता दिया. इस के चंद मिनटों बाद ही उन के एकाउंट से 11,300 रुपए कट गए. फोन पर इस रकम के निकलने का मैसेज आया तो अनीता को ठगे जाने का अहसास हुआ. बाद में उन्होंने थाना कोतवाली में इस की रिपोर्ट लिखा दी. एसएसपी लव कुमार के आदेश पर ये सारे मामले जांच के लिए साइबर सेल को सौंप दिए गए थे. साइबर सेल ने अपने स्तर पर जांच की तो पता चला कि जिन नंबरों से फोन किए गए थे, वे सब झारखंड के थे. यानी यह काम झारखंड में बैठेबैठे किया जा रहा था.

जब इन मामलों की फाइलें नवनियुक्त एसपी सिटी रामसुरेश यादव के सामने आईं तो उन्होंने इन मामलों की तह तक जाने का फैसला किया. इस के लिए उन्होंने साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की एक संयुक्त टीम बनाई. इस टीम में इंसपेक्टर देवप्रकाश शुक्ल, संजय कुमार सिंह, धर्मेंद्र यादव, एन.के. भटनागर, सबइंसपेक्टर राजकुमार शर्मा, रघुराज सिंह और साइबर सेल के ललित सैनी, दीपक कुमार और अंकित कुमार को शामिल किया गया. इस टीम ने यह पहले ही पता कर लिया था कि जिन नंबरों से ठगे गए लोगों को फोन किए गए थे, वे सब पटना से खरीदे गए थे.

पुलिस टीम 15 मई, 2015 को पटना के लिए रवाना हुई. पटना पहुंच कर मुरादाबाद की इस पुलिस टीम ने पटना रेलवे स्टेशन के सामने एमसी बुद्ध मार्ग पर जनरल स्टोर चलाने वाले यशोवर्धन पंकज को पकड़ा. उस की मोबाइल की दुकान और साइबर कैफे भी था. जिन सिम नंबरों से फोन आए थे, वे यशोवर्धन पंकज की दुकान से ही खरीदे गए थे. यशोवर्धन ने सिम खरीदने वालों के आईडी प्रूफ की कौपी पुलिस को मुहैया करा दी. लेकिन जब पुलिस टीम ने उन आईडी प्रूफों की छानबीन की तो वे सभी फरजी पाए गए. दरअसल पंकज शातिर व्यक्ति था. उस ने पुलिस के पहुंचने से पहले ही एंट्री रजिस्टर और कंप्यूटर रिकौर्ड गायब कर दिया था. बहरहाल पुलिस ने पंकज को पर्सनल बांड पर छोड़ दिया.

जब पंकज से कुछ हासिल नहीं हो सका तो पुलिस टीम ने मुरादाबाद फोन कर के कुछ जानकारियां लीं. पता चला कि रेलवे कालोनी में रहने वाले नदरुल हसन और सूरजनगर निवासी वीर सिंह के बैंक खातों से जो पैसा ट्रांसफर हुआ था, वह झारखंड के जिला जामतारा के करमाटांड स्थित स्टेट बैंक औफ इंडिया के खाताधारक सुधीर मंडल के खाते में औनलाइन गया था. यह सूचना मिलते ही पुलिस टीम जिला जामतारा स्थित करमाटांड जा पहुंची. वहां स्थित स्टेट बैंक औफ इंडिया से सुधीर मंडल का पता मिल गया. वह गांव गुनीडीह का रहने वाला था. हालांकि वह जगह नक्सलवादी क्षेत्र में थी. लेकिन पुलिस टीम ने हिम्मत नहीं हारी. उस ने गांव गुनीडीह जा कर सुधीर मंडल को धर दबोचा.

प्राथमिक पूछताछ में उस ने बताया कि इस काम में गांव सियाटांड निवासी नेपाल मंडल भी उस का साथ देता था. पुलिस टीम ने सियाटांड जा कर नेपाल मंडल को भी गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों से वे फरजी सिम तो बरामद हो ही गए, जिन से नदरुल हसन और वीर सिंह को फोन किए गए थे, साथ ही 4 मोबाइल फोन और औनलाइन खरीदा गया सोनी कंपनी का एक हैंडीकैम भी बरामद हुआ. साथ ही कई एटीएम कार्ड भी. पुलिस दोनों को जामतारा की अदालत में पेश कर के ट्रांजिट वारंट पर मुरादाबाद ले आई. पूछताछ के बाद दोनों को 21 मई को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. पुलिस के अनुसार, झारखंड के करमाटांड और नारायणपुर थानाक्षेत्र में एटीएम ठगों का गढ़ है. इस क्षेत्र के करीब ढाई हजार युवा एटीएम से ठगी के धंधे में लगे हैं, जिन में लड़कियां भी शामिल हैं.

इन लड़कियों की हिंदी और अंगरेजी पर अच्छी पकड़ है. यह एक ऐसा गढ़ है, जहां एटीएम के माध्यम से ठगी की बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है यानी कोचिंग दी जाती है. कोचिंग में न केवल फोन पर बात करना सिखाया जाता है, बल्कि अफसरों की तरह बात करने के तरीके की बारीकियां भी सिखाई जाती हैं. यह एक ऐसा इलाका है, जहां एटीएम से ठगी कुटीर उद्योग का रूप ले चुकी है. पहले इस क्षेत्र के लोग जहरखुरानी गिरोह के रूप में काम करते थे. इस धंधे में पकड़धकड़ बढ़ गई तो ये लोग एटीएम ठगी के धंधे से जुड़ गए. इस इलाके में 10 साल से ले कर 30-35 साल तक के किशोर, युवा और जवान इस काम में लगे हुए हैं. इन लोगों को यहां एटीएम तोड़ू के नाम से जाना जाता है. सुबूत न होने से स्थानीय पुलिस इन का कुछ नहीं बिगाड़ पाती.

दरअसल, सौफ्टवेयर डेवलपमेंट का मुख्य केंद्र कोलकाता यहां से महज 150 किलोमीटर दूर है. वहां काम की तलाश में गए कुछ युवाओं ने यह तकनीक सीखी और अपने क्षेत्र में लौट कर लोगों को कोचिंग दी. अब ये लोग एयरटेल मनी, औक्सीजन वौलेट, वोडाफोन एमपेसा आदि का प्रयोग कर के एटीएम कार्डधारक के खाते की रकम ट्रांसफर कर लेते हैं. इस क्षेत्र के युवा घर बैठे इसी तरह हर महीने 20-30 हजार रुपए, कभी तो लाखों कमा लेते हैं. इन लोगों का यह धंधा पूरे भारत में चलता है. यही वजह है कि इस इलाके में आए दिन किसी न किसी प्रदेश की पुलिस आरोपियों की तलाश में आती रहती है. वैसे यहां के धंधेबाजों का उस्ताद कोलकाता निवासी पिंटू चौधरी को बताया जाता है, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लग रहा है. Cyber Fraud

 

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