Delhi Crime Story: पति की हत्या के आरोप में जेल गई अनीता, जमानत पर छूटने के बाद अपनी सहेली पुष्पा के भाई शिवनंदन के साथ ही लिवइन रिलेशन में रहने लगी. इसी दौरान उन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि शिवनंदन ने लिवइन रिलेशन को कंबल में लपेट कर रख दिया.

बात पहली जून, 2015 की है. सुबह करीब साढ़े 8 बजे दिल्ली के उत्तर पश्चिमी जिले के थाना आदर्श नगर के ड्यूटी औफिसर को पुलिस नियंत्रण कक्ष द्वारा सूचना मिली कि मजलिस पार्क के मकान नंबर ए/308 से दुर्गंध आ रही है और दरवाजे पर ताला लगा है. ड्यूटी औफिसर ने इस काल के बारे में थानाप्रभारी संजय कुमार को अवगत करा दिया. बंद मकान से बदबू आने की बात सुन कर ही थानाप्रभारी समझ गए कि वहां कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. क्योंकि इस तरह की जो भी काल आती हैं, उन में से ज्यादातर मामले हत्या के ही निकलते हैं. यानी कोई किसी की हत्या कर के लाश को कमरे में छिपा कर दरवाजा बंद कर के फरार हो जाता है.

बहरहाल थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ मजलिस पार्क की तरफ निकल गए. जहां से बदबू आने की बात कही गई थी, वह पहली मंजिल पर था. पुलिस ने भी उस मकान से आती हुई दुर्गंध को महसूस किया. वहीं पर करीब 20 साल का एक युवक नीरज भी था. वह उस मकान में रहने वाले शिवनंदन का सौतेला बेटा था. नीरज ने पुलिस को बताया कि मकान की चाबी उस के पिता के पास है और वह पता नहीं कहां चले गए. तभी आसपास रहने वाले लोग भी वहां आ गए. उन्होंने भी दुर्गंध वाली बात उन्हें बताई. वहां मौजूद लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने दरवाजे पर लगा ताला तोड़ कर जैसे ही किवाड़ खोले तो बदबू और बढ़ गई. नाक पर रुमाल रख कर पुलिस घर में घुसी और यह खोजने लगी कि यह बदबू आ कहां से रही है.

दरवाजे के पास ही एक बरामदा था. फिर एक कमरा बना था. उस के बराबर में किचन थी. किचन के पास बाथरूम था. फिर उस के बराबर में एक कमरा था. कमरे के पीछे बालकनी थी. पुलिस ने कमरे और बाथरूम को छान मारा लेकिन वहां कुछ नहीं मिला. इस के बाद पुलिस किचन में पहुंची तो वहां 2 चूहे मरे मिले. उन चूहों से तेज बदबू आ रही थी इसलिए पुलिस ने नीरज से उन चूहों को फिकवा दिया. पुलिस तो बदबू के दूसरे ही मायने लगा रही थी, लेकिन वहां मामला दूसरा ही निकला. लिहाजा थानाप्रभारी राहत की सांस ले कर वहां से चले गए. करीब साढ़े 9 बजे थानाप्रभारी के मोबाइल पर नीरज का फोन आया. उस ने उन्हें बताया कि मकान से बदबू अभी भी आ रही है. मकान का कोनाकोना छान मारा. लेकिन अब कोई मरा हुआ चूहा भी नहीं मिला. फिर भी पता नहीं बदबू कहां से आ रही है.

थानाप्रभारी एसआई प्रवीण कुमार के साथ एक बार फिर मजलिस पार्क में उसी मकान पर पहुंच गए. इस बार वहां नीरज के साथ उस का सौतेला पिता शिवनंदन भी मिल गया. बदबू महसूस होने पर पुलिस ने एक बार फिर से खोजबीन शुरू कर दी. इस बार भी बदबू किचन की तरफ से ही आ रही थी. पुलिस ने सोचा कि पहले की तरह कोई चूहा ही मरा पड़ा होगा. वह किचन में खोजबीन करने लगी. लेकिन वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. तभी पुलिस की नजर ऊपर की तरफ स्लैब पर बने लकड़ी के रैक पर गई. उस रैक को जैसे ही खोला तो बदबूदार भभका आया.  रैक में एक कंबल दिखाई दिया. देखने पर लग रहा था जैसे उस कंबल में कोई इंसान लिपटा हुआ हो.

पुलिस ने वह कंबल उतार कर खोला तो उस में एक युवती की लाश निकली उस की उम्र करीब 40 साल थी. वह महिला क्रीम कलर का सूट पहने हुए थी. जिस पर ब्राउन कलर के फूल थे. जामुनी रंग की चुन्नी भी उस के गले में थी. लाश को देखते ही नीरज चीखते हुए बोला कि यह तो मेरी मां अनीता है. शिवनंदन भी रो रहा था क्योंकि वह उसी के साथ पत्नी बन कर लिवइन रिलेशन में रह रही थी. शिवनंदन और उस के सौतेले बेटे से पुलिस ने अनीता की हत्या के बारे में पूछा तो दोनों ने बताया कि अनीता की हत्या किस ने की, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है. गम के माहौल में पुलिस ने उन दोनों से ज्यादा पूछताछ तो नहीं की लेकिन पुलिस के शक की सुई दोनों बापबेटों पर ही टिकी थी.

मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को बुला कर पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए जहांगीरपुरी के बाबू जगजीवनराम मेमोरियल अस्पताल भिजवा दिया. हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए थानाप्रभारी संजय कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जिस में इंसपेक्टर राकेश कुमार, एसआई प्रवीण कुमार, हेडकांस्टेबल बालकिशन, राजेंद्र सिंह, अंगद सिंह, कांस्टेबल नवीन कुमार, गजेंद्र, विकास, मनोज आदि को शामिल किया गया. जिस मकान में अनीता की लाश मिली थी, उस में शिवनंदन और अनीता का बेटा नीरज भी रहता था. उन दोनोें के होते हुए कोई मकान में वारदात कर के चला जाए और इस बात की भनक उन्हें न लगे, ऐसी संभावना बहुत कम थी.

दोनों में से कोई न कोई हत्या का राज जरूर जानता होगा. ऐसा पुलिस का मानना था. लिहाजा उन दोनों से पूछताछ करने के लिए पुलिस ने उन्हें थाने बुला लिया. पूछताछ में शिवनंदन ने बताया कि वह आजादपुर मंडी में काम करता है. रोजाना सुबह जल्दी घर से निकलने के बाद देर रात को घर लौटता है. नीरज भी सब्जीमंडी में दूसरी जगह काम करता था. वह भी सुबह घर से जाने के बाद शाम को घर लौटता है.

‘‘जब तुम लोग घर से निकल जाते थे तो घर पर अनीता ही रह जाती होगी?’’ थानाप्रभारी ने उन से पूछा.

‘‘हां, घर पर वही रहती थी.’’ शिवनंदन बोला.

‘‘तो कौन से दिन वह घर पर नहीं मिली?’’ थानाप्रभारी ने जानना चाहा.

‘‘29 मई को जब हम शाम को घर आए तो वह घर से गायब मिली.’’ शिवनंदन ने बताया.

‘‘फिर तुम ने उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘नहीं, पुलिस में खबर इस वजह से नहीं की क्योंकि वह कईकई दिनों के लिए घर से गायब हो जाती थी. यही सोचा कि वह 2-4 दिनों में आ जाएगी.’’ शिवंनदन ने कहा.

‘‘बाहर…बाहर कहां और क्यों जाती थी?’’ थानाप्रभारी चौंके.

‘‘सर, पता नहीं कहां जाती थी. मगर इतना पता है कि एक बार वह जिस्मफरोशी के आरोप में चंडीगढ़ पुलिस द्वारा और नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में पंचकुला पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई थी.’’ शिवनंदन ने बताया.

यह सुन कर पुलिस समझ गई कि अनीता जरूर आवारा और आपराधिक प्रवृत्ति की रही होगी. चाहे वह जैसी भी रही हो, उस का मर्डर तो हुआ ही था. एक बात तो तय थी कि उस का मर्डर बड़ी तसल्ली से उस घर में ही किया गया था. यह काम घर का कोई नजदीकी व्यक्ति ही कर सकता है. वह व्यक्ति कौन हो सकता है, जानने के लिए थानाप्रभारी ने शिवनंदन से पूछा कि उन के घर में और कौनकौन आता था?  जब शिवनंदन ने बताया कि कोई नहीं आता था तो पुलिस को शिवनंदन पर शक गहरा गया. उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अनीता की हत्या उस ने ही की थी.

अनीता ने उस के सामने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे जिस की वजह से उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. उस ने अनीता की हत्या करने के पीछे की जो कहानी बताई वह बड़ी दिलचस्प निकली. शिवनंदन मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के अथर गांव के रहने वाले गयाप्रसाद का बेटा था. शिवनंदन के अलावा गया प्रसाद के एक बेटा और 5 बेटियां थीं. गयाप्रसाद खेतीबाड़ी कर के अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे थे. जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए वह उन की शादी करते गए. उन्होंने मंझली बेटी पुष्पा की शादी उत्तर पश्चिमी दिल्ली के मजलिस पार्क में रहने वाले रमेश चंद से की थी. रमेश आजादपुर सब्जी मंडी में काम करता था.

रमेश का काम अच्छा चल रहा था. 10 साल की उम्र में शिवनंदन भी अपने बहनोई रमेश के पास दिल्ली आ गया. रमेश ने उसे पढ़ाना चाहा लेकिन उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो रमेश उसे अपने साथ ही काम पर सब्जीमंडी में ले जाने लगा. कुछ दिनों में ही वह मंडी का काम समझ गया. इस तरह वह 14-15 साल की उम्र में ही पैसे कमाने लगा था. वह जो पैसे कमाता उन्हें अपने पिता के पास भेज देता था. इस बीच अनीता 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई थी. बताया जाता है कि शिवनंदन की बहन पुष्पा के अपने भतीजे से ही नाजायज संबंध हो गए थे. इस बात की जानकारी रमेश को हुई तो उस ने पत्नी पुष्पा को समझाया.

पुष्पा को जब लगा कि उस के अवैध संबंधों में पति बाधक है तो उस ने सन 2004 में पति की हत्या कर दी. पति की हत्या के आरोप में पुष्पा को जेल जाना पड़ा. तब शिवनंदन ने ही अपने दोनों भांजों और भांजी की परवरिश की. एक साल बाद जेल में ही पुष्पा की मुलाकात अनीता से हुई. अनीता मूलरूप से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली थी. उस की शादी दिल्ली के खजूरी खास क्षेत्र के रहने वाले देवेंद्र सिंह से हुई थी. बताया जाता है कि सन 2005 में उस ने भी अपने पति की हत्या कर दी थी. पति की हत्या के आरोप में उसे जेल जाना पड़ा था. अनीता के 2 बेटे थे नीरज और सूरज. उस के जेल जाने के बाद बच्चों को लक्ष्मीनगर में रहने वाली उन की मौसी ले गई थी.

पुष्पा और अनीता हमउम्र थीं इसलिए जेल में वे दोनों अच्छी दोस्त बन गई थीं. शिवनंदन जेल में अपनी बहन से मिलने जाता ही था. वहीं पर बहन ने उस की मुलाकात अनीता से कराई थी. अविवाहित शिवनंदन अनीता से मिल कर बहुत प्रभावित हुआ. वह उसे मन ही मन चाहने लगा. अनीता की वजह से वह जल्दजल्द बहन से मिलने जाने लगा. इसी बीच पुष्पा को सजा हो गई तो वह सजा पूरी कर के घर आ गई. कई साल पहले अनीता के मांबाप की मौत हो चुकी हो चुकी थी. दिल्ली के लक्ष्मीनगर में जो उस की बहन रह रही थी, वह भी ऐसी नहीं थी जो उस की जमानत करा सके. उस की जमानत कराने वाला कोई नहीं था जिस से वह जेल में ही बंद थी.

पुष्पा चाहती थी कि किसी तरह अनीता भी जेल से बाहर आ जाए. इसलिए एक दिन उस ने शिवनंदन से उस की जमानत कराने को कहा. शिवनंदन भी यही चाहता था, इसलिए उस ने सन 2010 में किसी तरह अनीता की जमानत करा दी. जमानत के बाद अनीता को पुष्पा ने अपने घर ही रख लिया. शिवनंदन की कमाई से ही घर का खर्चा चल रहा था. एक ही घर में रहने की वजह से शिवनंदन और अनीता एकदूसरे के बेहद नजदीक आ गए. पुष्पा को उन के संबंधों की भनक लग चुकी थी. उन से इस बारे में कुछ कहने के बजाय उस ने मुंह फेर लिया.

इतना ही नहीं, पुष्पा का उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में एक मकान और था. वह अपने तीनों बच्चों को ले कर बुराड़ी चली गई. मजलिस पार्क वाले मकान में शिवनंदन ही रहने लगा, मगर वह इस के बदले बहन को किराया दे देता था. शिवनंदन और अनीता ने जब महसूस किया कि उन के संबंधों पर पुष्पा को कोई आपत्ति नहीं है तो उन की हिम्मत और बढ़ गई. इस के बाद वे बिना शादी किए पतिपत्नी की तरह रहने लगे. हालांकि अनीता उस से उम्र में 15 साल बड़ी थी, इस के बाद भी दोनों के इस तरह रहने पर पुष्पा भी खुश थी. अनीता ने अपने दोनों बेटों को भी अपने पास बुला लिया. बड़ा बेटा सूरज अपने किसी जानकार के साथ नौकरी के लिए मुंबई चला गया. तब से वह मुंबई में ही है. जबकि छोटा 20 साल का नीरज मां के साथ ही रह रहा था. नीर को शिवनंदन ने आजादपुर सब्जी-मंडी में काम पर लगवा दिया.

शिवनंदन तो सुबह ही घर से मंडी के लिए निकल कर देर शाम को ही घर लौटता था. इस दौरान अनीता अकेली ही घूमने के लिए निकल जाती थी. वह कहां जाती और किस के साथ घूमती थी, यह बात वह पुष्पा को भी नहीं बताती थी. शिवनंदन को जब अनीता की इस हरकत की जानकारी मिली तो उस ने उसे समझाया लेकिन वह नहीं मानी. इस के बाद तो उस की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि वह कईकई दिनों तक घर से बाहर रहने लगी. इस दौरान वह अपना फोन भी स्विच्ड औफ कर लेती थी. अनीता जब अपनी मनमरजी करने लगी तो शिवनंदन ने भी उस से कहनासुनना बंद कर दिया.

शिवनंदन को पता नहीं था कि वह गलत धंधा भी करने लगी है. वह गलत धंधा क्या है इस का पता उसे तब लगा जब वह 3 साल पहले नशीले पदार्थ के साथ पंचकुला पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई. ड्रग की खेप वह दिल्ली से पंजाब पहुंचाने जा रही थी. पुष्पा को अनीता के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो वह हैरान रह गई. उसे लगा कि अनीता शायद गलत तरह के लोगों के बीच फंस गई है और वे लोग उस से ड्रग सप्लाई करा रहे हैं. वह उस से बात कर के सच्चाई जानना चाहती थी. इसलिए वह उस से जेल में मिलने पहुंच गई. पुष्पा को देखते ही अनीता फूटफूट कर रोई. अनीता ने उसे बताया कि ड्रग सप्लाई का काम वह किसी के दबाव में कर रही थी. यानी पुष्पा जैसा सोच रही थी, बात वही निकली.

बहरहाल पुष्पा को अनीता पर दया आ गई. और उस ने भाई से कह कर उस की जमानत करा ली. वह फिर से शिवनंदन के साथ ही रहने लगी. कुछ दिनों तक तो अनीता वहां ठीक रही, बाद में वह अपने पुराने ढर्रे पर उतर आई. बिना बताए घर से निकल कर देर रात घर लौटना जैसे उस का रोज का नियम बन गया था. शिवनंदन उसे डांटता तो वह 2-4 दिन तो ठीक रहती उस के बाद वही उस का घूमनाफिरना शुरू हो जाता था. पुष्पा को कभीकभी गुस्सा आता कि वह उसे घर से निकाल दे लेकिन यह सोच कर खयाल भी आ जाता था कि इस के मांबाप तो हैं नहीं. यहां के बाद ये जाएगी कहां. इसलिए वह बारबार अनीता को समझाती ही रहती थी.

शिवनंदन को कोई परेशानी न हो इसलिए उस ने अपने घर के दरवाजे पर लगने वाले ताले की दूसरी चाबी अपने पास रख ली. करीब एक साल पहले वह अचानक घर से फिर गायब हो गई. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. शिवनंदन और पुष्पा ने उसे संभावित जगहों पर तलाशा लेकिन वह कहीं नहीं मिली. फिर 4-5 दिनों बाद पुष्पा के मोबाइल पर चंडीगढ़ पुलिस का फोन आया. पुलिस ने बताया कि अनीता वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार की गई है. यह खबर मिलते ही पुष्पा चौंक गई. इस के बाद वह समझ गई कि अनीता कईकई दिनों तक बाहर क्यों रहती है. उस ने यह बात शिवनंदन को बताई तो वह भी हैरान रह गया.

अब की बार शिवनंदन ने तय कर लिया कि वह अनीता से न तो जेल में मिलने जाएगा और न ही उस की जमानत कराएगा लेकिन पुष्पा के मन में तो अब भी उस के लिए दया थी. आखिर उस ने शिवनंदन को चंडीगढ़ जाने के लिए तैयार कर लिया. दोनों ने उस से जेल में मुलाकात की. अनीता ने इस बार भी लाख सफाई दी कि उसे झूठे आरोप में फंसाया गया है, वह बेकुसूर है. लेकिन शिवनंदन को उस पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि वह उस का विश्वास पहले ही तोड़ चुकी थी. अनीता पुष्पा से इस बार और माफ करने के लिए गिड़गिड़ाने लगी. उस के आंसू देख कर पुष्पा का दिल फिर से पसीज गया. लिहाजा भाई से कहसुन कर उस ने अनीता की फिर से जमानत करा ली.

इस बार उस ने अनीता को हिदायत दी कि वह अब कोई ऐसावैसा काम न करे जिस से उन्हें परेशानी हो. अनीता ने वादा तो कर लिया लेकिन उसे निभा नहीं पाई. फिलहाल उस ने घर से बाहर निकलना तो बंद कर दिया था, पर वह घर पर ही अपने फोन से पता नहीं किसकिस से बतियाती रहती थी. शिवनंदन उस के आचरण को जान ही चुका था. इसलिए उसे इस बात का शक था कि वह अपने किसी यार से ही बात करती होगी. उस ने इस बारे में अनीता से पूछा भी पर अनीता यही कह देती कि अपनी सहेलियों से बातें करती है. 29 मई, 2015 को अनीता का बेटा नीरज सब्जीमंडी गया हुआ था. शिवनंदन घर पर ही था. अनीता उस दिन भी अपने फोन पर काफी देर से किसी से बातें कर रही थी. शिवनंदन मन ही मन कसमसा रहा था. जैसे ही अनीता की बात खत्म हुई तो शिवनंदन ने पूछा, ‘‘किस का फोन था जो इतनी लंबी बात चली?’’

‘‘तुम्हें क्यों बताऊं किस का फोन था. जब तुम किसी से बातें करते हो तो मैं क्या तुम से पूछती हूं?’’ अनीता बोली.

‘‘मैं इतनी देर तक किसी से बात भी तो नहीं करता. और यदि तुम्हारे पूछने पर मैं नहीं बताता तो कहती.’’ उस ने कहा.

‘‘देखोजी, मैं किसी से बात करूं या ना करूं इस से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए.’’ अनीता तुनक कर बोली.

इसी बात पर अनीता और शिवनंदन के बीच कहासुनी हो गई. अनीता ने शिवनंदन पर हाथ छोड़ दिया. शिवनंदन भी आपा खो बैठा उस ने दोनों हाथों से अनीता का गला दबा दिया. कुछ ही देर में अनीता का दम घुट गया. उस के मरते ही शिवनंदन घबरा गया. उस ने गुस्से में अनीता को मार तो दिया, लेकिन अब उस के सामने समस्या यह थी कि वह उस की लाश को ठिकाने कहां लगाए. अगर वह उसे कहीं बाहर ले जाए तो उस के पकड़े जाने की संभावना थी. लिहाजा वह उसी घर में उसे ठिकाने लगाने की सोचने लगा. काफी सोचनेविचारने के बाद उस ने एक कंबल में उस की लाश लपेट ली. फिर उसे किचन के ऊपर के स्लैब पर बनी लकड़ी की रैक में छिपा दिया. इस के बाद वह मकान के दरवाजे पर ताला लगा कर सब्जीमंडी चला गया.

शाम को शिवनंदन और नीरज सब्जीमंडी से लौटे तो नीरज ने घर में मां को नहीं देखा तो वह चौंका. तब शिवनंदन ने कह दिया कि वह पहले की तरह कहीं गई होगी. अनीता कईकई दिनों के लिए अचानक घर से गायब हो जाती थी, इसलिए वह कुछ नहीं बोला. उसे पता नहीं था कि उस की मां अब इस दुनिया में नहीं है. 2-3 दिनों बाद लाश सड़ने लगी तो शिवनंदन ने किचन में खाना बनाना बंद कर दिया ताकि नीरज को कोई शक न हो. वह बाजार से ही खाना मंगाने लगा. उधर अनीता की लाश से बदबू वाला तरल पदार्थ रिसने लगा. उस तरल पदार्थ को शायद किचन में गए चूहों ने पीया होगा, जिस से उन की मौत हो गई. शिवनंदन और नीरज रोजाना ही उसी घर में सोते थे. बदबू बढ़ने पर नीरज ने उस से पूछा भी लेकिन शिवनंदन ने कोई चूहा मरने की बात कह कर उस की बात टाल दी.

पहली जून को शिवनंदन और नीरज अपने काम पर निकल गए. नीरज किसी काम से घर आया तो उस से पड़ोसियों ने बदबू आने वाली बात बताई. उसी दौरान किसी ने पुलिस को फोन कर दिया. फोन काल पर पुलिस वहां आई और मरे हुए चूहे निकलवा कर चली गई. एकडेढ़ घंटे बाद शिवनंदन भी वहां आ गया. उसे जब पता चला कि किचन में जाने के बावजूद भी पुलिस लाश का पता नहीं लगा पाई तो वह बहुत खुश हुआ. उस ने सोचा कि अब वह पकड़ा नहीं जाएगा. लेकिन उस की यह खुशी केवल कुछ देर तक ही रही. क्योंकि उसी दौरान बदबू आने की शिकायत पुलिस से दोबारा जो कर दी गई थी. दूसरी बार पहुंची पुलिस ने बदबू की वजह ढूंढ ही निकाली.

शिवनंदन से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे हत्या और लाश ठिकाने लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर के जिला एवं सत्र न्यायालय रोहिणी के महानगर दंडाधिकारी कपिल कुमार के समक्ष पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. शिवनंदन और पुष्पा ने अनीता को सुधरने के कई मौके दिए थे लेकिन अनीता अपनी बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं के चलते गलत पर गलत काम करती रही. यदि वह सही रास्ते पर चलती तो शायद शिवनंदन के हाथों नहीं मारी जाती. बहरहाल, अनीता का बेटा सूरज मां की मौत के बाद भी मुंबई से नहीं आया. मामले की तफ्तीश इंसपेक्टर राकेश कुमार कर रहे हैं. Delhi Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

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