Chandigarh Crime: एक हत्याकांड में फरार गुरविंदर सिंह गैरी की प्रौपर्टी पर जिस गुरप्रीत सिंह की नजर थी, इत्तफाक से वह गैरी का हमशक्ल था. इसी का फायदा उठाते हुए उस ने नकली दस्तावेज तैयार करा कर गैरी की प्रौपर्टी को बेचने के नाम पर तमाम लोगों से लाखों रुपए ठग लिए थे.

मोहाली के फेज-7 के रहने वाले गुरविंदर सिंह उर्फ गैरी को चंडीगढ़ के सेक्टर-9 स्थित जापान लाइफ कंपनी ने जादू का एक शो करने को कहा था.  उसे यह शो दिल्ली में करना था. शो की तैयारी के लिए उसे कुछ सामान की जरूरत थी. इस के लिए उस ने अपने एक परिचित जादूगर प्रदीप से बात की. 28 वर्षीय प्रदीप ने 4-5 साल पहले ही जादूगरी के क्षेत्र में कदम रखा था. उन दिनों वह चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित फाइवस्टार होटल शिवालिक व्यू में शो करता था. प्रदीप और गैरी की जानपहचान करीब 2 साल पहले तब हुई थी, जब प्रदीप सेक्टर-35 के होटल खायबर में जादू के शो किया करता था. गैरी वहां बीयर पीने जाता था. किसी दिन दोनों की जानपहचान हुई तो हमपेशा होने की वजह से उन में दोस्ती हो गई थी.

गैरी सुबह साढ़े 9 बजे प्रदीप के पास पहुंच गया था. जापान लाइफ कंपनी के निमंत्रण की बात बताने के बाद उस ने कहा, ‘‘आज सेक्टर-39 में ‘गो बनानाज किड्स क्लब’ में मेरा कार्यक्रम है. इस के लिए भी मुझे जादू का कुछ सामान चाहिए, चाहो तो तुम भी अपना कोई आइटम वहां पेश कर सकते हो. 11 बजे शो शुरू होगा, मन हो तो चलो.’’

प्रदीप तैयार हो गया. दोनों 11 बजे से पहले ही सेक्टर-39 पहुंच गए. संयोग से गैरी का एक परिचित कुलविंदर सिंह वहां मिल गया. वह गैरी का शो देखने आया था. वह पैट्रोलपंप पर काम करता था और पैट्रोलपंप पर पहनी जाने वाली ड्रैस में ही चला आया था. शो खत्म होने के बाद कुलविंदर ने कहा कि उस के पास जादू के खेलों की 1 कैसेट है. गैरी ने उस से कैसेट को मांगा तो कुलविंदर दोनों को अपने घर ले गया. उस ने पहले अपने कपड़े बदले, उस के बाद दोनों के साथ खाना खाया.

खाना खाते समय गैरी ने प्रदीप से जादू के सामान की बात की तो उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें दिल्ली के चांदनी चौक की 1 दुकान का पता देता हूं, वहां तुम्हें एकदम बढि़या सामान मिल जाएगा.’’

प्रदीप की बात खत्म होते ही कुलविंदर ने कहा, ‘‘इतने चक्कर में पड़ने के बजाय तुम जादूगर अशोक से क्यों नहीं मिल लेते. जितना अच्छा सामान उस के पास मिल जाएगा,  उतना अच्छा शायद कहीं और न मिल पाए.’’

‘‘ठीक है, हमें तो सामान चाहिए, अशोक से ही ले लेता हूं.’’ गैरी ने कहा.

इस के बाद तीनों इधरउधर की बातें करते हुए गैरी के घर पहुंचे. पहले तो तीनों ने जादू की वीडियो कैसेट देखी, जिस में 1 विदेशी जादूगर के जादू के खेलों का बहुत अच्छा प्रदर्शन था. कैसेट देखने के बाद गैरी ने कुलविंदर से जादूगर अशोक को फोन करने को कहा. कुलविंदर ने पंचकूला स्थित अशोक की दुकान पर फोन किया तो वह दुकान पर ही मिल गया. कुलविंदर ने गैरी के शो के बारे में बता कर जादू के कुछ सामान के लिए कहा तो वह बोला, ‘‘रात 9 बजे सेक्टर 30 के अहाते में आ जाना, 2-2 पैग भी लगाएंगे और वहीं इस बारे में बात भी कर लेंगे.’’

चंडीगढ़ के सेक्टर-46सी में रहने वाले मोहनलाल अरोड़ा के परिवार में पत्नी आशा रानी के अलावा 4 बेटे और 2 बेटियां थीं. 6 संतानों में सब से बड़ा बेटा अशोक था. उसे बचपन से ही जादूगर बनने का शौक था. शायद इसी वजह से उस ने जादू के तमाम खेल सीख लिए थे. इस में अविश्वसनीय बात यह थी कि उस ने जादू किसी से सीखा नहीं था. उस का दिमाग इतना तेज था कि वह एक बार जो देख लेता था, जरा सी देर में उसे हूबहू दोहरा देता था. दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद वह पिता के साथ सेक्टर-18 स्थित उन की स्वर्णकारी की दुकान पर बैठने लगा था. सन 1985 में उस की नमिता से शादी हो गई तो जल्दी ही वह एक बेटे वरुण का बाप बन गया. 1996 में उस ने पंचकूला के सेक्टर-15 में महारानी ज्वैलर्स नाम से अपनी अलग दुकान खोल ली.

आशोक की दुकान बढि़या चल रही थी, लेकिन उस का जादू का शौक गया नहीं था. अब तक जादू के खेल में उस ने न केवल महारत हासिल कर ली थी, बल्कि उसे काफी लोकप्रियता भी मिल गई थी. चंडीगढ़ के बड़ेबड़े स्कूलों में उस ने जादू के तमाम शो किए थे. सेक्टर-17 के परेड ग्राऊंड में भी उस ने हजारों लोगों की उपस्थिति में जादू के कई कार्यक्रम किए थे. विदेशों में भी उस ने कुछ शो किए थे, जिस से उसे काफी प्रसिद्धि मिल गई थी. जादू के खेलों में इस्तेमाल किए जाने वाले बेशकीमती सामानों की उस के पास भरमार थी.

इस के बावजूद स्वर्णकारी की अपनी दुकान की वजह से अशोक को जादू के खेल के आयोजनों के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया. फिर भी उस के जादूगर दोस्त कभीकभी उस से मिलने आते रहते थे. वे अशोक से जादूगरी का करतब तो सीखते ही थे, जरूरत पड़ने पर सामान भी किराए पर ले जाते थे. अशोक खुले दिल का इंसान था, इसलिए उस ने कभी अपने किसी जादूगर दोस्त को निराश नहीं किया. ऐसे में ही 21 मई, 2000 को कुलविंदर का फोन आया तो अशोक ने रात 9 बजे सेक्टर-30 के अहाते में मिलने के लिए कह दिया था.

उसी रात खाना खाने के बाद अशोक अपने छोटे भाई मुकेश अरोड़ा के साथ घर के पीछे के कंपाउंड में बैठा बातें कर रहा था. तभी एक मारुति कार वहां आ कर रुकी. उस समय साढ़े 11 बज रहे थे. उस वक्त उस के पिता और उस के पड़ोसी निर्मल सिंह भी वहीं बैठे थे. कार से 4 युवक निकल कर अशोक के पास आए और चारों ने एक साथ कहा, ‘‘अशोक, तुम हमारे साथ चलो.’’

चारों ने अशोक से जिस तरह साथ चलने को कहा था, वहां बैठे सभी लोगों को बड़ा अजीब लगा था. लिहाजा मुकेश ने भाई से उन के बारे पूछा. अशोक ने कहा कि ये उस के दोस्त हैं और इन के नाम गुरविंदर सिंह गैरी, लखबीर सिंह, रणबीर सिंह और कुलविंदर सिंह हैं. साथ ही यह भी बताया कि मोहाली के रहने वाले ये लड़के उस से जादू सीखा करते हैं. इस के बाद चारों अशोक को एक किनारे ले जा कर बातें करने लगे. कुछ देर बाद अशोक ने मुकेश के पास आ कर कहा, ‘‘अभी मैं जादू का एक आइटम सिखाने इन के साथ जा रहा हूं. तुम लोग आराम से सो जाना. मुझे आने में शायद थोड़ी देर हो जाए.’’

‘‘लेकिन तुम जा कहां रहे हो?’’ मुकेश ने पूछा.

‘‘मैं मोहाली के फेज-7ए जा रहा हूं. घबराने की कोई बात नहीं है, ये सभी मेरे खास दोस्त हैं.’’

इतना कह कर अशोक उन लोगों के साथ उन की कार में बैठ कर चला गया.

कुछ देर बाद मुकेश भी पिता के साथ कंपाउंड से उठा और अंदर चला गया. निर्मल सिंह भी अपने घर चले गए. अब तक अशोक के घर के सभी लोग सो चुके थे. अपनेअपने बिस्तर पर पहुंच कर थोड़ी देर में मुकेश और उस के पिता भी सो गए. सुबह मुकेश की आंख खुली तो पता चला कि आशोक अभी तक लौट कर नहीं आया. जाते समय अशोक ने जिस तरह बात की थी, उस से उन लोगों को चिंता हो रही थी. फिर भी उन लोगों ने सोचा कि कुछ देर और इंतजार कर लेते हैं, उस के बाद देखते हैं. लेकिन जब 10 बजे तक भी अशोक नहीं लौटा तो मुकेश से रहा नहीं गया और वह अपने एक पड़ोसी को साथ ले कर अशोक की तलाश में मोहाली के फेज-7 की ओर चल पड़ा.

मुकेश पड़ोसी के साथ सेक्टर 45-46 के चौक पर पहुंचा तो उसे कुलविंदर सिंह मिल गया. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. ऐसा लग रहा था, वह डर के मारे कांप रहा है. मुकेश ने उसे रोक कर उस की इस हालत के बारे में पूछा तो उस ने डरते हुए कहा, ‘‘रात 12 बजे गैरी की कोठी पर अशोक का गैरी, लखबीर और रणबीर से झगड़ा हो गया. उस समय सभी शराब पी रहे थे. शराब पीते हुए तीनों अशोक से जादू के आइटम सीखने की जिद करने लगे. अशोक ने कहा कि इतने कम समय में और इस हालात में वे आइटम नहीं सिखाए जा सकते.

जब वे नहीं माने तो एक आइटम दिखाते हुए अशोक ने गैरी की सोने की अंगूठी गायब कर दी. तीनों ने गैरी की उस अंगूठी के बारे में पूछा तो अशोक ने कहा कि अब वह नहीं मिल सकती. शराब के नशे में होने की वजह से वे अशोक की पिटाई करने लगे. उन लोगों ने अशोक को इतना मारा कि …’’

कुलविंदर कुछ और कहता, परेशानी की उस हालात में मुकेश ने उस की बात बीच में ही काट कर पूछा, ‘‘फिलहाल अशोक कहां है, उसे बहुत ज्यादा चोटें आई हैं क्या? हमें जल्दी से उस के पास ले चलो.’’

कुलविंदर ने रोते हुए कहा,‘‘अब मैं आप को किस अशोक के पास ले चलूं? डंडों से पिटाई के बाद वे रसोई से चाकू ले आए और उसी चाकू से उसे मार डाला. अशोक को मार कर उन्होंने कस्सी और कुल्हाड़ी से उस की दोनों बांहें, टांगें और गर्दन काट कर धड़ सहित कार में डाल लिया. मैं उन लोगों के साथ जाना तो नहीं चाहता था, पर उन्होंने मुझे भी जबरदस्ती कार में बैठाया और गांव मौली के बगल से बहने वाले गंदे नाले पर ले गए. वहां उन्होंने अशोक के शरीर के टुकड़ो को अलगअलग जगहों पर फेंक दिया. जबकि सिर कार में ही पड़ा रहने दिया. इतना सब करते करते सुबह के 4 बज गए. फेज-11 के पास उन्होंने कार रोक कर मुझे उतार दिया और खुद अशोक के सिर को ठिकाने लगाने के लिए कहीं चले गए.’’

‘‘हे भगवान.’’ दोनों हाथों से अपना सिर थाम कर मुकेश ने कहा और जमीन पर बैठ कर रोने लगा. इस के बाद कुलविंदर ने उसे चुप कराते हुए कहा, ‘‘गैरी, लखबीर और रणबीर ने अशोक की हत्या करने के बाद उस की अंगूठियां, ब्रेसलेट और सोने की चेन उतार ली थी. लड़ाईझगड़े में अशोक का रिवाल्वर गिर गया था, जिसे गैरी ने ले लिया था.’’

मुकेश ने किसी तरह खुद को संभाल कर पूछा, ‘‘तुम ने इस घटना के बारे में पुलिस को इन्फौर्म किया?’’

‘‘अभी नहीं, दरअसल मैं इतना डर गया था कि पुलिस के पास जाने की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई. इस के अलावा मुझे यह भी डर लग रहा था कि कहीं वे मुझे भी न मार दें. क्योंकि वे मुझे धमकी दे रहे थे कि अगर इस हत्या के बारे में मैं ने किसी को कुछ बताया तो वे मेरा भी वही हाल करेगें, जो अशोक का किया है. यही वजह थी कि जहां उन लोगों ने मुझे कार से उतारा था, कई घंटे तक मैं वहीं छिपा बैठा रहा. अभी कुछ देर पहले ही वहां से निकल कर मैं सीधे आप लोगों के पास ही जा रहा था कि आप मिल गए.’’

‘‘चलो, पहले थाने चलते हैं.’’ मुकेश ने कहा.

इस के बाद मुकेश कुलविंदर को भी अपने साथ ले कर मोहाली की ओर चल पड़ा. वे अंबवाले चौक के पास पहुंचे थे कि मोहाली के थाना सेंट्रल के थानाप्रभारी इंसपेक्टर प्रीतम सिंह सहयोगियों के साथ मिल गए. मुकेश ने उन्हें सारी बात बताई तो उन्होंने मामला फ्लैश करवा कर मुकेश की शिकायत दर्ज करने के लिए उस की तहरीर थाने भिजवा दी और खुद टीम को साथ घटनास्थल की ओर चल पड़े. गैरी के मकान पर ताला लटक रहा था. खिड़की का कांच तोड़ कर एक पुलिस वाले को अंदर भेजा गया, जिस ने अंदर से दरवाजा खोला. इस के बाद मकान की तलाशी ली गई तो खून सनी चादर, कस्सी, शराब की बोतल और जगहजगह खून के धब्बे देख कर पुलिस को विश्वास हो गया कि कुलविंदर ने जादूगर अशोक के भाई मुकेश को जो बताया है, वह एकदम सही हैं. इसी के साथ पुलिस को यह भी शक हुआ कि अशोक के कत्ल में कुलविंदर भी शामिल था.

अब यह खुद को बचाने के लिए नाटक कर रहा है. फिलहाल इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह कुलविंदर और मुकेश को साथ ले कर अशोक की लाश के टुकड़े बरामद करने चल पड़े. मोहाली के नजदीक मौली गांव के गंदे नाले से अशोक का धड़ बरामद हो गया. थाना सेंट्रल में जादूगर अशोक की हत्या का मुकदमा गैरी, लखबीर, रणबीर और कुलविंदर के खिलाफ दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने कुलविंदर को हिरासत में ले कर अदालत में पेश किया, जहां से पूछताछ के लिए उसे 3 दिनों के कस्टडी रिमांड पर ले लिया गया. थाने में की गई पूछताछ में कुलविंदर बताया कि वह मोहाली के फेज-11 के मकान नंबर-1353 में रहता था. उस के पिता का नाम जोगेंद्र सिंह था.

दसवीं पास करने के बाद वह इन दिनों सेक्टर-10 के एक पैट्रोलपंप पर नौकरी कर रहा  था. उसे जादू सीखने का शौक था, जिस की वजह से मरने तथा मारने वालों से उस की दोस्ती हो गई थी. इस पूछताछ में कुलविंदर सिंह ने वही सब बताया, जो वह मुकेश को पहले बता चुका था. लेकिन पुलिस वालों को उस की इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा था. इसलिए पुलिस ने उस की रिमांड अवधि बढ़वा ली. पुलिस ने उस पर काफी दबाव डाला, पर वह लगातार यही कहता रहा कि जादूगर अशोक की हत्या में वह शामिल नहीं था.

इसी पूछताछ में जादूगर प्रदीप का नाम सामने आया. पुलिस ने प्रदीप से भी पूछताछ की. उस ने पुलिस को दिए अपने बयान में प्रदीप ने बताया था कि गुजरात का प्रसिद्ध जादूगर स्वामी राव पिछले दिनों चंडीगढ़ आया था. वह और अशोक उस से मिलने सेक्टर-17 गए थे. इस के बाद उन्होंने गैरी को भी उस से मिलवाया था. स्वामी राव के जादू के करतबों से गैरी इतना प्रभावित हुआ कि वह उस से कुछ नए आइटम्स सिखाने की जिद करने लगा. आखिर तय हुआ कि 22 मई को वे सभी एक साथ स्वामी राव के पास जा कर जादू के नए आइटम्स सीखेंगे.

21 मई को कुलविंदर ने अशोक को पंचकूला स्थित उस की दुकान पर फोन किया तो अशोक ने अहाते में मिलने को कहा था. इस के बाद गैरी और कुलविंदर ने उसे उस के घर छोड़ दिया. इस के बाद वे कहां गए, उसे मालूम नहीं. प्रदीप के बताए अनुसार, उस शाम सुखना लेक पर उस का शो था. वह उस की तैयारी में जुट गया. शाम 6 बजे से 8 बजे तक वह अपने शो में व्यस्त रहा. वहां से वह सीधे शिवालिक व्यू होटल चला गया, जहां वह रात के साढ़े 10 बजे तक व्यस्त रहा. इस के बाद वह घर जा कर सो गया.

अगले दिन वह तय समय पर जादूगर स्वामी राव के पास पहुंच गया, लेकिन अशोक गैरी, लखबीर, रणबीर और कुलविंदर नहीं आए. घंटों इंतजार के बाद भी जब वे नहीं आए तो वह लौट कर अपने कामों में लग गया. रात 11 बजे घर आ कर वह इत्मीनान से सो गया. अगले दिन अखबारों से उसे पता चला कि अशोक के साथियों ने ही उस का कत्ल कर दिया है. डर की वजह से वह अशोक के यहां भी नहीं जा सका. मोहाली उन दिनों जिला न हो कर रोपड़ का एक सब डिवीजन था. जिला रोपड़ के एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर थे. उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष टास्क फोर्स गठित कर दिया था, जिस से मामले की गहराई में पहुंच कर अभियुक्तों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार किया जा सके.

टास्क फोर्स मामले को हल करने के लिएजीजान से जुट गई. 23 मई को इस टीम ने गांव पापड़ी के पास एक वीरानी जगह से अशोक की टांगें बरामद कर लीं. इस के अगले दिन फेज-9 के इंडस्ट्रियल एरिया के पास बहने वाले नाले से अशोक के हाथ भी बरामद हो गए. लेकिन न शरीर के बाकी हिस्से मिले और न ही हत्यारों का पता चल सका. 2 जून को अशोक के शरीर के बरामद अंग पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए उस के घर वालों को सौंप दिए. 3 जून को घर वालों ने उस का दाहसंस्कार कर दिया. इसी के साथ शरीर के वे अंग अशोक के ही हैं, इस का पता लगाने के लिए पुलिस ने नमूना ले कर डीएनए टेस्ट के लिए हैदराबाद की फोरैंसिक लैबोरेटरी भिजवा दिया था.

बाद में रिपोर्ट आने पर साबित हो गया कि शरीर के वे टुकड़े जादूगर अशोक के शरीर के ही थे. पुलिस जांच में जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया, उस के हिसाब से अशोक की हत्या की कहानी कुछ प्रकार थी. गैरी, रणबीर, लखबीर और कुलविंदर 21 मई, 2000 की रात 9 बजे जादूगर अशोक से मिलने चंडीगढ़ के सेक्टर-30 के अहाते में पहुंचे, जहां इन लोगों ने शराब पी. इस के बाद जादू का कोई आइटम दिखाने की बात चली तो अशोक ने गैरी की सोने की अंगूठी गायब कर दी. उस समय बात आईगई हो गई. लेकिन घर पहुंच कर खाना खाते समय गैरी का ध्यान अपने हाथ की अंगुली पर गया तो उसे अपनी अंगूठी की याद आई. इस के बाद वह अपने तीनों दोस्तों को साथ ले कर अशोक को उस के घर से बुला लाया.

वह उसे अपने घर न ले जा कर मोहाली के फेज-7 स्थित अपने पिता के घर ले गया, जहां गैरी ने अशोक को शराब पिला कर अपनी अंगूठी के बारे में पूछा. तब अशोक ने हंसते हुए कहा कि अंगूठी तो अब कल ही मिल सकती है. उस के इस जवाब पर गैरी को गुस्सा आ गया तो वह उसे  गालियां देने लगा. यही नहीं, वह उसे मारने के लिए भी दौड़ा. तब अशोक ने अपने बचाव के लिए लाइसेंसी रिवाल्वर निकाल ली. फिर क्या था, गैरी और उस के साथी उस पर पिल पड़े. इस के बाद उन्होंने अशोक की हत्या कर दी और उस के शव के टुकड़े यहांवहां फेंक कर गैरी, लखबीर और रणबीर फरार हो गए.

पुलिस को अपने सूत्रों से पता चला कि अशोक के हत्यारे दिल्ली में कहीं छिपे हैं. मोहाली पुलिस की एक विशेष टीम दिल्ली गई. पुलिस टीम को पता चला था कि गैरी का दिल्ली में मकान है, जहां हत्या के बाद कई दिनों तक 3 लोग ठहरे थे. उन के पास काले रंग की मारुति 1000 कार भी थी, लेकिन वे उस कार का उपयोग बिलकुल नहीं कर रहे थे. 4 जून को ओल्ड राजेंद्रनगर स्थित उस मकान पर मोहाली पुलिस ने छापा मारा. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. कार जरूर वहां खड़ी थी. कार के निरीक्षण में पुलिस ने पाया कि उस पर काफी धूल जमी थी. कार के अंदर जगहजगह खून के धब्बे भी थे.

पुलिस को संदेह था कि तीनों हत्यारे विदेश भाग गए हैं, लेकिन इस सफलता के बाद पुलिस को लगा कि हत्यारे भारत में ही कहीं छिपे हैं. अब तक की भागदौड़ से पुलिस ने वांछित हत्यारों के बारे में कुछ व्यक्तिगत जानकारियां जुटा ली थीं. लखबीर और रणबीर सगे भाई थे. लखबीर बीए पास था और फेज-7 की मोटर मार्केट में औफिस खोल कर विदेशी गाडि़यों की खरीदफरोख्त का काम करता था. बीए करने के बाद रणबीर भी भाई के काम में हाथ बंटाने के साथ जादूगरी आदि करने लगा था. उन दिनों वह एक जापानी कंपनी से जुड़ा था. इस के बावजूद दोनों भाई जादू के और आइटम सीखने के चक्कर में लगे रहते थे.

लेकिन गुरविंदर सिंह उर्फ गैरी का आचरण एकदम अलग था. जिस कोठी में जादूगर अशोक का कत्ल हुआ था, वह उस के पिता हरभजन सिंह की थी. कोठी के आसपास रहने वालों के अनुसार, वह अलग किस्म के आदमी थे. 70 बरस की उम्र में भी वह अखबारों में अपनी शादी के विज्ञापन दिया करते थे, जबकि उन की पत्नी करतार कौर विदेश में रह रही थीं. गैरी की पत्नी भी इंग्लैंड में रहती थी. मोहाली के फेज-3बी में गैरी की अपनी कोठी थी, लेकिन अशोक की हत्या उस ने अपने पिता की कोठी में की थी पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, गैरी खूंखार प्रवृत्ति का आदमी था. अपने घर में उस ने सांप, बंदर, मछलियां, कुत्ते, कबूतर और तीतर आदि तो पाल ही रखे थे, एयरगन से इन का शिकार करने में उसे विशेष आनंद आता था. जानवरों को आपस में लड़वाना भी उस का खास शौक था.

गैरी को दूसरों को यातनाएं देने में भी बड़ा मजा आता था. उस की स्थिति मानसिक तौर पर बीमार बिगड़े नवाबों जैसी थी. पहले वह भी इंग्लैंड में रहता था. गैरी के पूर्व नौकर रमेश के अनुसार, वह गैरी की क्रूरता का शिकार हो चुका था. रमेश के बताए अनुसार, गैरी की फितरत समझ पाना बहुत मुश्किल था. सीधेसरल अंदाज में बैठा यह आदमी कब क्या कर बैठे, इस की कल्पना नहीं की जा सकती थी. रमेश के बताए अनुसार, वह 1995 तक मोहाली के फेज-7 स्थित रैडीमेड कपड़ों की एक दुकान पर अच्छीभली नौकरी कर रहा था. बदकिस्मती से एक दिन उस की मुलाकात गैरी से हुई तो उस ने उस से कपड़े का कारोबार करने की बात कह कर उसे मोटी तनख्वाह देने का लालच दिया.

रमेश लालच में आ गया और अपनी अच्छीभली नौकरी छोड़ कर गैरी के पास आ पहुंचा. कुछ दिन तो ठीकठाक गुजरे. उस के बाद एक दिन अपना कैमरा चोरी होने का आरोप लगा कर वह उस की पिटाई करने लगा. यही नहीं, चंडीगढ़ पुलिस के अपने एक परिचित सबइंसपेक्टर को बुला कर उस ने उसे बुरी तरह टार्चर करवाया. टांगों के नीचे डंडे रख कर उस के कंधों पर बैठ कर उसे ऐसी पीड़ा दी गई कि उस के बारे में बताते हुए उस की आंखों में आंसू छलक आए. रमेश ने आगे बताया कि जब उस की इतनी पिटाई के बाद भी कुछ हासिल नही हुआ तो गैरी ने उसी तरह अपने नेपाली नौकर बहादुर को प्रताडि़त किया. यातना की वजह से मौत को सिर पर मंडराते देख बहादुर ने कैमरा चोरी का आरोप स्वीकार कर लिया.

इस के बाद गैरी ने उस से कैमरे के बारे में पूछा तो उस ने झूठमूठ सेक्टर-45 का एक पता बता दिया. गैरी और सबइंसपेक्टर उस पते पर पहुंचे तो वहां एक बैंक अधिकारी रहता था. उस ने हंगामा मचाया तो दोनों वहां से भाग खड़े हुए. उस अधिकारी की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ, जिस की जांच के बाद सबइंस्पेक्टर निलंबित हो गया. पुलिस ने रमेश से भी मुकदमा दर्ज कराने को कहा, लेकिन उस ने यह कह कर मना कर दिया कि उस की  जान बच गई यही क्या कम है. वह शिकायत कर के बड़े लोगों से दुश्मनी नहीं निभा सकता.

इंसपेक्टर प्रीतम सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने फेज-3बी स्थित गैरी की कोठी का ताला तोड़वा कर तलाशी ली तो वहां हैरान कर देने वाले अविश्वसनीय तथ्य सामने आए. मोहाली के ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट संजय अग्निहोत्री की अनुमति पर मारे गए इस छापे में पुलिस ने गैरी की कोठी से न केवल आधा किलो चरस, महंगी विदेशी शराब की बोतलें और हथियार बरामद किए, बल्कि छिपा कर रखी एक हथकड़ी भी बरामद की. एक एनआरआई के घर से इस तरह हथकड़ी का मिलना पुलिस के लिए पहेली जैसा बन गया था. इस का खुलासा गैरी की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में ही हो सकता था.

खैर, गैरी की कोठी में हुई तलाशी में इस सब के अलावा पौन किलोग्राम सोना और सोने का एक बिस्कुट भी पुलिस के हाथ लगा. घर के एक हिस्से में बना एक आलीशान स्विमिंग पूल गैरी की शानोशौकत की जीतीजागती मिसाल था. वहां एक ऐसा शाही बिस्तर बिछा था, जिस की कीमत लाखों में आंकी गई. यह बिस्तर एक्युप्रेशर पद्धति पर आधारित था. ड्राइंगरूम में बाघ की असली खाल के अलावा हिरण और बारहसिंगे के सिर और पैर तरतीब से सजाए हुए थे. यहीं एक बार भी बना था, जिस में विदेशी शराब की बोतलें भरी पड़ी थीं. इलैक्ट्रौनिक्स सामान तो इस कद्र भरा पड़ा था कि पुलिस के लिए उस की सूची बना पाना कठिन हो रहा था.

तलाशी में मिले सामान को कब्जे में ले कर पुलिस ने गैरी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 20/61/88, आबकारी अधिनियम की धारा 6/1/14 एवं आर्म्स एक्ट की धाराओं 25/54/59 के अंतर्गत मामले दर्ज कर लिए. अलबत्ता एनिमल्स एक्ट एवं वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन के तहत सबूतों के अभाव में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. मोहाली का यह एक ऐसा सनसनीखेज मामला था, जो उन दिनों लगातार अखबारों की सुर्खियां बना रहा. इस में सब से निराशाजनक पहलू यह रहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद मोहाली पुलिस गैरी, लखबीर और रणबीर को गिरफ्तार नही कर सकी. कुलविंदर को चश्मदीद गवाह बना लिया गया था. आखिर 12 सितंबर, 2000 को गैरी, लखबीर और रणबीर को फरार अपराधी घोषित कर दिया गया.

देखतेदेखते इस मामले को घटित हुए 15 साल लंबा अरसा गुजर गया. अपराधी जाने किस गुफा में घुस कर बैठ गए थे. इतना समय बीत जाने के बाद भी उन के बारे मे कहीं कुछ पता नहीं चला था. गुरप्रीत सिंह भुल्लर अन्य कई जगहों से तबादला होते हुए एक बार फिर यहां के एसएसपी बने. एसएसपी मोहाली के रूप में उन्होंने यहां के कई अनसुलझे मामलों को खंगाला. जादूगर अशोक हत्याकांड की फाइल सामने आते ही उन्हें इस मामले की एकएक बात याद आ गई. पुलिस के लिए यह शरम की बात थी कि 15 साल पहले इस जघन्य अपराध की जांच जहां थी, आज भी वहीं थी. एसएसपी भुल्लर ने एक बार फिर इस मामले की जांच की जिम्मेदारी जिले के सीआईए इंस्पेक्टर गुरचरण सिंह को सौंप दी.

गुरचरण सिंह ने एसआई हरभजन सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन कर जादूगर अशोक हत्याकांड की फाइल फिर से खोल दी. अन्य प्रयासों के साथ हरभजन सिंह ने अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. इसी 23 अप्रैल, 2015 की शाम करीब साढ़े 4 बजे एसआई हरभरज सिंह, एएसआई पवन कुमार, हवलदार सतीश कुमार, दर्शन सिंह और रसजीत के साथ रूटीन गश्त में गांव दाऊं के मोड़ पर मौजूद थे कि उन के एक विश्वस्त मुखबिर ने आ कर उन्हें एक ऐसी सूचना दी, जो हैरान करने वाली थी.

सूचना के अनुसार, जादूगर अशोक हत्याकांड का वांछित अभियुक्त गुरविंदर सिंह उर्फ गैरी अपनी जायदाद बेचने के लिए अपने कुछ साथियों के साथ मोहाली आया हुआ था. 15 साल के अंतराल में उस की सूरत थोड़ी बदल गई थी. खुली दाढ़ी, सामान्य कपड़ों में उस ने अपना हुलिया काफी बदल रखा था. मुखबिर ने उन्हें बताया था कि उस ने उस आदमी के बारे में काफी गहराई से पता किया है.  चौंकाने वाली बात यह है कि वह आदमी असली गैरी नहीं है. वह सारे दस्तावेज तैयार करा कर खुद को गुरविंदर सिंह गैरी साबित कर के उस की जमीन जायदाद बेचने की कोशिश कर रहा है. इस के लिए उस ने कई लोगों से लाखों रुपए एडवांस भी ले लिए हैं.

मुखबिर का कहना था कि ठगी का यह काम करने वाले उस आदमी का अपना एक गिरोह है. एसआई हरभजन सिंह ने तुरंत यह जानकारी इंसपेक्टर गुरचरण सिंह को दी. उन्होंने एसएसपी हरप्रीत सिंह भुल्लर से संपर्क किया तो उन्हें दिशानिर्देश के साथ काररवाई करने का आदेश मिल गया. अधिकारियों का निर्देश और आदेश मिलते ही हरभजन सिंह ने मुखबिर से मिली जानकारियों के आधार पर एक तहरीर तैयार कर थाना बलौंगी भिजवा दी, जहां अपराध भादंवि की धाराओं 410, 420, 465, 467 478, 471 एवं 120 बी के तहत कुल 9 लोगों गुरविंदर सिंह, बूटा सिंह, जगतार सिंह, उत्तम सिंह, हरभजन सिंह, लाला पटवारी, सुक्खी पत्नी अमरजीत सिंह, बंटी और हरबंस डीलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया.

हरभजन सिंह ने अपने साथियों के साथ मुखबिर द्वारा बताई जगह पर छापा मार कर 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. बाकी लोग उन के वहां पहुंचने से पहले ही चले गए थे. जो 4 लोग पकड़े गए, उन के नाम थे गुरविंदर सिंह, जगतार सिंह, उत्तम सिंह और हरभजन सिंह, इन्हें अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 4 दिनों के कस्टडी रिमांड पर ले लिया गया. हरभजन सिंह और इंसपेक्टर गुरचरण सिंह के अलावा एसएसपी भुल्लर ने भी इन से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की. इस पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह थोड़ा हैरान करने वाली थी.

गुरप्रीत सिंह मूलरूप से डूगरी, लुधियाना का रहने वाला था. गुजारे लायक पढ़ाई करने के बाद वह छिटपुट काम करते हुए दुबई चला गया. वहां से कुछ समय पहले वह लौटा तो उस की मुलाकात पंचकूला निवासी अमरजीत सिंह से हुई, जिस ने खुद को पंजाब पुलिस का कर्मचारी बताया. उस ने यह भी बताया कि उस की नियुक्ति खेल कोटे से हुई थी. गुरप्रीत सिंह को उस ने एक फायदे की बात यह बताई कि आपराधिक मामलो में फंस कर कई बार लोग पुलिस की मार से बचने के लिए अपनी जमीनजायदाद छोड़ कर भूमिगत हो जाते हैं. ऐसे में नकली दस्तावेज तैयार करा कर इस तरह की संपत्ति को बेच कर मोटा पैसा कमाया जा सकता है.

बात जंच गई तो गुरप्रीत और अमरजीत ने अपना एक गिरोह बना लिया. उन का यह धंधा चल निकला. मगर अचानक अमरजीत की मौत हो गई तो उस की पत्नी सुक्खी को इस गिरोह में शामिल कर लिया गया, जिसे जादूगर अशोक हत्याकांड वाले मामले की काफी जानकारी थी. उस का कहना था कि इस मामले का मुख्य आरोपी गैरी बहुत अमीर आदमी था. चंड़ीगढ़ और मोहाली में उस की काफी प्रौपर्टी थी, जिसे छोड़ कर वह विदेश भाग गया था और अब वह कभी वापस आने वाला नहीं था. जैसेतैसे इन लोगों ने गैरी की फोटो जुटा ली तो यह बात सामने आई कि उस की शक्ल गिरोह के सदस्य गुरप्रीत से एकदम मेल खा रही है. दोनों को हमशक्ल कहा जा सकता था.

इस के बाद योजना बना कर गुरप्रीत की फोटो के साथ गुरविंदर सिंह गैरी के नाम से वोटर कार्ड के अलावा अन्य जाली दस्तावेज तैयार करा लिए गए. इस तरह गुरप्रीत को गैरी बना कर उस की प्रौपर्टी बेचने की कोशिश में एडवांस के रूप में इन्होंने 60 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए. दरअसल ये लोग प्रौपर्टी की कीमत मार्केट रेट से इतनी कम बताते थे कि लोग इन के झांसे में आसानी से आ जाते थे. गिरफ्त में आए 4 लोगों से हुई पूछताछ के बाद इन की निशानदेही पर पुलिस ने वह पैसा बरामद कर लिया था. अभियुक्त उत्तम सिंह निवासी गांव आलमपुर जिला पटियाला, हरभजन सिंह निवासी गांव तलबड़ी, जिला मोहाली और जगतार सिंह निवासी हरपालपुर, जिला पटियाला साधारण परिवारों से थे. सभी शादीशुदा और बालबच्चेदार हैं.

पढ़ाई भी इन्होंने गुजारे लायक कर रखी है. छिटपुट काम करते हुए अपने गुजारे लायक कमाई भी कर रहे थे. बिना मेहनत के रातोरात अमीर बनने के लालच ने इन की मति मारी गई थी. पुलिस ने पकड़े गए चारों अभियुक्तों से पूछताछ कर के इन्हें पुन: अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. पुलिस को अब अन्य अभियुक्तों बूटा सिंह, लाला पटवारी, बंटी, हरबंस डीलर और सुक्खी की तलाश है. ठगी करने वाले भले ही पकड़े गए, मगर अफसोस की बात यह है कि जादूगर अशोक हत्याकांड का एक भी अभियुक्त अभी तक पकड़ा नहीं जा सका. Chandigarh Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

 

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