Suspense Story: जय सिंह की नीयत के बारे में जान कर अमरजीत और मीना का खून खौल उठा. इस के बाद जहां जय सिंह अपनी जिद पूरी करने पर अड़ गया वहीं दोनों बहनें भी पीछे नहीं हटीं और… पि छले 2 दिनों से हो रही बारिश के थमने के बाद अमेंद्र सिंह 2 मजदूरों को अपने ट्रैक्टर पर बैठा कर खेतों की ओर चल पड़े थे. उन के पास 20 बीघा जमीन थी, जिस में उन्हें गवार की बोआई करनी थी. जैसे ही वह खेतों पर पहुंचे, उन्हें किसी जीव के सड़ने की दुर्गंध महसूस हुई.
अमेंद्र ने इधरउधर नजरें घुमा कर यह जानने की कोशिश की कि यह बदबू आखिर आ कहां से रही है. तभी उन्हें खेतों के नीचे वाले हिस्से में 5-7 कुत्तों का झुंड दिखाई दिया. कुत्ते जमीन के अंदर से कुछ खींच रहे थे. उन्हें लगा कि कोई जानवर मरा पड़ा है, जिसे कुत्ते खा रहे हैं.
उन्होंने गांव के कोटवाल भजनलाल को बुलाने के लिए अपने एक मजदूर को भेज दिया. गांवों में आज भी मृत जानवरों को दफनाने का काम कोटवाल करते हैं. भजनलाल आया तो उस ने हड़बड़ा कर कहा, ‘‘भैयाजी, यह जानवर की नहीं, किसी आदमी की लाश है.’’
आदमी की लाश होने की बात सुन कर खेतों में बुआई कर रहे अमेंद्र चौंके. वह भाग कर लाश के पास पहुंचे. वहां गड्ढा खोद कर दफनाई गई आदमी की लाश को कुत्तों ने पंजों से खोदखोद कर बाहर निकाल लिया था. लाश बाहर आ गई थी, इसलिए बदबू फैल रही थी. मजदूरों को लाश के पास छोड़ कर अमेंद्र सिंह कोटवाल भजनलाल को साथ ले कर तुरंत हनुमानगढ़ जंक्शन के थाना सदर पहुंचे. थानाप्रभारी राजेश कुमार सिहाग से मिल कर उन्होंने खेत के पास लाश पड़ी होने की बात बताई तो थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे कर खुद सहयोगियों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.
राजेश कुमार सिहाग ने घटनास्थल पर पहुंच कर देखा कि खेतों के नीचे वाले हिस्से में एक लाश पड़ी है. उस के शरीर की चमड़ी गायब थी. दोनों पैरों की हड्डियां दिखाई दे रही थीं. देखने से ही लग रहा था कि लाश 8-10 दिन पुरानी थी. थानाप्रभारी लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि सीओ अतर सिंह भी घटनास्थल पर आ पहुंचे. अब तक वहां काफी भीड़ लग गई थी. पूछने पर भीड़ ने बताया कि मृतक यहां का नहीं लगता. इस से पुलिस को लगा कि हत्या कहीं और कर के सबूत मिटाने के लिए लाश को यहां ला कर गाड़ दिया गया है.
अतर सिंह के निर्देश पर डौग स्क्वायड को लाया गया, लेकिन इस से भी पुलिस को कोई लाभ नहीं मिला. इस के बाद घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने थाने आ कर अमेंद्र की तहरीर पर अज्ञात की हत्या का मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कर लिया. सीओ ने इस मामले की जांच सबइंसपेक्टर राजेश कुमार सिहाग को सौंप दी. मृतक की पहचान के बिना हत्यारे तक पहुंचना बहुत मुश्किल था. लेकिन राजेश कुमार सिहाग का मानना था कि मृतक भले ही यहां का रहने वाला नहीं है, लेकिन हत्यारे यहीं कहीं आसपास के होंगे. मृतक या हत्यारे तक पहुंचना चुनौती था, लेकिन राजेश कुमार ने इस चुनौती को स्वीकार कर आगे की जांच शुरू कर दी.
घटनास्थल पर लाश के अलावा ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था, जिस से कुछ मदद मिल सकती. अधिकतर हत्या जैसे मामलों में जरजोरू या जमीन का विवाद सामने आता है. इसी के साथ अधिकतर यह भी देखा गया है कि अपराधी कितना ही शातिर क्यों न रहा हो, वारदात की जगह पर अनजाने में ही सही, कोई न कोई सबूत अवश्य छोड़ जाता है. राजेश कुमार सिहाग इन्हीं दोनों तथ्यों के आधार पर मामले का खुलासा करने में लग गए. राजेश कुमार सिहाग ने जिले के ही नहीं, नजदीक के अन्य प्रदेशों के पुलिस थानों से भी पता किया कि कहीं कोई गुमशुदगी तो नहीं दर्ज है. लेकिन उन्हें कहीं से भी किसी की गुमशुदगी की कोई सूचना नहीं मिली. मृतक की पहचान न होने की वजह से मामले की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही थी.
थानाप्रभारी को उम्मीद थी कि घटनास्थल से कोई न कोई ऐसा सूत्र अवश्य मिल जाएगा, जिस से वह हत्यारे को ढूंढ निकालेंगे. इसी उम्मीद पर वह अपने रीडर बृजमोहन मीणा और किसान अमेंद्र सिंह को साथ ले कर एक बार फिर घटनास्थल पर पहुंचे. अमेंद्र के ही नहीं, आसपास के लगभग सभी खेत अभी खाली पडे़ थे. खेतों के चारों ओर एक निर्माणाधीन मकान के अलावा दूरदूर तक कोई मकान या झोपड़ी नहीं थी. राजेश कुमार सिहाग ने सूत्र की तलाश में पूरी ताकत झोंक दी. घटनास्थल के 20-25 मीटर के दायरे को उन्होंने जांच केंद्र बनाया. बरसात हो जाने की वजह से कोई सूत्र मिलने की उम्मीद कम ही थी, इस के बावजूद उन की कोशिश रंग लाई.
उन्होंने गौर से देखा तो लाश जिस गड्ढे में दफनाई गई थी, वहां खेत में गड्ढे से 7-8 फुट की दूरी पर पश्चिम की ओर लग रहा था कि लाश इधर से घसीट कर लाई गई थी. पानी बरस जाने से घसीटे जाने का वह निशान धूमिल तो पड़ गया था, लेकिन अगलबगल की मिट्टी का जो उभार था, वह किसी भारी चीज के घसीटने की चुगली कर रहा था. घसीटे जाने का वह निशान वहां से थोड़ी दूरी पर स्थित उस निर्माणाधीन मकान की ओर जा रहा था. राकेश कुमार को सूत्र मिल गया था. वह मन ही मन प्रफुल्लित हो उठे, क्योंकि जांच को दिशा मिल गई थी. उन्होंने अमेंद्र सिंह से पूछा, ‘‘यह सामने वाला घर किस का है, कौन रहता है यहां?’’
‘‘साहब, यह मकान शृंगारा सिंह बाजीगर का है. 7-8 साल पहले बीकानेर क्षेत्र से आ कर यहां 12 बीघा जमीन खरीद कर बस गया था. 2 साल पहले वह मर चुका है. अब उस की पत्नी और छोटा बेटा यहां रह रहे हैं. लेकिन इस समय उस की 2 बेटियां, जिन की शादी हो चुकी हैं और एक दोहती यहीं हैं.’’
राजेश कुमार सिहाग थाने लौट आए और सारी जानकारी सीओ अतर सिंह को दी. इस जानकारी से संतुष्ट हो कर उन्होंने थानाप्रभारी को अपने विवेक के अनुसार काररवाई करने का आदेश दिया. राजेश कुमार सिंह को शृंगारा सिंह के घर में रहने वालों पर संदेह था, इसलिए उन्होंने काररवाई करने का मन बना लिया. 2 महिला सिपाही साथ ले कर राजेश कुमार शृंगारा सिंह के घर पहुंचे. घर में 4 महिलाएं और एक बच्चा था. उन्होंने घर की मालकिन से पूछा, ‘‘मांजी, पुलिस ने अमेंद्र सिंह के खेत में एक लाश बरामद की थी. आप ने बीते 10-12 दिनों में उन के खेत की ओर किसी आदमी को आतेजाते देखा तो नहीं?’’
‘‘नहीं साहब, मैं ने तो इधर किसी को आतेजाते नहीं देखा.’’ शृंगारा की विधवा ने बताया.
उन्होंने शृंगारा की पत्नी से ही नहीं, बेटियों से भी पूछताछ की. सब ने लगभग एक जैसा जवाब दिया. वह पूछताछ कर रहे थे कि तभी शृंगारा सिंह की दोहती (बेटी की बेटी) गुलबदन (बदला हुआ नाम) उन के लिए चाय ले कर आई. उन की नजर उस पर गई तो वह उन्हें सहमी हुई सी लगी. उन्होंने बाकी लोगों को बाहर भेज कर उसे रोक लिया. जवानी की दहलीज पर कदज रख रही गुलबदन शृंगारा की बड़ी बेटी की बेटी थी, जो मिडिल स्कूल में पढ़ रही थी और छुट्टियां होने की वजह से नानी के पास आई हुई थी. गेहुंआ रंग की आभा के साथ गुल की सुघड़ शारीरिक बनावट गजब का आकर्षण पैदा कर रही थी. धवल दंत पंक्ति और नितंबों तक लहराते काले बालों की चुटिया 14-15 साल की कमसिन गुल को और ज्यादा आकर्षक बनाती थी.
राजेश कुमार सिहाग के सामने आते ही गुल की रुलाई फूट पड़ी. सुबकते हुए उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं ने कुछ नहीं किया. मेरी दोनों मासियां ही कुछ बता सकती हैं.’’
गुल का यह जवाब और चेहरे पर उभरा अपराधबोध का भाव सब कुछ कह गया. राजेश कुमार ने दोनों महिला कांस्टेबलों को इशारा कर के गुल की दोनों मासियां यानी अमरजीत कौर और मीना कौर को पूछताछ के लिए एक बार फिर बुला लिया. सीओ अतर सिंह की मौजूदगी में राजेश कुमार सिहाग ने दोनों बहनों से कहा, ‘‘गुल तो बच्ची थी, लेकिन तुम दोनों समझदार हो. उस ने मुझे सब कुछ साफसाफ बता दिया है. अब अगर तुम झूठ बोलती हो तो वह तुमहारे लिए ही नुकसानदायक साबित होगा. अगर तुम सबकुछ सचसच बता देती हो तो पुलिस तुम्हारी मदद कर सकती है.’’
अंधेरे में फेंका गया उन का यह तीर सही निशाने पर लगा. दोनों बहनों ने बिना किसी हीलहवाली के 5 दिनों पहले कुल्हाड़ी और कस्सी से की गई जय सिंह की निर्मम हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन का कहना था कि जय सिंह अव्वल दर्जे का शराबी और अय्याश था. उसे अपनी ओछी हरकतों की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में जय सिंह की हत्या की जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी. राजस्थान के जिला बीकानेर की तहसील जामनगर का एक गांव है भरूपावा. इसी गांव में रहता था शृंगारा सिंह बाजीगर. परिवार में पत्नी, 4 बेटियां और एक बेटा था. बेटा सब से छोटा था. बड़ी 2 बेटियों की शादी हो चुकी थी.
मामूली खेतीबाड़ी होने की वजह से शृंगारा सब्जी की दुकान भी लगाता था. उस के कहीं चले जाने पर दुकान का जिम्मा दोनों छोटी बेटियां अमरजीत कौर और मीना कौर संभालती थीं. उस बीच जय सिंह उन का पक्का और नियमित ग्राहक बन गया था. वह ठीकठाक कपड़ों में किसी हीरो से कम नहीं लगता था. जय सिंह मूलरूप से जिला झुंझुनू के बजावा गांव का रहने वाला था और उन दिनों खनन विभाग की रायल्टी वसूलने वाली टीम में नौकरी कर रहा था. उस का पिता बालू सिंह बीकानेर के एक होटल में वाचमैनी करता था. जय सिंह को जो वेतन मिलता था, वह तो मिलता ही था, ऊपरी कमाई भी कर लेता था. उस का ज्यादातर समय दोनों बहनों की सब्जी की दुकान पर ही बीतता था.
उसी बीच उस ने छोटी बहन मीना का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया तो उसी से नहीं, अमरजीत से भी फोन से बातें करने लगा. वह दोनों बहनों को उपहार भी देता था. धीरेधीरे उस ने दोनों बहनों से दोस्ती गांठ ली थी. सन 2010 के आसपास शृंगारा सिंह भरूपावा के अपने खेत और मकान बेच कर डबली राठान गांव में 12 बीघा जमीन खरीद ली और वहीं पक्का मकान बना कर रहने लगा. यहीं से उस ने बाकी बची दोनों बेटियों, अमरजीत कौर और मीना कौर की शादियां कर दीं. इस के बाद सन 2014 की शुरुआत में उस की मौत हो गई.
शृंगारा के परिवार में बूढ़ी पत्नी और 8-10 साल का बेटा बचा था. चारों बेटियों ने स्वयं को बेटा समझते हुए मां को संभालने का जिम्मा सा ले लिया. हर बेटी 1-2 महीने के लिए मां के पास आ जाती. जय सिंह के पास मीना का मोबाइल नंबर था ही, इसलिए उस से उस की बातें होती रहती थी. ज्यादातर मीना और अमरजीत एक साथ मायके आती थीं. दोनों बहनों के मायके आने का पता चलते ही जय सिंह उन से मिलने आ जाता. अव्वल दर्जे का शराबी जय सिंह 1-2 दिन रुक कर अपने काम पर लौट जाता. 20 मई को जय सिंह शृंगारा सिंह के घर आ कर 2 दिनों बाद लौट गया था. उसे जब भी आना होता, वह मोबाइल पर बता देता था.
इस बार कुछ दिनों पहले जय सिंह के जाने के बाद गुलबदन गुमसुम सी आंगन में बैठी थी. उस के दाएं गाल पर बड़ा सा चकता उभरा था. उसे इस तरह उदास देख कर अमरजीत ने पूछा, ‘‘क्या बात है गुल, उदास क्यों है? तेरे गाल को क्या हुआ?’’
जवाब देने के बजाए गुल रोने लगी. अमरजीत ने गुल को सीने से लगा कर ढांढ़स बंधाया. आंसू पोंछ कर पूछा, ‘‘सचसच बता क्या बात है?’’
गुल ने सिसकते हुए कहा, ‘‘मौसी कल रात जय मामा रात में मेरी चारपाई पर आ कर बैठ गए. उन्होंने दांतों से यहां काट लिया,’’ चकत्ते पर अंगुली रख कर गुल ने कहा, ‘‘उस के बाद उस ने मेरी सलवार खोलने की कोशिश की. तभी मीना मौसी जाग गईं. अंधेरा होने की वजह से वह मामा को देख नहीं पाईं और वह चुपके से अपनी चारपाई पर चला गया. सुबह उन्होंने कहा कि अगर मैं ने यह बात किसी को बताई तो वह मेरा गला दबा कर मुझे मार देंगे.’’
जय सिंह की इस घिनौनी हरकत के बारे में सुन कर अमरजीत का खून खौल उठा. मीना भी आंगन में आ गई थी. वह तो गुस्से में कांपने लगी थी. अमरजीत ने तुरंत जय सिंह को फोन किया. उस के फोन रिसीव करते ही वह उसे धमकाते हुए बोली, ‘‘तेरी इतनी हिम्मत कि तू ने गुल को हाथ लगा दिया. आइंदा गुल को हाथ लगाना तो दूर, उस की तरफ गंदी नजरों से देखा भी तो तेरी आंखें फोड़ दूंगी. तेरी बोटीबोटी कर के चीलकौवों को खिला दूंगी. मेरी ढाणी की तरफ रुख भी किया तो मेरी जैसी कोई बुरी नहीं होगी.’’
जो मुंह में आया जय सिंह को कह कर अमरजीत ने फोन काट दिया. उस के मुंह बोले भाई जय सिंह ने सफाई देनी चाही, पर मीना और अमरजीत ने फोन रिसीव नहीं किया. पिछले 4-5 दिनों से जय सिंह फोन कर रहा था, पर उस का फोन रिसीव नहीं किया गया. 2 जून, 2015 को अमरजीत मां के साथ खेतों की ओर गई थी. घर पर मीना और गुल थीं. तभी मोबाइल की घंटी बजी. मीना ने देखा कि जय सिंह का फोन है. उस ने फोन रिसीव कर लिया तो दूसरी ओर से जय सिंह ने कहा, ‘‘देख मीना, तुम दोनों बहनें बेकार ही मुझ पर नाराज हो. मैं ने कोई गलती नहीं की थी. आरोप लगाने और सच्चाई को आंखों से देखने में रातदिन का फर्क होता है. सच्चाई यह है कि उस रात मैं नहीं, गुल मेरी चारपाई पर आ कर लेट गई थी.
वह तो मैं था जो गुल को दुत्कार कर भगा दिया. मेरी जगह कोई और होता तो निश्चय ही अनर्थ हो जाता. और अब आगे सुन, आज रात मैं तेरे घर आ रहा हूं. गुल ने मेरे ऊपर जो झूठा आरोप लगाया था, आज रात मैं उस झूठे आरोप को सच कर दूंगा. तुम दोनों बहनों से जो बन पड़े कर लेना.’’
इस तरह की धमकी दे कर जय सिंह ने फोन काट दिया. लगभग 2 घंटे बाद अमरजीत मां के साथ घर लौटी तो मीना और गुल को डरी देख कर चौंकी. अमरजीत कुछ पूछती, उस के पहले ही मीना ने कहा, ‘‘दीदी, अभी जय सिंह का फोन आया था. वह आज रात आ रहा है. उस का कहना है कि गुल ने उस पर झूठा आरोप लगाया है.’’
‘‘मीना गुल ने झूठा आरोप नहीं लगाया, बल्कि सच्चाई वही है. गुल झूठा आरोप क्यों लगाएगी.’’ अमरजीत ने कहा.
‘‘दीदी, जय सिंह ने धमकी दी है कि वह आज रात गुल के साथ हमारी मौजूदगी में ही मनमानी करेगा.’’ मीना ने कहा.
‘‘अरे, तुम दोनों इस बात को ले कर इतना डरी हुई क्यों हो? मेरे जीतेजी वह मनमानी तो दूर, गुल को छू भी नहीं पाएगा.’’ अमरजीत ने दृढ़ता से कहा.
अमरजीत जय सिंह के जिद्दी स्वभाव को जानती थी. उसे यह भी पता था कि ट्रक चालकों से जानपहचान होने की वजह से वह फोकट में कहीं भी आजा सकता है. अमरजीत भी जय सिंह की इस धमकी से डर गई, इसलिए खलिहान में पड़ी कुल्हाड़ी और कस्सी को ला कर उस ने आंगन में छिपा कर रख दिया. दोनों बहनें अभी जाग रही थीं. रात 12-1 बजे के बीच जय सिंह उन के घर पहुंचा. शराब के नशे में वह लड़खड़ा रहा था. वह सीधे गुल की चारपाई के पास पहुंचा और उसे बांहों में भर कर उठाने की कोशिश करने लगा. लेकिन नशे में होने की वजह से वह खुद ही गिर गया. इस के बाद नींद में गाफिल गुल के बाल पकड़ कर घसीटा तो वह जाग गई. उस के इस रूप को देख कर मासूम गुल ‘बचाओबचाओ’ कह कर रोने लगी.
गुल की करुणामयी पुकार ने अमरजीत और मीना को चंडी बना दिया. अगले ही पल एक ने कुल्हाड़ी तो दूसरी ने कस्सी उठा ली और जय सिंह पर हमला बोल दिया. एक ही वार में वह लुढ़क गया. कुछ देर छटपटा कर उस ने दम तोड़ दिया. लाश ठिकाने लगाने के लिए दोनों बहनें उसे उठा कर खेतों की ओर ले गईं. अमेंद्र के खेत के पास पहुंचतेपहुंचते वे थक गईं. मीना कस्सी लेने घर लौट गईं तो अमरजीत अकेली ही लाश को कई फुट तक घसीट कर ले आई. इसी घसीटने के निशान के आधार पर राजेश कुमार सिहाग उन के घर तक पहुंच गए थे. कस्सी से दोनों बहनों ने गड्ढा खोदना शुरू किया. मानसिकशारीरिक थकावट की वजह से वे एकडेढ़ फुट से ज्यादा गहरा गड्ढा नहीं खोद पाईं. उसी गड्ढे में लाश दफना कर दोनों बहनें घर आ कर सो गईं.
पुलिस ने दोनों बहनों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से पूछताछ एवं साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस ने 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि के दौरान जांच अधिकारी ने वारदात में प्रयुक्त कस्सी और कुल्हाड़ी बरामद कर ली. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद दोनों बहनों को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Suspense Story
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






