यूपी के बुलंदशहर में आयरन लेडी के नाम से मशहूर श्रेष्ठा सिंह का लक्ष्य एकदम स्पष्ट था और उसे पाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत भी की थी. जिस की चमक उन के व्यक्तित्व में बखूबी झलकती थी. इसीलिए प्रशिक्षण के बाद जब उन की पहली पोस्टिग स्याना में बतौर सीओ हुई तो उन का कानून का पालन करने का लक्ष्य इरादों की मजबूती बन गया.

23 जून, 2017 को स्याना में चेकिंग के दौरान भाजपा, नेता प्रमोद लोधी को पुलिस ने बिना हेलमेट और बिना कागजात की बाइक चलाते हुए रोक लिया. जब चालान करने की बात आई तो नेता जी श्रेष्ठा सिंह से उलझ बैठे.

प्रमोद लोधी जिला पंचायत सदस्या प्रवेश के पति थे और स्वयं भी नेता थे. लेकिन श्रेष्ठा सिंह ने उन की किसी भी धमकी की परवाह नहीं की. उन्होंने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई जिस के बाद प्रमोद लोधी को गिरफ्तार कर लिया गया.

उन्हें कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया तो वहां बड़ी संख्या में भाजपा समर्थक पहुंच कर नारेबाजी करने लगे. तब श्रेष्ठा सिंह ने हंगामा कर रहे नेताओं और समर्थकों से कहा कि वे लोग मुख्यमंत्री जी के पास जाएं और उन से लिखवा कर लाएं कि पुलिस को चेकिंग का कोई अधिकार नहीं है. वो गाडि़यों की चेकिंग न करें.

इस मामले के 8 दिन बाद ही श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला स्याना से बहराइच (नेपाल बौर्डर से सटे) कर दिया गया था. जिस की जानकारी उन्होंने अपने एएस ठाकुर नाम के फेसबुक अकाउंट पर देते हुए लिखा,‘मैं खुश हूं. मैं इसे अपने अच्छे कामों के पुरस्कार के रूप से स्वीकार कर रही हूं.’

आगे की लाइन में उन्होंने अपना लक्ष्य भी स्पष्ट करते हुए लिखा, ‘जहां भी जाएगा, रोशनी लुटाएगा. किसी चराग का अपना मकां नहीं होता.’

कानपुर में पलीबढ़ी श्रेष्ठा ने कानून की अहमियत शिक्षा प्राप्ति के दौरान ही समझ ली थी. जब उन के साथ 2 बार छेड़छाड़ की घटना हुई थी. पुलिस ने मदद के नाम पर औपचारिकता भर निभा दी थी.

तभी श्रेष्ठा ठाकुर ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था, एक पुलिस अधिकारी बनने का और अधिकारी बनने के बाद उन्होंने जता दिया कि कानून की धाराएं आम से ले कर खास व्यक्ति तक के लिए एक जैसी हैं. जो उन में भेदभाव करता है, कानून का वह रक्षक अपनी वर्दी के साथ इंसाफ नहीं करता.

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