कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों… कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां प्रभात शर्मा पर सटीक बैठती हैं. इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए अनीता प्रभा ने अपने दृढ़ आत्मविश्वास, अटूट लगन और अथक परिश्रम से असंभव को भी संभव कर दिखाया.

मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के एक छोटे से कस्बे के पारंपरिक परिवार में जन्मी अनीता प्रभा जिंदगी में कुछ खास करना चाहती थीं. लेकिन पारिवारिक बंदिशों के चलते 10वीं के बाद उन की पढ़ाई बंद हुई तो वह भाई के पास ग्वालियर चली गईं और वहां से 12वीं पास की. इस के बाद मात्र 17 साल की उम्र में उन की शादी 10 साल बड़े लड़के से कर दी गई.

ससुराल के हालात कुछ अच्छे नहीं थे. अनीता ने ससुराल में जिद कर के ग्रैजुएशन करना शुरू कर दिया. लेकिन वक्त यहां भी आड़े आ गया. फाइनल ईयर के एग्जाम से पहले उन के पति का एक्सीडेंट हो गया, जिस की वजह से अनीता एग्जाम नहीं दे पाईं. फाइनल ईयर के एग्जाम उन्होंने अगले साल क्लियर किए. 4 साल में ग्रैजुएशन करने का नुकसान यह हुआ कि अनीता प्रोबेशनरी बैंक आफिसर की पोस्ट के लिए रिजेक्ट कर दी गईं.

घर की आर्थिक हालत दयनीय देख अनीता प्रभा ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया और ब्यूटीपार्लर में काम करना शुरू कर दिया. इस से आर्थिक मदद तो होने लगी परंतु जिंदगी का सफर इतना आसान कहां था. अनीता प्रभा और उन के पति की उम्र में ही नहीं, सोच में भी अंतर था. यही वजह थी कि दोनों में टकराव शुरू हो गया.

अनीता प्रभा ने घरेलू हालात से निपटते हुए 2013 में विवादों से घिरे व्यापमं की फौरेस्ट गार्ड की परीक्षा दी. यह परीक्षा उन्होंने 4 घंटे में 14 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर के दी थी. उन की मेहनत रंग लाई और दिसंबर 2013 में उन्हें बालाघाट में पोस्टिंग मिल गई.

लेकिन अनीता यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए व्यापमं के सबइंस्पेक्टर पोस्ट के लिए परीक्षा दी. लेकिन इस के फिजिकल टेस्ट में सफल नहीं हो सकीं. उन्होंने हिम्मत न हारते हुए दूसरी बार प्रयास किया और 2 महीने पहले ओवरी ट्यूमर का औपरेशन कराने के बावजूद फिजिकल टेस्ट पास कर के सबइंस्पेक्टर बन गईं.

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उन्होंने बतौर सूबेदार जिला रिजर्व पुलिस लाइन में जौइन किया. इस की ट्रेनिंग के लिए वह सागर चली गईं. इसी दौरान उन के तलाक का केस भी कोर्ट में चला गया था. दूसरी तरफ व्यापमं की तैयारी करते हुए अनीता प्रभा ने मध्य प्रदेश स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा दी. उस के रिजल्ट का इंतजार न कर के अनीता सागर के लिए रवाना हो गईं.

ट्रेनिंग के दौरान ही एमपीपीएससी के रिजल्ट आए. जिस में अनीता महिला वर्ग में 17वें नंबर पर थीं. यह एक महत्त्वाकांक्षी लड़की की अभूतपूर्व जीत थी. वह डीएसपी रैंक के लिए चयनित हो गई थीं. इस जीत का उत्सव मनाते हुए अनीता प्रभा ट्रेनिंग छोड़ कर वापस लौट आईं और अपने डीएसपी पद के जौइनिंग और्डर का इंतजार करने लगीं.

किसी फिल्म सरीखी लगने वाली यह कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिस ने बाल विवाह का दंश झेला. समाज और परिवार की रुढि़वादी परंपराओं को सहा लेकिन अपने हौसले को पस्त नहीं होने दिया और न ही अपने सपने को मरने दिया. उस ने कांटों भरी डगर पर चल कर अपना लक्ष्य हासिल कर लिया.

लेकिन राह यहीं खत्म नहीं हुई. अनीता प्रभा का सपना और ऊंचा मुकाम हासिल करना था यानी डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंचना, जिस के लिए वह प्रयासरत भी हैं. जो भी हो, इतना संघर्ष कर के मात्र 25 वर्ष की आयु में राजपत्रित पद पर पहुंचना एक अभूतपूर्व सफलता है, जो युवाओं के लिए प्रेरणास्पद भी है और अनुकरणीय भी.

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