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सुबह 11 बजे की निकली संध्या सिंह जब शाम तक घर नहीं लौटी तो रघुवीर सिंह को मां की चिंता हुई. वह उन की तलाश में निकल पड़ा. उस ने कालोनी के एकएक आदमी से मां के बारे में पूछा. इस के बाद वह वहीं पास ही पामबीच कालोनी में रहने वाली अपनी मौसी सुलक्षणा पंडित और विजयेता पंडित को फोन कर के मां के न लौटने की बात बताई.

सुलक्षणा पंडित और विजयेता पंडित ने उसे धीरज रखने के लिए कहा. लेकिन जब रात भी बीत गई और संध्या सिंह घर नहीं लौटीं तो रघुवीर सिंह के साथसाथ सुलक्षणा पंडित और विजयेता पंडित को भी चिंता हुई. उन के भाई जतिन और ललित सांताक्रुज जुहू में रहते थे. उन्हें फोन कर के संध्या के बारे में पूछा गया, लेकिन वह वहां भी नहीं थीं.

उसी दिन शाम को रघुवीर सिंह ने अपने घर में ही दोस्तों की एक पार्टी रखी थी. लेकिन मां के अचानक गायब हो जाने से वह पार्टी में शामिल नहीं हो सका. उस के पार्टी में न जाने से उस पार्टी की जिम्मेदारी उस की गर्लफ्रेंड श्रेया ने संभाली थी.

संध्या सिंह को घूमने का शौक था. कभीकभी वह बिना किसी को बताए जहां मन होता था, चली जाती थीं. इसलिए सवेरा होने पर रघुवीर सिंह मुंबई एयरपोर्ट गया. वहां उस ने सिक्योरिटी पर तैनात अपने चाचा को पूरी बात बता कर मां कहीं बाहर तो नहीं गईं हैं, यह पता लगाने को कहा. लेकिन वहां से भी उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. अब तक संध्या सिंह के लापता होने की बात पूरे परिवार को पता चल चुकी थी. इसलिए पूरा परिवार अपनीअपनी तरह से संध्या सिंह की तलाश में जुट गया था.

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