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एपिसोड- 8

आठवें एपिसोड का नाम 'दो और दो पांच’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक किले में अमरपाल अपने साथियों के साथ बैठा है, जहां एक साथी अमर और उस के साथियों को हीरा सिंह की हत्या के बदले में राजा फोगाट के मर्डर पर मां भवानी का प्रसाद खिलाता है. तभी वहां पर अनुप्रिया चौधरी आती है और अमरपाल उसे गले मिल कर थैंक्यू कहता है. अनुप्रिया कहती है कि हीरा सिंह को नहीं बचा पाई.

अगले सीन में राजा फोगाट की हत्या का समाचार देख कर मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह को फोन कर के कहती है कि देखिए जल्दी कीजिए अमरपाल का, अब तो आप गृहमंत्री भी हैं, आप को खुली छूट है.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने पहले एपिसोड में रही अपनी कमियों को छिपाने के लिए अनुप्रिया के मुंह से फिर कहलवा दिया कि मैं हीरा सिंह को बचा नहीं सकी, फिर अमरपाल कहता है, जाना मुझे था लेकिन वह चला गया. इस का मतलब जो भी जाता वह मरता ही. यह बात गले से नहीं उतर पाती.

एपिसोड के पहले दृश्य में गृह मंत्री सुंदर सिंह चौहान (हर्ष छाया) अपने भाषण में अमरपाल को अप्रत्यक्ष रूप से काफी कुछ कहता है. वहां वेश बदल कर अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बैठे हुए हैं, जिन्होंने वहां टाइम बम फिट कर रखा है. अमरपाल और अनुप्रिया रिमोट दबाते हैं, मगर वह नहीं चल पाता. शायद बम पहले ही किसी ने डिफ्यूज कर दिया था.

अमरपाल को शक होता है कि कहीं हमारा ही कोई आदमी तो नहीं है. अब अगले दृश्य में फ्लैशबैक में एसपी संजय मीणा सभास्थल पर अनुप्रिया चौधरी को उस के आदमी के साथ देख लेता है और ढूंढ़ कर फिर बम डिफ्यूज कर देता है और गृहमंत्री सुंदर चौहान को ये सब बातें बता कर उसे सभा में भाषण देने को कहता है, जिसे सुंदर सिंह पुलिस के भरोसे से पूरा भी कर लेता है.

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