कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह कहानी आज से 17 साल पुरानी साल 2006 की है. केरल का एक जिला पथानाममथिट्टा. इसी जिले का एक गांव है पोलाद. इसी गांव में एक परिवार रहा करता था, जिस के मुखिया थे जनार्दन नायर. उन की पत्नी थी रमादेवी. उन्हीं के साथ वह रहते थे. उन की कोई औलाद नहीं थी यानी इस परिवार में केवल 2 ही लोग थे. नायर साहब डाक तार विभाग यानी पोस्टल डिपार्टमेंट में सीनियर एकाउंटेंट थे. दोनों की जिंदगी आराम से कट रही थी.

जनार्दन नायर रिटायर होने वाले थे. 26 मई, 2006 की शाम को जनार्दन नायर औफिस की छुट्टी होने पर अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि घर का दरवाजा अंदर से बंद है. शाम के समय ऐसा होता नहीं था. चूंकि दरवाजा बाहर से बंद होता तो वह समझते कि पत्नी कहीं बाहर गई हैं, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था, इस का मतलब यह था पत्नी को अंदर ही होना चाहिए.

दरवाजे के ऊपर जाली लगी थी. उसी से उन्होंने पत्नी को कई आवाजे दीं, लेकिन दरवाजा नहीं खुला. वह खीझे कि एक ओर वह चिल्ला रहे हैं और घर के अंदर पत्नी किस में व्यस्त है कि दरवाजा नहीं खोल रही है. उन्होंने दरवाजा खुलवाने की काफी कोशिश की, पर जब दरवाजा नहीं खुला. तब उन्होंने ऊपर लगी जाली से अंदर हाथ डाल कर खुद ही अंदर लगी कुंडी खोल कर दरवाजा खोला.

दरवाजा खोल कर जैसे ही जनार्दन नायर अंदर घुसे, चीखते हुए तुरंत बाहर आ गए. घर के अंदर उन की 50 साल की पत्नी रमादेवी की खून से सनी लाश पड़ी थी. पत्नी की लाश देख कर वह चीखनेचिल्लाने लगे. उन की चीखपुकार सुन कर पड़ोसी इकट्ठा हो गए.

रमादेवी के मर्डर की बात सुन कर पड़ोसी भी हैरानपरेशान हो गए. दिनदहाड़े किसी के घर में घुस कर इस तरह हत्या कर देने वाली बात हैरान करने वाली तो थी ही, डराने वाली भी थी. सभी लोग सहम उठे थे. महिलाएं कुछ ज्यादा ही डरी हुई थीं. क्योंकि दिन में वही घर में अकेली रहती हैं.

जनार्दन नायर के पड़ोसियों ने इस घटना की सूचना पुलिस को दी. फोरैंसिक टीम के साथ थाना पुलिस ने आ कर अपनी औपचारिक काररवाई की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. रमादेवी की हत्या चाकू से गोद कर की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी आ कर सारे साक्ष्य जुटाए थे, जिन्हें जांच के लिए भिजवा दिया गया था.

इस के बाद पूछताछ शुरू हुई. सब से पहले जनार्दन नायर का बयान लिया गया. क्योंकि सब से पहले उन्हें ही हत्या की जानकारी हुई थी. नायर साहब ने वह सब बता दिया, जिस तरह औफिस से आने के बाद उन्हें पत्नी की हत्या का पता चला था. उस के बाद पड़ोसियों से पूछताछ हुई.

चूंकि शाम का समय था, इसलिए उस समय ज्यादातर लोग घरों के अंदर थे, पर नायर साहब के बिलकुल पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने पुलिस को बताया कि जिस समय यह घटना घटी थी यानी नायर साहब के आने से थोड़ी देर पहले उस ने नायर साहब के घर के सामने एक आदमी को टहलते देखा था. टहलते हुए वह इधरउधर देख रहा था. वह कुछ बेचैन सा भी लग रहा था.

उस महिला ने आगे बताया कि उस ने उस से पूछना चाहा कि वह यहां क्यों इस तरह टहल रहा है? लेकिन वह उस से यह बात पूछ पाती, उस से पहले ही वह यहां से चला गया था.

मजदूर पर क्यों हुआ शक?

पुलिस ने जब पूछा कि वह आदमी कौन था? तब उस महिला ने बताया कि वह सामने जो बिल्डिंग बन रही है, वह आदमी शायद उसी में काम करता था. महिला द्वारा दिए गए बयान के अनुसार वह आदमी शक के दायरे में आ गया था, इसलिए पुलिस उस आदमी के बारे में पता करने वहां जा पहुंची, जहां बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा था.

पुलिस उस महिला को भी साथ ले गई थी, जिस से वह उस आदमी को पहचान सके. लेकिन जब वह आदमी वहां नहीं दिखाई दिया तो पुलिस ने उस आदमी का हुलिया बता कर उस के बारे में पूछा.

वहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि वह आदमी यहां काम करता जरूर था, लेकिन वह बिना कुछ बताए ही आज सुबह ही यहां से चला गया है. इस के बाद पुलिस को उस आदमी पर शक और गहरा गया. क्योंकि घटना के अगले दिन ही वह बिना बताए गायब हो गया था.

पुलिस ने जब वहां काम करने वाले मजदूरों और ठेकेदार से उस का पता यानी वह कहां का रहने वाला था, यह जानना चाहा तो वे सिर्फ इतना ही बता सके कि वह कहीं बाहर से यहां काम करने आया था. वह कहां का रहने वाला था, यह निश्चित रूप से किसी को पता नहीं था. उस का नाम जरूर पता चल गया था. उस का नाम था चुटला मुथु. इसी के साथ पुलिस को उस की पत्नी का पता जरूर मिल गया था.

उस मजदूर के इस तरह अचानक गायब हो जाने से पुलिस को अब यही लगने लगा था कि हो न हो, यह हत्या उसी ने की होगी. क्योंकि जैसे ही लोगों ने उस पर शक जाहिर किया था, वह गायब हो गया था. अब पुलिस उस की खोज में लग गई.

पुलिस उस पते पर पहुंची, जहां उस की पत्नी रहती थी. लेकिन पत्नी ने कहा कि अब उस का उस आदमी से कोई संबंध नहीं. दोनों में पटी नहीं, इसलिए वह उस से अलग रहने लगी. उसे यह भी पता नहीं है कि इस समय वह कहां है. लेकिन उस महिला ने यह जरूर कह दिया कि वह आदमी ठीक है.

पुलिस चुटला मुथु की तलाश में दिनरात एक किए हुए थी, पर उस का कुछ पता नहीं चल रहा था. धीरेधीरे एक साल बीत गया. अब जनार्दन नायर और लोगों का धैर्य जवाब देने लगा. एक साल हो गया और कातिल पकड़ा नहीं गया.

केरल के लोग पढ़ेलिखे हैं और अपने अधिकारों के प्रति सजग भी हैं. उन्हें लगा कि पुलिस इस मामले में लापरवाही कर रही है, इसीलिए कातिल पकड़ा नहीं जा रहा है. पुलिस अपनी काररवाई में तेजी लाए, इस के लिए रमादेवी के हत्यारे को कैसे भी गिरफ्तार किया जाए, इस के लिए सभी ने मिल कर आंदोलन किया, रैली निकाली. इतना ही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री और अधिकारियों से लिखित शिकायतें भी की गईं, पर इस का भी कोई नतीजा निकला.

पुलिस के खिलाफ धरनाप्रदर्शन का दौर शुरू

अब तक रमादेवी हत्याकांड को एक साल बीत चुका था. फिर भी पुलिस को अब तक कातिल का कोई सुराग नहीं मिला था. इस बीच कातिल को गिरफ्तार करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा रैली भी निकाली जा चुकी थी और धरनाप्रदर्शन भी हो चुका था यानी आंदोलन हो चुके थे, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर सकी थी. जिस मजदूर पर लोगों को ही नहीं, पुलिस को भी शक था, वह फरार था. उस का कहीं अतापता नहीं चला.

इस बीच पुलिस को पता चला कि उसी तरह का एक मजदूर कानपुर में देखा गया है. केरल पुलिस कानपुर पहुंची, लेकिन वह मजदूर पुलिस को वहां भी नहीं मिला. केरल पुलिस उस की तलाश में बिहार भी गई. क्योंकि कुछ लोगों का कहना था कि वह बिहार से आया था. लेकिन उस के नाम से ही पता चलता था कि वह बिहार का रहने वाला नहीं था. क्योंकि बिहार में ऐसे नाम नहीं रखे जाते. इस के बावजूद केरल पुलिस बिहार गई और खाली हाथ लौट आई.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...