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पुलिस टीम ने जितेंद्र की निशानदेही पर विधूना से निजाम अली तथा पसहा गांव से राघवेंद्र उर्फ मुन्ना को गिरफ्तार कर लिया. इन तीनों को थाना सजेती की हवालात में डाल दिया गया. इस के बाद पुलिस टीम सूर्यविहार, नवाबगंज पहुंची और यह कह कर किरन को साथ ले आई कि दरोगा पच्चालाल के हत्यारे पकड़े गए हैं.

किरन थाना सजेती पहुंची तो उस ने अपने प्रेमी जितेंद्र तथा उस के साथियों को हवालात में बंद देखा. उन्हें देखते ही वह सब कुछ समझ गई. अब उस के लिए पुलिस को गुमराह करना मुमकिन नहीं था. उस ने पति की हत्या में शामिल होने का जुर्म कबूल कर लिया. जितेंद्र ने दरोगा पच्चालाल का लूटा गया पर्स, घड़ी व मोबाइल भी बरामद करा दिए, जिन्हें उस ने घर में छिपा कर रखा था.

चूंकि दरोगा पच्चालाल के हत्यारों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए पुलिस ने मुंशी अजयपाल को वादी बना कर भादंवि की धारा 302, 201, 394 तथा 120बी के तहत जितेंद्र उर्फ महेंद्र, निजाम अली, राघवेंद्र उर्फ मुन्ना तथा किरन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया.

7 जुलाई को एसएसपी अखिलेश कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस की, जिस में उन्होंने हत्या का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपए देने की घोषणा की. उन्होंने गिरफ्तार किए गए दरोगा के हत्यारों को पत्रकारों के सामने भी पेश किया, जहां हत्यारों ने अवैध रिश्तों में हुई हत्या का खुलासा किया.

पच्चालाल गौतम सीतापुर जिले के थाना मानपुरा क्षेत्र के गांव रामकुंड के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी कुंती देवी के अलावा 4 बेटे सत्येंद्र, महेंद्र, जितेंद्र व कमल थे. पच्चालाल पुलिस विभाग में दरोगा के पद पर तो तैनात थे ही, उन के पास खेती की जमीन भी थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कुल मिला कर उन की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी.

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