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2023 के फरवरी महीने की पहली तारीख थी, सुबह का वक्त था. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सारणी पुलिस स्टेशन के टीआई रत्नाकर हिंग्वे अपने घर पर पुलिस स्टेशन जाने की तैयारी कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही उन्होंने काल रिसीव की दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘सर, कंट्रोलरूम से बोल रहा हूं. सारणी के बगडोना स्थित आशियाना ढाबे में आग लगने की सूचना मिली है.’’

टीआई रत्नाकर हिंग्वे ने फोन पर ही उसे निर्देश देते हुए कहा, ‘‘तुरंत फायर ब्रिगेड को फोन कर के सूचना दो, मैं जल्द ही पुलिस स्टेशन पहुंच रहा हूं.’’

5 मिनट में ही टीआई पुलिस स्टेशन पहुंचे और अधीनस्थ स्टाफ को साथ ले कर आशियाना ढाबे की ओर निकल पड़े. कुछ ही मिनटों में वे सारणी पुलिस स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर छतरपुर रोड स्थित आशियाना ढाबे की ओर रवाना हो गए. रास्ते में ही टीआई ने घटना की जानकारी बैतूल की एसपी सिमाला प्रसाद और एसडीपीओ रोशन जैन को  दी. कुछ ही समय में पुलिस बल सहित सारणी के एसडीपीओ रोशन जैन और फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई.

तब तक फायर ब्रिगेड वहां पहुंच चुकी थी और आग पर काबू पा लिया गया था. ढाबे के एक कमरे से धुआं उठता दिखाई दे रहा था. पुलिस टीम ने वहां जा कर देखा कि ढाबे की ऊपरी मंजिल पर जिस कमरा नं 101 में आग लगी थी, वहां ढाबे का मालिक शैलेष साकरे रहता था. कमरे के अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था. जब तक आग पर काबू पाया गया, उस से पहले ही शैलेष की मौत हो चुकी थी.

जब ढाबे पर मौजूद समीर को पुलिस ने बुलाया तो उस ने ही बताया कि यह अधजली लाश ढाबे के मालिक शैलेष साकरे की है. अधजली हालत में मिली शैलेष साकरे की लाश ढाबे के रूम से बाहर निकाली गई. फोरैंसिक टीम ने कमरा नंबर 101 का बारीकी का निरीक्षण किया और शव का परीक्षण कर के बताया कि युवक को जलाने में कैमिकल का इस्तेमाल किया गया है.

ढाबे में मिली झुलसी हुई लाश…

पूछताछ में पता चला कि कमरा नंबर 101 में रहने वाले शैलेष की पत्नी अपने मायके गई हुई थी और शैलेष सुबह उठ कर अपनी 9वीं क्लास में पढऩे वाली 16 साल की बेटी को बाइक से स्कूल छोड़ कर आया था. इस ढाबे को पहले शैलेष ही मिलन ढाबा के नाम से चलाता था. नशे का आदी होने से जब शैलेष पर कर्ज बढ़ गया तो उस ने ढाबे को किराए पर दे दिया. कुछ दिनों पहले उस ने इसे समीर मसीद को किराए पर दे दिया था, जो अब इसे आशियाना ढाबे के नाम से चला रहा था.

ढाबे में हुए शैलेष साकरे मर्डर केस की खबर से आसपास के इलाकों से काफी भीड़ जमा हो गई थी. पुलिस को आग लगने की कोई वजह समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने ढाबे में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो एक व्यक्ति ढाबे में प्रवेश करता और कुछ समय बाद ढाबे से बाहर की तरफ जाता दिख रहा था. पुलिस का शक इसी व्यक्ति पर जा रहा था.

पुलिस का मानना था कि यही व्यक्ति शैलेष के कमरे में आग लगा कर आया होगा. पुलिस टीम ने ढाबे के संचालक समीर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में दिखाई देने वाला शख्स हेमंत बावरिया है, जो पहले शैलेष के ढाबे पर ही काम करता था. पुलिस ने इस बीच शैलेष की बेटी को भी स्कूल से बुला लिया और लाश की शिनाख्त कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

शैलेष की बेटी ने पुलिस टीम को बताया कि कुछ दिनों पहले मम्मी नाराज हो कर मामा के घर बैतूल चली गई थीं. शैलेष के बड़े भाई शंकरलाल ने यह जरूर खुलासा किया कि शैलेष अपनी पत्नी सीमा और ढाबे में काम करने वाले हेमंत बावरिया को ले कर हमेशा टेंशन में रहता था और शराब भी पीने लगा था. कमरे की हालत देख कर पुलिस को आग लगने की वजह संदेहास्पद लग रही थी.

ढाबे के कमरा नंबर 101 में अधजली लाश के पास एक हथौड़ी मिली थी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका था कि शैलेष के सिर पर चोटों के निशान पाए गए थे. इस से साफ जाहिर था कि जलाने से पहले उसे सिर में हथौड़ी से चोट पहुंचा कर मौत के घाट उतारा गया है. जब पतिपत्नी के बीच अनबन की जानकारी पुलिस के सामने आई तो पुलिस के शक की सुई सब से पहले सीमा की तरफ ही घूमी.

शैलेष के परिवार से मिली जानकारी से यह तो स्पष्ट हो चुका था कि शैलेष की पत्नी सीमा के प्रेम संबंध ढाबे पर काम करने वाले नौकर हेमंत बावरिया से थे और इस की जानकारी शैलेष को भी थी. इसी आधार पर सब से पहले पुलिस ने सीमा की खोज के लिए पुलिस की टीम बैतूल भेजी, जहां सीमा के मायके वालों से पता चला कि सीमा यहां 15 जनवरी को आई थी. 2- 3 दिन रुकने के बाद यहां से अपनी बुआ के घर इटारसी चली गई.

इस के बाद सीमा पर पुलिस का संदेह अब और गहराता जा रहा था. सीमा का मायका बैतूल का था. बैतूल में सीमा के पिता भी 2 पत्नियों के साथ रहते थे. सीमा अपनी मां की 3 बेटियों में सब से छोटी थी. उस की दूसरी मां से एक बेटा था. सभी बहनों की शादी भी हो चुकी थी, इस वजह से मायके में भी ज्यादा पूछपरख सीमा की नहीं थी.

पुलिस ने जब सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि हत्या की साजिश रचने वाली सीमा से हेमंत ने 2 दिन में मोबाइल पर 36 बार बात की थी. इतना ही नहीं, हेमंत ने सीमा को मोबाइल पर 206 बार मिस्ड काल किए थे. वारदात को अंजाम देने के बाद हेमंत ने सीमा से मोबाइल पर बात भी की थी.

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