पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, जयप्रकाश की हत्या रविवार की रात को हुई थी. उसे 315 बोर के तमंचे से गोली मारी गई थी. जब इस पूछताछ से पुलिस हत्यारों तक पहुंचने में नाकाम रही तो जांच को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने मोबाइल को आधार बनाया.
पुलिस ने मृतक जयप्रकाश और नामजद अभियुक्तों के काल डिटेल्स और लोकेशन निकलवाई. इस काल डिटेल्स और लोकेशन से पता चला कि जिस रात जयप्रकाश की हत्या हुई थी, चारों अभियुक्तों की लोकेशन जसपुर थी. चारों में से किसी की मृतक से कोई बात भी नहीं हुई थी. जबकि जयप्रकाश के मोबाइल फोन की लोकेशन काशीपुर की थी. उस की काल डिटेल्स में 2 नंबर ऐसे मिले थे, जिन की लोकेशन काशीपुर की थी और उन नंबरों से जयप्रकाश की कई बार बात भी हुई थी. पुलिस ने उन नंबरों के बारे में पता किया तो दोनों नंबर काशीपुर के निकले.
पुलिस को पता ही था कि मृतक इधर कई दिनों से काशीपुर में अपनी बहन के घर रह रहा था. पुलिस केला देवी से पूछताछ कर ही चुकी थी. उस ने बताया था कि करवा चौथ की बात कह कर जयप्रकाश अपने घर चला गया था. लेकिन जब मृतक के फोन की लोकेशन काशीपुर की ही मिली तो पुलिस ने एक बार फिर उस से पूछताछ करने पहुंची. पुलिस ने उस से उन दोनों नंबरों के बारे में पूछा, जो जयप्रकाश की काल डिटेल्स में मिले थे.
केला देवी से पता चला कि उन दोनों नंबरों में से एक नंबर उस के भतीजे पंकज का है. पुलिस पंकज को हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए कोतवाली जसपुर ले आई. उसे हिरासत में लेने की वजह यह थी कि उस रात उस के नंबर की लोकेशन जसपुर की पाई गई थी.
कोतवाली में पंकज से पूछताछ शुरू हुई तो पुलिस के सवालों के आगे वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका. दरअसल पंकज शरीर से भले ही जवान लगता था, लेकिन उम्र के हिसाब से अभी बच्चा था. इसीलिए पुलिस की सख्ती के आगे उस की हिम्मत जवाब दे गई और उस ने सच उगल दिया. पंकज ने पुलिस को बताया कि अपने 3 साथियों के साथ मिल कर उसी ने जयप्रकाश की हत्या की थी.
पूछताछ में पंकज ने जयप्रकाश की हत्या की जो कहानी पुलिस को सुनाई, वह हैरान करने वाली थी. इस की वजह यह थी कि उस ने पत्नी, बेटे और पत्नी के प्रेमी को मारने की सुपारी दी थी, लेकिन मारा गया खुद. यह पूरी कहानी कुछ इस तरह थी.
जसपुर के बीएसबी इंटर कालेज में एक चपरासी था गंगाराम. कई सालों पहले जानलेवा बीमारी की वजह से उस की मौत हो गई थी. मृतक जयप्रकाश गंगाराम का बड़ा बेटा था. जवान होने पर गंगाराम ने सुनीता से उस की शादी कर दी थी. उस का परिवार पहले शहर के बीचोबीच सब्जी मंडी के पास रहता था. युवा होते ही जयप्रकाश नीरा बेचने लगा था. उसी की आय से उस के परिवार का गुजरबसर हो रहा था.
जयप्रकाश के 4 बच्चे हो गए तो उस पुराने मकान में रहने में उसे परेशानी होने लगी. तब जयप्रकाश ने अपने उस पुराने मकान को बेच दिया और बीएसबी इंटर कालेज के पास गांगूवाला मोहल्ले में भाई के साथ जमीन खरीद कर नया मकान बना कर उसी में परिवार के साथ रहने लगा.
पिता के समय से ही जयप्रकाश के बीएसबी इंटर कालेज के कई टीचरों से अच्छे संबंध थे, जो गंगाराम के मरने के बाद भी उस के घर आतेजाते रहते थे. उन्हीं अध्यापकों में एक हरजीत सिंह भी था. आनेजाने में ही हरजीत की नजर जयप्रकाश की पत्नी सुनीता पर पड़ी तो उस का मन मचल उठा. इस की वजह यह थी कि वह थोड़ा मनचले किस्म का था. शायद इसीलिए शादीशुदा होने के बावजूद खूबसूरत सुनीता पर उस की नीयत खराब हो गई थी.
मन के मचलते ही हरजीत सुनीता के पीछे पड़ गया. वह कभी सुनीता की सुंदरता की तारीफ करता तो कभी उस के नाश्तेपानी की. सुनीता को उस की ये तारीफें अच्छी लगतीं. जब हरजीत तारीफें कुछ ज्यादा ही करने लगा तो सुनीता का ध्यान उस पर गया. इस के बाद उस की भी समझ में आ गया कि हरजीत चाहता क्या है.
सुनीता की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. लेकिन हरजीत की चाहत के आगे वह झुक गई. उस ने नजरों से ही बता दिया कि वह जो चाहता है, उसे वह मंजूर है. इस के बाद सुनीता की नजदीकी पाने के लिए हरजीत ने उसे गर्ल्स इंटर कालेज में मिड डे मील बनाने का काम दिला दिया. उसी के सहारे सुनीता ने वहीं एक छोटी सी चाय की दुकान खोल ली. अब हरजीत और सुनीता पूरा दिन एकदूसरे की आंखों के सामने रहने लगे.
जयप्रकाश का मकान बस्ती से दूर ऐसी जगह था, जहां कौन आताजाता है, कोई देखने वाला नहीं था. जयप्रकाश नीरा बेचने सुबह ही निकल जाता था. बच्चे भी स्कूल चले जाते थे. उस के बाद घर में सुनीता अकेली रह जाती थी. ऐसे में हरजीत को सुनीता से मिलने में कोई परेशानी नहीं होती थी. हरजीत जब भी सुनीता के यहां आता था, खानेपीने की तरहतरह की चीजें ले आता था, इसलिए सुनीता के बच्चों को भी वह अच्छा लगने लगा था. बच्चे पिता से ज्यादा उसे प्रेम करने लगे थे.
संबंध बनने के बाद हरजीत सुनीता के घर ज्यादा ही आनेजाने लगा तो यह जयप्रकाश को खलने लगा. जयप्रकाश ने दोनों को किसी दिन अश्लील हरकतें करते देख लिया तो हरजीत के आने का विरोध करने लगा. सुनीता अब उस की बात मानने को तैयार नहीं थी. जिस की वजह से हरजीत को ले कर घर में कलह रहने लगी.
जयप्रकाश ने देखा कि पत्नी उस का कहना नहीं मान रही है और बच्चे भी उसी का साथ दे रहे हैं तो बीवी बच्चों से उसे नफरत हो गई. इस के बाद वह बीवी बच्चों से अलग रहने के बारे में सोचने लगा. वह अपना मकान बेच कर पत्नीबच्चों को छोड़ कर अकेला रहना चाहता था. इस के बाद छोटे भाई से सांठगांठ कर के उस ने मकान बेचने की योजना बना डाली.
दरअसल यह मकान दोनों भाई ने मिल कर बनवाया था. आखिर दोनों भाइयों ने 30 सितंबर, 2014 को सुनीता की चोरी से 17 लाख रुपए में मकान का सौदा कर डाला. इस रकम से जो 9 लाख रुपए जयप्रकाश को मिले थे, उसे ले जा कर उस ने अपनी बहन केला देवी के यहां रख दिए थे.
कौन था जयप्रकाश की हत्या के पीछे? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग.