Family Crime : फौज से रिटायर होने के बाद कुलवंत सिंह ने पुणे में दूसरी नौकरी ढूंढ ली. उसी दौरान उस की पत्नी रूपिंदर कौर ने जवान बेटों का लिहाज न करते हुए, सुखविंदर से नाजायज संबंध बना लिए. इसी दौरान इन के प्यार के ज्वारभाटा के बीच ऐसा क्या हुआ कि रूपिंदर को अपने जवान बेटे की हत्या करानी पड़ गई.
उस दिन सुखविंदर सिंह कुलवंत सिंह के घर पहुंचा तो अजीब नजारा देखने को मिला. मकान का दरवाजा खुला था लेकिन अंदर किसी प्रकार की रोशनी नहीं थी, घुप्प अंधेरा था. सुखविंदर हैरत में पड़ गया कि आखिर ऐसा क्यों है. वह दरवाजे से अंदर घुसा तो अंधेरे में उसे रूपिंदर कौर चहलकदमी करती दिखाई दी, वह काफी बेचैन दिख रही थी. रूपिंदर कुलवंत सिंह की पत्नी थी. रूपिंदर ने दरवाजे पर खड़े सुखविंदर को देख भी लिया था. इस के बावजूद उस ने चहलकदमी करनी बंद नहीं की. न जाने वह किस उधेड़बुन में लगी थी, जिस कारण टहलती रही. सुखविंदर बराबर कुलवंत के घर आताजाता रहता था. कौन सी चीज कहां है, वह बखूबी जानता था.
उस ने दरवाजे के पास लगे स्विच बोर्ड को हाथ से खोजा और स्विच औन कर दिया. तुरंत ही कमरा रोशनी से जगमगा उठा. सुखविंदर रूपिंदर कौर के चेहरे पर नजरें जमा कर बोला, ‘‘भाभी, बडे़बुजुर्ग कहते हैं कि जब दिनरात मिल रहे हों, तब घर में अंधेरा नहीं रखना चाहिए, अपशकुन होता है.’’
रूपिंदर के मुंह से आह निकली, ‘‘जिस के जीवन में अंधेरा हो, उस के घर में अंधेरा क्या और शकुनअपशकुन क्या.’’