24 वर्षीय प्रमोद यादव उत्तर प्रदेश के जिला संतकबीर नगर के गांव बगहिया का रहने वाला था. 4 भाई और 3 बहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता के पास मात्र 4 बीघा खेती की जमीन थी, उस से बमुश्किल घर का गुजारा हो पाता था.

प्रमोद के गांव के कई लोग दिल्ली में रहते थे, जो उस के दोस्त भी थे. दिल्ली जाने के बाद उन लोगों के घर के आर्थिक हालात सुधर गए थे. इसलिए प्रमोद ने भी सोचा कि वह भी गांव के दोस्तों के साथ दिल्ली जा कर कोई काम देख लेगा.

एक बार होली के त्यौहार पर जब उस के यारदोस्त दिल्ली से गांव लौटे तो प्रमोद ने उन्हें अपने मन की बात बताई और त्यौहार के बाद वह भी उन के साथ दिल्ली चला गया. उस के यारदोस्त पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में रहते थे. वह भी उन के साथ रहने लगा. उन के सहयोग से वह नौकरी तलाशने लगा.

थोड़ी कोशिश के बाद गाजीपुर में ही स्थित अमरनाथ की पशु आहार की दुकान पर उस की नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी वह गांव के 3 दोस्तों के साथ एक ही कमरे में रहता रहा. खानेपीने का खर्चा सभी आपस में मिल कर उठाते थे.

प्रमोद 2-3 महीने बाद 4-5 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव जाता रहता था. गांव में खर्च के बाद जो पैसे बचते, वह अपने मांबाप को दे आता. पास के गांव बगहिया के पड़ोसी रतिपाल से प्रमोद की अच्छी दोस्ती थी. सन 2004 के मई महीने में रतिपाल के भाई की शादी थी. उस ने प्रमोद को भाई की शादी में शामिल होने का निमंत्रण दिया. तब प्रमोद 5 दिन की छुट्टी ले कर शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली से चला गया था.

शादी समारोह में ही प्रमोद की मुलाकात मुन्नी से हुई. मुन्नी संतकबीर नगर के गांव भसेल की रहने वाली थी. मुन्नी 3 बच्चों में मंझले नंबर की थी. पहली ही मुलाकात में प्रमोद मुन्नी का दीवाना हो गया. बातचीत के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए.

शादी कार्यक्रम के बाद प्रमोद अपने गांव चला गया पर मुन्नी 4 दिनों तक रतिपाल के यहां रही. प्रमोद भी जब तक अपने घर रहा, मुन्नी से फोन पर बात करता रहता था. फोन पर ही दोनों ने प्यार का इजहार कर दिया था.

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पांचवें दिन मुन्नी अपने परिवार के साथ भसेल चली गई. उसी दिन प्रमोद भी दिल्ली चला आया. दोनों की फोन पर बातचीत होती रहती थी. रात को दोनों काफीकाफी देर तक अपने प्यार की बातें करते रहते थे. यहां तक कि दोनों ने शादी तक करने का वादा भी कर लिया.

मुन्नी की मां रामवती को भी इस बात का शक हो गया कि आखिर मुन्नी घंटोंघंटों तक किस से बातें करती है. एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘बेटी, जब से तुम शादी से लौट कर आई हो, तुम्हारे हावभाव बदल गए हैं. जब देखो कानों में फोन लगाए रहती हो. क्या है यह सब?’’

मुन्नी जानती थी मां की बगैर रजामंदी के प्रमोद का विवाह उस के साथ नहीं हो सकता, इसलिए उस ने मां को अपने प्यार की सच्चाई बताना उचित समझा. इस के बाद उस ने मां को सारी बात बता दी.

बेटी की बात सुन कर रामवती पहले तो नाराज हुई, फिर मुन्नी की बातों से उसे लग रहा था कि वे दोनों एकदूसरे को चाहते हैं और लड़का सजातीय है तो वह मन ही मन खुश हुई.

रामवती न तो प्रमोद को जानती थी और न ही उसे उस के घरबार के बारे में जानकारी थी. बिना कोई छानबीन किए बेटी की शादी उस के साथ करना समझदारी वाली बात नहीं थी, इसलिए रामवती ने मुन्नी से कहा, ‘‘बेटा, जब तक हम प्रमोद के बारे में छानबीन न कर लें, तब तक तुम उस से फोन पर ज्यादा बातें न करो.’’

मगर मुन्नी पर तो प्यार का भूत सवार था. उस ने मां की सलाह को गंभीरता से नहीं लिया और वह चोरीछिपे उस से फोन पर बातें करती रही.

एक दिन मुन्नी से रामवती ने कह दिया कि वह फोन कर के प्रमोद को यहां बुला ले, ताकि उस से कुछ बात की जा सके.

मां की यह बात सुन कर मुन्नी मारे खुशी के बल्लियों उछल पड़ी. उस ने प्रमोद को फोन कर के मां से मिलने के लिए अपने गांव बुला लिया. रामवती ने प्रमोद से विस्तार से बात की. उस से की गई बातचीत से रामवती को भरोसा हो गया कि वह मुन्नी को हर तरह से खुश रखेगा. बेटी की खुशी को देखते हुए रामवती ने भी उन के प्यार को हरी झंडी दे दी.

मां से हरी झंडी मिलने के बाद प्रमोद और मुन्नी ने आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली. इस के बाद वह मुन्नी को अपने गांव ले गया. मुन्नी को 2-4 महीने गांव में मांबाप के पास छोड़ने के बाद वह उसे दिल्ली ले आया. और गाजीपुर के ही रामअवतार के मकान में किराए का कमरा ले कर वह रहने लगा.

रामअवतार के उस मकान के भूतल पर कुछ दुकानें बनी थीं और पहली मंजिल पर 4 कमरे बने थे. उन में से एक कमरे में प्रमोद और 3 कमरों में दूसरे किराएदार रहते थे. मुन्नी प्रमोद के साथ पूरी तरह से खुश थी.

समय अपनी गति से गुजरता गया और एकएक कर वह 3 बच्चों की मां बन गई, जिस में 2 बेटे और एक बेटी काजल थी. बच्चे बड़े हुए तो उन का दाखिला पास के ही सरकारी स्कूल में करा दिया.

प्रमोद अपनी दुकान पर सुबह 6 बजे चला जाता और दोपहर के 2 बजे जब दुकान बंद हो जाती तो वह घर आ जाता था. दोपहर 2 बजे के बाद प्रमोद घर पर ही रहता. प्रमोद चाहता था कि उसे ऐसा कोई पार्टटाइम काम मिल जाए, जो वह 2 बजे के बाद कर सके. इस बारे में उस ने अपने दोस्तों के अलावा मकान मालिक से भी कह रखा था.

एक दिन मकान मालिक रामअवतार ने उस से कहा, ‘‘प्रमोद, तुम जो पार्टटाइम काम की बात कह रहे हो, मेरे पास इस का उपाय है. उपाय यह है कि मैं अपनी दुकान में जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दूंगा. 2 बजे से रात 10 बजे तक तुम संभालना. इस के बदले में तुम्हारा मकान का किराया नहीं लिया जाएगा. तुम यहां बिलकुल फ्री में रहना. अगर तुम्हें यह मंजूर है तब तो मैं दुकान में पैसे लगाऊं.’’

दुकान से मिलने वाली सैलरी से प्रमोद का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो रहा था, इसलिए उस ने रामअवतार से हां कह दी. रामअवतार ने अपनी दुकान में अच्छेखासे पैसे लगा कर जनरल स्टोर खुलवा दिया. दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक प्रमोद ही उस जनरल स्टोर को संभालता था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि 13 दिसंबर, 2017 की रात होते ही प्रमोद की 7 साल की बेटी काजल अचानक लापता हो गई. काफी ढूंढने के बाद भी जब काजल नहीं मिली तो प्रमोद ने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के बेटी के गायब होने की सूचना दे दी.

सूचना पा कर पीसीआर वैन प्रमोद के यहां पहुंच गई. मामला गाजीपुर थानाक्षेत्र का था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम की सूचना पा कर एसआई सोनू, एएसआई यशपाल प्रमोद के यहां पहुंच गए. पुलिस ने प्रमोद और उस की पत्नी मुन्नी से बात की. उसी दौरान थानाप्रभारी अमर सिंह भी एसआई नीरज के साथ प्रमोद के कमरे पर पहुंच गए.

प्रमोद की पत्नी मुन्नी ने यही बताया कि शाम के समय वह घर के बाहर ही खेल रही थी, तभी अचानक गायब हो गई. इस के बाद पुलिस ने रात में ही काजल को ढूंढना शुरू कर दिया. टौर्च की रोशनी में पुलिस वाले डीडीए कौंप्लेक्स के नजदीक के खाली पड़े प्लाटों के आसपास के सुनसान वाले इलाकों, गड्ढों, झाडि़यों आदि में काजल को तलाशते रहे, लेकिन वह वहां कहीं नहीं मिली तो थानाप्रभारी वापस प्रमोद के कमरे पर आ गए.

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मकान का निरीक्षण करने के दौरान ही प्रमोद से थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘छत पर क्या है?’’

‘‘कुछ नहीं है, खुली छत है. वहां कोई नहीं जाता.’’ प्रमोद ने बताया.

थानाप्रभारी ने पास खड़े एसआई नीरज कुमार से कहा, ‘‘जरा ऊपर छत पर जा कर देखो.’’

एसआई नीरज कुमार ने टौर्च की रोशनी में पूरी छत छान मारी, पर वहां कोई भी संदिग्ध चीज नहीं मिली. पर पड़ोसी की छत पर उन्हें एक लड़की की रक्तरंजित लाश मिली. यह बात उन्होंने थानाप्रभारी को बताई तो वह भी छत पर पहुंच गए.

प्रमोद और उस की पत्नी को ले कर थानाप्रभारी अमर सिंह भी छत पर पहुंच गए. बच्ची की लाश देखते ही मुन्नी जोर से चीखी. इस के बाद वह बेहोश हो गई.

प्रमोद ने लाश की पहचान अपनी 7 वर्षीय बेटी काजल के रूप में की. पुलिस ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. फिर जरूरी काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और प्रमोद की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

पुलिस के पूछने पर प्रमोद ने किसी से दुश्मनी आदि होने की बात भी नकार दी. पुलिस यही मान कर चल रही थी कि किसी ने इस बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उस की हत्या कर दी होगी. पर यह बात डाक्टरी जांच के बाद पता लग सकती थी.

हत्या के इस केस को सुलझाने के लिए डीसीपी रामवीर सिंह ने थानाप्रभारी अमर सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसआई नीरज कुमार, सोनू सिंह, एएसआई यशपाल आदि को शामिल किया गया.

थानाप्रभारी ने पूछताछ के लिए मकान मालिक को भी थाने बुला लिया. उस के यहां रहने वाले सभी किराएदारों को भी बुला कर पूछताछ की लेकिन सभी ने इस मामले में अनभिज्ञता व्यक्त की. पड़ोस में रहने वाला सुधीर नाम का एक किराएदार फरार था. पता चला कि वह बिहार के दरभंगा का रहने वाला है. करीब 2 साल से वह डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर रहा है.

अन्य किराएदारों ने बताया कि काजल के गायब होने के बाद से सुधीर गायब है. इस बात से पुलिस के शक की सुई सुधीर की तरफ मुड़ गई.

सुधीर जिस फैक्ट्री में काम करता था, वहां से पुलिस ने उस का फोटो और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने सुधीर, मुन्नी और प्रमोद के फोन नंबर की कालडिटेल्स निकलवाई तो कालडिटेल्स में चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि मुन्नी और सुधीर की रोजाना ही लंबीलंबी बातें होती थीं. केवल घटना वाली रात 9 बजे के करीब दोनों की बात नाममात्र ही हुई थी.

थानाप्रभारी अमर सिंह ने सुधीर का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. तब उन्होंने उसे सर्विलांस पर लगवा दिया. इस के बाद वह प्रमोद के घर गए. उस समय प्रमोद और उस की पत्नी दोनों ही कमरे पर मिल गए. उन्होंने प्रमोद से पूछा, ‘‘क्या आप सुधीर नाम के किसी आदमी को जानते हैं?’’

‘‘जी, सुधीर को बस इतना ही जानता हूं कि वह पड़ोस में रहता है और मेरे पास दुकान पर वह कुछ सामान खरीदने आता रहता था. उस से ज्यादा मैं उस के बारे में कुछ नहीं जानता.’’ उस ने कहा.

प्रमोद से बात करते हुए थानाप्रभारी मुन्नी पर नजर रखे हुए थे. उन्होंने मुन्नी के चेहरे के भाव पढ़ लिए थे. पर वह उस से कुछ नहीं बोले. प्रमोद से बात कर के वह थाने लौट आए.

कुछ समय के बाद ही थानाप्रभारी अमर सिंह को सर्विलांस सेल से सूचना मिली कि सुधीर के फोन की लोकेशन गाजीपुर थाना क्षेत्र में ही है. थानाप्रभारी ने एसआई नीरज और सोनू को सुधीर को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंप दी.

एसआई नीरज और सोनू ने प्लाईवुड फैक्ट्री से एक ऐसे कर्मचारी को साथ लिया जो सुधीर को पहचानता था. इस के बाद वह गाजीपुर बसस्टैंड पर पहुंच गए, क्योंकि सुधीर के फोन की लोकेशन वहीं की आ रही थी. साथ गए व्यक्ति की शिनाख्त पर पुलिस ने सुधीर को बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वहां से वह बिहार भागने की फिराक में था.

सुधीर को थाने ला कर पूछताछ की तो वह पहले इधरउधर की बातें करता रहा. फिर सख्ती करने पर उस ने सच्चाई बता दी. उस ने बताया कि काजल की हत्या में उस के साथ काजल की मां मुन्नी भी शामिल थी.

मासूम बेटी की हत्या में मां के शामिल होने की बात सुन कर पुलिस भी चौंक गई. फिर सुधीर ने उस बच्ची की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली-

प्रमोद सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक व्यस्त रहता था. काम के चक्कर में वह पत्नी को भी समय नहीं दे पाता था. लगातार 16 घंटे काम कर के वह थक कर जल्द ही सो जाता था. ऐसे में पड़ोस में रहने वाले सुधीर नाम के युवक से मुन्नी के अवैध संबंध हो गए.

दरअसल, पति की मरजी के बगैर मुन्नी ने डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. उसी प्लाईवुड फैक्ट्री में सुधीर भी नौकरी करता था. साथसाथ काम करने पर उस की सुधीर से दोस्ती हो गई थी. 23 साल का सुधीर अविवाहित था. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. इसी बीच उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

मुन्नी के नौकरी पर चले जाने पर घर अस्तव्यस्त रहता था और बच्चों की देखभाल भी ठीक से नहीं हो पाती थी. तब प्रमोद ने दबाव डाल कर पत्नी की नौकरी छुड़वा दी. उस ने वहां 3 माह नौकरी की थी.

नौकरी छूटने के बाद भी मुन्नी के सुधीर से संबंध कायम रहे. उस की फोन पर बातचीत होती रहती थी. पति तो रात 10 बजे तक दुकान पर रहता था, इसलिए जब मुन्नी का मन होता, वह सुधीर को अपने कमरे पर बुला लेती.

10 दिसंबर, 2017 को मुन्नी और सुधीर को आपत्तिजनक स्थिति में उस की बेटी काजल ने देख लिया था. काजल को देख कर दोनों अलग हो गए. दोनों ने काजल को पैसे, कपड़े, खिलौनों आदि का लालच दे कर कहा कि उस ने जो कुछ देखा है, वह किसी को नहीं बताए.

काजल उस समय तो चुप रही, पर उस के बाद उस ने अपनी मम्मी से कह दिया कि उस की गंदी हरकत वह पापा को जरूर बताएगी. काजल के जवाब से मुन्नी घबरा गई. मुन्नी को डर लगने लगा कि काजल की वजह से वह पति की नजरों में गिर जाएगी.

साथ ही बदनामी भी होगी, इसलिए उस ने सुधीर को फोन कर के कह दिया कि काजल बात नहीं मान रही, उसे ठिकाने लगा दो, ऐसा नहीं हुआ तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.

इस के बाद मुन्नी ने काजल की हत्या की योजना तैयार की. 13 दिसंबर, 2017 की रात 8 बजे के करीब पड़ोसी लालमन के कमरे में काजल टीवी देख रही थी. मुन्नी ने इशारे से काजल को बुलाया. उसे कोई अच्छी चीज दिखाने की बात कह कर वह उसे छत पर ले गई.

सुधीर चाकू लिए छत पर पहले से बैठा था. छत के किनारे पर मुन्नी ने काजल का मुंह दबा कर पटका और सुधीर ने चाकू से उस बच्ची का गला रेत दिया. कुछ ही देर में काजल की मौत हो गई.

दोनों ने मिल कर पड़ोस की छत पर लाश फेंक दी और जिस जगह उन्होंने काजल का गला रेता था, वहां पड़े खून के ऊपर उन्होंने बोरी डाल दी, ताकि खून किसी को न दिखे.

उन की योजना रात के अंधेरे में लाश को बोरी में भर कर ठिकाने लगाने की थी. पर वह लाश ठिकाने तो नहीं लगा सके, पुलिस के हत्थे जरूर चढ़ गए. इस के बाद पुलिस ने मुन्नी को भी गिरफ्तार कर लिया. सुधीर की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया.

पुलिस ने 15 दिसंबर को दोनों को कड़कड़डूमा कोर्ट में मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर जेल भेज दिया.

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