सिंहराज को शराब पीने की लत थी. उस की इसी लत के चलते उस के दोस्त देवेंद्र ने घर आना शुरू किया. उस की कुछ ही देर पहले शिवानी का अपने पति सिंहराज से झगड़ा हुआ था. वह आज की बात नहीं थी, हर रोज का वही हाल था. सिंहराज एक नंबर का पियक्कड़ था. आज फिर सुबह होते ही अद्धा ले कर बैठ गया था. शिवानी ने उसे टोका लेकिन वह कहां मानने वाला था. कुछ देर तक तो वह पत्नी की बातें सुनता रहा, मगर 2-4 पैग हलक से नीचे उतरते ही उस का दिमाग घूम गया. बिना कुछ कहे उस ने शिवानी की चोटी पकड़ कर उसे रुई की भांति धुन दिया. फिर अद्धा बगल में दबाए घर के बाहर चला गया.

28 वर्षीय सिंहराज सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर  जनपद के थाना चांदपुर के बागड़पुर गांव में रहता था. वह चांदपुर के एक ज्वैलर की गाड़ी चलाता था. उस के पिता किसान थे. भाईबहन सभी शादीशुदा थे और अपनेअपने परिवारों के साथ अलगअलग रहते थे.

सिंहराज सिंह का विवाह लगभग 4 वर्ष पूर्व पड़ोस के गांव केलनपुर निवासी शिवानी से हुआ था. शिवानी बीए पास थी. सुंदर पत्नी पा कर हाईस्कूल पास सिंहराज फूला नहीं समाया. आम नवविवाहितों की तरह उन दोनों के दिन सतरंगी पंख लगाए उड़ने लगे.

खूबसूरत बीवी पा कर सिंहराज खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब व्यक्ति समझने लगा था. एक बेटी ने उस के घर जन्म ले कर उस की बगिया को महका दिया.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि वक्त ने करवट बदली. नौकरी से सिंहराज सिंह की इतनी आमदनी हो जाती थी कि दालरोटी चल सके. दिक्कत उस समय होने लगी, जब उसे शराब की लत लग गई.

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