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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के थाना तिवारीपुर के एसओ रामभवन यादव रात्रि गश्त से लौट कर अपने आवास पर पहुंचे ही थे कि उन के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. उस समय सुबह के 5 बजे थे. बेपरवाही से उन्होंने फोन स्क्रीन पर नजर डाली. काल किसी बिना पहचान वाले नंबर से आई थी. उन्होंने काल रिसीव कर जैसे ही हैलो कहा तो दूसरी तरफ से आवाज आई. मैं एसओ साहब से बात करना चाहता हूं.

‘‘जी बताइए, मैं एसओ तिवारीपुर बोल रहा हूं.’’ रामभवन यादव ने कहा, ‘‘बताइए क्या बात है, आप इतना घबराए हुए क्यों हैं?’’

‘‘सर, मैं सुनील सिंह बोल रहा हूं और सूर्य विहार कालोनी में रहता हूं.’’ फोन करने वाले व्यक्ति ने आगे कहा, ‘‘सर, गजब हो गया. कुछ बदमाश मेरे घर में घुस कर मेरी पत्नी रेनू सिंह की हत्या कर के फरार हो गए.’’ इतना कह कर सुनील सिंह फफकफफक कर रोने लगा. इस के बाद उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

सुबहसुबह हत्या की खबर सुन कर एसओ रामभवन यादव चौंक गए.  मामला गंभीर था. इसलिए वह फटाफट टीम को साथ ले कर सूर्य विहार कालोनी की तरफ रवाना हो गए. इसी बीच गोरखपुर जीआरपी थाने के इंसपेक्टर अजीत सिंह का फोन भी उन के पास आ चुका था. उन से बात कर के पता चला कि मृतका रेनू सिंह अजीत सिंह की सगी बहन थी.

यहां बात विभाग की आ गई. एसओ रामभवन यादव ने इंसपेक्टर अजीत सिंह को भरोसा दिया कि उन के साथ पूरा न्याय होगा. अपराधी चाहे जो भी हो उस के खिलाफ सख्त काररवाई की जाएगी. उधर इंसपेक्टर अजीत सिंह ने भी केस के खुलासे में अपनी तरफ से पूरी मदद करने को कहा.

तिवारीपुर थाने से घटनास्थल करीब 2 किलोमीटर दूर था इसलिए एसओ यादव 10-15 मिनट में ही मौके पर पहुंच गए. पुलिस के पहुंचने के बाद ही कालोनी के लोगों को जानकारी हुई कि बदमाशों ने सुनील के यहां लूटपाट कर उस की पत्नी की हत्या कर दी है.

इस के बाद तो सुनील के घर के सामने कालोनी के लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई. एसओ रामभवन यादव जब सुनील के घर में गए तो उस की पत्नी रेनू सिंह की खून से सनी लाश बेड पर पड़ी हुई थी. लग रहा था कि बदमाशों ने उस के सिर के पीछे कोई भारी चीज मार कर घायल किया था.

वार से सिर की हड्डी भी भीतर की तरफ धंसी हुई थी. सिर पर चोट के अलावा रेनू के शरीर पर चोट का और कोई निशान नहीं था. कमरे में रखी लोहे की अलमारी खुली हुई थी और उस का सामान फर्श पर बिखरा पड़ा था.

कमरे में फर्श पर कान का एक झुमका गिरा पड़ा था. शायद लूटपाट के बाद बदमाशों के वहां से भागते समय लूटे गए गहनों में से झुमका गिर गया था. एसओ ने उस झुमके के बारे में सुनील से पूछा तो सुनील झुमका देखते ही रोते हुए कहने लगा कि यह झुमका उस की पत्नी रेनू का ही है.

इस बीच एसओ रामभवन यादव ने फोन कर के एसएसपी शलभ माथुर, एसपी (सिटी) विनय कुमार सिंह, एसपी (क्राइम), सीओ (क्राइम) प्रवीण सिंह को सूचित कर दिया था. सूचना मिलने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे.

इन अधिकारियों के अलावा सीओ (बांसगांव) वीवी सिंह, सीओ (कोतवाली), एसओ (सहजनवां) सत्य प्रकाश सिंह, स्वाट टीम के इंचार्ज वीरेंद्र राय, एसआई मनोज दुबे, क्राइम ब्रांच के सिपाही वीपेंद्र मल्ल, राजमंगल सिंह, शशिकांत राय, राशिद अख्तर खां, शिवानंद उपाध्याय, कुतुबउद्दीन, राकेश, विजय प्रकाश के अलावा फोरैंसिक टीम भी मौके पर पहुंच गई.

चूंकि यह मामला पुलिस विभाग से जुड़ चुका था, इसलिए पुलिस वर्क आउट करने में कोई चूक नहीं करना चाहती थी. अधिकारियों ने मौके का गहनता से निरीक्षण किया. कमरे की हालत देख कर पहली नजर में यह मामला लूट का लग रहा था.

फोरैंसिक टीम मौके से सबूत जुटा रही थी. फोरैंसिक टीम ने कमरे में रखी लोहे की अलमारी की जांच की तो अलमारी का लौक कहीं से टूटा हुआ नजर नहीं आया. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने अलमारी को चाबी से खोला हो. ये देख कर फोरैंसिक टीम हैरान रह गई.

सुनील ने पुलिस को बताया था कि बदमाशों ने अलमारी तोड़ कर जेवर गहने लूटे थे. जबकि घटनास्थल पर इस तरह के कोई निशान नहीं मिले. ये मामला पूरी तरह संदिग्ध लगने लगा और शक के दायरे में कोई अपना ही नजर आने लगा. इसे पुलिस पूरी तरह गोपनीय रखे रही. पुलिस ने उस समय सुनील से कुछ नहीं कहा.

घटनास्थल की जरूरी काररवाई कर रेनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज, गुलरिहा भेजवा दी. सुनील की तहरीर पर अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूट के लिए हत्या करने का मुकदमा दर्ज कर लिया. यह बात 12 सितंबर, 2018 की है.

अगले दिन 13 सितंबर को रेनू सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. रिपोर्ट में रेनू सिंह की मौत हेड इंजरी के कारण बताई गई. यही नहीं उस की मौत का जो समय बताया गया था वह सुनील के दिए गए बयान से कतई मेल नहीं खा रहा था.

पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची थी तो उस समय रेनू की डैडबौडी अकड़ चुकी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि अमूमन इस तरह के लक्षण किसी बौडी में मौत के करीब 4 घंटे बाद देखने को मिलते हैं.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, रेनू की मौत 11-12 सितंबर की रात के 12 बजे के करीब हो चुकी थी. जबकि सुनील ने बयान दिया था कि उस ने भोर के साढ़े 4 बजे के करीब 3 संदिग्धों को घर की तरफ से जाते हुए देखा था. उन्हीं तीनों ने घटना को अंजाम दिया था.

सुनील के बयान और मौके के हालात तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आपस में कहीं भी मेल नहीं खा रहे थे. इस का मतलब साफ हो चुका था कि सुनील घटना में शामिल  था या फिर वह पुलिस से कुछ छिपा रहा है. सुनील के बयान को तसदीक करने के लिए पुलिस टीम उन तीनों संदिग्धों की तलाश में जुट गई, जिन पर सुनील को शक था.

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