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विधवा वीणा जैन 55 साल की थीं. वह अपनी 24 वर्षीया बेटी रिंपल जैन के साथ मुंबई के लालबाग इलाके के पेरू कंपाउंड इब्राहिम कासिम चाल में रहती थीं. कालाचौकी थाना क्षेत्र में स्थित इस पुरानी चाल में छोटेछोटे कमरे बने थे. इलाके में रात के कुछ घंटों को छोड़ कर हमेशा आवाजाही बनी रहती है. दोनों वहीं पर बीते 8 साल से रह रही थीं. घर का खर्च उस के बड़े भाई सुरेश कुमार पौरवाल ने उठा रखा था. सुरेश अपने परिवार के साथ दूसरे इलाके में रहते थे.

उन्होंने ही वीणा के पति की मौत हो जाने के बाद छोटे से मकान में मांबेटी को अलग से रहने का इंतजाम किया था. इस की एक खास वजह थी. बताते हैं कि वीणा के पति एचआईवी पाजिटिव थे. इस से वीणा भी प्रभावित थीं. जो भी हो, वह सुरेश और बेटी रिंपल की देखरेख में थीं. सुरेश बीचबीच में उन से मिलने आते रहते थे, लेकिन फोन पर बहन या भांजी से रोजाना कम से कम एक बार तो बात जरूर कर लिया करते थे. बीचबीच में उन के बच्चे भी अपनी बुआ से मिल कर हालसमाचार ले लिया करते थे.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन बीते 3 माह से सुरेश अपनी बहन की सेहत को ले कर चिंतित और परेशान चल रहे थे. कारण, उन की वीणा से फोन पर भी बात नहीं हो पा रही थी. वह 2-3 बार हालसमाचार लेने के लिए उन के घर पर भी गए थे, लेकिन बहन से नहीं मिल पाए. जबकि उन्हें जानकारी मिली थी कि वह अपने कमरे में जाते वक्त सीढिय़ों से गिर पड़ी थीं और उन्हें थोड़ी चोट भी लग गई थी. इस बारे में उन्हें फोन पर भांजी रिंपल ने ही बताया था. साथ ही उस ने अपने मामा से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है, मां की सेहत में सुधार है. वह उन्हें नियमित दवाइयां दे रही है. फिर भी सुरेश अपनी बीमार बहन को देखने के लिए बेचैन हो गए थे.

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