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उस दिन अप्रैल 2023 की 18 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की अतर्रा कोतवाली के इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला अपने कक्ष में मौजूद थे. वह निकाय चुनाव को संपन्न कराने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मंथन कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर जैसे ही ‘हैलो’ कहा, दूसरी ओर से किसी

महिला ने सिसकते हुए पूछा, “क्या आप अतर्रा थाने से बोल रहे हैं?”

“जी हां, मैं अतर्रा कोतवाली से इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला बोल रहा हूं. बताइए क्या बात है?”

“सर, नरैनी रोड के पास अज्ञात लोगों ने मेरे पति प्रदीप चौरिहा की हत्या कर दी है.” उस महिला ने भर्राई आवाज में कहा.

“आप कौन बोल रही हैं? और हत्या नरैनी रोड पर किस जगह हुई है? घटनास्थल की जगह ठीक से बताइए, जिस से हम वहां आसानी से पहुंच सकें.” मनोज कुमार शुक्ला ने कहा.

“सर, मेरा नाम ज्योति चौरिहा है. आप नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर आ जाइए और प्रदीप का नाम पूछ लीजिए. मोहल्ले के लोग उसे रामू के नाम से जानते हैं. वह मेरे पति का ही मकान है.” ज्योति ने कहा.

“ठीक है, हम जल्द ही पहुंच रहे हैं.” कह कर इंसपेक्टर मनोज शुक्ला ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चूंकि हत्या का मामला था, अत: उन्होंने आवश्यक पुलिस बल साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. थाने से राजेंद्र नगर की दूरी ज्यादा नहीं थी. अत: कुछ ही देर में वह रामू के मकान पर पहुंच गए.

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