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पूछताछ के दौरान इलियास ने पुलिस को बताया कि नसीमा के सिर व पेट में दर्द रहता था. उस का दिल्ली के सरकारी अस्पताल से इलाज चल रहा था. 7 फरवरी को उस का अल्ट्रासाउंड होना था. उस ने फोन पर यह बात इलियास को बता कर अस्पताल जाने के लिए कहा था. इलियास ने उसे जाने को कह दिया और उस शाम खुद गांव आ गया.

उसे हैरानी तब हुई, जब नसीमा देर रात तक घर नहीं आई. इलियास के अनुसार उस ने नसीमा से संपर्क करने की बहुत कोशिशें की. लेकिन नसीमा का मोबाइल बंद था. अगली सुबह जब उसे नसीमा की हत्या की खबर मिली तो वह हतप्रभ रह गया.

‘‘तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी?’’ एन.पी. सिंह ने पूछा तो वह बोला, ‘‘नहीं साहब, मैं तो सीधासादा आदमी हूं. मेरा तो कभी किसी से झगड़ा तक नहीं हुआ. कमाना और खाना, बस इसी में जिंदगी बीत रही है. पता नहीं मेरे परिवार को किस मनहूस की नजर लग गई.’’

पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि जब इलियास और नसीमा की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी तो फिर नसीमा को कोई क्यों मारेगा? साथ ही यह भी कि उस के बच्चों ने किसी का क्या बिगाड़ा था? यह बात साफ थी कि हत्यारे नसीमा या उस के बच्चों को जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे.

ऐसे में नसीमा का मोबाइल इस मामले के खुलासे में महत्त्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता था. इस बीच मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई थी. नसीमा की गरदन व माथे पर तो 3 घाव थे, जबकि बच्चों के भी गले काटे गए थे. सभी की मृत्यु की एकमात्र वजह सांस की नली का कटना और अधिक रक्तस्राव होना थी.

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