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आग दोनों तरफ लग चुकी थी. दिन तो किसी तरह बीत जाता था, लेकिन रात काटनी मुश्किल हो जाती थी. रोज रात को दोनों सोचते कि कल अपने दिल की बात जरूर कह देंगे. लेकिन सुबह होने पर हिम्मत नहीं पड़ती. दोनों एकदूसरे के नजदीक आते तो उन के दिलों की धड़कन इतनी तेज हो जाती कि दिल की बात जुबां पर आ ही नहीं पाती. होंठों पर जीभ फेरते हुए दोनों अपनेअपने रास्ते चले जाते.

आखिर जब रहा और सहा नहीं गया तो आयुष्मान ने अपने दिल की बात कहने का वही पुराना तरीका अख्तियार करने का विचार किया, जिसे अकसर इस तरह के प्रेमी इस्तेमाल करते आ रहे हैं. उस ने अपने दिल की बेचैनी एक कागज पर लिख कर प्राची तक पहुंचाने का विचार किया. रोज की तरह उस दिन भी प्राची कालेज के लिए निकली तो आयुष्मान अपनी निश्चित जगह पर उस का इंतजार करता दिखाई दिया. जैसे ही प्राची उस के नजदीक पहुंची, उस ने रात में लिखा वह प्रेमपत्र प्राची के सामने धीरे से फेंक दिया और बिना नजरें मिलाए चला गया.

प्राची ने इधरउधर देखा और फिर डरतेडरते वह कागज चुपके से उठा कर अपने बैग में डाल लिया. कालेज पहुंचते ही सब से पहले एकांत में जा कर उस ने उस कागज को निकाला. उस की जिज्ञासा उस कागज में लिखे मजमून पर थी.

उस ने उस कागज को जल्दी से खोला. उस में लिखा था—

‘प्रिय प्राची,

मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मुझे मालूम है कि तुम भी मुझे उतना ही प्यार करती हो, फिर भी मैं तुम से यह बात कहने की हिम्मत नहीं कर सका. तुम्हारे करीब पहुंचते ही पता नहीं क्यों शब्द ही जुबान से नहीं निकलते. इसीलिए दिल की बात इस कागज पर लिख कर भेज रहा हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हारे मन में भी वही सब है, जो मेरे मन में है. फिर भी एक बार जानना चाहता हूं. तुम भी अपने दिल की बात इसी तरह कागज पर उतार कर मुझ तक पहुंचा सकती हो.

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