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गड्ढा खुदवाने के बाद सोनू ने अपने जिगरी दोस्त बंटी को फोन कर के घर बुला लिया.  बंटी जैसे ही सोनू के घर पहुंचा तो सोनू उस के दोनों पैर पकड़ कर रोने लगा.

रोतेरोते उस ने बंटी को बताया, ‘‘मेरी बीवी मुझे बहुत तंग कर रही थी, इस वजह से मैं ने उसे हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा दिया. दोस्त मेरी मदद करो, इन लाशों को ठिकाने लगाना है.’’

बंटी बुरी तरह घबरा गया, उसे कुछ नहीं सूझ रहा था. मगर सोनू ने उसे दोस्ती का वास्ता दे कर उस की मदद करने की गुहार लगाई तो उस ने तीनों लाशों को कमरे से निकाल कर आंगन में बने गड्ढे में डलवा दिया.

दोनों ने तीनों के शव गड्ढे में लिटा कर मिट्टी डाल कर दफना दिए. ऊपर से सीमेंट का प्लास्टर कर दिया. बड़ी बात यह कि 3 हत्याएं कर शव बरामदे में दफन करने के बाद भी सोनू उसी मकान में बेखौफ रह रहा था.

सोनू के पिता राजेश तलवाड़ी रेलवे में नौकरी करते थे. उसी दौरान पीएंडटी कालोनी में रहने वाली सुलताना बेगम से उन्हें प्रेम हो गया तो राजेश ने उस से शादी कर ली. शादी के बाद सोनू का जन्म हुआ.

सोनू जैसेजैसे जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था, उस के कदम भी बहकने लगे थे. उस का ध्यान पढ़ाईलिखाई पर कम, लड़कियों के चक्कर काटने में ज्यादा लगता था.

उस की सोहबत ठीक न होने के कारण वह 20 साल की उम्र में ही शराब और कबाब का आदी हो चुका था. गलीमोहल्ले में लड़कियों से इश्क के उस के किस्से मशहूर होने लगे तो मातापिता उसे समझाते, मगर उस पर कोई असर नहीं होता था.

जब कभी पिता राजेश तलवाड़ी उस की इन हरकतों पर टोकते तो वह उन्हें ही खरा जबाब दे कर कहता, ‘‘आप ने भी तो इश्कबाजी कर लव मैरिज की थी, फिर मुझे क्यों रोकते हो.’’

सोनू का जबाब सुन कर पिता राजेश चुप हो जाते. परेशान हो कर सोनू की मां सुलताना ने सुझाव दिया कि जल्द ही कोई लड़की देख कर इस का निकाह कर देते हैं, शायद शादी के बाद वह सुधर जाए.

राजेश को अपनी बीवी की यह सलाह पसंद आई और उन्होंने लड़की की तलाश शुरू कर दी. 2011 में सुलताना के दूर के रिश्ते की खाला की लड़की नगमा से सोनू उर्फ सलमान का निकाह हो गया.

शादी के बाद भी सोनू की शराबखोरी और अय्याशी की आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ, उल्टा सोनू शराब पी कर नगमा के साथ बदसलूकी करने लगा. कुछ दिनों तक तो नगमा चुपचाप सहती रही, मगर शादी के करीब साल भर बाद वह अपने पीहर चली गई. सोनू ने अदालत में तलाक की अरजी लगा दी.

सोनू को निशा से हुआ प्रेम

इधर सोनू दूसरी लड़कियों पर डोरे डालने लगा. सोनू के घर से कुछ ही दूरी पर निशा बौरासी रहती थी. गोरे रंग, तीखे नाकनक्श वाली निशा खूबसूरत लड़की थी, जिस के पीछे कालोनी के लड़के उस की एक झलक पाने को लालायित रहते थे. निशा कालोनी के सिलाई सेंटर पर सिलाई सीखने जाती थी.

रास्ते में आतेजाते सोनू से उस की जानपहचान हो गई. एक दिन शाम के समय सोनू निशा का पीछा करते हुए गली के एकांत में उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘आई लव यू निशा.’’

निशा सोनू की इस हरकत पर पहले तो सकपका गई और हाथ छुड़ा कर बोली, ‘‘सोनू ये क्या कर रहे हो, किसी ने देख लिया तो?’’

‘‘जब प्यार किया तो डरना क्या. मैं तुम से बेपनाह मोहब्बत करता हूं निशा. तुम्हें देखे बिना मुझे चैन नहीं मिलता.’’ सोनू तलवाड़ी निशा का हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला.

‘‘सोनू, प्यार तो मैं भी तुम्हें करती हूं, मगर मुझे पता है कि घर वाले हमारे प्यार को परवान नहीं चढ़ने देंगे. इसलिए मन मसोस कर रह जाती हूं.’’ निशा भी अपने प्यार का इजहार करते हुए बोली.

इस तरह सोनू और निशा की प्रेम कहानी का आगाज हुआ तो उन के प्यार की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगी. जब कभी दोनों को एकांत मिलता, वे घंटों मीठीमीठी बातें करते.

कहते हैं कि प्यार को चाहे लाख छिपाने की कोशिश की जाए, मगर ये छिपता कहां है. ऐसा इन के साथ भी हुआ. आखिरकार, दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी निशा बौरासी के घर वालों तक पहुंच गई.

पत्नी के रहते हुए रहने लगा निशा के साथ

निशा के पिता छोटेलाल बौरासी भी रेलवे में नौकरी करते थे. उन्होंने सोनू के घर जा कर उस के पिता राजेश से इस संबंध में बात की तो राजेश ने हाथ खड़े करते हुए कहा, ‘‘देखो भाई छोटेलाल, हम दोनों साथसाथ नौकरी करते हैं, इसलिए मेरी हमदर्दी तुम्हारे साथ है. मगर हम लाचार हैं क्योंकि सोनू हमारी एक नहीं सुनता.’’

‘‘लेकिन भाईसाहब, हमारी तो पूरी कालोनी में बदनामी हो रही है. हम तो निशा की शादी सोनू के साथ कर दें, मगर पूरी कालोनी जानती है कि सोनू कुछ कामधंधा तो करता नहीं, आखिर क्या खिलाएगा निशा को? मैं अपनी बेटी की जिंदगी इस तरह बरबाद नहीं होने दूंगा.’’ छोटेलाल रुआंसा हो कर बोला.

‘‘मैं भी नहीं चाहता कि सोनू जैसा मेरा नालायक बेटा तुम्हारी बेटी का हाथ थामे. नशे की लत ने उसे किसी काम का नहीं छोड़ा है. तुम तो किसी तरह अच्छा सा लड़का देख कर निशा के साथ पीले कर दो.’’ राजेश ने छोटेलाल को मशविरा दिया.

वक्त गुजरने के साथ 2014 में छोटेलाल ने निशा की शादी उत्तर प्रदेश के अपने पुश्तैनी गांव में पक्की कर दी. छोटेलाल शादी के लिए अपनी बेटी को ले कर ट्रेन से गांव जा रहे थे, उसी दौरान रात के समय छोटेलाल और उस के घर वालों को नींद आ गई और निशा ट्रेन से उतर कर वापस रतलाम आ गई.

रतलाम आ कर निशा अपने प्रेमी सोनू के साथ रहने लगी. सोनू निशा को  ले कर परिवार से अलग रहने लगा. इसी दौरान सोनू के मातापिता की मौत हो गई और सोनू को रेलवे में पिता की जगह अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिल गई.

रेलवे में नौकरी लगते ही सोनू को अपनी पत्नी निशा से एक बेटा और एक बेटी भी हुई. समय के साथ सोनू ने कनेर रोड पर बन रही विंध्यवासिनी कालोनी में प्लौट खरीद कर मकान बना लिया.

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