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मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में कनेरी रोड पर एक नई आवासीय कालोनी है, जिसे विंध्यवासिनी ड्रीम सिटी के नाम से जाना जाता है. नई कालोनी होने की वजह से दूरदूर मकान बने हुए हैं. कालोनी में एक ऐसा ही एकांत में मकान सोनू तलवाड़ी का भी था.

33 साल की उम्र का सोनू रेलवे में ट्रैकमैन था. सोनू के पिता राजेश कुमार भी रेलवे में नौकरी करते थे. कुछ साल पहले पिता की मौत हो जाने से सोनू को रेलवे में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मिल गई थी.

सोनू अपनी पत्नी निशा, 7 साल के बेटे अमन और 4 साल की बेटी खुशी के साथ यहां रह रहा था. कालोनी में वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अकसर चहलकदमी करते लोगों को मिलता था और आसपास रहने वाले लोगों से भी उस की बातचीत होती रहती थी.

पिछले एकडेढ़ महीने से कालोनी के लोगों को सोनू की पत्नी निशा और बच्चे दिखाई नहीं दे रहे थे. एक दिन कालोनी में रहने वाले उस के पड़ोसी ने आखिर सोनू से पूछ ही लिया, ‘‘सोनू भाई, आजकल घर पर निशा भाभी और बच्चे दिखाई नहीं दे रहे.’’

तो सोनू ने जबाब दिया, ‘‘अरे भाई,  क्या बताऊं आप को, बीवी नाराज हो कर बच्चों के साथ अपने मायके चली गई है.’’

‘‘भाभी से बातचीत करो और उन्हें किसी तरह मना कर घर बुला लो, बिना बच्चों के घर सूना लगता है.’’ पड़ोसी ने समझाइश देते हुए कहा.

‘‘हां भैया, जल्द ही मैं उसे और बच्चों को घर वापस ले कर आऊंगा.’’ सोनू ने पड़ोसी को आश्वस्त करते हुए कहा.

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