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30 वर्षीय रविंद्र महतो उर्फ रवि मूलरूप से झारखंड के गुमला शहर में स्थित गुमला थाने के अंतर्गत पतिया मोहल्ले का रहने वाला था. पत्नी पूनम और 2 बच्चे यही उस का परिवार था. अपने इस छोटे से परिवार में वह बेहद खुश था. प्राइवेट नौकरी थी, जितना कमाता था उस से परिवार का पालनपोषण आराम से हो जाता था.

जिस गांव में रविंद्र रहता था, उसी में कौशल्या भी रहती थी. वह विधवा थी. उस के पति की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी थी. यह बात रविंद्र को पता थी.

जवानी में ही कौशल्या के सिर से पति का साया उठ गया था, यह बात रविंद्र को बहुत खलती थी. खलती इसलिए भी थी क्योंकि कौशल्या का पति उस के बचपन का दोस्त था. एक साथ पलेबढ़े और खेलेकूदे फिर वही उस का साथ छोड़ कर चल गया, यह बात सोचसोच कर रविंद्र का मन दुखी हो जाता था तो कौशल्या कितना दुखी होती होगी, इस की कल्पना ही की सकती है.

कौशल्या के जख्म पर सहानुभूति का मरहम लगातेलगाते कब रविंद्र खुद घायल हो गया, उसे पता ही नहीं चला. उसे अहसास तब हुआ जब वह कौशल्या से अलग होता था. वह उसे अपने आसपास होने को महसूस करता था. वह जब उस के पास नहीं होती थी तो उस के लिए बेचैन सा रहता था. यानी उसे कौशल्या से प्यार हो गया था.

कौशल्या एक विधवा थी. रविंद्र महतो के उस के प्रति आकर्षित होने की बात पता चल चुकी थी. वह यह भी जानती थी कि रविंद्र शादीशुदा है और उस के 2 बच्चे भी हैं. वह भी खुद को रोक नहीं सकी और उस की बांहों में झूल गई. दोनों ने एकदूसरे से अपने प्रेम का इजहार कर दिया.

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