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शराबी पति नहीं कर रहा था कद्र

हेमा पति से कहती थी, यदि वह शराब पीना छोड़ दे तो काफी पैसे बच जाएंगे, जिसे जोड़ कर वह अपना घर बना लेंगे. लेकिन सुरेश की दारू पीने की लत नहीं छूट रही थी. न वह यह छोड़ने वाला था.

वह हेमा को समझाता था, ‘‘फैक्ट्री में हाड़तोड़ मेहनत करने के कारण मेरा सारा शरीर बुरी तरह टूटने लगता है. 2 घूंट शराब पीने से मेरी थकान भी उतर जाती है और नींद भी अच्छी आती है. क्या तुम चाहती हो कि मैं शराब छोड़ दूं और थका बदन ले कर घर में पड़ा रहूं?’’

‘‘ना जी, तुम घर में पड़े रहोगे तो घर का खर्च कैसे पूरा होगा, बच्चे कैसे पढ़लिख पाएंगे? तुम शराब पीते हो तो कम पिया करो, इस से तुम्हारी सेहत ठीक रहेगी. मेरा तो बस यही कहना है.’’

‘‘कम तो पीता हूं हेमा. दूसरे शराबियों की तरह इतनी कहां पीता हूं कि पी कर किसी नाली में पड़ा रहूं.’’

‘‘देखो जी, अगर मैं तुम्हारे हाथपांव दबाऊं और रात को तुम्हारा पहलू गरम करूं तो क्या तुम्हारी थकान नहीं उतरेगी.’’ हेमा ने तर्क रखा.

‘‘अब तुम्हारे बदन में वह लोच, वह कसाव कहां रह गया है, जो मुझे पूरी संतुष्टि दे सके. 2 बच्चों की मां बन गई हो हेमा रानी, अब मेरी थकान तुम नहीं उतार सकती.’’ वह हंस कर कहता.

पति की इस बात पर हेमा गुर्रा पड़ती, ‘‘बस, यही मत कहा करो, 2 बच्चों की मां बन गई हूं लेकिन अभी मेरी देह में इतना आकर्षण है कि तुम्हारे जैसे लाखों को मैं पानी पिला सकती हूं और अपने सामने गिड़गिड़ाने को मजबूर कर सकती हूं.’’

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