कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

अनुराधा राजस्थान के सीकर जिले के अलफासर गांव की रहने वाली है. बचपन में अनुराधा को परिवार वाले 'मिंटू’ कह कर बुलाते थे. वह 2 भाइयों से होनहार थी.  उस के पिता रामदेव महला पीडब्लूडी विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर काम करते थे.

पिता पढ़ाई के लिए तीनों बच्चों को ले कर फतेहपुर के चमडिय़ा कालोनी के पास रहते थे. चमडिय़ा स्कूल के बाद सीकर के लक्ष्मणगढ़ के मोदी कालेज में एडमिशन मिल गया था.

उन्होंने चमडिय़ा कालेज से बीसीए यानी कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रैजुएशन की पढ़ाई की है. इस के बाद उन्होंने उस में एमबीए की पढ़ाई की. कालेज की पढ़ाई के दौरान साल 2006 में उस की दोस्ती दीपक मिंज से हुई थी. बाद में दोनों ने 2007 में शादी कर ली थी.

शादी के बाद अपने पति दीपक मिंज के साथ सीकर में शेयर ट्रेडिंग करने लगी थी. पतिपत्नी ने मिल कर अच्छा पैसा कमाना शुरू कर दिया था. पैसे आने लगे तो दोनों ने मिल कर लोगों के लाखों रुपए शेयर में लगवा दिए. अचानक कइयों के शेयर डूब गए और ये धंधा चौपट हो गया, जिस से उन पर लोगों का कर्ज भी चढ़ गया.

अनुराधा अचानक लाखों रुपए के कर्ज में डूब गई. उस पर कर्ज का दबाव इतना बढ़ गया कि उस का जीना दूभर हो गया. उस ने कर्ज से मुक्ति पाने के लिए अपराध जगत का सहारा लिया. कर्ज तो उतर गया पर कब वह अपराध के दलदल में फंसती चली गई, पता ही नहीं चला.

शेयर ब्रोकर से लेडी डौन कैसे बनी अनुराधा

दरअसल, वह कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही आनंदपाल के संपर्क में आई थी. हिस्ट्रीशीटर बलबीर बानूड़ा ने अनुराधा की मुलाकात गैंगस्टर आनंद पाल से करवाई थी. उस ने आनंदपाल के ठेठ पहनावे और बोलचाल को बदल डाला. यहां तक की उसे अंगरेजी बोलनी भी सिखाई. इधर इस के बदले में आनंदपाल ने उसे एके 47 चलानी सिखा दी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...