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यूपी के कई जिलों में विकास दुबे के खिलाफ 60 मामले चल रहे थे. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम रखा हुआ था. लेकिन सामने होने पर भी उसे कोई नहीं पकड़ता था.

कानपुर नगर से ले कर देहात तक में विकास दुबे की सल्तनत कायम हो चुकी थी. पंचायत, निकाय, विधानसभा से ले कर लोकसभा चुनाव के वक्त नेताओं को बुलेट के दम पर बैलेट दिलवाना उस का पेशा बन गया था. विकास दुबे के पास जमीनों पर कब्जे, रंगदारी, ठेकेदारी और दूसरे कामधंधों से इतना पैसा एकत्र हो गया था कि उस ने एक ला कालेज के साथ कई शिक्षण संस्थाएं खोल ली थीं.

बिकरू, शिवली, चौबेपुर, शिवराजपुर और बिल्हौर ब्राह्मण बहुल क्षेत्र हैं. यहां के युवा ब्राह्मण लड़के विकास दुबे को अपना आदर्श मानते थे. गर्म दिमाग के कुछ लड़के अवैध हथियार ले कर उस की सेना बन कर साथ रहने लगे थे. आपराधिक गतिविधियों से ले कर लोगों को डरानेधमकाने में विकास इसी सेना का इस्तेमाल करता था.

अपने गांव में विकास दुबे ने एनकाउंटर के डर से पुलिस पर हमला कर के 8 जवानों को शहीद तो कर दिया लेकिन वह ये भूल गया कि पुलिस की वर्दी और खादी की छत्रछाया ने भले ही उसे संरक्षण दिया था, लेकिन जब कोई अपराधी खुद को सिस्टम से बड़ा मानने की भूल करता है तो उस का अंजाम मौत ही होती है.

बिकरू गांव में पुलिस पर हमले के बाद थाना चौबेपुर में 3 जुलाई को ही धारा 147/148/149/302/307/394/120बी भादंवि व 7 सीएलए एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. साथ ही विकास दुबे के साथ उस के गैंग का खात्मा करने के लिए लंबीचौड़ी टीम बनाई गई थी. इस टीम को जल्द से जल्द औपरेशन विकास दुबे को अंजाम तक पहुंचाने के आदेश दिए गए.

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