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सुनील चौहान ने मेजर द्विवेदी को लाश के फोटो भी दिखाए, जिन्हें मेजर द्विवेदी ने गौर से देखा. वह उन की पत्नी शैलजा ही थी. मेजर अमित की आंखों से आंसू टपकने लगे. उन्होंने इंसपेक्टर चौहान से डेडबौडी देखने को कहा.

थानाप्रभारी मेजर अमित द्विवेदी और उन के साथियों को दीनदयाल अस्पताल ले गए, वहां उन्होंने मेजर को वह लाश दिखाई जो बरार स्क्वायर की मुख्य सड़क पर मिली थी. लाश देखते ही मेजर द्विवेदी रोने लगे. उन्होंने लाश की शिनाख्त अपनी पत्नी शैलजा द्विवेदी के रूप में कर दी.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने राहत की सांस ली. मेजर द्विवेदी जब अस्पताल से निकल कर पार्किंग की ओर जा रहे थे तो उन्होंने पार्किंग में मेजर निखिल हांडा को अपनी कार के पास खड़े देखा.

मेजर हांडा वैसे तो अमित द्विवेदी का दोस्त था, लेकिन किसी वजह से अब उन के बीच पहले जैसे संबंध नहीं रहे थे. हांडा ने मेजर द्विवेदी और उन के साथियों को देख लिया था, इस के बावजूद उन के पास नहीं आया, बल्कि नजरें चुराने लगा. मेजर द्विवेदी ने मन ही मन सोचा जरूर कि हांडा यहां क्यों आया है? लेकिन इस बात को महत्त्व नहीं दिया.

मेजर अमित ने उस से बात नहीं की और सुनील चौहान के साथ थाने लौट आए. पुलिस पहले ही अज्ञात हत्यारे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर चुकी थी. थानाप्रभारी ने मेजर द्विवेदी से पूछा कि क्या उन्हें इस हत्या को ले कर किसी पर कोई शक है. लेकिन मेजर ने इस बात से इनकार कर दिया.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए डीसीपी विजय कुमार ने इसे सुलझाने के लिए एसीपी (विकासपुरी) सोमेंद्र पाल त्यागी एसीपी (पंजाबी बाग) सुरेंद्र कुमार, आनंद सागर, थानाप्रभारी (नारायणा) सुनील चौहान, थानाप्रभारी (पंजाबी बाग) राजीव भारद्वाज, थानाप्रभारी (कीर्तिनगर) अनिल शर्मा, थानाप्रभारी (इंद्रपुरी) राममेहर, स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर जयप्रकाश और साइबर सैल के इंसपेक्टर मनोज कुमार को अपने औफिस बुलवा कर उन के साथ मीटिंग की.

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