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सर्विलांस टीम निखिल के मोबाइल नंबर पर नजर रखे हुई थी. निखिल अपने मोबाइल को स्विच्ड औफ किए हुए था. 23-24 जून की रात को उस ने 58 सैकेंड के लिए फोन औन कर के किसी से बात की थी. उस समय उस की लोकेशन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के पास थी.

फिर सुबह होने पर उस ने कुछ देर के लिए मोबाइल खोला. उस लोकेशन के आधार पर पता चला कि वह दिल्ली से मेरठ की तरफ गया है. लिहाजा पुलिस की टीमें मेरठ के लिए रवाना कर दी गईं.

दिल्ली में बैठी सर्विलांस टीम को मेजर निखिल हांडा की जो भी लोकेशन पता चलती, वह उसे मेरठ में मौजूद टीमों को बता देती थी. इस तरह दिल्ली पुलिस मेजर निखिल का पीछा करती रही. आखिर 24 जून की दोपहर को उसे दौराला के पास टोल प्लाजा से हिरासत में ले लिया. पुलिस उसे ले कर दिल्ली लौट आई.

पुलिस ने उस की होंडा सिटी कार की तलाशी ली तो उस में एक चाकू मिला. इस के अलावा उस के टायरों पर भी खून के निशान थे. इस से पुलिस को यकीन हो गया कि शैलजा का हत्यारा वही है. मेजर निखिल हांडा को गिरफ्तारी की बात सुन कर डीसीपी विजय कुमार भी नारायणा थाने पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में थानाप्रभारी सुनील चौहान ने मेजर निखिल हांडा से शैलजा द्विवेदी की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने अनभिज्ञता जाहिर की. उस से जब उस के टायरों पर लगे खून के निशान के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस की कार से सड़क पार कर रहे एक कुत्ते का एक्सीडेंट हो गया था.

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