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हत्याकांड से परदा उठने के बाद दूसरा आरोपी सर्वेश फरार हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए उस पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. क्या है 6 टुकड़ों में बंटी आराधना प्रजापति की हत्या का सच? आइए, जानते हैं दिल दहला देने वाली कहानी को—

आराधना जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल में मंजू यादव भी पढ़ती थी. दोनों एक ही क्लास में पढ़ती थीं. भले ही घर से आने और जाने के उन के रास्ते अलगअलग थे, लेकिन दोनों साथ ही आते और जाते थे. इतनी गहरी दोस्ती दोनों के बीच में बचपन से ही थी.

मंजू यादव आजमगढ़ जिले के अहरौला थाने के कठही गांव की रहने वाली थी. मंजू से बड़ा भाई था, उस का नाम प्रिंस यादव था. पिता राजाराम यादव किसान थे. कुल मिला कर 5 सदस्यों का परिवार था. वे एक मध्यवर्गीय परिवार में जीते थे लेकिन साधनसंपन्न थे. भौतिक वस्तुओं से घर भरा पड़ा था किसी चीज की कमी नहीं थी.

बहरहाल, मंजू और आराधना हमउम्र थीं. चूंकि दोनों बचपन की सहेलियां थीं और सहपाठी भी, अकसर दोनों एकदूसरे के घर आयाजाया करती थीं. घर वाले ही नहीं, पासपड़ोस वाले भी उन की जिगरी दोस्ती देख कर फख्र करते थे.

बात घटना से 2 साल पहले यानी सन 2020 की है. आराधना 18 साल की होने वाली थी. इस उम्र तक युवतियों के अंगअंग से खुशबू उठने लगती है. आसपास के मदमस्त भौरे फूलों का रस चूसने को बेताब रहते हैं. उन्हीं आवारा भौरों में से एक प्रिंस यादव भी था, जो आराधना को पाने के लिए बेताब था.

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