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उन्नाव जिले के गांव हरचंदपुर के रहने वाले रफीक के परिवार में पत्नी रेहाना के अलावा 2 बेटे थे  और 2 बेटियां. खेतीकिसानी के काम में ज्यादा आय न होने के बावजूद रफीक चाहते थे कि उन के बच्चे पढ़लिख कर किसी लायक बन जाएं. इसीलिए उन्होंने अपनी बड़ी बेटी सोफिया को पढ़ाने में कोई कोताही नहीं की थी. सोफिया हाईस्कूल कर के आगे की पढ़ाई कर रही थी. उसे चूंकि स्कूल जाना होता था, इसलिए रफीक ने उसे मोबाइल फोन ले कर दे दिया था, ताकि वक्तजरूरत पर घर से संपर्क कर सके. नातेरिश्तेदारों के फोन भी उसी फोन पर आते थे.

जैसा कि आजकल के बच्चे करते हैं, फोन मिलने के बाद सोफिया का ज्यादातर वक्त फोन पर ही गुजरने लगा. सहेलियों को एसएमएस भेजना, उन से लंबीलंबी बातें करना उस की आदत में शुमार हो गया. यहां तक कि उस के मोबाइल पर कोई मिसकाल भी आती तो वह उस नंबर पर फोन कर के जरूर पूछती कि मिसकाल किस ने दी.

एक दिन सोफिया के फोन पर एक मिसकाल आई तो उस ने फोन कर के पूछा कि वह किस का नंबर है. वह नंबर लखनऊ के यासीनगंज स्थित मोअज्जम नगर के रहने वाले सचिन का था. उस ने सोफिया को बताया कि किसी और का नंबर लगाते वक्त धोखे से उस का नंबर मिल गया होगा और काल चली गई होगी.

बातचीत हुई तो सचिन ने सोफिया को अपना नाम ही नहीं, बल्कि यह भी बता दिया कि वह लखनऊ के मोअज्जमनगर का रहने वाला है. बात हालांकि वहीं खत्म हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सोफिया को सचिन की बातें इतनी अच्छी लगीं कि उस ने उस का नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लिया.

सचिन को भी सोफिया से बात करना अच्छा लगा था. इसलिए उस ने भी बिना नाम के ही उस का नंबर अपने मोबाइल फोन में सेव कर लिया था. करीब एक हफ्ते बाद अचानक सचिन का फोन आया तो मोबाइल स्क्रीन पर उस का नाम देख कर सोफिया खुशी से उछल पड़ी. उस ने काल रिसीव की तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘मैं सचिन बोल रहा हूं. पहचाना मुझे?’’

‘‘तुम्हारा नंबर मेरे मोबाइल में सेव है.’’ सोफिया ने खुश हो कर कहा, ‘‘तुम्हारी आवाज सुनने से पहले ही पता चल गया था कि तुम हो. कहो, कैसे हो सचिन?’’

‘‘अरे वाह, तुम ने मेरा नंबर सेव कर रखा है. मैं तो डर रहा था कि कहीं बुरा न मान जाओ. इसलिए फोन भी नहीं किया.’’ सचिन ने कहा तो सोफिया बोली, ‘‘बुरा क्यों मानूंगी, तुम ने ऐसा कुछ तो कहा नहीं था, जो बुरा मानने लायक हो.’’

सोफिया की खुशी से खनकती आवाज सुन कर सचिन को लगा कि लड़की उस से बातचीत करने में रुचि ले रही है. इसलिए उस ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए कहा, ‘‘मैं खुशनसीब हूं, जो तुम ने मेरे दोबारा फोन करने का बुरा नहीं माना. पर हो सकता है, अब बुरा मान जाओ.’’

‘‘क्यों, मैं भला बुरा क्यों मानूंगी?’’

‘‘इसलिए कि मैं यह जानना चाहता हूं कि मैं जिस से बात कर रहा हूं, उस का नाम क्या है. बोलो, बताओगी?’’

‘‘इस में बुरा मानने की क्या बात है. मेरा नाम सोफिया है और मैं उन्नाव के गांव हरचंदपुर की रहने वाली हूं.’’

‘‘जब इतना बता दिया है तो फिर यह भी बता दो कि करती क्या हो, दिखती कैसी हो? और भी कुछ बताना चाहो तो वह भी.’’ सचिन ने सोफिया को बातों के जाल में उलझाने के लिए कहा तो सोफिया हलकी सी हंसी के साथ बोली, ‘‘मैं हाईस्कूल कर चुकी हूं, आगे पढ़ रही हूं. मुझे फोन पर बात करना बहुत अच्छा लगता है. रही बात दिखने की तो मेरी आवाज से खुद ही अंदाजा लगा लो कि मैं कैसी दिखती हूं.’’

‘‘तुम्हारी आवाज और मेरा दिल, दोनों ही एक बात कह रहे हैं कि तुम बहुत खूबसूरत होगी. खूबसूरत आंखें, गोरा रंग, छरहरा बदन.’’ सचिन ने कहा तो सोफिया हंसते हुए बोली, ‘‘तुम ज्योतिषी हो क्या? बिना देखे ही मेरे बारे में सारी बातें पता चल गईं.’’

सोफिया की इस बात से सचिन को उस में और भी दिलचस्पी बढ़ गई. वह उस से लंबी बात करना चाहता था. लेकिन सोफिया को स्कूल जाना था. इसलिए उस ने सचिन से कहा, ‘‘अभी नहीं, पढ़ाई भी जरूरी है. फोन करना हो तो रात में करना. तब आराम से बात हो जाएगी.’’

रात को फोन करने की बात सुन कर सचिन मन ही मन खिल उठा. उस का वह दिन बड़ी बेचैनी से गुजरा. रात हुई तो उस ने सोफिया को फोन किया. सोफिया सचिन के ही फोन का इंतजार कर रही थी. उसे पूरा यकीन था कि वह फोन जरूर करेगा. उस ने सचिन से बड़े प्यार से बात की. प्यार की सही परिभाषा को न समझने वाला उस का किशोर मन समझ रहा था कि सचिन उसे प्यार करने लगा है. इसलिए वह प्यार की ही बातें करना चाहती थी.

उस रात बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर आगे बढ़ता ही गया. अब सोफिया रात को रोजाना उस के फोन का इंतजार करती थी. इस के लिए दोनों के बीच समय तय था.

कामकाज से निपट कर रात में जैसे ही वह अपने कमरे में जाती, सचिन का फोन आ जाता. वह कानों में ईयरफोन लगा कर उस से देर तक बातें करती रहती. अब रात में वह अपना फोन साइलेंट मोड पर रखने लगी थी. उधर सचिन जो भी कमाता था, उस में से उस का ज्यादातर पैसा फोन पर ही खर्च होने लगा था.

एक दिन बातों ही बातों में सचिन ने कहा, ‘‘सोफिया, मुझे तुम से प्यार हो गया है. अब मैं तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊंगा.’’

दरअसल इस बीच सोफिया की बातों से सचिन ने अंदाजा लगा लिया था कि जब तक वह सोफिया से प्यार की बात नहीं करेगा, वह उस के चंगुल में नहीं फंसेगी. इसीलिए उस ने यह चाल चली थी.

सोफिया तो कब से उस के मुंह से यही सुनने को तरस रही थी. वह बोली, ‘‘सचिन, जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं भी तुम से यही बात कहना चाहती थी. पर समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे कहूं. मैं गांव की रहने वाली सीधीसादी लड़की हूं. जबकि तुम शहर में रहते हो. सोचती थी कि मेरे बारे में पता नहीं क्या समझ बैठोगे, इसलिए कह नहीं पा रही थी. मैं भी तुम से उतना ही प्यार करती हूं, जितना तुम मुझ से करते हो.’’

सोफिया और सचिन भले ही दूरदूर रहते थे, पर दोनों अपने को एकदूसरे के बहुत करीब महसूस करते थे. बातों ने उन के बीच की सारी दूरियां मिटा दी थीं. सोफिया और सचिन को लगने लगा था कि अब वे एकदूसरे के बिना नहीं रह पाएंगे.

नादान सोफ़िया कैसे फंसी शातिर सचिन के जाल में? पढ़िए कहानी के अगले भाग में.

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