लेखक - शंभु शरण सत्यार्थी
Bihar News: बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करते समय अलगअलग जाति के राहुल मंडल और तनुप्रिया झा न सिर्फ एकदूसरे को दिल दे चुके थे, बल्कि कोर्ट मैरिज भी कर ली. तनुप्रिया के फेमिली वालों को यह बात इतनी नागवार लगी कि...
बिहार के सुपौल जिले का तुलापट्टी गांव, जहां खेतों की हरियाली और कोसी नदी की शांति जीवन को एक सादगी भरा रंग देती है, एक ऐसी त्रासदी का गवाह बना, जिस ने न केवल एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि भारतीय समाज में गहरे जड़ जमाए जातिगत भेदभाव की क्रूर सच्चाई को भी उजागर किया.

यह कहानी राहुल कुमार मंडल और तनु प्रिया की प्रेम कहानी है. एक ऐसी कहानी, जो प्रेम की पवित्रता और समाज की रूढिय़ों के बीच टकराव की मार्मिक गाथा है. यह न केवल एक हत्याकांड की सच्चाई को बयान करती है, बल्कि उन सामाजिक पूर्वाग्रहों पर भी सवाल उठाती है, जो आज भी प्रेम और इंसानियत को कुचल देते हैं. इस कहानी को जातिगत भेदभाव के व्यापक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठक समाज की इस बीमारी को गहराई से समझ सकें.
तुलापट्टी गांव की संकरी गलियों में गणेश मंडल का घर मेहनत और सादगी की मिसाल था. गणेश एक छोटेमोटे किसान, अपनी छोटी सी जमीन पर खेती कर के परिवार का गुजारा करते थे. उन की पत्नी सुशीला घर की धुरी थीं, जिन का एकमात्र सपना अपने इकलौते बेटे राहुल कुमार मंडल को पढ़ालिखा कर बड़ा आदमी बनाना था. राहुल, जो अतिपिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से था, बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल था. गांव के स्कूल में उस की मेहनत की चर्चा हर जुबान पर थी. शिक्षक अकसर कहते कि राहुल इस गांव का गौरव बनेगा.






