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दरअसल, पुलिस ने जब शव की जांच की तो देखा कि मृत युवती के शरीर पर जो ड्रेस है वह जुडियो कंपनी की ड्रेस है और काफी महंगे ब्रांड की है. इसी से लगा कि महिला कोई सामान्य परिवार की नहीं हो सकती. क्योंकि इतने महंगे ब्रांड की ड्रेस कोई साधारण परिवार की लड़की नहीं पहन सकती. जब जानकारी एकत्र की गई तो पता चला कि इस ब्रांड की ड्रेस बेचने वाले शहर में 2 ही शोरूम हैं. अगर वहां से इसे खरीदा गया होगा तो अवश्य ही कोई जानकारी मिलेगी.

पुलिस की चौथी टीम को मृतका की शिनाख्त का काम सौंपा गया.

240 वाहनों में से 18 पाए गए संदिग्ध

इधर जब पुलिस की तीसरी टीम ने जुडियो ब्रांड के शोरूम जाखन व किशन नगर से जानकारी हासिल की तो पाया गया कि उक्त  दोनों शोरूम से बिलकुल उसी तरह की 8 ड्रेस बिकी हैं. पुलिस ने उन सभी ड्रेस के खरीदारों के बिल, फोन नंबर और नामपते हासिल कर लिए तथा एकएक कर उन से जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी.

पुलिस की पहली टीम तो घटनास्थल के आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही थी, उसे लगभग 300 मीटर की दूरी पर बने एक ग्रामीण के घर में पूछताछ करने पर पता चला कि घटना 9 और 10 सितंबर की रात में हुई है. उस घर में रहने वाले पंकज पटवाल ने बताया कि रात करीब 11 बजे के लगभग जब वह अपनी गाड़ी से उस रास्ते से हो कर अंदर आया था, तब तक वहां कोई लाश नहीं थी. इस का मतलब साफ था कि वारदात रात 11 बजे के बाद ही हुई है.

raipur police inspect at murder spot

लिहाजा पुलिस की दूसरी टीम ने रात 11 बजे से अलसुबह 4  बजे तक महाराणा प्रताप चौक से थानो रोड की ओर जाने वाले व थानो रोड से महाराणा प्रताप चौक की ओर आने वाले सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करनी शुरू कर दी.

पुलिस की टीमों ने उसी दिन करीब 100 सीसीटीवी कैमरे खंगाले और थानो रोड से महाराणा प्रताप चौक की ओर रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक आनेजाने वाले करीब 240 वाहनों की एक लिस्ट बनाई, जो इस दौरान इस रास्ते से गुजरे. पुलिस टीम द्वारा लगातार चेक किए गए वाहनों के आनेजाने के समय का आंकलन शुरू किया तो 18 वाहन ऐसे पाए गए, जिन के समय में संदिग्धता पाई गई.

पुलिस टीम ने कड़ी मेहनत के बाद इन सभी चौपहिया वाहनों के नंबर और वाहन मालिकों के पते हासिल किए तथा उन के पते तस्दीक किए गए. वाहनों के मालिकों से एकएक कर जानकारी लेनी शुरू कर दी.

इसी जांच के दौरान पुलिस टीम को एक किया कार जिस का नंबर  यूके-07 डीएक्स 5881 था और उस का ओनर  रामेंदु उपाध्याय, निवासी प्रेमनगर पंडितवाड़ी, जनपद देहरादून था. वह पुलिस की नजरों में संदिग्ध हो गई.

दरअसल, जब पूछताछ और छानबीन की जा रही थी तो पता चला कि जिस वक्त की ये घटना है उस दौरान वाहन मालिक रामेंदु उपाध्याय का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. घटना के दौरान महाराणा प्रताप चौक से थानो चौक तक पहुंचने में जितना समय लगता है, उस की गाड़ी करीब 42 मिनट का अतिरिक्त समय लगा कर थानो चौक के आखिरी सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी. जबकि वहां पहुंचने के लिए काफी कम समय लगता था.

रामेंदु उपाध्याय अचानक पुलिस की जांच टीम के रडार पर आ गया. टीम ने उस की निगरानी शुरू कर दी. एक टीम उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकाल कर उस की कुंडली खंगालने लगी. मोबाइल फोन में कुछ ऐसी जानकारी थी कि पुलिस का शक यकीन में बदलने लगा कि हो न हो, मृतक महिला की मौत में कहीं न कहीं रामेंदु उपाध्याय का हाथ है.

लेकिन उस ने मृतका को क्यों मारा और मरने वाली कौन थी, इस बारे में अभी तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लगा था सिवाय इस बात के कि मृतका के शरीर पर जुडियो ब्रांड की जो मिडी मिली थी, ठीक वैसे ही रंग और साइज की एक मिडी रामेंदु उपाध्याय ने 3 सितंबर को जुडियो के किशन नगर शोरूम से खरीदी थी और उस दिन मृतक युवती भी उस के साथ थी.

दरअसल, शोरूम के स्टाफ ने मृत महिला की फोटो उस के शरीर पर मौजूद ड्रेस और रामेंदु उपाध्याय की फोटो दिखा कर इस बात की तस्दीक कर ली थी. पुलिस के पास रामेंदु उपाध्याय के खिलाफ इतने साक्ष्य तो थे ही कि उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की जा सके.

लेफ्टिनेंट कर्नल को किया गिरफ्तार

पुलिस टीम ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर 11 सितंबर, 2023 की सुबह लेफ्टिनेंट कर्नल रामेंदु उपाध्याय को उस के घर प्रेमनगर पंडितवाड़ी से हिरासत में ले लिया और उस का मोबाइल फोन भी अपने कब्जे में ले लिया. थाने में पुलिस ने उस से पूछताछ शुरू कर दी.

शुरू में तो रामेंदु उपाध्याय इधरउधर की कहानी सुनाता रहा. उस ने पुलिस को बताया कि उस का मृतक महिला से कोई लेनादेना ही नहीं है.  लेकिन तब तक पुलिस उस के मोबाइल को खंगालने के बाद मृतका के साथ रामेंदु उपाध्याय की फोटो और मृतक के फोन की लिस्ट में एक मोबाइल नंबर जो श्रेया के नाम से दर्ज था, उस पर काल की लंबीचौड़ी लिस्ट और वाट्सऐप चैट को खंगाल चुकी थी.

जब रामेंदु उपाध्याय ने देखा कि उस की पोल खुल चुकी है तो उस ने कुबूल कर लिया कि जिस महिला की लाश पुलिस को मिली है, वह उस की प्रेमिका श्रेया थी और उस की  हत्या उसी ने की थी. एसपी (सिटी) सरिता डोभाल और सीओ अभिनव चौधरी के समक्ष एसएचओ कुंदन राम और जांच अधिकारी नवीन जोशी ने पूछताछ की तो सेना के एक अधिकारी की कामकुंठा की ऐसी कहानी सामने आई, जिस में उस ने अपनी प्रेमिका को मौत की नींद सुला दिया.

जिस युवती की हत्या हुई थी, उस की पहचान श्रेया शर्मा उर्फ सुमित्रा निवासी शिवबहादुर चौक चिसापानी, जिला तनहु, नेपाल के रूप में हुई.  जबकि रामेंदु उपाध्याय मूलरूप से उत्तराखंड के जिला देहरादून के प्रेमनगर पंडितवाड़ी का रहने वाला है.  रामेंदु साल 1999 में बतौर जवान सेना में भरती हुआ था. बाद में डिपार्टमेंटल कमीशन पा कर 2010 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल बन गया. 2019 में उस की शादी हो गई. उस की एक बेटी है. उस की पत्नी देहरादून के पंडितवाड़ी में एक पीजी चलाती है.

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