नित्या ने दिल में बसा लिया विशाल को
एक दिन महाविद्यालय में आयोजित एक संयुक्त प्रोग्राम में विशाल और नित्या ने गीतों में अपनीअपनी प्रस्तुतियां दीं तो महाविद्यालय के सभी छात्रछात्राओं ने जम कर तालियां बजा कर दोनों का उत्साहवर्धन किया. उसी शाम दोनों की नजरें एकदूसरे से मिलीं, वे दोनों एकटक एकदूसरे की ओर काफी देर तक अपनी नजरें चाह कर भी हटा न सके. एक अजीब कशिश और एक अनोखा सा आकर्षण सा उन दोनों के बीच स्थापित हो चुका था.
दोनों को अपने दिल में यह महसूस सा होने लगा था, मानो वे दोनों केवल एकदूसरे के लिए बने हैं. अब तक न तो विशाल को किसी युवती से न ही नित्या को किसी युवक से प्यार हुआ हुआ था. दोनों के दिल में बस एक यही बात थी कि कब हमें एकदूसरे से बात करने का अवसर मिल पाएगा.
अब तक नित्या यह बात अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि विशाल की ओर से तो पहल होने से रही, उसे ही अपनी ओर से पहल करनी पड़ेगी, तभी बात कुछ आगे बढ़ सकती है. दोनों एकदूसरे से मिलते भी थे, पर बातें चाह कर भी नहीं कर पा रहे थे.
एक दिन हिम्मत कर के जब दोनों का आमनासामना हुआ तो नित्या ने विशाल से कहा, आप से एक बात करनी है, क्या आप के पास समय है?
‘जी जरूर. आप के लिए तो मेरे पास हर वक्त समय ही समय है.” विशाल ने मुसकराते हुए कहा.
“ठीक है, कल को शाम 4 बजे यहीं पर आप से मिलती हूं” यह कहते हुए नित्या मुसकरा कर वहां से चली गई थी.
दूसरे दिन शाम को नियत समय पर दोनों मिले तो विशाल ने कहा, कहिए, कहां चलना है?”
एकदूसरे के करीब आए दोनों
इस के बाद विशाल नित्या को अपनी बाइक पर बिठा कर काफी दूर सुनसान से इलाके में ले गया. विशाल ने अपनी बाइक रोक कर किनारे खड़ी कर दी.
‘जी कहिए, मुझ से क्या चाहती हैं आप?” विशाल ने कहा.
“विशाल, आप मुझे बड़े अजीब से इंसान लगे. पता नहीं क्यों यूं अकेलेअकेले से, गुमसुम से रहते हो. कुछ परेशानी या दुख तो नहीं है न आप के जीवन में?” नित्या ने पूछा.
“नित्याजी, मुझे अकेलापन बड़ा अच्छा लगता है. इस अकेलेपन में बड़ा सुकून सा मिलता है. आजकल की दुनिया बड़ी मायावी सी लगती है, इसीलिए कुछ दूरी बना कर रखता हूं.” विशाल ने कहा.
“अच्छा, एक बात बताओ विशाल, तुम्हें क्या कभी से किसी लड़की से रोमांस या प्यार हुआ है? किसी लड़की ने कभी तुम्हारा दिल तो नहीं तोड़ा न?” नित्या ने कहा.
“देखिए, मैं ने कभी इस बारे में सोचा ही नहीं. न किसी से कभी प्यार हुआ और न ही रोमांस तो मेरा दिल भला कैसे टूट सकता है?” विशाल बोला.
“अच्छा, ये बताओ तुम्हारे मातापिता ने बचपन में तुम्हारा रिश्ता कहीं फिक्स तो नहीं किया हुआ है. मेरा मतलब तुम्हारी बचपन से कोई मंगेतर तो नहीं है न!”नित्या ने पूछा.
“ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे मेरे परिवार वाले बहुत स्नेह और दुलार से रखते हैं. मैं परिवार में हमेशा खुश रहता हूं, मेरे जीवन में न तो अभी तक कोई लड़की आई है, जिस ने मेरा दिल तोड़ा हो. मगर मेरी समझ में यह बात नहीं आ रही है कि तुम ऐसे फिजूल से प्रश्न मुझ से क्यों पूछ रही हो?” विशाल ने कहा.
देखो विशाल, तुम मेरे परफैक्ट मैच हो. देखो, जरा मेरी बातों को ध्यान से सुनो और समझने का प्रयास करो. तुम सुन रहे हो न मेरी बात?” नित्या ने कहा.
हांहां, मैं सब कुछ अपने कानों से आप की बातें सुन रहा हूं. मगर तुम्हारी बातें मेरी समझ में पता नहीं क्यों नहीं आ रही हैं? जरा विस्तार से बताओ आखिर तुम चाहती क्या हो मुझ से?” विशाल ने भी अपने दिल की बात साफसाफ लफ्जों में कह दी.
देखिए विशालजी, मेरा बचपन से बस एक सपना था कि मुझे जब कोई मेरी सोच जैसा आइडियल नौजवान मिलेगा, जो हर गुण संपन्न हो, साहसी हो, शरीफ हो, नारी का दिल से सम्मान करता हो, जिस का अभी तक किसी युवती से प्यार न हुआ हो, वही मेरा परफैक्ट होगा. इतनी कोशिशों के बाद जब मैं ने तुम्हें देखा तो तुम से मुझे सचमुच प्यार सा हो गया. यदि तुम अपने दिल से मुझे स्वीकार करते हो तो मैं तुम्हारे मन मंदिर में हमेशा के लिए बस जाना चाहती हूं.” नित्या ने अपने दिल की बात अपनी जुबां से कह ही डाली.
जीवन भर साथ निभाने के किए वादे
विशाल ने जब यह बात सुनी तो वह मन ही मन बहुत खुश हो गया था. मगर वह भी अपने दिल की बात साफ साफ बता देना चाहता भी था.
देखो नित्या, यह मामला अभी क्षणिक प्रेम का नहीं, जब हम किसी से प्यार करते हैं तो अपने दिल से करते हैं. कहीं तुम मुझे बीच मंझधार में छोड़ गई तो फिर मैं टूट सा जाऊंगा, इसलिए अपना फैसला करने से पहले अपने दिल की इजाजत ले लो. मुझे जीवन में प्यार करना पसंद है पर हमेशा हमेशा के लिए जुदाई और बेवफाई मैं कभी भी सह न पाऊंगा.” विशाल ने कहा.
विशाल, मैं हमेशा हमेशा के लिए तुम्हारी ही रहूंगी.” यह कहते हुए नित्या ने जब अपनी बाहें फैलाई तो विशाल ने उसे आगे बढ़ कर अपने सीने से लगा लिया था. उस के बाद उन दोनों की प्रेम कहानी जो शुरू हुई तो वह पूरे कालेज और पूरे इलाके में एक मिसाल बन गई थी.
उन दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था. विशाल अपनी प्रेमिका नित्या को उस के जन्मदिन पर अच्छेअच्छे उपहार देता था. बदले में नित्या भी उस की हर ख्वाहिश का ध्यान रखती थी. दोनों एकदूसरे के पूरक से बनते जा रहे थे.
दोनों ने पढ़ाई के बाद एकदूसरे से शादी करने का वादा भी कर लिया था. उन दोनों का यह प्रेम प्रसंग करीब करीब पूरे डेढ़ साल तक चलता रहा, इस दौरान नित्या बीटीसी द्वितीय वर्ष में आ गई थी तो विशाल भी बीए द्वितीय वर्ष में पहुंच चुका था. दोनों का बस एक ही मकसद था कि जल्द से जल्द दोनों की पढ़ाई पूरी हो जिस से वह सदासदा के लिए कर एकदूसरे के बन जाएं.
एक दिन विशाल ने अपने दिल की बात अपने बड़े भाई अनिल को बताते हुए कहा, भैया, मैं एक लड़की से प्यार करने लगा है, उसी से शादी करना चाहता हूं.”
“देख विशाल, अभी तुम छोटे हो. देखो भाई, अभी तो तुम्हारे दोनों बड़े भाइयों की भी शादी नहीं हुई है. तुम्हारा नंबर तो सब से आखिर में है. इसलिए प्रेम के बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. अच्छी नौकरी पाने की कोशिश करो तो हम तुम्हारा विवाह वहीं करवा देंगे, जहां तुम चाहते हो.” अनिल ने उसे समझाते हुए कहा.
यह बात सुन कर विशाल भी समझ गया कि अभी जल्दबाजी करनी उचित भी नहीं है. इसलिए वह अपनी पढ़ाई और करिअर पर फोकस करने लगा था, मगर नित्या से उस का मिलनाजुलना व प्यार बिलकुल भी कम नहीं हुआ था.