‘‘मैं जया को बेइंतहा चाहता था, बहुत प्यार करता था उस से. इतना प्यार कि मैं पागल हो गया था उस के लिए. अपने जीतेजी मैं उसे किसी और की जागीर बनते नहीं देख सकता था. इसलिए मैं ने उसे मौत के घाट उतार दिया.’’ कहतेकहते अनुराग पलभर के लिए रुका, फिर आगे बोला, ‘‘अब ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, फांसी हो जाएगी. मुझे फांसी भी मंजूर है. कम से कम एक बार में ही मौत तो आ जाएगी. वह किसी और की हो जाती तो मुझे रोजरोज मरना पड़ता.’’

पुलिस हिरासत में यह सब कहते हुए अनुराग नामदेव अपना गुनाह कुबूल कर रहा था या फिर अपनी मोहब्बत की दास्तां सुना कर दिल की भड़ास निकाल रहा था, समझ पाना मुश्किल था. उस की ये बातें सुन कर वहां मौजूद पुलिसकर्मी भी हैरान थे. वजह यह कि इस कातिल के चेहरे पर शर्मिंदगी या पछतावा तो दूर की बात, किसी भी तरह का डर नहीं था.

पुलिस हिरासत में अच्छे अच्छे अपराधियों के कसबल ढीले पड़ जाते हैं, पर अनुराग का आत्मविश्वास वाकई अनूठा था. उस की हर बात जया से अपनी मोहब्बत के इर्दगिर्द घूम रही थी. मानों दुनिया में उस के लिए जया और उस के प्यार के अलावा और कुछ था ही नहीं.

लालघाटी क्षेत्र भोपाल का वह हिस्सा है, जहां शहर खत्म हो जाता है और उपनगर बैरागढ़ शुरू होता है. लालघाटी का चौराहा और रास्ता दोनों भोपाल-इंदौर मार्ग पर पड़ते हैं, जहां चौबीसों घंटे आवाजाही रहती है. एयरपोर्ट भी इसी रास्ते पर है और शहर का चर्चित वीआईपी रोड भी इसी चौराहे पर आ कर खत्म होता है.

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