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किरनबाला के ससुर तरसेम सिंह के मुताबिक, वह सन 1971 की जंग में भारतीय सेना में सेवा के दौरान जख्मी हो गए थे. इस के बाद वह वीआरएस ले कर घर लौट आए थे. सन 2005 में वह अपने बेटे को फौज में भरती कराने के लिए दिल्ली गए थे. दिल्ली प्रवास के दौरान उन के बेटे नरिंदर की किरनबाला से मुलाकात हो गई.

किरन का घर भरती केंद्र के पास ही था. उस वक्त किरनबाला 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. इस दौरान कब उन के बेटे और किरन के बीच प्यार परवान चढ़ा, इस का पता परिजनों को भी नहीं लगा और फिर एक दिन उन का बेटा नरिंदर किरनबाला को साथ ले कर घर आ गया.

उस ने बताया कि किरन अपना घर छोड़ कर उस के साथ घर बसाने के लिए आई है और अब वह इस घर की बहू बन कर यहां रहेगी. उस समय किरन की उम्र 18 साल थी. शादी के बाद किरन ने 5 बच्चों को जन्म दिया, जिन में से 2 बच्चों की मौत हो गई थी और 3 बच्चे मौजूद हैं.

नरिंदर की सेना में भरती तो नहीं हो सकी पर उस ने एक गैस एजेंसी में डिलीवरीमैन का काम करना शुरू कर दिया था. वह थोड़ेथोड़े समय बाद दिल्ली जाया करता था. इसी बीच नवंबर, 2013 को एक दुर्घटना में नरिंदर की मौत हो गई. बेटे की मौत के बाद नवंबर, 2013 में ही किरन घर छोड़ कर अपने मायके दिल्ली चली गई थी. अपने पोतीपोतों के बिना तरसेम का मन नहीं लग रहा था तो वह बहू और बच्चों को लेने के लिए दिल्ली चले गए और बाकायदा एग्रीमेंट कर के किरनबाला को अपने यहां ले आए.

उन्होंने कई बार किरनबाला से दूसरी शादी करने की भी बात कही और कहा कि वह खुद अपनी बेटी की तरह उस का कन्यादान करेंगे, लेकिन वह दूसरी शादी के लिए राजी नहीं हुई. लिहाजा अब उस का इस तरह घर छोड़ कर पाकिस्तान जाना और निकाह करना तरसेम सिंह की समझ में नहीं आ रहा था.

वहीं किरनबाला की सास कृष्णा कौर के मुताबिक, बेटे की मौत के बाद किरनबाला का चालचलन कुछ अच्छा नहीं रहा था. कई बार उन्होंने उसे रंगेहाथ पकड़ भी लिया था. इस बीच साल डेढ़ साल के लिए उस ने नंगल के करीब टाहलीवाल में एक फैक्ट्री में भी काम किया, लेकिन जब लोग उस के बारे में तरहतरह की बातें बनाने लगे तो उन्होंने उसे काम करने से मना कर दिया था.

किरन की बदल गई पहचान

तरसेम सिंह का कहना है कि अगर उन्हें जरा भी पता होता कि किरन के मन में ऐसा कुछ चल रहा है तो वह उसे किसी भी कीमत पर पाकिस्तान नहीं जाने देते. पाकिस्तान जाने के बाद 15 तारीख तक तो वह लगातार उन्हें फोन कर के बच्चों और परिवार का हाल जानती रही थी लेकिन एकाएक उस ने बच्चों व परिवार से मुंह मोड़ लिया.

इस के बाद 16 तारीख को उस ने तरसेम सिंह को फोन कर के कहा, ‘‘पिताजी, अब मैं लौट कर नहीं आऊंगी. मैं ने यहां इसलाम धर्म कबूल कर के मोहम्मद आजम नाम के शख्स से निकाह कर लिया है. और अब मेरा नाम आमना बीबी हो गया है.’’

तरसेम सिंह को लगा कि किरन मजाक कर रही है. इस पर उन्होंने उस से कहा, ‘‘क्यों मजाक करती हो बेटा. छोड़ो कोई बात नहीं, तुम यात्रा पूरी कर के जल्दी घर आ जाओ. बच्चे और हम सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.’’ इस के बाद किरन का कोई फोन नहीं आया और न ही उस से कोई संपर्क हो सका था.

18 अप्रैल, 2018 को जब तरसेम सिंह को एक अंतरराष्ट्रीय संवाद एजेंसी के पत्रकार का फोन आया और उस ने भी वही बात दोहराई तो वह चकित रह गए. तरसेम का मानना है कि किरन शायद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई या आतंकी संगठनों की साजिश का शिकार हो सकती है. जिस तरह वह बात कर रही है और जो बोल रही है, उस से जाहिर है कि उस का ब्रेनवाश किया गया है. अब वह वही बोल रही है जो आईएसआई या आईएसआईएस के लोगों ने उसे सिखाया होगा.

लेकिन इतना सब होने के बावजूद अब भी वह बच्चों की खातिर किरनबाला को वापस लाना चाहते हैं ताकि वह किसी साजिश का शिकार हो कर नारकीय जीवन जीने को मजबूर न हो सके और बच्चे भी मां की देखभाल से महरूम न रहें.

तरसेम सिंह ने अंदेशा जताया कि शायद सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए वह पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में आई होगी. इस के बाद वह शायद आईएसआई के हाथों में पड़ गई हो. यह भी हो सकता है कि उसे धर्म परिवर्तन या फिर से शादी करने के लिए मजबूर किया गया हो.

किरनबाला ने फैक्ट्री में काम कर के बचाए अपने पैसों को अपने पास ही रखा था. पति की मौत के बाद मुआवजे के तौर पर मिले 25 हजार रुपए भी उसी के पास थे. इन्हीं पैसों से साल भर पहले उस ने एक स्मार्टफोन खरीदा था, जिस के बाद वह सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़ी और सोशल नेटवर्क पर चैटिंग और वाइस काल में ऐसी डूबी कि ये कारनामा कर डाला.

वह घंटों तक फोन पर बातें करती रहती थी. जब उस के ससुर उस पूछते तो वह अपनी मां, भाई या किसी अन्य रिश्तेदार से बात करने की बात कह कर टाल देती थी. तरसेम सिंह उसे फोन पर ज्यादा बात करने को ले कर टोकते थे, लेकिन उस ने कभी उन की एक नहीं सुनी और फोन पर उस की यह बातचीत लगातार बढ़ती ही चली गई.

सोशल नेटवर्किंग से जुड़ी मोहम्मद आजम से

किरनबाला की पड़ोसन और सहेली रही गिस्टी ने बताया था, ‘‘पति की मौत के बाद अपने मायके दिल्ली रहने के दौरान ही वह मोहम्मद आजम के संपर्क में आई थी.’’ किरन ने मुझे बताया था कि आजम दुबई में रहता है. पाकिस्तान जाने से पहले किरन ने अपने बैंक खाते से साढ़े 14 हजार रुपए निकलवाए थे. किरन फेसबुक पर ज्यादा सक्रिय थी. वह बिग लाइव, एक वीडियो आधारित सोशल नेटवर्क साइट पर भी बहुत सक्रिय थी.

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