प्रदेश की राजधानी होने के नाते रोजाना लाखों लोग लखनऊ आते जाते रहते हैं. इसी वजह से लखनऊ के रेलवे स्टेशन चारबाग के आसपास तो हर तरह के होटलों की भरमार है ही, उस से सटे इलाकों का भी यही हाल है. ऐसा ही एक इलाका है नाका हिंडोला. यहां भी छोटे बड़े तमाम होटल हैं.
नाका हिंडोला के मोहल्ला विजयनगर में गुरुद्वारे के पीछे एक होटल है सिंह होटल एंड पंजाबी रसोई. 16 सितंबर की सुबह 11 बजे के आसपास होटल का कर्मचारी मोहन बहादुर बेसमेंट में बने कमरों की ओर गया तो गैलरी में उसे एक बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया.
वह लपक कर बच्चे के पास पहुंचा. बच्चा 4 साल के आसपास रहा होगा. उस ने उसे गोद में उठा कर पुचकारते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा, मम्मी ने मारा क्या?’’
‘‘नहीं, मम्मी ने नहीं मारा. मम्मी को पापा मार कर भाग गए.’’ बच्चे ने कहा.
‘‘मार कर कहां भाग गए पापा?’’ मोहन ने पूछा तो बच्चा रोते हुए बोला, ‘‘पता नहीं?’’
मोहन बहादुर को पहले लगा कि पतिपत्नी में मारपीट हुई होगी या हो रही होगी, इसलिए बच्चा रोते हुए बाहर आ गया होगा. लेकिन अब उसे मामला कुछ और ही लगा, इसलिए उस ने पूछा, ‘‘मम्मी कहां हैं?’’
‘‘वह बाथरूम में पड़ी है.’’ बच्चे ने कहा.
‘‘तुम किस कमरे से बाहर आए हो?’’ मोहन ने जल्दी से पूछा तो बच्चे ने कमरा नंबर 102 की ओर इशारा कर दिया.
मोहन बच्चे को गोद में लिए कमरे के अंदर बने बाथरूम में पहुंचा तो वहां की हकीकत देख कर परेशान हो उठा. बाथरूम में एक महिला की अर्धनग्न लाश पड़ी थी. बच्चे ने उस लाश की ओर अंगुली से इशारा कर के कहा, ‘‘यही मेरी मम्मी है. पापा इन्हें मार कर भाग गए हैं.’’
लाश देख कर मोहन बच्चे को गोद में उठाए लगभग भागते हुए होटल के मैनेजर रामकुमार के पास पहुंचा. उस ने पूरी बात उन्हें बताई तो होटल में अफरातफरी मच गई. होटल के सारे कर्मचारी इकट्ठा हो गए.
मैनेजर रामकुमार ने स्वयं कमरे में जा कर देखा. लाश देख कर उन के भी हाथपांव फूल गए. उन्होंने तुरंत होटल मालिक राजकुमार और स्थानीय थाना नाका हिंडोला पुलिस को घटना की सूचना दी.
सूचना मिलते ही इंसपेक्टर विजय प्रकाश सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिसकर्मियों को साथ ले कर सिंह होटल पहुंच गए.
होटल मालिक राजकुमार उन का इंतजार बाहर कर रहे थे. उन के पहुंचते ही वह उन्हें साथ ले कर बेसमेंट स्थित उस कमरे पर पहुंचे, जिस में लाश पड़ी थी. लाश कमरे के बाथरूम में अर्धनग्न अवस्था में थी. सरसरी तौर पर निरीक्षण के बाद उन्होंने मृतका के नग्न हिस्से पर कपड़ा डलवाया.
मृतका की उम्र 22-23 साल रही होगी. उस के गले को किसी तेज धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से निकला खून गरदन से ले कर पीठ के नीचे तक जमीन पर फैला था.
इंसपेक्टर विजय प्रकाश सिंह लाश का निरीक्षण कर ही रहे थे कि एएसपी (पश्चिम) अजय कुमार और सीओ कैसरबाग हृदेश कठेरिया भी फोरेंसिक टीम के साथ होटल पहुंच गए. फोरेंसिक टीम घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने में लग गई तो पुलिस अधिकारी होटल के मालिक और मैनेजर से पूछताछ करने लगे.
कमरे की तलाशी में ऐसी कोई भी चीज नहीं मिली, जिस से मृतका या उस के पति के बारे में कुछ पता चलता. पुलिस अधिकारियों ने बच्चे को अपने पास बुला कर पुचकारते हुए प्यार से पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?’’
‘‘आयुष. यह मेरा स्कूल का नाम है. घर में मुझे सब शिवा कहते थे.’’ बच्चे ने जवाब में बताया.
‘‘तुम्हारी मम्मी को किस ने मारा?’’
‘‘पापा ने मारा है.’’
‘‘पापा ने मम्मी को कैसे मारा?’’ एएसपी अजय कुमार ने पूछा तो बच्चे ने कहा, ‘‘पहले तो पापा ने मम्मी को खूब मारा. मम्मी खूब रो रही थीं. फिर भी पापा उन को मारते रहे. पापा उन्हें मारते हुए बाथरूम में ले गए. वहीं मम्मी बेहोश हो गईं. मम्मी को मारते देख मैं जोरजोर से रो रहा था. पापा ने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. कुछ देर में मैं सो गया. सुबह उठ कर देखा तो मम्मी मर चुकी थी. पापा नहीं दिखाई दिए तो मैं रोने लगा. रोते हुए कमरे से बाहर आया तो अंकल ने मुझे गोद में ले लिया.’’
पुलिस अधिकारियों ने बच्चे को एक महिला सिपाही के हवाले कर के उसे बच्चे को कुछ खिलाने पिलाने को कहा. इस के बाद होटल के मैनेजर रामकुमार से मृतका के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया, ‘‘कल यानी 15 सितंबर की रात 11 बजे एक आदमी पत्नी और बेटे के साथ आया था.
उस ने अपना नाम बबलू, पत्नी का सीमा और 4 वर्षीय बेटे का नाम आयुष उर्फ शिवा बताया. कमरा मांगने पर मैं ने उस से आईडी मांगी तो उस ने अपना आधार कार्ड दिया. तब काफी रात हो चुकी थी, इसलिए उस की फोटोकौपी नहीं हो सकती थी. इसलिए मैं ने उस का आधार कार्ड रख लिया और उसे कमरा नंबर 102 की चाबी दे दी. होटल का वेटर उस का सामान ले कर उसे कमरे तक पहुंचाने गया.
‘‘कमरे में जाने के कुछ देर बाद बबलू चारबाग गया और वहां से खाना ले आया. सुबह साढ़े 6 बजे बबलू ने मेरे पास आ कर कहा कि मुझे आधार कार्ड की जरूरत है इसलिए आप मुझे मेरा आधार कार्ड दे दीजिए. थोड़ी देर में दुकान खुल जाएगी तो मैं फोटोकौपी करा कर दे दूंगा. चिंता की कोई बात नहीं, मेरी पत्नी और बच्चा होटल में ही है.
‘‘मैं ने आधार कार्ड दे दिया तो वह कमरे में गया और अपना बैग ले कर चला गया. उस की पत्नी और बच्चा होटल में ही था, इसलिए मैं ने सोचा वह लौट कर आएगा ही. लेकिन वह लौट कर नहीं आया. जब आयुष रोता हुआ कमरे से बाहर आया तो पता चला कि वह पत्नी की हत्या कर के भाग गया है.’’
बबलू भले ही आधार कार्ड ले कर चला गया था, लेकिन उस का नंबर, उस पर लिखा पता और मोबाइल नंबर होटल के रजिस्टर में लिख लिया गया था. पुलिस ने उस का आधार नंबर, पता और मोबाइल नंबर नोट कर लिया. इस के बाद घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवा दिया गया.