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राजस्थान के जिला दौसा के गांव बीनावाला की रहने वाली किरण बैरवा गोरे रंग की खूबसूरत युवती थी. जब वह टाइट जींस टीशर्ट पहन कर निकलती थी तो देखने वाले ताकते रह जाते थे. किरण को अपने रूपसौंदर्य पर बहुत नाज था. वह जानती थी कि उस से कोई भी व्यक्ति दोस्ती करने को तैयार हो जाएगा, क्योंकि वह बला की खूबसूरत है.

किरन को पाने के लिए पुरुषरूपी भंवरेउस के आसपास मंडराते रहते थे, मगर उस ने किसी को लिफ्ट नहीं दी. किरण के ख्वाब ऊंचे थे. खूबसूरत होने के साथ वह शातिरदिमाग भी थी. शादी योग्य होने पर घर वालों ने उस की शादी कर दी थी.

किरण को जैसा जीवनसाथी चाहिए था, उस का पति वैसा नहीं था. किरण ने उस के साथ सात फेरे जरूर लिए थे, मगर पति को मन से कभी नहीं स्वीकारा. ऐसे में मतभेद स्वभाविक बात थी. शादी के कुछ समय बाद ही किरण का पति से तलाक हो गया. तलाक के बाद वह मायके में आ कर रहने लगी.

किरण ने अपने मांबाप को कह दिया कि वह पढ़ीलिखी है और कहीं नौकरी या कामधंधा कर के अपना गुजरबसर कर लेगी.

मायके आने के बाद किरण नौकरी की तलाश के लिए गांव से दौसा आनेजाने लगी. शहर में उसे नौकरी तो नहीं मिली, मगर जैसा जीवनसाथी उसे चाहिए था, वैसा दोस्त जरूर मिल गया. उस का नाम अक्षय उर्फ आशू था. अक्षण मीणा के पिता दौसा के पूर्व पार्षद हैं. पिता के पैसों पर ऐश करने वाला अक्षय मीणा भी शातिरदिमाग और तेजतर्रार युवक था.

उस की किरण से मुलाकात हुई तो पहली मुलाकात में ही दोनों एकदूसरे पर मर मिटे. दोनों ने एकदूसरे को मोबाइल नंबर दे दिए. इस के बाद उन की फोन पर बातें होने लगीं. किरण का जब मन करता, तब अक्षय मीणा से मिलने गांव से दौसा शहर आ जाती.

दो जवां दिल अगर एक दूसरे के लिए धड़कने लगें तो मिलन होने में देर नहीं लगती. ऐसा ही किरण और अक्षय के मामले में भी हुआ. 4-6 मुलाकातों के बाद दोनों एकदूसरे के बारे में बहुत कुछ जान गए. अक्षय को जब पता चला कि किरण तलाकशुदा है तो वह बोला, ‘‘किरण, तुम मेरी हो. इसी कारण तुम्हारा अपने पति से तलाक हुआ है. हम दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं.’’

अक्षय के मुंह से यह सुन कर किरण को उस पर विश्वास हो गया कि वह उस का बहुत खयाल रखेगा. फिर तो उस ने अक्षय को अपना तनमन सब कुछ न्यौछावर कर दिया. एक बार शारीरिक संबंध बने तो सारी लाजशरम जाती रही. जब मन चाहता, दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते.

अक्षय ने किरण से वादा किया था कि वह उस से शादी करेगा और जीवन भर साथ निभाएगा. किरण तो अक्षय की दीवानी थी ही. मगर बगैर कामधाम किए मौजमस्ती से तो जिंदगी नहीं चलती.

किरण और अक्षय दोनों ही शातिरदिमाग थे, एक रोज उन्होंने बातोंबातों में पैसा कमाने का उपाय ढूंढना शुरू कर दिया. अंत में दोनों ने पैसा कमाने की अलग राह चुन ली. वह राह थी तन सौंप कर ब्लैकमेल करने यानी हनीट्रैप की.

अक्षय और किरण ने टीवी और अखबारों में हनीट्रैप के तमाम केस देखे और सुने थे. ऐसी घटनाओं से प्रेरित हो कर उन्होंने भी ऐसा ही कुछ कर के पैसा कमाने की योजना बना ली. तय हुआ कि मोटा पैसा कमाने के बाद शादी कर लेंगे.

योजना तैयार होने के बाद दोनों शिकार की तलाश में लग गए. उन की यह तलाश पूरी हुई दौसा शहर की रामनगर कालोनी निवासी विश्राम बैरवा पर. विश्राम बैरवा युवा प्रौपर्टी डीलर और ठेकेदार था. किरण ने कहीं से विश्राम बैरवा का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. यह सन 2016 की बात है.

फोन नंबर से उस ने विश्राम के बारे में काफी जानकारी हासिल कर ली. फिर एक दिन उस ने बैरवा को फोन किया. विश्राम ने काल रिसीव की तो किरण बोली, ‘‘मैं किरण बैरवा बोल रही हूं, आप विश्रामजी बोल रहे हैं न?’’

‘‘हां जी, मैं विश्राम बैरवा बोल रहा हूं. कहिए, कैसे फोन किया. मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’ विश्राम ने कहा.

‘‘विश्रामजी, आप अच्छे आदमी हैं इसलिए फोन किया था. मैं तलाकशुदा हूं और यहीं दौसा में अपने चाचा आशू के साथ रहती हूं. लोगों से आप की बहुत तारीफ सुनी थी, इसलिए आप से बात करने की इच्छा हो रही थी तो फोन कर लिया. ’’

‘‘कोई बात नहीं, वैसे कोई काम हो तो बोलिए.’’

‘‘नहीं सर, कोई काम नहीं था, ऐसे ही फोन कर लिया, अगर आप को बुरा न लगा हो तो आगे भी फोन कर के आप का समय खराब करती रहूं.’’

किरण ने कहा तो विश्राम बोला, ‘‘आप से बात कर के खुशी होगी. जरूर फोन कीजिएगा.’’

इस के बाद किरण अकसर फोन कर के विश्राम बैरवा से इधरउधर की गप्पें मारने लगी. विश्राम भी उस से खुल कर बतियाने लगा था. इस तरह एक साल गुजर गया. अपनी बातों से किरण ने विश्राम पर ऐसा जादू कर दिया था कि वह उस से मिलने को आतुर रहने लगा. अब तक किरण और विश्राम की मोबाइल पर ही बातें हुई थीं, दोनों मिले नहीं थे.

एक बरस बाद जब एक रोज किरण ने विश्राम को फोन किया तो रुआंसे स्वर में बोली, ‘‘नमस्ते सर, किरण बोल रही हूं.’’

‘‘हां किरणजी, बोलिए. आज आवाज में वह चहक नहीं है, जो हमेशा होती है. तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘मैं तो ठीक हूं, मगर मुझे कुछ रुपए चाहिए थे. पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है, इलाज कराना है. मुझे नौकरी के लिए भी भागदौड़ करनी पड़ रही है. पैसों की तंगी है. अगर आप हेल्प कर देंगे तो मैं आप का एकएक रुपया चुका दूंगी.’’

‘‘किरण, पैसों की चिंता मत करो. मैं हूं न, सब संभाल लूंगा. मैं तुम से मिलता हूं. हम शाम को बैठ कर इस बारे में बात करेंगे.’’

शाम को किरण और विश्राम मिले. विश्राम ने किरण को 2 लाख रुपए नकद दे दिए. किरण रुपए ले कर धन्यवाद देते हुए बोली, ‘‘सर, मैं आप का एकएक रुपया चुकाऊंगी. नौकरी लगने दीजिए.’’

किरण की सहायता कर के विश्राम को यह सोच कर आत्मिक खुशी हुई कि उस ने एक जरूरतमंद महिला की मदद की है.

कुछ दिनों बाद किरण फिर मां की बीमारी के बहाने विश्राम से 2 लाख रुपए ले आई.

कमरे पर पहुंचने के बाद उस ने अक्षय से कहा, ‘‘आशू, आज 2 लाख रुपए तो मां की बीमारी के बहाने से ले आई, मगर अब आगे बहाना नहीं चलने वाला. अब हमें विश्राम को फांसना पड़ेगा.’’

‘‘किरण, तुम सही कह रही हो. तुम्हें अब उसे अपने तन की चकाचौंध दिखानी पड़ेगी, तभी इस मुर्गे को हलाल किया जा सकेगा.’’

‘‘ठीक है, मैं कल उसे कमरे पर बुला कर अपने जिस्म की गरमी देती हूं. फिर तुम देखना कि मैं उसे कैसे इशारों से नचाती हूं.’’ किरण हंस कर बोली.

अगले दिन किरण ने विश्राम बैरवा को किसी बहाने से सिंगवाड़ा रोड, दौसा स्थित अपने कमरे पर बुलाया. विश्राम जब कमरे पर पहुंचा तो किरण ने उस का स्वागत हंस कर किया. चायपानी के बाद दोनों पासपास बैठ कर बातें करने लगे.

बातचीत के दौरान किरण उस के शरीर से अपना जिस्म इस तरह टकरा देती थी, जैसे लापरवाही में ऐसा हो गया हो. इस से विश्राम के बदन में झुरझुरी दौड़ जाती थी. किरण यह सब इसलिए कर रही थी ताकि विश्राम उस के शरीर को भोगने के लिए मजबूर हो जाए. हुआ भी यही.

किरण ने उसे इस तरह उकसाया कि विश्राम खुद  पर नियंत्रण खो बैठा. विश्राम ने किरण से पूछा, ‘‘तुम्हारे आशू चाचा कहां हैं?’’

‘‘आशू चाचा कल तक आएंगे. आज बाहर गए हैं. यहां पर आज हम दोनों का राज है. हम जो चाहे, करेंगे.’’ किरण ने खुल कर कहा.

यह सुन कर विश्राम खुश हो गया. उस ने किरण को बांहों में भर कर किस करना शुरू कर दिया. किरण भी अपने हाथों का कमाल दिखाने लगी. कुछ ही देर में दोनों बेलिबास हो गए और एकदूसरे के तन से खेलने लगे. हसरतें पूरी करने के बाद विश्राम ने किरण को चूम कर विदा ली.

विश्राम के चले जाने के बाद किरण ने आशू को फोन कर कहा, ‘‘आ जाओ, मुर्गा फंस गया है.’’

आशू कमरे पर आ गया. किरण ने उसे सब कुछ विस्तार से बता दिया. इस के बाद वह बोली, ‘‘आशू, अब देखो मेरा खेल. कैसे विश्राम को नचाती हूं.’’

दोनों ने विश्राम को दुष्कर्म के मामले में फंसाने की धमकी दे कर रुपए ऐंठने की योजना बनाई. योजनानुसार अगले रोज किरण ने विश्राम को फोन कर 20 लाख रुपए मांगे. विश्राम ने कहा कि इतने रुपयों का क्या करोगी तो किरण बोली, ‘‘कुछ भी करूं, अगर पैसे नहीं दिए तो आप को बलात्कार के आरोप में अंदर करा दूंगी. इस के लिए मैं आप को शाम तक का समय देती हूं.’’

विश्राम कुछ कहता, उस से पहले ही किरण ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

विश्राम बैरवा इज्जतदार आदमी था. दौसा में उस का नाम था. अगर किरण उस के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करा देती तो उस की इज्जत मिट्टी में मिल जाती.

विश्राम समझ गया कि वह किरण को जैसा समझता था, वह वैसी नहीं है. मगर जो नहीं होना था, वह हो चुका था. अब पछताने से क्या होने वाला था. विश्राम बैरवा ने अपना मानसम्मान इज्जत बचाने के लिए किरण की 20 लाख रुपए की डिमांड पूरी कर दी.

किरण पैसे ले कर विश्राम से बोली, ‘‘मेरे दिल के दरवाजे हमेशा खुले हैं. कभी भी आ कर मेरे तन से रुपए की वसूली कर सकते हो.’’

विश्राम बैरवा क्या बोलता. वह 20 लाख दे कर समझ रहा था कि बला टली. मगर किरण उसे कहां छोड़ने वाली थी. वह अक्षय मीणा उर्फ आशू के साथ विश्राम के दिए रुपयों से ऐश की जिंदगी जीने लगी.

दोनों दिल्ली, अहमदाबाद, नागपुर, मुंबई, गोवा आदि शहरों में घूमने गए और खूब अय्याशी की. किरण ने विश्राम बैरवा को अपने हुस्न के प्रेमजाल में ऐसा फांसा कि वह चाह कर भी किरण से दूर नहीं रह सका. किरण ने बातोंबातों में विश्राम से पहले ही पता कर लिया था कि वह करोड़पति है और उस का प्रौपर्टी का व्यवसाय अच्छा चल रहा है.

एक बार शारीरिक संबंध बना कर विश्राम किरण के प्रेमजाल में ऐसा फंसा कि वह उस के हाथों की कठपुतली बन कर नाचने लगा. किरण उसे बलात्कार के केस में फंसाने की धमकी दे कर कभी कैश तो कभी मांबाप और खुद के खाते में रुपए डलवा लेती थी. कभी बीमारी का बहाना कर के तो कभी होटल खोलने के नाम पर किरण विश्राम से पैसे ऐंठऐंठ कर उसे करोड़पति से रोड पर ले आई.

विश्राम ने अपना घर, जमीन, गहने, फ्लैट सब कुछ बेच कर किरण की मांग पूरी की ताकि उस की इज्जत बची रहे. जबकि किरण ने रुपए ऐंठ कर आशू के साथ नागपुर और दिल्ली में होटल भी खोले, मगर होटल व्यवसाय का ज्ञान न होने के कारण उन का बिजनैस नहीं चल सका.

दोनों होटल बंद कर के दौसा चले आए. होटल व्यवसाय में किरण व आशू की दोस्ती दिल्ली के कई लोगों से हो गई थी. लोग किरण और आशू को अच्छा बिजनैसमैन समझते थे. उन्हें इन की करतूत का पता नहीं थी.

विश्राम बैरवा सन 2016 से जनवरी 2020 तक किरण को करीब डेढ़ करोड़ रुपए दे चुका था. विश्राम की सारी जमीनजायदाद बिक गई थी. वह रोटीरोटी को मोहताज हो गया था. यह सब उस की एक गलती से हुआ था. विश्राम को बरबाद करने के बाद भी किरण उसे धमकी दे कर रुपए मांगती थी. वह कहती कि पैसे नहीं दिए तो बलात्कार के आरोप में जेल में सड़ा दूंगी.

विश्राम ने किरण से कहा कि अब उस के पास फूटी कौड़ी तक नहीं है तो उसे रकम कहां से दे. मगर किरण अपना ही राग अलापती रहती कि कुछ भी करो, उसे पैसे चाहिए. अगर पैसे नहीं दिए तो…

विश्राम बैरवा के पास अब कुछ नहीं बचा था. किरण भी उसे हड़का रही थी. ऐसे में विश्राम ने निर्णय कर लिया कि अब इज्जत जाए तो जाए, उसे पुलिस की मदद लेनी ही पड़ेगी. अगर इस से पहले किरण ने उस के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करा दी तो वह अपनी सफाई भी नहीं दे सकेगा और उसे जेल की हवा भी खानी पड़ेगी.

इसलिए वह एसपी प्रह्लाद कृष्णैया से मिला और उन्हें सारी बात विस्तार से बताई. एसपी साहब ने विश्राम की शिकायत को गंभीरता से लिया और कोतवाली दौसा के इंसपेक्टर श्रीराम मीणा को फोन पर निर्देश दिए कि विश्राम की रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ सख्त काररवाई करें.

कप्तान साहब के आदेश पर इंसपेक्टर श्रीराम मीणा ने 28 जनवरी, 2020 को विश्राम बैरवा की तरफ से रिपोर्ट दर्ज कर ली.

इस के बाद एसपी प्रह्लाद कृष्णैया ने एएसपी अनिल सिंह चौहान के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में डीएसपी नरेंद्र कुमार, शहर कोतवाल श्रीराम मीणा, एसआई राजेश कुमार, कांस्टेबल बसंताराम, नवीन कुमार, गोपीराम, महिला कांस्टेबल रेखा, मंजू देवी आदि को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने किरण बैरवा के मोबाइल की लोकेशन खंगाली तो उस की लोकेशन पुष्कर, जिला अजमेर, राजस्थान की मिली. पुलिस टीम दौसा से पुष्कर आई और किरण बैरवा व उस के प्रेमी अक्षय मीणा उर्फ आशू, निवासी सैंथल मोड़, दौसा को धर दबोचा.

पुष्कर के होटल में किरण व आशू शादी रचाना चाहते थे. दोनों के दोस्त शादी में शरीक होने दिल्ली से पुष्कर आए हुए थे.

यहां यह भी बता दें कि शादी के खर्च के लिए भी किरण बैरवा ने विश्राम बैरवा को फोन कर पैसे मांगे, लेकिन किरण ने यह नहीं बताया कि वह शादी कर रही है. किरण ने विश्राम से पहले तो डेढ़ लाख रुपए मांगे, फिर वह 55 हजार रुपए तक आ गई.

साइबर सैल की मदद से दौसा कोतवाली थाना पुलिस ने इस अनोखे जोड़े को 2 फरवरी, 2020 को पुष्कर के एक होटल से दबोच लिया. दिल्ली से जो बाराती आए थे, उन को भी प्रेमी जोड़े की असलियत पता नहीं थी. दिल्ली से आए इन के मित्रों को होटल का 67 हजार रुपए का बिल भी भरना पड़ा. क्योंकि उन्हें शादी में बुलाने वालों को तो पुलिस शादी से पहले ही पकड़ कर दौसा ले गई थी.

पुलिस पूछताछ में किरण और आशू मीणा ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. अगले दिन 3 फरवरी को दोनों को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया और विस्तृत पूछताछ की.

पूछताछ में ब्लैकमेलर प्रेमी जोड़े ने सारी कहानी बयान कर दी. किरण और आशू ने स्वीकार किया कि उन्होंने विश्राम बैरवा को हनीट्रैप में फांस कर उस से लाखों रुपए ऐंठे थे.

पुलिस ने इस मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पीडि़त व आरोपियों की मोबाइल काल डिटेल्स तथा बैंक खातों की जानकारी जुटाई. बैंक खातों में विश्राम बैरवा के बैंक खाते से रुपए लेनदेन की बात सामने आई. पुलिस ने रिमांड अवधि पूरी होने पर किरण बैरवा और उस के प्रेमी अक्षय मीणा उर्फ आशू को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

विश्राम बैरवा सब कुछ गंवा कर पुलिस के पास गया. अगर वह तभी पुलिस के पास चला जाता जब किरण ने ब्लैकमेलिंग की पहली किस्त

20 लाख मांगी थी तो आज सड़क पर नहीं आता.

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