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किसी तरह से जब सूटकेस खुला, तब पुलिस टीम देख कर चौंक गई. क्योंकि उस में थोड़े से  कपड़ेलत्तों के बीच एक युवती का शव था. शव को किसी तरह से ठूंस कर सूटकेस को बंद किया गया था. उस के बाल और दुपट्टे का एक कोना सूटकेस की चेन में फंसा हुआ था.

सूटकेस में मिली लाश की खबर मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को दे दी गई. शव की हालत देख कर यह निश्चित था कि युवती की हत्या कर उसे ठिकाने लगाने की कोशिश की गई है.

कोरोना काल 2020 का समय चरम पर था. पूरे देश में लौकडाउन लग चुका था. सभी तरह के यातायात ठप थे. दुकानें, औफिस, छोटेबड़े कलकारखाने सब बंद कर दिए गए थे. सुनसान सड़कों पर केवल वही गाडिय़ां दौड़ रही थीं, जिन में खानेपीने और रोजमर्रा के जरूरी सामान, हरी सब्जियां, दूध, दवाइयां आदि होते थे या फिर सुरक्षा में जुटे पुलिसकर्मी और मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने वाली एंबुलेंस आदि थी.

दूरदराज से रोजीरोटी के लिए आए शहरों और महानगरों में लाखों लोग हर हाल में जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते थे. उन्हीं दिनों मजदूरों के लिए मुंबई से अलगअलग राज्यों के मुख्य शहरों तक जाने वाली कुछ स्पैशल ट्रेनें चलाई गई थीं. मुंबई से ओडिशा तक जाने वाली खचाखच भरी एक स्पैशल ट्रेन में मनोज किसी तरह से सवार हो गया था.

उस ने बड़ी मुश्किल से बैठने के लिए सीट पर जगह बना ली थी. पसीने से लथपथ था. बोगी में काफी शोरगुल था. छोटे तौलिए से अपना मुंह पोंछने के बाद सीट के नीचे घुसाए अपने बैग से पानी की बोतल निकालने के लिए झुका ही था कि इसी बीच एक लड़की उसे डपटती हुई बोली, ''अरे! तुम मेरी सीट पर कैसे बैठ गए? यहां तो मैं बैठी थी.’’

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