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राहुल ने अप्रत्यक्ष तौर पर अपने घर वालों को बता भी दिया था कि अमर यादव नाम का एक लड़का स्नेहा को बदनाम करने के एवज में उसे परेशान करता रहता है. घर वालों ने इस बात को हल्के में लिया और समझा दिया कि शादी हो जाने के बाद सब ठीक हो जाएगा. नाहक परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस के बाद राहुल भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था.

शादी के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे थे, अमर को प्रेमिका स्नेहा से जुदाई के दिन साफ नजर आ रहे थे. यह सोच कर गुस्से से पागल हो जाता था कि उस के जीते जी कोई उस के प्यार को उड़ा ले जाए, ये कैसे हो सकता है. क्यों न रास्ते के कांटे को ही जड़ से ही उखाड़ दिया जाए. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.

जैसे ही उस के दिमाग में यह विचार आया, खुशी से उछल पड़ा. उस ने अपने दोस्तों को रायल गेस्टहाउस बुला लिया. यह गेस्टहाउस टिब्बा थाने के टिब्बा रोड पर स्थित था, गेस्टहाउस एक डीसीपी (पुलिस अधिकारी) का था, जो इन दिनों उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में तैनात है.

नौकर क्यों समझता था खुद को डीसीपी

अमर यादव मूलरूप से बिहार के दरभंगा जिले का रहने वाला था, लेकिन सालों से वह लुधियाना के शेषपुर मोहल्ले में किराए का मकान ले कर रहता था. उस के मांबाप घर रहते थे. उज्जवल भविष्य की कामना ले कर ही वह दरभंगा से लुधियाना चला था. पहले से वहां उस के कई परिचित रहते थे. उन्हीं के सहारे वह यहां रहने आया था.

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