Love Story in Hindi: अमनदास से प्रेम विवाह करने के बाद स्वच्छंद विचारों वाली चारू पति से ऊब गई. उस ने अपने दूर के रिश्तेदार अनुराग से संबंध बना कर इश्क की ऐसी अधूरी उड़ान भरी कि…

दिल्ली के दक्षिण पश्चिम जिले के थाना नजफगढ़ के डयूटी औफिसर को दोपहर 11 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष द्वारा सूचना मिली कि नंगली डेरी के पास गहरे नाले में एक आदमी की लाश पड़ी है. सूचना मिलने पर इंसपेक्टर अनिल कुमार, एएसआई कृष्णचंद और कांस्टेबल अमरपाल को ले कर बताई गई जगह के लिए रवाना हो गए. वह नाला थाने से करीब दोढाई किलोमीटर दूर था. थोड़ी देर में पुलिस उस नाले के पास पहुंच गई, जिस में लाश पड़ी थी. नाले के किनारे खड़े तमाम लोग लाश को देख कर तरहतरह की बातें कर रहे थे. इंसपेक्टर अनिल कुमार ने देखा, नाले के बीचोबीच एक आदमी की लाश तैर रही थी. नाला गहरा था इसलिए समस्या यह थी कि लाश को पानी के बाहर कैसे निकाला जाए. सूचना पा कर थानाप्रभारी राजबीर मलिक भी मौके पर आ गए. वह भी लाश को बाहर निकलवाने की तरकीब सोचने लगे.

सोचविचार कर उन्होंने ट्रक के हवा भरे 2 ट्यूब मंगवाए. एक आदमी को ट्यूब पर बैठा कर लाश के पास भेजा गया. वह आदमी साथ लाए गए दूसरे ट्यूब पर लाश को डाल कर किनारे पर ले आया. मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम भी पहुंच गई थी. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया. लाश 25-30 साल के एक युवक की थी. मृतक ब्राउन कलर की पैंट और सफेद रंग का बनियान पहने हुए था. उस की जेबों की तलाशी ली गई तो उन में ऐसी कोई चीज नहीं मिली जिस से उस की पहचान हो सकती. मृतक के सिर पर चोट के 3 घाव थे, इस से अनुमान लगाया गया कि हत्या करने से पहले उस के सिर पर किसी चीज से वार किए गए होंगे.

मृतक के गले में काले धागे में बंधा एक लौकेट था. उस के दाएं हाथ में लोहे का कड़ा था और बाएं हाथ की अंगुली में वह धातु का एक छल्ला पहने हुए था. वहां मौजूद लोगों से पुलिस ने लाश की शिनाख्त करानी चाही लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान पाया. प्राथमिक काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने लाश को जाफरपुर कलां स्थित राव तुलाराम मेमोरियल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया और अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मामला दर्ज कर लिया. यह बात 12 फरवरी, 2015 की है.  हत्या के इस मामले की जांच के लिए थानाप्रभारी राजबीर मलिक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई. टीम में अतिरिक्त थानाप्रभारी अनिल कुमार, एएसआई कृष्ण चंद, हेडकांस्टेबल मनजीत, कांस्टेबल अमरपाल, अनीता आदि को शामिल किया गया.

पुलिस टीम के सामने सब से बड़ी चुनौती मृतक की पहचान कराने की थी. पहचान होने के बाद ही हत्यारों का पता लगाया जा सकता था. मृतक का पता लगाने के लिए पुलिस ने सब से पहले अज्ञात लाश का हुलिया बताते हुए यह सूचना वायरलेस से दिल्ली के समस्त थानों को दे दी. इस के अलावा उस का फोटो दूरदर्शन पर प्रसारण के लिए भी भेज दिया. साथ ही पैंफ्लेट छपवा कर दक्षिणपश्चिम जिले के समस्त थानों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए गए. पैंफ्लेट चिपकवाने के अगले दिन यानी 13 फरवरी, 2015 को इंसपेक्टर अनिल कुमार के पास कई लोगों के फोन आए. उन लोगों को थाने बुला कर लाश के रंगीन फोटो दिखाए गए. लेकिन लाश की पहचान नहीं हो सकी. कई लोगों को अस्पताल की मोर्चरी ले जा कर भी लाश दिखाई गई लेकिन वह उन के किसी की नहीं निकली.

13 फरवरी, 2015 को ही दक्षिणपश्चिम जिले के द्वारका (उत्तरी) थाने में जयंत कुमार नाम का एक आदमी अपनी पत्नी व कुछ अन्य लोगों के साथ पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी को बताया कि इसी थाना क्षेत्र के हरिविहार कालोनी में उस की बेटी चारू और दामाद अमनदास रहते थे. अमनदास एक प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंजीनियर था. कल से उन दोनों में से किसी का भी फोन नहीं मिल रहा. उन के कमरे का ताला भी बंद है. चारू से उन की कल बात हुई थी. लेकिन वो दोनों अब कहां हैं पता नहीं लग रहा. जयंत कुमार के साथ अमन दास की बहन प्रियंका दास भी थी.

उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि वह उन के परिचितों को भी फोन कर चुके हैं. फिर भी उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. चारू और अमनदास ने करीब एक साल पहले ही लवमैरिज की थी. लवमैरिज की बात जान कर थानाप्रभारी को आश्ांका हुई कि कहीं वे अपने घर वालों की किसी साजिश का शिकार तो नहीं हो गए. क्योंकि औनर किलिंग की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए थानाप्रभारी ने चारू और उस के पति की गुमशुदगी दर्ज कर ली. नजफगढ़ थाने में अज्ञात युवक की लाश बरामद होने का पैंफ्लेट थाना द्वारका (उत्तरी) के थानाप्रभारी के पास भी मौजूद था. जयंत कुमार ने अपने दामाद अमनदास की उम्र करीब 28 साल बताई थी और नजफगढ़ नाले से जिस युवक की लाश बरामद हुई थी वह भी करीब 25-30 साल का था, इसलिए उन्होंने वह पैंफ्लेट जयंत कुमार को दिखाया.

उस पैंफ्लेट को देखने के बाद जयंत कुमार और प्रियंका दास गंभीर हो गए. इस की वजह यह थी कि उस का लापता हुआ भाई अमनदास भी हाथ में कड़ा और अंगुली में छल्ला पहनता था. इस के अलावा वह गले में काले धागे वाला लौकेट भी डाले रहता था. वह बोली, ‘‘सर, नजफगढ़ नाले में जो लाश मिली है मैं उसे देखना चाहती हूं.’’

‘‘इस के लिए तुम्हें थाना नजफगढ़ जाना पडे़गा. क्योंकि लाश वहीं की पुलिस ने बरामद की थी.’’ थानाप्रभारी ने बताया.

इस के बाद जयंत कुमार और प्रियंका दास व उन के साथ आए लोगों ने थाना नजफगढ़ पहुंच कर इंसपेक्टर अनिल कुमार से बात की. अनिल कुमार ने उन्हें लाश के फोटो दिखाए. फोटो देख कर प्रियंका की धड़कनें बढ़ गईं. लाश पानी में पड़ी होने की वजह से फूल चुकी थी इसलिए वह स्पष्ट रूप से पहचानने में नहीं आ रही थी. इसलिए उन्होंने लाश देखने की इच्छा जाहिर की. इंसपेक्टर अनिल कुमार उन लोगों को लाश दिखाने के लिए राव तुलाराम मेमोरियल अस्पताल ले गए. वहां उन लोगों को मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो प्रियंका दास की चीख निकल गई. उस ने रोते हुए बताया कि लाश उस के भाई अमन दास की है. दामाद की लाश देख कर पास में खड़े जयंत कुमार की आंखों से भी आंसू बहने लगे. लाश की शिनाख्त होने पर इंसपेक्टर अनिल कुमार ने राहत की सांस ली.

चूंकि इंसपेक्टर अनिल कुमार को आगे की काररवाई भी करनी थी इसलिए उन्होंने मृतक के परिजनों को सांत्वना दे कर चुप कराया. उन्होंने प्रियंका दास से अमन दास के बारे में मालूमात की तो उस ने बताया, ‘‘वह एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर था और द्वारका के हरिविहार में किराए के कमरे में अपनी पत्नी चारू के साथ रह रहा था. फोन पर उस से मेरी बात होती रहती थी. आज मेरे पास चारू के पिता जयंत कुमार का फोन आया था. उन्होंने बताया कि चारू और अमन से उन की बात नहीं हो पा रही है. उन के कमरे पर भी ताला लगा हुआ है. तब मैं नोएडा से दिल्ली आई और यहां भाई की लाश देखने को मिली.’’ कह कर वह फिर से फफकफफक कर रोने लगी.

जयंत कुमार ने इंसपेक्टर अनिल कुमार को बताया कि वह बेटी और दामाद की खैरखबर फोन से लेते रहते थे. 3-4 दिन पहले उन की चारू से बात हुई थी तो वह घबराई हुई थी. घबराने की वजह पूछने पर उस ने बताया कि उस की ननद प्रियंका को चोट लग गई है, वह अमन के पास नोएडा आई हुई है. आज जब बेटी और दामाद में से किसी का भी नंबर नहीं मिला तो मैं उन के कमरे पर गया. लेकिन कमरे पर ताला लगा देख कर मैं घबरा गया. इस पर मैं ने अमन की बहन प्रियंका को फोन किया. जयंत कुमार ने आगे बताया कि प्रियंका से बात कर के उन्हें पता चला कि उसे न तो चोट लगी थी और न ही वह चारू और अमनदास के पास गई थी. इस बात से उन्हें अंदेशा हुआ और प्रियंका को दिल्ली बुला कर वह थाना द्वारका (उत्तरी) पहुंच गए.

जयंत कुमार ने आशंका जताई कि हो न हो किसी ने दोनों की ही हत्या कर दी हो. इस अंदेशे को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने फिर से उस नाले के आसपास चारू के शव को ढूंढा लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला. जयंत कुमार और प्रियंका दास ने किसी पर कोई शक वगैरह नहीं जताया तो पुलिस ने अमनदास की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि अमनदास की मौत सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से हुई थी. अब अमनदास की बहन और ससुर से बात कर के पुलिस को यह पता लगाना था कि चारू की हत्या हो चुकी है या फिर वह कहीं छिप कर रह रही है. यानी चारू के बारे में जानकारी हासिल करना पुलिस की पहली प्राथमिकता थी.

पुलिस ने सब से पहले चारू और उस के पति अमनदास के नंबर ले कर उन के फोन की काल डिटेल्स निकलवाने की काररवाई की. काल डिटेल्स से पुलिस यह जानना चाह रही थी कि उन की आखिरी बार किस से बात हुई थी और उन के फोन की अंतिम लोकेशन किस क्षेत्र में थी. उन के फोन नंबरों की काल डिटेल्स आने तक इंसपेक्टर अनिल कुमार ने अपने स्तर पर ही मामले की छानबीन शुरू कर दी. इंसपेक्टर अनिल कुमार ने मृतक अमनदास की बहन प्रियंका दास और अन्य लोगों को पूछताछ के लिए एक बार फिर थाने बुलाया. उन्होंने उन से जानना चाहा कि चारू को आखिरी बार कब और किस के साथ देखा गया था. तभी उन के एक रिश्तेदार ने बताया कि हफ्ता भर पहले चारू को अनुराग मेहरा नाम के युवक के साथ देखा गया था.

‘‘अनुराग मेहरा कौन है?’’ इंसपेक्टर अनिल कुमार ने पूछा.

‘‘सर, अनुराग मेहरा दिल्ली में बुराड़ी के पास संतनगर में रहता है. करीब एक साल  पहले अनुराग की बहन की शादी चारू के दूर के मामा के साथ हुई थी.’’ प्रियंका ने बताया.

पुलिस टीम उत्तरी दिल्ली स्थित बुराड़ी के नजदीक संतनगर कालोनी में अनुराग मेहरा के पहुंची. अनुराग घर पर ही मिल गया. पूछताछ के लिए पुलिस उसे थाने ले आई. थानाप्रभारी के सामने पहुंच कर अनुराग डर गया. थानाप्रभारी राजबीर मलिक उस की घबराहट को भांप गए. उन्होंने उस से चारू के बारे में पूछा तो उस ने अनभिज्ञता जताई. जबकि अनुराग के हावभाव से लग रहा था कि वह कुछ सच्चाई छिपा रहा है. इसलिए उन्होंने उस से सख्ती से पूछताछ की. इस पर अनुराग बोला, ‘‘सर, मैं चारू से 5-6 फरवरी की रात को मिला था. सुबह होने पर मैं अपने घर चला गया था. चारू अपने कमरे पर ही रह गई थी. बाद में वह कहां गई, पता नहीं.’’

‘‘तुम उस से रात में ही मिलने क्यों गए थे? 5-6 की रात को जब तुम उस से मिले थे तब उस का पति अमनदास कहां था?’’ राजबीर सिंह ने पूछा.

‘‘सर, वो भी अपने कमरे में ही था.’’

यह सुन कर थानाप्रभारी थोड़ा चौंके. उन्हें लगा कि अमनदास का हत्यारा वही होगा. क्योंकि जब वह रात को चारू से मिलने आया होगा तो शायद उस के पति अमनदास ने उसे और चारू को एकांत में देख लिया होगा. फिर भेद खुलने के डर से अनुराग ने अमनदास की हत्या कर दी होगी. साथ ही उन के दिमाग में यह भी आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चारू ने पति की हत्या का विरोध किया हो और अनुराग ने चारू को भी मार कर कहीं दूसरी जगह ठिकाने लगा दिया हो. इसलिए उन्होंने उस से सीधे सवाल किया, ‘‘तुम ने चारू की लाश कहां डाली है?’’

‘‘चारू की लाश!’’ अनुराग घबरा कर बोला.

‘‘हां, तुम सीधे बताते हो या फिर…’’

‘‘सर, मैं ने चारू को नहीं मारा. हम ने सिर्फ अमनदास की हत्या की थी. उस की हत्या में चारू खुद शामिल थी. रात को उस की लाश नाले में डालने के बाद सुबह को मैं अपने घर चला गया था.’’ अनुराग ने बताया.

अनुराग मेहरा ने चारू के साथ मिल कर उस के पति अमनदास की हत्या क्यों की, पुलिस ने इस बारे में अनुराग से पूछताछ की तो अमनदास की हत्या की जो कहानी सामने आई वह मन को झकझोर देने वाली थी. अमनदास मूलरूप से असम का रहने वाला था. उस के पिता भारतीय सेना में नौकरी करते थे जो अब रिटायर हो चुके हैं. कई साल पहले वह दिल्ली के उत्तमनगर क्षेत्र में रहते थे और एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. उत्तमनगर में ही उन के पड़ोस में जयंत कुमार रहते थे. जयंत कुमार दिल्ली की साप्ताहिक बाजारों में दुकान लगाते हैं.

पासपास रहने की वजह से दोनों परिवारों के बीच पारिवारिक संबंध बन गए थे. अमनदास ने असम के एक पालिटेक्निक कालेज से डिप्लोमा किया था. वह दिल्ली में नौकरी की तलाश में था. उधर चारू भी जवान थी. अमनदास और चारू के अकसर मिलनेजुलने से उन के बीच प्यार हो गया और उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया. यह बात दोनों ने घर वालों को बता भी दी कि वे दोनों शादी करना चाहते हैं. अमन के घर वालों को बेटे की पसंद पर कोई एतराज नहीं था. अब सब कुछ चारू के घर वालों की इच्छा पर निर्भर था. चारू के पिता जयंत कुमार जानते थे कि अमनदास पढ़ालिखा और होनहार लड़का है. उन्होंने सोचा कि आज नहीं तो कल अमन की नौकरी लग ही जाएगी. उस के साथ चारू की जिंदगी हंसीखुशी से कटेगी.

यही सोच कर उन्होंने बेटी की बात मान ली. इस से चारू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इस के बाद सामाजिक रीति रिवाज से दोनों की शादी हो गई. यह सन 2011 की बात है. शादी के बाद अमनदास के घर वाले असम चले गए. चारू भी उन के साथ गई थी. अमन के पिता ने वहीं पर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली. चारू और अमन असम में करीब एक साल रहे. इस दौरान चारू ने एक बेटी को जन्म दिया लेकिन जन्म के एक दिन बाद ही उस बच्ची की मौत हो गई. बेटी की मौत के बाद चारू एक तरह से सदमे में आ गई. उसे डाक्टर के पास ले जाया गया तो डाक्टर ने सलाह दी कि उसे काउंसलिंग की जरूरत है.

बहरहाल, कुछ दिनों तक असम में रहने के बाद अमन और चारू दिल्ली आ गए. दिल्ली आ कर अमन नौकरी की तलाश में जुट गया. थोड़ी कोशिश के बाद बाहरी दिल्ली के ढिचाऊं कलां के पास एक प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में उस की नौकरी लग गई. अमनदास को नौकरी मिल जाने के बाद पतिपत्नी ककरोला गांव में किराए पर कमरा ले कर रहने लगे. पति के नौकरी पर चले जाने के बाद चारू दिन भर घर में अकेली रहती थी. घर के कामधाम निपटाने के बाद अकेलेपन से वह ऊब जाती थी. उस ने इस बारे में एक दिन अमन से कहा, ‘‘मैं खाली समय में घर पर पड़ेपड़े बोर हो जाती हूं, इसलिए मैं चाहती हूं कि आसपास कहीं नौकरी कर लूं. इस से चार पैसे घर में आएंगे.’’

चारू पढ़ीलिखी तेजतर्रार युवती थी. इसलिए अमन को उस की तरफ से कोई चिंता नहीं थी. उस ने उसे नौकरी की इजाजत दे दी. साथ ही वह खुद भी यारदोस्तों के माध्यम से उस के लिए नौकरी तलाशने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि एक जानने वाले व्यक्ति की  मार्फत रमेशनगर स्थित एक काल सेंटर में चारू को नौकरी मिल गई. नौकरी लगने के बाद चारू में एकदम बदलाव आने शुरू हो गए. उसे जो सेलरी मिलती थी, उस का ज्यादातर हिस्सा वह अपने बननेसंवरने पर खर्च कर देती थी. कभी अमन उस से फिजूलखर्ची रोकने की बात करता तो वह कह देती कि वह जो भी खर्च करती है अपनी कमाई का करती है. पत्नी का जवाब सुन कर अमन को गुस्सा तो आता लेकिन घर का माहौल खराब न हो यह सोच कर वह अपने गुस्से को जाहिर नहीं करता था.

जब पत्नी नौकरी करने घर से निकलती है तो उस की किसी न किसी बाहरी व्यक्ति से बातचीत तो होती ही है. चारू के साथ भी यही  हुआ. औफिस में काम करने वाले कुछ लोगों के साथ उस की दोस्ती हो गई. यह बात अमनदास को पसंद नहीं थी. उस ने चारू को समझाया कि वह केवल अपने काम से मतलब रखे और डयूटी कर के सीधी घर आ जाए. मगर चारू स्वच्छंद विचारों वाली महिला थी, उस ने पति की बातों को गंभीरता से नहीं लिया. चारू के एक दूर के मामा थे दीपक. वह अविवाहित थे. एक दिन चारू ने अपने औफिस में काम करने वाले सुधीर नाम के युवक से अपने मामा दीपक के लिए कोई लड़की बताने को कहा.

उसी औफिस में अनुराग मेहरा नौकरी करता था. अनुराग उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी थाने के अंतर्गत आने वाले संतनगर में रहता था. उस की बहन भी शादी लायक थी. अनुराग ने अपने यार दोस्तों से अपनी बहन के लिए कोई ठीक सा लड़का बताने को कह रखा था. चारू ने जब सुधीर से अपने मामा के लिए लड़की देखने की बात कही तो सुधीर ने उस से कहा, ‘‘अनुराग की बहन भी शादी योग्य है. इस बारे में तुम सीधे उस से बात कर लो. अगर दोनों के बीच बात बन गई तो इस से अच्छा क्या हो सकता है?’’

चारू ने इस बारे में सीधे अनुराग मेहरा से बात की. इस के बाद अनुराग के घर वालों ने दीपक को देखा. उन्हें दीपक का घरपरिवार ठीक लगा. दोनों तरफ से बात तय हो जाने के बाद दीपक की शादी अनुराग की बहन के साथ तय हो गई. शादी हो जाने के बाद चारू और अनुराग के औफिस के संबंध रिश्तेदारी में बदल गए. यह एक साल पहले की बात है. इस के कुछ दिन बाद अनुराग ने नौकरी छोड़ दी और संतनगर इलाके में ही मोबाइल  फोन रिचार्ज करने और उस से संबंधित अन्य सामान बेचने की दुकान खोल ली. इस बीच उस का चारू के घर आनाजाना शुरू हो गया था. दरअसल इस की वजह यह थी कि अनुराग मेहरा अविवाहित था. उस की नजर चारू पर थी. वह मन ही मन चारू को चाहने लगा था.

उधर काम बढ़ने पर अमनदास ज्यादा व्यस्त हो गया था. वह देर रात घर लौटता था. थकामांदा होने की वजह से वह खापी कर सो जाता. पत्नी की शारीरिक जरूरतों की तरफ उस का कोई ध्यान नहीं था. पति की इस बेरुखी से चारू के कदम बहक गए. चारू काफी दिनों से 25 वर्षीय अनुराग मेहरा की आंखों की भाषा को समझ रही थी. वह उस की बातों से उस के मन की चाहत को भांप गई थी. पति की बेरुखी ने उसे अनुराग की तरफ बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया. वह अनुराग के साथ बिना किसी झिझक के घूमनेफिरने लगी. एक बार तो वह अनुराग के साथ मथुरा भी घूमने गई. वहां वे दोनों एक होटल में ठहरे. तभी उन के बीच जिस्मानी संबंध भी कायम हो गया.

मथुरा जाने से पहले चारू ने अमनदास को बताया था कि औफिस की तरफ से एक टूर मथुरा जा रहा है. उस टूर में वह भी जा रही है. अमनदास ने भी इस बारे में छानबीन नहीं की. उसे क्या पता था कि वह उस की आंखों में धूल झोंक कर अपने प्रेमी के साथ रंगरलियां मनाने जा रही है. कोई भी महिला जब इस तरह के कदम उठाती है तो वह अपने स्वार्थ में इतनी अंधी हो जाती है कि उसे इज्जतबेइज्जती की भी परवाह नहीं रहती. वह हमेशा अपने स्वार्थ को पूरे करने के तानेबाने बुनती है. चारू ने सोचा था कि उस की हरकतों का पति को पता नहीं लगेगा, इसलिए पति के ड्यूटी पर निकलते ही वह अपने कमरे पर अनुराग को बुला लेती थी. इस के बाद उन की रासलीला शुरू हो जाती थी. काफी दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा. इसी दौरान चारू ने नौकरी भी छोड़ दी.

चारू भले ही पति की आंखों में धूल झोंक रही थी लेकिन वह मोहल्ले में रहने वालों की नजरों को धोखा नहीं दे सकती थी. अनुराग उस के पति की गैरमौजूदगी में उस के कमरे पर आ कर घंटों तक रुकता था. मोहल्ले वाले इस का मतलब समझ रहे थे. बहरहाल चारू और अनुराग के संबंधों को ले कर मोहल्ले में कानाफूसी शुरू हो गई. किसी तरह यह बात अमनदास के कानों तक भी पहुंच गई. अमनदास पत्नी पर विश्वास करता था. उसे लोगों की बातों पर यकीन नहीं आया लेकिन इन बातों ने उस के दिल में शक की लहर जरूर दौड़ा दी.

उस ने इस बारे में चारू से बात की तो वह उस के सामने एकदम सती सावित्री सी बन गई. उस ने कहा कि अनुराग हमारा रिश्तेदार है. वह कभीकभार यहां आ जाता है तो पता नहीं लोगों को क्यों जलन होती है. उस ने पति पर विश्वास जमाते हुए कहा कि उस के और अनुराग के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है. अमन ने भी उस की बातों पर विश्वास कर लिया. पति के कुछ न कहने पर चारू अपनी चालाकी पर इतरा रही थी. वह मन ही मन खुश थी कि उस ने कितनी आसानी से पति को मूर्ख बना दिया. उस ने पहले की ही तरह अनुराग से मिलनाजुलना जारी रखा. उधर अमन ने भले ही पत्नी से कुछ नहीं कहा था लेकिन उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा था. सच्चाई जानने के लिए टाइमबेटाइम अपने कमरे पर आने लगा.

एक दिन दोपहर के समय वह अपने कमरे के करीब पहुंचा ही था तभी उस ने कमरे से अनुराग को निकलते देखा. अनुराग ने उसे नहीं देखा था. कमरे से निकल कर अनुराग सीधे अपनी कार में बैठ कर वहां से चला गया था. अमन कमरे में गया. उसे अचानक आया देख कर चारू चौंक गई. अमन ने उस से पूछा, ‘‘लगता है, अनुराग ने यहां आना बंद कर दिया है.’’

‘‘जब लोग फालतू की बातें करते हैं तो वो यहां क्यों आएगा.’’ चारू तपाक से बोली.

उस की बात सुन कर अमन समझ गया कि चारू उस से झूठ बोल रही है. अनुराग को उस ने घर से निकलते देखा था जबकि चारू ने यह बात उसे नहीं बताई. अपने वहम की पुष्टि के लिए उस ने फिर पूछा, ‘‘मेरे आने से पहले क्या कोई मेहमान यहां आया था?’’

‘‘नहीं तो, किस ने बताया आप को? यहां तो कोई नहीं आया था.’’ वह घबराते हुए बोली.

‘‘तुम झूठ बोल रह हो. यहां अभी अनुराग आया था. तुम्हारी बातों से तो लग रहा है कि मोहल्ले वाले तुम्हारे बारे में जो बातें कह रहे हैं वह सही हैं.’’ अमन झल्लाते हुए बोला.

पति के तेवर देख कर चारू चुप रही. पत्नी को कुछ देर डांटनेडपटने के बाद अमन भी चुप हो गया. लेकिन उस दिन के बाद दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया. रोजाना का झगड़ा आम बात हो गई. बात चारू के मायके तक पहुंची तो उस के पिता जयंत कुमार ने चारू को समझाया. लेकिन चारू अनुराग के प्यार में इतनी अंधी हो चुकी थी कि उस ने पिता की बातों को भी हवा में उड़ा दिया. उस ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह अनुराग के साथ शादी कर के अलग घर बसाएगी. इस के लिए उस ने अमन से तलाक देने को कहा. लेकिन अमन उसे तलाक देने को राजी नहीं हुआ.

चारू को जब लगा कि सीधी अंगुली से घी नहीं निकलेगा तो उस ने अनुराग से साफ कह दिया कि अब अमन को ठिकाने लगाना ही पड़ेगा. इस के बाद ही हम साथसाथ रह सकते हैं. अनुराग ने जब कहा कि अमन को मार कर मुझे क्या मिलेगा तो चारू तपाक से बोली, ‘‘मैं मिलूंगी. मुझे हासिल करने के लिए तुम्हें यह काम करना ही पड़ेगा.’’

अनुराग भी चारू को बहुत चाहता था. जब उसे लगा कि चारू मानने वाली नहीं है तो उस ने अमन को ठिकाने लगाने की हामी भर दी. अनुराग किराए के हत्यारे से अमन की हत्या कराना चाहता था. लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह ऐसे किसी शख्स को नहीं जानता था जो पैसे ले कर यह काम कर सके. तब चारू और अनुराग ने खुद ही अमन को ठिकाने लगाने की योजना तैयार कर ली. 4 फरवरी, 2015 को अचानक अमन के हाथ से चाय का प्याला गिर गया. गर्म चाय से उस का पैर जल गया था. उस की वजह से वह 2 दिन से अपनी ड्यूटी पर नहीं जा पा रहा था. चारू और अनुराग ने इसी का फायदा उठाया.

5 फरवरी की रात को अमन पत्नी की योजना से बेखबर हो कर सो गया. तभी चारू ने अनुराग को फोन कर दिया. अनुराग अपनी सैंट्रो कार नंबर डीएल8सी एफ5776 से अमनदास के कमरे पर पहुंच गया. उस ने कमरे के बाहर पहुंच कर चारू को फोन किया. चारू ने दरवाजा खोल दिया और उसे यह कहते हुए छत पर भेज दिया कि आधी रात के बाद जब वह फोन करे तो छत से नीचे आ जाना. अनुराग छत पर चला गया. चारू पति के गहरी नींद में सो जाने का इंतजार करने लगी. जब वह गहरी नींद सो गया तो चारू ने अनुराग को छत से कमरे में बुला लिया. अनुराग अपने साथ बेसबाल का बैट लाया था. अनुराग ने योजनानुसार बेड पर सोए अमनदास पर बेसबाल बैट से जोरदार वार किया.

सिर पर प्रहार होते ही अमन की चीख निकल गई. तभी चारू ने उस की आंखों में मिर्ची पाउडर झोंक दिया. वह चीखता हुआ आंखें मलने लगा. उसी दौरान अनुराग ने उस के सिर पर कई वार किए. अमन के सिर से खून बहने लगा. वार करते समय बेसबाल के बैट का हत्था टूट गया तो चारू घर में रखी लकड़ी की सोंटी उठा लाई. उस ने उस सोंटी से अमन के सिर पर कई वार किए. कुछ ही देर में अमनदास बेहोश हो गया तो दोनों ने बेड की चादर सहित उसे फर्श पर डाल दिया. चारू कमरे में रखा लोहे का पाइप उठा लाई. चारू ने उस पाइप से पति पर वार किया. बाद में अनुराग अमन के पेट पर बैठ गया और उस का गला दबा दिया.

अमनदास की हत्या करने के बाद उन्होंने लाश उसी बेडशीट में लपेट दी फिर बाथरूम में अपने हाथ वगैरह साफ किए. एक पिलो कवर पर भी खून के ज्यादा धब्बे लगे थे, उस पिलो कवर को भी उन्होंने बेडशीट के साथ लपेट दिया. हाथपैर साफ करने के बाद चारू ने अपने कपड़े वगैरह एक बैग में भर दिए ताकि उसे ठिकाने लगाने के बाद वह भी वहां से खिसक जाए. अनुराग की सैंट्रो कार दरवाजे के बाहर खड़ी थी. दोनों ने चादर में लपेटी अमनदास की लाश सैंट्रो कार की पिछली सीट पर डाल दी. जैसे ही अनुराग ने कार स्टार्ट करनी चाही, वह स्टार्ट नहीं हुई. वह घबरा गया कि अब क्या करे.

उसी समय इत्तफाक से 2 लोग उधर से आ रहे थे, अनुराग ने उन लोगों से कार में धक्का लगवाया. कार स्टार्ट होने पर चारू बैग ले कर कार में अगली सीट पर बैठ गई. बैग ले कर वह अगली सीट पर इसलिए बैठी ताकि पुलिस चेकिंग में उन्हें परेशानी न आए. अमूमन रात में चैकिंग के दौरान गाड़ी में किसी महिला के बैठे होने पर पुलिस यही समझती है कि वह परिवार की ही महिला है. कार ले कर अनुराग पहले बहादुरगढ़ रोड पर गया. लेकिन वहां मौका न मिलने पर वह वापस नजफगढ़ की ओर लौट आया और नंगली डेरी के पास गहरे नाले में चादर से लाश निकाल कर फेंक दी. बाद में चादर और पिलो कवर भी वहीं फेंक दिया.

लाश ठिकाने लगा कर वे दोनों कमरे पर पहुंचे. चारू ने बेड और फर्श पर लगे खून के धब्बे साफ किए. अनुराग भी वहीं सो गया. सुबह होते ही अनुराग अपने घर चला गया. थोड़ी देर बाद चारू ने अंकित नाम के युवक को फोन किया. अंकित नजफगढ़ में ही रहता था और उस के औफिस में ही काम करता था. उस ने अंकित से कहा कि अमन उस से लड़झगड़ कर उसे अकेला छोड़ कर कहीं चला गया है. उस ने उस के पास रहने को कहा. अंकित ने सहानुभूति जताते हुए उसे अपने कमरे पर बुला लिया. चारू बैग में अपने कपड़े आदि भर कर दरवाजे पर ताला लगा कर अंकित के कमरे पर चली गई. इस बीच चारू की अपने घर वालों से फोन पर बात होती रही.

एक दिन चारू अंकित के सामने अपना दुखड़ा रो रही थी तभी उस के पिता जयंत कुमार का फोन आया. फोन पर बात करते समय जयंत कुमार को लगा कि चारू सामान्य नहीं है. उन्होंने उस से घबराहट की वजह पूछी तो चारू ने बता दिया कि ननद के चोट लगी है. उन्हें देखने के लिए वह नोएडा आई हुई है. लेकिन 12 फरवरी को उस ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया. 12 फरवरी के बाद जयंत कुमार की बेटी से बात नहीं हुई तो वह परेशान हो गए. उधर अनुराग और चारू ने नाले में अमनदास की जो लाश फेंकी थी वह उस समय तो पानी में डूब गई थी. बाद में वह 12 फरवरी को फूलकर पानी की सतह पर आ गई. नाले में लोगों ने लाश देखी तो उस की सूचना पुलिस को दी.

अनुराग से पूछताछ के बाद पुलिस ने 14 फरवरी, 2015 को ही चारू को अंकित के यहां से गिरफ्तार कर लिया. चारू फोन पर अनुराग से बात करती ही रहती थी. उस ने अनुराग को बता दिया था कि वह नजफगढ़ में अंकित के पास रह रही है. थाने में चारू ने अपने प्रेमी को पुलिस हिरासत में देखा तो वह समझ गई कि अनुराग ने सारी सच्चाई पुलिस को बता दी है इसलिए उस ने भी पुलिस के सामने पति की हत्या की बात कुबूल कर ली. पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त बेसबाल का बैट, सोंटी और लोहे का पाइप चारू के कमरे से बरामद कर लिया. नाले में फेंकी गई बेडशीट और पिलो कवर बरामद नहीं हो सके. चारू और अनुराग मेहरा को गिरफ्तार कर पुलिस ने द्वारका कोर्ट में मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की तफ्तीश इंसपेक्टर अनिल कुमार कर रहे हैं. Love Story in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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