लेखक - जगदीश सिंह चंदेल   

कशिश की गलत आदतों की वजह से ही उस के भाई विशाल ने आत्महत्या कर ली थी. भाई को गंवाने के बाद भी वह सुधरने के बजाय अरमानों की उमंगों में उड़ती रही. आखिर एक दिन उस के साथ ऐसा हुआ कि...

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से चिरैया कोट जाने वाली सड़क पर स्थित है एक गांव सलाहाबाद, जो सराय लखंसी थानाक्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसी गांव के रहने वाले श्रद्धानंद उपाध्याय के परिवार में पत्नी सुमन के अलावा एक बेटा विशाल और 2 बेटियां कमल व कशिश थीं. श्रद्धानंद उपाध्याय की खेती की जमीन के अलावा कस्बे में जूतेचप्पल की दुकान भी थी. विशाल बड़ा हुआ तो वह भी पिता के साथ दुकान पर बैठने लगा. विशाल ने दुकानदारी के सारे गुण सीख लिए तो श्रद्धानंद ने दुकान की जिम्मेदारी पूरी तरह से बेटे के ऊपर छोड़ दी और खुद खेती के कामों में लग गए. श्रद्धानंद ने अपने तीनों बच्चों को पढ़ाया. बीए करने के बाद कमल अपने लिए नौकरी तलाशने लगी, ताकि परिवार की आमदनी बढ़े.

कोशिश करने पर उस की मऊ शहर में स्थित एक मोटरसाइकिल एजेंसी में नौकरी लग गई. कमल खूबसूरत और जवान थी. घर से बाहर निकलने पर तमाम लोग उसे ललचाई नजरों से देखते थे तो वहीं उस के साथ नौकरी करने वाले कई युवकों की निगाहें उस पर जमी थीं. इन सब की चिंता किए बगैर वह अपनी ड्यूटी पर जाती रही. उस के नौकरी करने से घर के हालात भी अच्छे हो गए थे. कमल के साथ कशिश भी जवान थी, इसलिए श्रद्धानंद जल्द से जल्द कमल के हाथ पीले करना चाहते थे, ताकि उस के बाद वह छोटी बेटी का भी विवाह समय से कर सकें.

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