उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के गांव नेखुआ बनवीरकाछ में 27 फरवरी, 2023 की सर्द रात को अचानक एक चीख सन्नाटे को चीरती हुई निकल गई थी. चीख काफी तेज थी. रात का पहला पहर ही था और गांव के लोग अपनेअपने घरों में सोने की तैयारी कर रहे थे. अचानक तेज चीख सुन कर कुछ लोग घरों से बाहर निकल आए.

“चीख किधर से आई?’’ एक व्यक्ति ने पड़ोसी से पूछा, जो हड़बड़ाता हुआ घर से बाहर निकला था. जवाब देने के बजाय उस ने भी सवाल कर दिया, ‘‘कौन चीखा?...क्या हुआ इतनी रात को?’’

“अरे लगता है, चीखने की आवाज खजांची के घर से आई है...’’ उसी वक्त तीसरा व्यक्ति बोल पड़ा.

“हां...हां... चलो, चल कर देखते हैं. न जाने क्या हुआ उस के घर पर?’’ पहला व्यक्ति बोला.

“लगता है कोई गिर पड़ा है.’’

“जो भी हुआ हो, चलो देखते हैं.’’ कहते हुए तीनों ग्रामीण खजांची वर्मा के घर की ओर जाने के लिए मुड़ गए .तभी उन्होंने खजांची के घर की तरफ से आते हुए कुछ लोगों को देखा. वे कितने लोग थे, गिनती नहीं कर पाए. उन्हें लगा कि वे भी चीख सुन कर ही उस के घर पर आए होंगे. लेकिन यह क्या वे तो अंधेरे में ही कहीं गुम हो गए. खजांची के घर जाने वाले ग्रामीण समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर बात क्या है?

खजांची के बारे में जानने के लिए सभी की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी. थोड़ी देर में ही वे खजांची के घर के बाहर पहुंच गए. वहां सन्नाटा था. दरवाजा भी बंद था. अंधेरा भी था. कुछ पल ठिठक कर उन लोगों ने घर के भीतर से किसी के कराहने की आवाज सुनी.

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