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एसएचओ सत्यप्रकाश पुलिस टीम के साथ वहां आए थे. वह भीड़ को हटा कर मकान में घुसे तो राकेश उन के सामने आ गया, ‘‘सर, मैं ने ही आप को फोन किया था.’’

एसएचओ ने उस पर एक उचटती सी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘वह कुरसी कहां है जिस पर खून लगे होने की बात तुम कह रहे थे?’’

‘‘यह है सर,’’ राकेश ने दरवाजे के बाहर रखी कुरसी की ओर इशारा किया.

एसएचओ सत्यप्रकाश ने कुरसी का मुआयना किया. उस के हत्थे पर खून लगा हुआ था. सामने दरवाजे पर ताला लगा देख उन्होंने राकेश की तरफ देखा, ‘‘इस दरवाजे पर ताला किस ने लगाया है?’’

‘‘मालूम नहीं सर,’’ राकेश बोला, ‘‘मैं नीतू के फोन करने पर यहां आया हूं. आप को नीतू बता सकती है.’’

एसएचओ सत्यप्रकाश नीतू की तरफ पलटे ही थे कि डीसीपी (पश्चिम) घनश्याम बंसल और एसीपी एस.पी. सिंह फोरैंसिक टीम के साथ वहां आ गए.

एसएचओ ने दोनों उच्चाधिकारियों को सैल्यूट करने के बाद वहां की स्थिति के विषय में बताते हुए कहा, ‘‘सर, कुरसी के हत्थे पर लगे खून से मुझे संदेह है कि यहां कोई खूनी वारदात हुई है.’’

डीसीपी घनश्याम बंसल ने दरवाजे पर लगा ताला देख कर आदेश दिया, ‘‘आप ताला खुलवा कर अंदर देखिए.’’

‘‘जी सर,’’ एसएचओ ने कहने के बाद राकेश और नीतू से ताले की चाबी के बारे में पूछा तो नीतू ने बताया, ‘‘इस की चाबी तो अंकल मनप्रीत या मां के पास रहती है. मां सुबह से बाजार गई हुई हैं और अंकल भी दिखाई नहीं दे रहे हैं.’’

‘‘ताला तोड़ दो,’’ घनश्याम बंसल ने कहा.

इशारा मिला तो एक कांस्टेबल ताला तोड़ने में जुट गया. थोड़ा प्रयास करने पर ताला टूट गया. एसएचओ ने जैसे ही दरवाजा खोला, अंदर का दृश्य देख कर वह चौंक गए, ‘‘अंदर फर्श पर महिला की लाश पड़ी है सर,’’ एसएचओ के मुंह से निकला.

डीसीपी घनश्याम बंसल और एसीपी एस.पी. सिंह ने सावधानी से कमरे में प्रवेश किया. उन के पीछे एसएचओ भी अंदर आ गए.

कमरे के फर्श पर एक महिला की रक्तरंजित लाश औंधे मुंह पड़ी हुई थी. लाश के पास खून फैला हुआ था. फोरैंसिक टीम को अंदर बुला कर सब से पहले वहां की गहन जांच करवाई गई. फिर एसएचओ ने लाश को सीधा किया. लाश की हालत रोंगटे खड़े कर देने वाली थी.

उस के चेहरे, जबड़े और गरदन पर चाकू के गहरे घाव थे. महिला का बड़ी बेरहमी से कत्ल किया गया था.

एसएचओ ने महिला को पहचान करने के लिए राकेश को कमरे में बुला लिया. लाश को देखते ही राकेश रोने लगा. रोते हुए ही उस ने बताया कि यह लाश उस की ताई रेखा रानी की है. पुलिस को भी यही अंदेशा था कि यह लाश सुबह से लापता रेखा की ही हो सकती है.

राकेश द्वारा लाश पहचान लिए जाने पर यह स्पष्ट हो गया था कि रेखा बाजार नहीं गई थी, उसे कत्ल कर के कमरे में डाल दिया गया था और कमरे का दरवाजा बाहर बंद कर दिया गया था.

डीसीपी घनश्याम बंसल इस मामले को बड़ी संजीदगी से देख रहे थे. कुछ सोच कर उन्होंने क्राइम ब्रांच के डीसीपी रोहित मीणा को फोन कर के इस कत्ल के विषय में बताया और उन्हें सहयोग करने के लिए कहा.

रोहित मीणा ने क्राइम ब्रांच के एसीपी यशपाल के नेतृत्व में एक टीम तुरंत गणेश नगर के लिए रवाना कर दी. इस टीम में तेजतर्रार इंसपेक्टर सुनील कुमार भी थे.

क्राइम ब्रांच की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. सुनील कुमार ने सब से पहले लाश का निरीक्षण किया. रेखा को जिस बेरहमी से मारा गया था, उस से यह अंदाजा लगाया गया कि हत्यारे ने अपना सारा गुस्सा रेखा पर उतारा है.

आसपास ऐसा सूत्र उन्हें नहीं मिला जो हत्यारे द्वारा वहां छोड़ा गया हो, लेकिन अनुभवी सुनील कुमार इस बात को समझ गए थे कि हत्यारा मृतका महिला को अच्छी तरह पहचानता था. वह कौन हो सकता है, यही सुनील कुमार को मालूम करना था.

वह कमरे के बाहर आ गए. राकेश और नीतू एकदूसरे के गले लग कर फूटफूट कर रो रहे थे. सुनील कुमार उन के पास आ कर ठहर गए.

उन्होंने नीतू और राकेश के सिर पर प्यार से हाथ रख कर सहानुभूति दर्शाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे दुख को समझ सकता हूं बच्चो, लेकिन रो कर जी को हलका कर लेने से मृतका की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी. उसे शांति तब मिलेगी, जब उस का हत्यारा फांसी के फंदे पर झूलेगा.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं सर,’’ राकेश अपने आंसू पोंछते हुए बोला, ‘‘मेरी ताई के हत्यारे को गिरफ्तार कर के आप कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइए.’’

‘‘हां, मैं ऐसा ही करूंगा. तुम बताओ, तुम्हारी ताई की हत्या कौन कर सकता है?’’ सुनील कुमार ने पूछा.

‘‘मैं क्या बताऊं सर, ताई बहुत अच्छी थीं, सब से प्यार से पेश आती थीं. उन का कोई दुश्मन भी नहीं था, लेकिन…’’ राकेश कहतेकहते रुक गया.

‘‘लेकिन क्या?’’ सुनील कुमार ने राकेश के चेहरे पर गहरी दृष्टि डाली, ‘‘देखो, तुम्हारे मन में जो भी बात हो, वह मुझे खुल कर बताओ.’’

राकेश ने गहरी सांस ली, ‘‘सर, मेरी ताई मनप्रीत के साथ लिवइन में रहती थीं. शुरू में तो मनप्रीत अंकल ताई को बहुत खुश रखता था लेकिन इधर कुछ समय से उस का ताई के साथ झगड़ा होता रहता था. वह गुस्से में ताई को पीट भी देता था. मुझे मनप्रीत बिलकुल पसंद नहीं था, इसलिए मैं यहां कम आता था.’’

‘‘मनप्रीत…’’ सुनील बुदबुदाए. राकेश की बात से उन्होंने तुरंत अनुमान लगा लिया कि रेखा रानी के कत्ल में मनप्रीत का ही हाथ है. उन्होंने राकेश के कंधे पर हाथ रखा, ‘‘बेटे, क्या मनप्रीत यहां मौजूद है? देख कर बताओ.’’

‘‘नहीं है सर,’’ राकेश ने वहां खड़े तमाम लोगों पर नजरें दौड़ा कर कहा, ‘‘मैं जब यहां आया था तब भी वह यहां नहीं था. मेरी बहन नीतू ने बताया है कि जब वह सो कर उठी थी, मनप्रीत कुरसी पर बैठा हुआ था. उस ने नीतू को धमका कर उस के कमरे में भेजा था. नीतू कमरे में जा कर सो गई थी, वह जब दोबारा सो कर उठी तो उसे मनप्रीत कहीं नजर नहीं आया, वह ताई के कमरे का ताला लगा कर चला गया था.’’

‘‘हूं.’’ इंसपेक्टर सुनील कुमार ने सिर हिलाया. उन्होंने वहां खड़ी नीतू से प्यार से कुछ सवाल कर के यह जानकारी हासिल कर ली कि मनप्रीत उस से और उस की मां रेखा से कैसा व्यवहार करता था.

नीतू ने बताया कि वह मनप्रीत को पसंद नहीं करती थी. वह उसे और उस की मां को पीटता था. मां से झगड़ा करता रहता था. मनप्रीत नशा भी करता था. उस के रूखे व्यवहार के कारण और घर में होने वाले क्लेश से वह हमेशा परेशान रहने लगी थी.

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