ढाबे से आमदनी बढ़ी तो संतोष की फिजूलखर्ची भी बढ़ गई. वह अपनी आमदनी का ज्यादातर हिस्सा दोस्तों के साथ शराब पीने आदि पर खर्च करने लगा. यानी उस का हाल आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया वाली हो गई थी.
जितना वो कमाता नहीं था, उस से ज्यादा खर्च कर देता था. धंधे में व्यस्त होने की वजह से उस का गांव में आनाजाना भी कम हो गया था. वह कभीकभी ही गांव जाता था. उस ने गांव से अपना रिश्ता लगभग तोड़ सा लिया था. वह केवल पैसे लेने के लिए ही गांव जाता था.
श्याम का एक दोस्त था रिंकू मिश्रा, जो जानकीपुरम में रहता था. वह भी पहले श्याम के साथ ही ढाबे पर काम करता था. श्याम किसी वजह से उस का ढाबा छोड़ कर कहीं चला गया तो संतोष के सामने ढाबा चलाने की समस्या खड़ी हो गई. क्योंकि वह खाना बनाना नहीं जानता था. इसलिए उस ने रिंकू मिश्रा को बुला लिया. रिंकू ढाबा चलाने में संतोष का सहयोगी बन गया. दोनों को ही शराब पीने की आदत थी. ऐसे में उन की जोड़ी जम गई.
पत्नी से दूर रहने की वजह से संतोष का मन औरत के लिए बेचैन रहता था. उस के मन में जवानी की उमंगें हिलोरें मारने लगी थीं. चूंकि संतोष खूब बनठन कर रहता था इसलिए रिंकू उसे बहुत पैसे वाला समझता था. रिंकू उस के पैसे से खुद भी मजे करना चाहता था और संतोष को भी कराना चाहता था. संतोष ने मन की बात रिंकू को बताई तो वह संतोष को देहधंधा करने वाली औरतों के पास ले जाने लगा. दोनों ही वहां मस्ती करते.
एक दिन संतोष ने रिंकू से कहा, ‘‘रिंकू भाई, सही कहूं तो इन औरतों के पास आने से तन की प्यास तो बुझ जाती है. पर मन में कोई सुख महसूस नहीं होता. हो सके तो कोई परमानेंट इंतजाम करो.’’
‘‘ठीक है संतोष भाई, मैं तुम्हारे लिए कोई परमानेंट इंतजाम करता हूं.’’ रिंकू ने उसे भरोसा दिलाया.
संतोष के ढाबे पर रिंकी तिवारी नाम की एक युवती आती थी. वह काकोरी गांव की रहने वाली थी. उस की शादी हरदोई के रहने वाले प्रेम कुमार के साथ हुई थी. लेकिन शादी के कुछ साल के अंदर ही उस का अपने पति से झगड़ा हो गया तो वह वापस मायके आ गई. वह लखनऊ आतीजाती रहती थी. इसी दौरान रिंकी की मुलाकात रिंकू हुई.
रिंकी कुछ दिन रिंकू के जानकीपुरम स्थित मकान में किराएदार के रूप में भी रही. रिंकू ने रिंकी को संतोष के बारे में बताया. रिंकी भी चाहती थी कि वह किसी पैसे वाले के साथ बंधे. एक दिन रिंकू ने एकांत में रिंकी की मुलाकात संतोष से करा दी. 40 साल का संतोष 22 साल की रिंकी से मिल कर बहुत खुश हुआ. चूंकि दोनों को ही एकदूसरे के साथ की जरूरत थी. इसलिए बहुत जल्द ही उन के बीच दोस्ती हो गई.
रिंकी को मर्दों की कमजोरी का पता था. वह संतोष के करीब जाने से पहले उसे अच्छी तरह से तौल लेना चाहती थी. कई बार संतोष ने उस के करीब जाने की कोशिश की तो रिंकी ने अपने मन की बात बताते हुए कहा, ‘‘संतोष, मैं तुम्हें प्यार करती हूं, मैं भी तुम को पाना चाहती हूं. पर मेरी इच्छा है कि पहले हम शादी कर लें. जिस से मुझे तुम्हारे सामने शर्मिंदा न होना पड़े.’’
रिंकी की बात संतोष को समझ आ गई. वह इस के लिए तैयार हो गया. उस ने सोचा कि राजकुमारी गांव में बच्चों को देखभाल करती रहेगी और रिंकी उस के साथ लखनऊ में रहेगी. वह रिंकी से बोला, ‘‘हम लोग कोई अच्छा सा समय देख कर शादी कर लेते हैं.’’
रिंकी भी यही चाहती थी. दोनों ने एक मंदिर में जा कर शादी कर ली. फिर रिंकी उस के साथ ही रहने लगी.
रिंकी से शादी करने की बात ज्यादा दिनों तक छिपी न रह सकी. कुछ दिनों में इस की जानकारी उस के घर वालों को भी हो गई. गांव में रह रही संतोष की पत्नी राजकुमारी को जब पता चला कि पति ने शहर में दूसरी शादी कर ली है, तो उसे बहुत दुख हुआ. मगर अब उस के सामने आंसू बहाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. क्योंकि परिजनों के कहने के बाद भी वह रिंकी को छोड़ने को तैयार नहीं था. इस तरह एक तरफ शहर में रह कर संतोष मौजमस्ती करता रहा और दूसरी तरफ गांव में बैठी उस की ब्याहता अपनी किस्मत पर आंसू बहाती रही थी.
इसी दौरान 18 मार्च, 2014 को थाना गाजीपुर के इस्माइलगंज में लखनऊ-फैजाबाद राजमार्ग पर केटीएल वर्कशाप के पास एक अधबने मकान में एक आदमी की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. खबर पाते ही थानाप्रभारी नोवेंद्र सिंह सिरोही, एसएसआई आर.आर. कुशवाह और कुछ सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए.
लाश एक 40-45 साल के आदमी की थी. उस के शरीर पर कोई घाव वगैरह नहीं था. थाना प्रभारी ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे न पहचान सका. तब पुलिस ने पंचनामा तैयार कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.
2 दिन बाद लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में मृतक के मरने की वजह श्वांस नली दबाने से होता बताया गया. यानी उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के पेट में एल्कोहल भी पाया गया.
थाना प्रभारी नोवेंद्र सिंह ने हत्या के इस मामले की जांच करनी शुरू कर दी. लेकिन उन के सामने सब से बड़ी समस्या लाश की शिनाख्त की थी. अभी तक उन्हें यह पता नहीं लग सका था कि वह लाश किस की थी? थानाप्रभारी ने लाश मिलने की सूचना एसपी ट्रांसगोमती हबीबुल हसन, सीओ गाजीपुर विशाल पांडेय और लखनऊ के एसएसपी प्रवीण कुमार को भी दे दी थी.
लाश के पास से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला था जिस के सहारे जांच आगे बढ़ सके. वह आदमी जो कपड़े पहने था, थानाप्रभारी ने उन की गंभीरता से जांच की तो उन्हें उस की कमीज पर टेलर का नाम दिखा. कमीज पर लगे लेबल पर टेलर का नाम ‘न्यू फैंसी टेलर गोसाईंगंज’ लिखा था. लखनऊ के आसपास के जिलों में गोसाईंगंज नाम के 3 बाजार हैं. पहला लखनऊ जिले में है, दूसरा सुल्तानपुर में और तीसरा फैजाबाद जिले में है.
थानाप्रभारी ने इन बाजारों में ‘न्यू फैंसी टेलर’ का पता लगाना शुरू किया. लखनऊ जिले के गोसाईंगंज बाजार में पुलिस ‘न्यू फैंसी टेलर’ नाम के दरजी की दुकान पर पहुंची. पता चला वह दुकान बहुत पुरानी है. उस दरजी ने शर्ट देखते ही बता दिया कि वह लेबल उस के यहां का नहीं है.
इस के बाद पुलिस गाजीपुर पहुंची. वहां रूप कुमार नाम का टेलर मिला. उस ने शर्ट देखते ही बता दिया, ‘‘साहब, यह तो कल्लू भाई की शर्ट है.’’
रूप कुमार कल्लू को अच्छी तरह से जानता था, इसलिए वह बोला, ‘‘साहब, मुझे याद है कि इस शर्ट का कपड़ा वह लखनऊ के किसी मौल से लाए थे.’’
पुलिस ने जब उस से कल्लू भाई का पता मालूम लिया तो टेलर ने बता दिया कि वह यहीं के नूरपुर बेहटा गांव में रहते हैं. पहले वह यहीं रहते थे लेकिन कुछ दिनों से वह लखनऊ जा कर रहने लगे थे. वैसे गांव में उन के मातापिता वगैरह रहते हैं.