रसीली नहीं थी रशल कंवर

डूंगरदान पत्नी को सुखी और खुश रखने के लिए गांव से शहर ले आया था. वह जितना कमाता था, उतने में गृहस्थी आराम से चल जाती थी, लेकिन दिन भर घर में अकेली रहने वाली पत्नी रसाल कंवर ने अपना सुख खोजा पति के दोस्त मोहन सिंह राव में. इस के चलते कुछ न कुछ तो गलत होना ही था. आखिर…

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

28 साल बाद मिला न्याय : बलात्कार से पैदा बेटे का ‘मिशन मदर’ – भाग 3

सुशीला ने गर्भ गिराने की सोची, लेकिन डाक्टर के मुताबिक वह संभव नहीं था. क्षमा की जान जा सकती थी. फिर तो उन की सांसें अटकने जैसी स्थिति में आ गईं. शरीर में काटो तो खून नहीं.

दोनों बहनें समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें, क्या नहीं. जिस ने क्षमा के साथ दुष्कर्म किया था, वे दबंग और बदमाश किस्म के थे. उन के लिए एक ओर बदनामी का डर था तो दूसरी ओर जान का खतरा भी था.

इस की जानकारी कैलाश को हुई, तब वह गुस्से से आगबबूला हो गए. इस की शिकायत ले कर दोनों भाइयों के पास गए, लेकिन उस ने उसी पर आरोप लगा दिया.

क्षमा के पेट में पलने वाला उस का ही बच्चा बताया और धमका कर भगा दिया. उस के बाद कैलाश और भी डर गए. वह तुरंत अपने औफिस गए और सीनियर से किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर करवाने की विनती की. इस का कारण पारिवारिक मजबूरी बताया.

गर्भवती होने पर जीजा ने करा लिया तबादला

खैर, कैलाश का तबादला बरेली से रामपुर हो गया. वह सुशीला और क्षमा को ले कर रामपुर आ गए. वहीं क्षमा की एक नर्सिंगहोम में डिलीवरी हुई. क्षमा ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. उस वक्त क्षमा की उम्र 13 साल हो चुकी थी.

कैलाश ने हरदोई के एक दंपति से बच्चा गोद लेने की बात कर ली थी. संयोग से राजेश अग्निहोत्री को एक बेटी थी. बेटे की चाहत में उस ने क्षमा के बच्चे को गोद ले लिया.

राजेश अग्निहोत्री कैलाश के गांव का ही रहने वाला था, इसलिए उस ने कानूनी प्रक्रिया को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया. राजेश ने बच्चे का नाम विकास अग्निहोत्री रखा.

कुछ सालों तक तो विकास राजेश का दुलारा बना रहा, किंतु जैसे ही वह अपने बेटे का बाप बना, तब विकास उसे भारी लगने लगा. वह उसे उपेक्षित करते हुए मानसिक उत्पीड़न भी करने लगा. जब वह अपने गांव जाता था, तब वहां लोग उसे नकली बाप का बेटा कहते थे. यह सुनना उसे बहुत बुरा लगता था.

दूसरी तरफ कैलाश और सुशीला ने अच्छा घर और वर देख कर क्षमा की शाहजहांपुर में ही शादी कर दी थी. शादी के बाद वह अपनी ससुराल चली गई. कुछ समय अच्छा गुजरा. वह एक बेटे की मां भी बन गई.

इसी बीच उस के दांपत्य जीवन में ग्रहण तब लग गया, जब रजी बाजार में क्षमा से टकरा गया. उस ने उसे उस के पति के सामने ही छेड़ दिया. पति ने जब इस का विरोध किया, तब उस के साथ तूतूमैंमैं करने लगा. बात हाथापाई तक पहुंच गई. इसी दौरान रजी ने बोल दिया कि वह उस के साथ कई बार सो चुकी है.

फिर क्या था, क्षमा की बसीबसाई जिंदगी में आग लग गई. पति से खूब झगड़ा हुआ और स्थिति उन के बीच तलाक तक जा पहुंची. उस की जिंदगी फिर से पटरी से उतर गई. परेशान क्षमा पहले अपने मायके में रही, फिर बच्चे को ले कर लखनऊ आ गई. वहां जा कर वह ब्यूटीपार्लर में काम कर जीविका चलाने लगी.

कोर्ट के आदेश पर 28 साल बाद हुई रिपोर्ट दर्ज

वर्ष 2006 में विकास के आने के बाद क्षमा की जिंदगी को फिर से एक नई दिशा मिल गई. उस का अच्छा असर हुआ. उन्होंने अपने करिअर को मजबूत करते हुए अच्छा कारोबार भी कर लिया.

क्षमा की इस दास्तान को सुनने के बाद एडवोकेट मोहम्मद मुतहर खां ने अदालत में एक याचिका दायर की. उस के बाद अदालत ने शाहजहांपुर के एसपी को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इस तरह से 4 मार्च, 2021 को सदर बाजार थाने में शाहजहांपुर निवासी नकी हसन और रजी हसन के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई.

अदालत के आदेश पर ही जुलाई, 2021 को डीएनए टेस्ट के लिए आरोपियों और विकास के नमूने लिए गए. उसे लैब भेज दिया गया. ठीक एक साल बाद नमूनों के परिणाम भी आ गए.

जांच रिपोर्ट के अनुसार विकास के डीएनएन से नकी हसन का नमूना मैच कर गया था. डीएनए के मिलान के बाद नकी और रजी दोनों फरार हो गए.

शाहजहांपुर के एसपी एस. आनंद ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अभियुक्तों को पकड़ने के लिए 2 टीमों का गठन किया. एक टीम का नेतृत्व एसपी (सिटी) संजय कुमार के जिम्मे था, जबकि दूसरी टीम का नेतृत्व सीओ अखंड प्रताप सिंह ने किया.

पुलिस की घेराबंदी के बाद 31 जुलाई, 2022 की रात में रजी हसन को गिरफ्तार कर लिया गया. पहली अगस्त, 2022 को अदालत में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया.

दूसरे अभियुक्त नकी हसन की भी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तारी हो गई. वह भागने की कोशिश में था. वह मुखबिर की सूचना पर 10 अगस्त, 2022 को पकड़ा गया था.

कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपियों की उम्र 50 और 48 साल के करीब हो चुकी थी. उन्हें अभी अदालत से सजा मिलनी बाकी है, लेकिन क्षमा सिंह और उस के बेटे के दिल को तसल्ली मिली थी कि उन्होंने दोषियों को हवालात में पहुंचा दिया.

क्षमा सिंह ने कथा लेखक से कहा कि वह पत्रिका में उस के नाम के साथ उस की तसवीर भी प्रकाशित करें ताकि उन महिलाओं को भी हिम्मत मिले, जो ऐसी घटना के बाद घर में चुप हो कर बैठ जाती हैं, जिस से बलात्कारियों के हौसले बढ़ जाते हैं.

भले ही आरोपी 28 साल बाद सलाखों के पीछे पहुंचे हैं लेकिन क्षमा सिंह के मन को इस से सुकून जरूर मिला है.  द्य

(कथा पुलिस काररवाई, एडवोकेट मोहम्मद मुतहर खां और क्षमा सिंह से की गई बातचीत पर आधारित)

मर्यादा की हद से आगे – भाग 4

25 साल की उम्र पार कर चुकी मानसी जवान थी. आर्थिक स्थिति खराब होने से घर वाले उस के हाथ पीले नहीं कर सके थे. इस उम्र में वह पुरुष साथी की जरूरत महसूस कर रही थी. पवन का साथ उसे अच्छा लगा और उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. दोनों के मन मिले तो उन के तन मिलने में भी ज्यादा देर नहीं लगी.

दोस्ती के नाते मानसी पवन की बहन थी, लेकिन उन दोनों ने भाईबहन के पवित्र रिश्ते को तारतार कर दिया था. अब वह इस रिश्ते को बारबार रौंद रहे थे. इसी बीच एक रोज कल्लू ने पवन और मानसी को लिपटतेचिपटते देख लिया. यह देख उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत मानसी और पवन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों ने ही कल्लू को बरगला दिया.

कहते हैं शक का बीज बड़ी जल्दी फूलता फलता है. कल्लू के दिमाग में भी शक का बीज पड़ गया था. वह दोनों पर नजर रखने लगा. पर निगरानी के बावजूद मानसी और पवन का मिलन हो ही जाता था.

कल्लू ने अपनी बहन मानसी को डांटडपट और धमका कर दोनों के संबंध के बारे में पूछताछ की. लेकिन मानसी ने पवन को क्लीनचिट दे दी. इस से कल्लू को लगने लगा कि वह व्यर्थ में ही दोनों के संबंधों पर शक कर रहा है.

कल्लू पवन पर शक न करे और उसे घर आने के लिए मना न करे, इस के लिए पवन ने कल्लू की आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया. यही नहीं पवन कल्लू के घर शराब की बोतल भी लाने लगा. इस का परिणाम यह हुआ कि कल्लू के घर पवन का बेरोकटोक आनाजाना होने लगा.

मानसी के पास मोबाइल नहीं था. उस ने पवन से डिमांड की तो उस ने मानसी को मोबाइल ला कर दे दिया. अब पवन को कल्लू के घर की जानकारी भी मिलने लगी और दोनों आपस में प्यार भरी रसीली बातें भी करने लगे.

पवन और मानसी के संबंधों को ले कर कल्लू के पड़ोसियों में भी कानाफूसी होने लगी थी. पड़ोसियों ने कल्लू के कान भरे और पवन के घर आने पर प्रतिबंध लगाने को कहा. इस पर कल्लू ने पवन को सख्त लहजे में मानसी से दूर रहने की चेतावनी दे दी. लेकिन पवन ने पड़ोसियों पर दोस्ती तोड़ने का आरोप लगाया और नाटक कर कल्लू को मना लिया. पवन अब तभी घर आता, जब कल्लू घर में मौजूद रहता.

लेकिन अप्रैल 2019 के पहले हफ्ते में एक रोज कल्लू ने पवन को अपनी बहन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, उस रोज शाम को पवन बोतल ले कर आया और दोनों ने बैठ कर शराब पी.

कल्लू ने उस शाम कुछ ज्यादा पी ली, जिस से वह बिना खाना खाए ही चारपाई पर लुढ़क गया और खर्राटे भरने लगा. मानसी और पवन ने कल्लू की हालत देखी तो आंखों ही आंखों में इशारा कर रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया.

मानसी और पवन रंगरेलियां मना ही रहे थे कि कल्लू की नींद खुल गई. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो उस का खून खौल उठा. उस ने मानसी की पीठ पर एक लात जमाई तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी. पवन भी उठ बैठा.

सामने कल्लू खड़ा था. मारे गुस्से से उस की आंखें लाल हो रही थीं. वह चीख कर बोला, ‘‘बेशर्म लड़की, शरम नहीं हाती रात के अंधेरे में गुल खिलाते हुए. मुझे शक तो पहले से ही था, पर तुम दोनों मेरी आंखों में धूल झोंकते रहे.’’

कल्लू का गुस्सा देख कर पवन तो भाग गया, पर मानसी कहां जाती. कल्लू ने उस की जम कर पिटाई की. मानसी चीखतीचिल्लाती रही और कल्लू उसे पीटता रहा. मानसी की बेहयाई और अवैध रिश्तों की बात जब लक्ष्मी को पता चली तो उस ने माथा पीट लिया. लक्ष्मी ने भी मानसी को खूब फटकार लगाई और समझाया भी.

इस घटना के बाद कल्लू और पवन की दोस्ती टूट गई. दोनों ने साथ खानापीना भी बंद कर दिया था. जब भी कल्लू का सामना पवन से हो जाता तो उस का खून खौल उठता. वह सोचता, जिस दोस्त पर वह भाई से भी ज्यादा भरोसा करता था, उसी ने उस की इज्जत पर डाका डाल दिया. ऐसे दोस्त से तो दुश्मन अच्छा होता है. वह जितना सोचता, उतनी ही दोस्त के प्रति नफरत पैदा होती.

दोस्त मर्यादा की हद से गुजर गया था. कल्लू ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. अपनी योजना के तहत कल्लू अपनी मां लक्ष्मी और बहन मानसी को अपने घर फैजाबाद छोड़ आया.

कानपुर लौट कर वह अपने काम पर लग गया. उस ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया कि उस के दोस्त पवन पाल ने उस की पीठ में विश्वासघात का छुरा घोंपा है.

उन्हीं दिनों एक शाम कल्लू पनकी पड़ाव शराब ठेके पर बैठा था. उसी टेबल पर पवन भी आ कर बैठ गया. दोनों की आंख मिली तो कल्लू ने नफरत से मुंह घुमा लिया. इस पर पवन बोला, ‘‘कल्लू भाई, मैं आप का अपराधी हूं. आप मुझे जो सजा देना चाहें, दे सकते हैं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू साजिश के तहत दोस्ती करना चाहता था. अत: वह बोला, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे अक्षम्य अपराध को माफ तो कर रहा हूं पर तुम्हारे प्रति मेरे मन में जो सम्मान था उसे भूल नहीं पाऊंगा.’’

इस के बाद दोनों गले मिले और साथ बैठ कर शराब पी. फिर तो यह सिलसिला बन गया. जब भी दोनों मिलते साथ बैठ कर खातेपीते.

पवन पाल को लगा कि कल्लू ने उसे माफ कर दिया है, पर यह उस की बड़ी भूल थी. उस ने सोचीसमझी रणनीति के तहत पवन से समझौता किया था. दोस्ती करने के बाद कल्लू अपनी योजना को सफल बनाने में जुट गया और समय का इंतजार करने लगा.

28 जून, 2019 की शाम रमाशंकर उर्फ कल्लू पनकी गल्ला गोदाम से घर वापस आ रहा था. उस के हाथ में लोहे का हुक (बोरा उठाने वाला) था. जब वह पनकी नहर पुल पर पहुंचा तभी उसे पवन पाल मिल गया. पुल पर बैठ कर दोनों कुछ देर बतियाते रहे. फिर उन का शराब पीने का प्रोग्राम बना. कल्लू बोला, ‘‘पवन, उस रोज तुम ने मुझे पिलाई थी, आज मेरी बारी है. तुम यहीं रुको, मैं शराब की बोतल, गिलास और कोल्डड्रिंक ले कर आता हूं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू जब खानेपीने का सामान ले कर लौटा तब तक रात के 9 बज चुके थे. कल्लू पवन को साथ ले कर इंडस्ट्रियल एरिया के नगर निगम पार्क पहुंचा, जहां सन्नाटा पसर चुका था. कल्लू और पवन एक बेंच पर बैठ कर शराब पीने लगे. कल्लू ने अपनी योजना के तहत पवन को कुछ ज्यादा शराब पिला दी.

पवन पर जब नशा हावी हुआ तो उस के पैर लड़खड़ाने लगे. उसी समय कल्लू ने पीछे से पवन पर हमला कर दिया. वह हाथ में पकड़े लोहे के हुक से पवन के सिर पर वार पर वार करने लगा. नुकीली हुक सिर में घुसी तो सिर फट गया और खून बहने लगा. पवन वहीं लड़खड़ा कर गिर गया. कुछ ही देर बाद उस की मौत हो गई. दोस्त की हत्या करने के बाद कल्लू फरार हो गया.

इधर सुबह को मार्निंग वाक पर लोग पार्क में पहुंचे तो उन्होंने एक युवक की लाश पड़ी देखी और पनकी पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस जांच में दोस्त द्वारा दोस्त की हत्या करने की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

11 जुलाई, 2019 को थाना पनकी पुलिस ने अभियुक्त रमाशंकर उर्फ कल्लू को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मानसी परिवर्तित नाम है.

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 4

फेसबुक के माध्यम से स्वीटी अशोक के संपर्क में आ गई. दोनों अकसर चैटिंग कर लिया करते थे. दोनों ने आपस में मोबाइल नंबर भी शेयर कर लिए थे. धीरेधीरे दोनों दिल खोल कर बातें करने लगे. स्वीटी अशोक के परिवार के बारे में अधिक जानकारी जुटाने का प्रयत्न करती थी. जाहिर था कि वह अशोक से प्रभावित थी, इसीलिए उस के बारे में खोजबीन करती थी.

एक दिन बातचीत के दौरान स्वीटी ने पूछा, ‘‘अशोक, मैं ने तुम्हारे परिवार के बारे में बहुत कुछ जान लिया है लेकिन यह कभी नहीं पूछा कि तुम करते क्या हो?’’

अशोक फीकी हंसी हंसा, ‘‘मुझे झूठ बोलने की आदत नहीं है, इसलिए सच बताऊंगा. सच यह है कि मैं बेरोजगार हूं.’’

‘‘मैं सीरियस हूं यार.’’

‘‘मैं भी सीरियस हूं, मजाक नहीं कर रहा हूं. सच बता रहा हूं कि मैं बेरोजगार हूं. हां, इतना जरूर है कि मैं सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहा हूं.’’

तब तक दोनों की दोस्ती गहरा गई थी. स्वीटी का मन अशोक को देखने, उस से मिलने और आमनेसामने बैठ कर बातें करने का था. एक दिन उस ने अशोक को पहसा आने को बोल दिया. दिन, तारीख और समय भी निश्चित कर दिया. स्वीटी के इस बुलावे को अशोक ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

नियत दिन और समय पर अशोक पहसा कस्बा पहुंच गया. स्वीटी उसे पहसा इटारा मोड़ पर स्थित दुर्गा मंदिर के पास मिली. दोनों को पता था कि कौन कैसे कपड़े पहन कर आएगा. इसलिए उन्हें एकदूसरे को पहचानने में दिक्कत नहीं हुई.

अशोक का व्यक्तित्व आकर्षक था तो स्वीटी भी भरपूर जवान थी. अशोक से बातें करतेकरते स्वीटी सोचने लगी कि अगर अशोक जैसे सुंदर, सजीले युवक से उस की शादी हो जाए तो उस का जीवन सुखमय रहेगा.

स्वीटी सोच में डूबी हुई थी. तभी अशोक बोला, ‘‘तुम इतनी सुंदर होगी, मैं ने सोचा भी नहीं था. बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?’’

स्वीटी की धड़कनें तेज हो गईं. उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो मैं सोच रही हूं, अशोक भी वही सोच रहा हो. मन की बात मन में छिपा कर वह बोली, ‘‘जो कहना चाहते हो, बेहिचक कह सकते हो.’’

‘‘तुम्हें देखते ही दिल में प्यार का अहसास जाग उठा है.’’ अशोक ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया, ‘‘आई लव यू स्वीटी.’’

प्रेम निवेदन सुनते ही स्वीटी मानो अपने आपे में नहीं रह सकी. उस ने अपना दूसरा हाथ उठा कर अशोक के हाथ पर रख दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

उसी समय दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. स्वीटी घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर जब तब अशोक से मिलने लगी. अशोक भी घर वालों को बिना कुछ बताए स्वीटी के प्यार में बंध गया.

जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो फिर शारीरिक मिलन भी होने लगा. मऊ में दरजनों ऐसे लौज और होटल थे, जहां इस प्रेमी युगल को आसानी से कमरा उपलब्ध हो जाता था.

लगभग एक साल तक स्वीटी और अशोक का मिलन निर्बाध चलता रहा. उस के बाद अशोक स्वीटी से कन्नी काटने लगा. उस ने स्वीटी से मोबाइल फोन पर बात करना कम कर दिया था. जब कभी बतियाता भी तो वह झुंझला उठता था. शारीरिक मिलन से भी वह कतराने लगा था.

अशोक में आए इस परिवर्तन से स्वीटी उर्फ प्रतिमा चिंतित हो उठी. उसे लगा कि जो सपना उस ने देखा था, वह अधूरा रह जाएगा. स्वीटी ने इस बारे में गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो उस के पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. उसे पता चला कि अशोक का झुकाव गाजीपुर की एक युवती की ओर है और दोनों छिपछिप कर मिलते हैं.

प्यार का घरौंदा टूटता देख स्वीटी बौखला गई. उस ने युवती के बारे में अशोक से बात की तो उस ने झूठ बोल दिया. साथ ही उस ने झुंझला कर स्वीटी से कहा कि वह उसे फोन न किया करे. वह न तो उस से मिलना चाहता है और न बात करना. इस के बाद स्वीटी और अशोक के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दोनों के प्यार में गहरी दरार आ गई.

इसी बीच अशोक का चयन बिहार वन विभाग में हो गया. चयन के बाद उस ने स्वीटी से और भी दूरियां बढ़ा लीं. दरअसल, अशोक को भय सताने लगा था कि अगर स्वीटी उस के पीछे पड़ी रही तो उस का भविष्य दांव पर लग सकता है. इसलिए वह उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. दूसरी ओर उस का परिचय एक सजातीय युवती से भी हो गया था, जिस के कारण वह स्वीटी से दूरियां बनाने लगा था.

प्यार में धोखा खाने के बाद स्वीटी के दिल में अशोक के प्रति नफरत पनपने लगी थी. स्वीटी की एक करीबी सहेली सोनम यादव मऊ में रहती थी. वह भी पहसा स्थित कालेज में बीटीसी की छात्रा थी. प्यार में मात खाने के बाद वह हर बात सोनम से शेयर करती थी. एक रोज बातचीत में सोनम ने स्वीटी को उकसाया कि वह बेवफा प्रेमी को सबक सिखाए ताकि वह किसी अन्य के साथ धोखा न करे.

20 अगस्त को स्वीटी ने काल की तो अशोक ने उसे मऊ के अवधपुरी होटल में मिलने को कहा. होटल में दोनों की बातचीत हुई और शारीरिक मिलन भी हुआ. उसी दिन अशोक ने नौकरी लग जाने और ट्रेनिंग पर जाने की बात कह कर स्वीटी को फोन न करने की हिदायत दी.

इस पर स्वीटी ने कहा कि जब बात नहीं करनी है तो तुम ने जो घड़ी और अपना फोटो गिफ्ट में दिया था, वापस ले लो. इस पर अशोक ने कहा कि वह 2 दिन बाद आ कर ले जाएगा.

लेकिन जब अशोक नहीं आया तो स्वीटी प्रतिशोध की आग में जल उठी. उस ने अपनी सहेली सोनम यादव से विचारविमर्श किया. दोनों ने बेवफा प्रेमी अशोक को सबक सिखाने की ठान ली. इस के लिए स्वीटी ने एक तेजधार वाला चाकू खरीदा और उसे अपने बैग में सुरक्षित रख लिया.

27 अगस्त, 2019 की दोपहर बाद स्वीटी अपनी सहेली सोनम यादव के साथ अशोक के घर मरूखा मझौली पहुंची. उस समय अशोक घर पर नहीं था. फलस्वरूप वे दोनों लौट गईं. जब दोनों गांव के बाहर पटरी पर पहुंचीं तभी अशोक मोटरसाइकिल से आ गया.

पहले उस की स्वीटी से झड़प हुई, फिर सोनम से. जब अशोक और सोनम में झड़प हो रही थी, तभी स्वीटी ने बैग से चाकू निकाला और अशोक के पेट में घोंप दिया. अशोक खून से लथपथ हो कर नहर की पटरी पर गिर पड़ा.

अशोक को चाकू घोंपने के बाद स्वीटी और सोनम ने तेज कदमों से नहर का पुराना पुल पार किया और मोटरसाइकिल पर मऊ की ओर जा रहे एक युवक से यह कह कर लिफ्ट मांगी कि उन दोनों को कोचिंग के लिए देर हो रही है. उस युवक ने दोनों को लिफ्ट दे दी और इस तरह वे मऊ चली गईं.

इधर पटरी पर तड़प रहे अशोक को राहगीर तथा खेतों पर काम कर रहे लोगों ने देखा तो यह खबर उस के घर वालों को दी. घर वाले उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां उस की मौत हो गई.

घर वालों ने मौत की सूचना थाना हलधरपुर पुलिस को दी तो थानाप्रभारी अखिलेश कुमार अस्पताल पहुंचे. उन्होंने जांच शुरू की तो इश्क में फंसे अशोक की हत्या का परदाफाश हुआ.

2 सितंबर, 2019 को थाना हलधरपुर पुलिस ने आरोपी स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान व सोनम यादव को मऊ कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट शशिकुमार के सामने पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. पुलिस उस व्यक्ति का पता नहीं लगा पाई, जो हत्यारोपियों को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर मऊ तक लाया था.

एक मौका और दीजिए : बहकने लगे सुलेखा के कदम – भाग 3

दर्द से उसे यों तड़पता देख कर उस ने दूध मेज पर रखा तथा उस के पास ‘क्या हुआ’ कहती हुई आई. उस के आते ही उस ने हाथपैर ढीले छोड़ दिए तथा सांस रोक कर ऐसे लेट गया मानो जान निकल गई हो. वह बचपन से तालाब में तैरा करता था, अत: 5 मिनट तक सांस रोक कर रखना उस के बाएं हाथ का खेल था.

सुलेखा ने उस के शांत पड़े शरीर को छूआ, थोड़ा झकझोरा, कोई हरकत न पा कर बोली, ‘‘लगता है, यह तो मर गए…अब क्या करूं…किसे बुलाऊं?’’

मनीष को उस की यह चिंता भली लगी. अभी वह अपने नाटक का अंत करने की सोच ही रहा था कि सुलेखा की आवाज आई :

‘‘सुयश, हमारे बीच का कांटा खुद ही दूर हो गया.’’

‘‘क्या, तुम सच कह रही हो?’’

‘‘विश्वास नहीं हो रहा है न, अभीअभी हार्टअटैक से मनीष मर गया. अब हमें विवाह करने से कोई नहीं रोक पाएगा…मम्मी, पापा के कहने से मैं ने मनीष से विवाह तो कर लिया पर फिर भी तुम्हारे प्रति अपना लगाव कम नहीं कर सकी. अब इस घटना के बाद तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं होगा.

‘‘देखो, तुम्हें यहां आने की कोई आवश्यकता नहीं है. बेवजह बातें होंगी. मैं नीलेश भाई साहब को इस बात की सूचना देती हूं, वह आ कर सब संभाल लेंगे…आखिर कुछ दिनों का शोक तो मुझे मनाना ही होगा, तबतक तुम्हें सब्र करना होगा,’’ बातों से खुशी झलक रही थी.

‘पहले दूध पी लूं फिर पता नहीं कितने घंटों तक कुछ खाने को न मिले,’ बड़बड़ाते हुए सुलेखा ने दूध का गिलास उठाया और पास पड़ी कुरसी पर बैठ कर पीने लगी.

मनीष सांस रोके यह सब देखता, सुनता और कुढ़ता रहा. दूध पी कर वह उठी और बड़बड़ाते हुए बोली, ‘अब नीलेश को फोन कर ही देना चाहिए…’ उसे फोन मिला ही रही थी कि  मनीष उठ कर बैठ गया.’

‘‘तुम जिंदा हो,’’ उसे बैठा देख कर अचानक सुलेखा के मुंह से निकला.

‘‘तो क्या तुम ने मुझे मरा समझ लिया था…?’’ मनीष बोला, ‘‘डार्लिंग, मेरे शरीर में हलचल नहीं थी पर दिल तो धड़क रहा था. लेकिन खुशी के अतिरेक में तुम्हें नब्ज देखने या धड़कन सुनने का भी ध्यान नहीं रहा. तुम ने ऐसा क्यों किया सुलेखा? जब तुम किसी और से प्यार करती थीं तो मेरे साथ विवाह क्यों किया?’’

‘‘तो क्या तुम ने सब सुन लिया?’’ कहते हुए वह धम्म से बैठ गई.

‘‘हां, तुम्हारी सचाई जानने के लिए मुझे यह नाटक करना पड़ा था. अगर तुम उस के साथ रहना चाहती थीं तो मुझ से एक बार कहा होता, मैं तुम दोनों को मिला देता, पर छिपछिप कर उस से मिलना क्या बेवफाई नहीं है.

‘‘10 महीने मेरे साथ एक ही कमरे में मेरी पत्नी बन कर गुजारने के बावजूद आज अगर तुम मेरी नहीं हो सकीं तो क्या गारंटी है कल तुम उस से भी मुंह नहीं मोड़ लोगी…या सुयश तुम्हें वही मानसम्मान दे पाएगा जो वह अपनी प्रथम विवाहित पत्नी को देता…जिंदगी एक समझौता है, सब को सबकुछ नहीं मिल जाता, कभीकभी हमें अपनों के लिए समझौते करने पड़ते हैं, फिर जब तुम ने अपने मातापिता के लिए समझौता करते हुए मुझ से विवाह किया तो उस पर अडिग क्यों नहीं रह पाईं…अगर उन्हें तुम्हारी इस भटकन का पता चलेगा तो क्या उन का सिर शर्म से नीचा नहीं हो जाएगा?’’

‘‘मुझे माफ कर दो, मनीष. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई,’’ सुलेखा ने उस के कदमों पर गिरते हुए कहा.

‘‘अगर तुम इस संबंध को सच्चे दिल से निभाना चाहती हो तो मैं भी सबकुछ भूल कर आगे बढ़ने को तैयार हूं और अगर नहीं तो तुम स्वतंत्र हो, तलाक के पेपर तैयार करवा लेना, मैं बेहिचक हस्ताक्षर कर दूंगा…पर इस तरह की बेवफाई कभी बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

उसी समय सुलेखा का मोबाइल खनखना उठा…

‘‘सुयश, आइंदा से तुम मुझे न तो फोन करना और न ही मिलने की कोशिश करना…मेरे वैवाहिक जीवन में दरार डालने की कोशिश, अब मैं बरदाश्त नहीं करूंगी,’’ कहते हुए सुलेखा ने फोन काट दिया तथा रोने लगी.

उस के बाद फिर फोन बजा पर सुलेखा ने नहीं उठाया. रोते हुए बारबार उस के मुंह से एक ही बात निकल रही थी, ‘‘प्लीज मनीष, एक मौका और दे दो…अब मैं कभी कोई गलत कदम नहीं उठाऊंगी.’’

उस की आंखों से निकलते आंसू मनीष के हृदय में हलचल पैदा कर रहे थे पर मनीष की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उस की बात पर विश्वास करे या न करे. जो औरत उसे पिछले 10 महीने से बेवकूफ बनाती रही…और तो और जिसे उस की अचानक मौत इतनी खुशी दे गई कि उस ने डाक्टर को बुला कर मृत्यु की पुष्टि कराने के बजाय अपने प्रेमी को मृत्यु की सूचना  ही नहीं दी, अपने भावी जीवन की योजना बनाने से भी नहीं चूकी…उस पर एकाएक भरोसा करे भी तो कैसे करे और जहां तक मौके का प्रश्न है…उसे एक और मौका दे सकता है, आखिर उस ने उस से प्यार किया है, पर क्या वह उस से वफा कर पाएगी या फिर से वह उस पर वही विश्वास कर पाएगा…मन में इतना आक्रोश था कि वह बिना सुलेखा से बातें किए करवट बदल कर सो गया.

दूसरा दिन सामान्य तौर पर प्रारंभ हुआ. सुबह की चाय देने के बाद सुलेखा नाश्ते की तैयारी करने लगी तथा वह पेपर पढ़ने लगा. तभी दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा मनीष ने खोला तो सामने किसी अजनबी को खड़ा देख वह चौंका पर उस से भी अधिक वह आगंतुक चौंका.

वह कुछ कह पाता इस से पहले ही मनीष जैसे सबकुछ समझ गया और सुलेखा को आवाज देते हुए अंदर चला गया, पर कान बाहर ही लगे रहे.

सुलेखा बाहर आई. सुयश को खड़ा देख कर चौंक गई. वह कुछ कह पाता इस से पहले ही तीखे स्वर में सुलेखा बोली, ‘‘जब मैं ने कल तुम से मिलने या फोन करने के लिए मना कर दिया था उस के बाद भी तुम्हारी यहां मेरे घर आने की हिम्मत कैसे हुई. मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती…आइंदा मुझ से मिलने की कोशिश मत करना.’’

सुयश का उत्तर सुने बिना सुलेखा ने दरवाजा बंद कर दिया और किचन में चली गई. आवाज में कोई कंपन या हिचक नहीं थी.

वह नहाने के लिए बाथरूम गया तो सबकुछ यथास्थान था. तैयार हो कर बाहर आया तो नाश्ता लगाए सुलेखा उस का इंतजार कर रही थी. नाश्ता भी उस का मनपसंद था, आलू के परांठे और मीठा दही.

आफिस जाते समय उस के हाथ में टिफिन पकड़ाते हुए सुलेखा ने सहज स्वर में पूछा, ‘‘आज आप जल्दी आ सकते हैं. रीजेंट में बाबुल लगी है…अच्छी पिक्चर है.’’

‘‘देखूंगा,’’ न चाहते हुए भी मुंह से निकल गया.

गाड़ी स्टार्ट करते हुए मनीष सोच रहा था कि वास्तव में सुलेखा ने स्वयं को बदल लिया है या दिखावा करने की कोशिश कर रही है. सचाई जो भी हो पर वह उसे एक मौका अवश्य देगा.

आखिर क्या था बेलगाम ख्वाहिश का अंजाम – भाग 3

राजेश मानसिक तनाव से गुजर रहा था. वह इस कदर परेशान हो गया कि उस ने तलाक की बात मान लेने में ही भलाई समझी. दोनों तैयार हुए, लेकिन बेटे को ले कर बात अटक गई. राजेश बेटे को अपने साथ रखना चाहता था जबकि दीपिका उसे देने को भी तैयार नहीं थी. कभीकभी राजेश गुस्से में उस की पिटाई भी कर देता था.

अपनी पिटाई की बात दीपिका जब योगेश को बताती तो योगेश गुस्से में तिलमिला कर रह जाता था. उसे यह कतई पसंद नहीं था कि राजेश उस की प्रेमिका पर हाथ उठाए. रिश्तों की कड़वाहट इस हद तक बढ़ गई कि दीपिका अपने बेटे के साथ बैडरूम में सोती थी, जबकि राजेश ड्राइंगरूम में सोता था.

दीपिका अपना आचरण बदलने को तैयार नहीं थी और राजेश उस की शर्तों पर तलाक नहीं देना चहता था. रिश्तों में नफरत भर चुकी थी. दीपिका तो विवेकहीन हो चुकी थी. वह अब हर सूरत में हमेशा के लिए योगेश की होना चाहती थी. योगेश भी इन बातों से परेशान हो गया था.

राजेश के रहते यह संभव नहीं था इसलिए दोनों ने राजेश को रास्ते से हटाने का खतरनाक फैसला कर लिया. यह काम राजेश के अकेले के वश का नहीं था. उस के रेस्टोरेंट पर पप्पू व डब्बू नामक 2 युवक अकसर आते रहते थे. वे दोनों दबंग प्रवृत्ति के थे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. उन के बारे में वह ज्यादा नहीं जानता था. उसे वे काम के मोहरे नजर आए. योजना के अनुसार योगेश ने बहुत जल्द उन से दोस्ताना रिश्ते बना लिए. एक दिन बातोंबातों में योगेश ने कहा, ‘‘तुम दोनों को लखपति बनाने का एक प्लान है मेरे पास.’’

‘‘क्या?’’ पप्पू ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मेरे लिए तुम्हें एक काम करना होगा जिस के बदले में तुम्हें 5 लाख रुपए मिलेंगे.’’ कहने के साथ ही योगेश ने उन्हें अपने मन की बात बता दी.

पैसों के लालच में दोनों हत्या में उस का साथ देने को तैयार हो गए. अगले दिन उस ने दीपिका से बात की और उस से 50 हजार रुपए ले कर बतौर पेशगी दोनों को दे दिए. इस के बाद दीपिका व योगेश उचित मौके की तलाश में रहने लगे.

उन्होंने 3 मार्च, 2017 की रात हत्या करना तय कर लिया. उस रात प्रेम सिंह अपने कमरे में और राजेश ड्राइंगरूम में नींद के आगोश में थे. लेकिन दीपिका की आंखों से नींद कोसों दूर थी. योगेश ने दीपिका को फोन किया तो उस ने अपने घर का पिछला दरवाजा खोल दिया. फिर रात तकरीबन 12 बजे के बाद घर के पिछले दरवाजे से पप्पू व डब्बू के साथ योगेश घर में दाखिल हुआ. दीपिका तीनों को ड्राइंगरूम तक ले गई. वे अपने साथ गला दबाने के लिए रस्सी भी लाए थे. राजेश उस वक्त गहरी नींद में था.

पप्पू व डब्बू राजेश के गले में रस्सी डाल रहे थे कि उस की आंख खुल गई. मौत का अहसास होते ही वह बचाव के लिए उन से उलझ गया. लेकिन उन सभी ने उसे दबोच लिया. इस बीच दीपिका ने रसोई में से 2 चाकू ला कर उन्हें दे दिए. उन्होंने पहले रस्सी से उस का गला दबाया इस के बाद चाकुओं से ताबड़तोड़ वार किए. दीपिका ने उस के पैर पकड़ लिए थे. योगेश के मन में राजेश के प्रति इसलिए नफरत थी क्योंकि वह दीपिका को पीटता था इसलिए उस ने उस के शरीर पर सब से ज्यादा वार किए.

इस बीच आवाज सुन कर दूसरे कमरे में सो रहे राजेश के पिता प्रेम सिंह वहां आ गए. अपनी आंखों से मौत का नजारा देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. प्रेम सिंह को देख कर सभी के चेहरों पर हवाइयां उड़ गईं. उन का इरादा प्रेम सिंह की हत्या का नहीं था. चूंकि उन्होंने राजेश की हत्या करते देख लिया था, इसलिए उन की भी हत्या का फैसला कर लिया.

उन्होंने मिल कर प्रेम सिंह को दबोच लिया और चाकुओं से ताबड़तोड़ प्रहार कर के उन की भी हत्या कर दी. पति व ससुर की सांसों की डोर टूटने से दीपिका खुश हुई. इस के बाद पप्पू व डब्बू वहां से चले गए. फिर दीपिका व योगेश ने मिल कर खून साफ किया और दोनों लाशों को चादर व कंबल में बांध कर कार में रख दिया. योगेश ने चाकू और राजेश का मोबाइल भी रख लिया.

तड़के वह कार ले कर वहां से चला गया. रास्ते में लाडपुर के जंगल में उस ने सारा सामान फेंक दिया. इस से पहले उस ने मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था. कार उस ने कुंआवाला में सड़क किनारे छोड़ दी. उस ने कपड़े से कार में आग लगाने की कोशिश भी की थी. लेकिन कामयाब नहीं हो सका और इस प्रयास में वह खुद भी जल गया था. इस के बाद उस ने फोन कर के दीपिका को लाशों को ठिकाने लगाने की जानकारी दे दी और अपने घर चला गया.

योजना के अनुसार दीपिका ने अपने मासूम बेटे को अच्छे से रटवा दिया था कि कोई भी पूछे तो बताना है कि उस ने पापा को जाते हुए बाय किया था. शाम ढले दीपिका ने पति व ससुर के बुलंदशहर जाने की झूठी कहानी गढ़ कर उन की गुमशुदगी दर्ज करा दी. अपने घर को भी उस ने पूरी तरह दुरुस्त कर दिया था. यह काम इतनी सफाई से किया था कि घर की तलाशी लेने पर पुलिस भी वहां से कोई सबूत नहीं जुटा पाई.

योगेश की निशानदेही पर पुलिस ने खून से सने चाकू और सोफा के कवर बरामद कर लिए. विस्तृत पूछताछ के बाद अगले दिन यानी 6 मार्च, 2017 को पुलिस ने दोनों आरोपियों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट (द्वितीय) विनोद कुमार की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उन की जमानत नहीं हो सकी थी.

दीपिका ने बेलगाम ख्वाहिश के चलते प्रेमी के साथ अलग दुनिया बसाने का ख्वाब पूरा करने के लिए जो रास्ता चुना, वह सरासर गलत था. उस ने अपनी ख्वाहिशों को काबू रखा होता और विवेक से काम लिया होता तो एक हंसताखेलता परिवार बरबादी के कगार पर कभी नहीं पहुंचता.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

शराबी की विनाश लीला – भाग 4

पति की नशेबाजी से घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी. जब बेटियों के भूखे मरने की नौबत आ गई, तब श्यामा नौकरी की तलाश में जुटी. 8वीं पास श्यामा को अच्छी नौकरी कहां मिलती. उस ने मोहल्ले में ही स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या से संपर्क किया और अपनी व्यथा बता कर जीवनयावन के लिए काम मांगा. प्रधानाचार्या ने श्यामा पर तरस खा कर उसे रसोइया की नौकरी दे दी. इस तरह श्यामा को 2 हजार रुपए माह वेतन पर मिड डे मील बनाने का काम मिल गया.

नौकरी मिलने के बाद श्यामा किसी तरह अपनी बेटियों का पालनपोषण करने लगी. उस की बड़ी बेटी पिंकी अब तक निरंकारी बालिका इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर महात्मा गांधी महाविद्यालय में बीए (फर्स्ट ईयर) में पढ़ने लगी थी.

उस की 3 बेटियां प्रियंका, वर्षा और रूबी निरंकारी बालिका विद्यालय में ही पढ़ रही थीं. श्यामा उन्हें सुबह अपने साथ ले जाती और फिर छुट्टी होने के बाद साथ ही ले आती थी. मिड डे मील का बचा खाना भी वह अपने साथ ले आती जो शाम को मांबेटियों के खाने के काम आता था.

नशेड़ी पति की दहशत से श्यामा व उस की बेटियां डरीसहमी रहती थीं. जब वह ज्यादा नशे में होता तो श्यामा दरवाजा नहीं खोलती थी. इस पर वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करता और खूब गालियां बकता. श्यामा के कमरे के सामने खाली जगह पड़ी थी. उस ने खाली जगह पर घासफूस का एक छप्पर रखवा कर एक चारपाई डलवा दी थी ताकि नशेड़ी पति कमरे के बजाए उसी छप्पर के नीचे सो जाए.

श्यामा की बड़ी बेटी पिंकी 19 साल की हो चुकी थी. वह मोहल्ले के कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना व अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लेती थी. पिंकी की एक सहेली पूजा थी, जो उस के साथ ही पढ़ती थी. वह उस से कहती थी कि मां के हौसले से ही वह जिंदा है.

पहले वह छोटी बहनों को पढ़ा कर पैरों पर खड़ा करेगी. उस के बाद अपनी शादी की सोचेगी. वह मां का हौसला कभी नहीं टूटने देगी. उस की 14 वर्षीय छोटी बहन प्रियंका कक्षा 9 में और 13 साल की वर्षा 7वीं कक्षा में थीं, जबकि 10 वर्षीय रूबी अभी कक्षा 5 में थी.

रामभरोसे पक्का शराबी था. जिस दिन उस के पास शराब पीने को पैसे नहीं होते, उस दिन वह श्यामा से मांगता. इनकार करने पर वह उसे मारतापीटता और बक्से में रखे पैसे निकाल लेता. पैसा न मिलने पर वह घर का सामान बर्तन, अनाज व कपड़े उठा कर ले जाता और बेच कर शराब पी जाता. वह ऐसा कमीना बाप था, जो बेटियों के गुल्लक तक तोड़ कर पैसे निकाल लेता था.

नशेड़ी पति की हरकतों से परेशान श्यामा की हसरतें अधूरी रह गई थीं. उस के हौसले टूटने लगे थे, वह मानसिक तनाव में रहने लगी थी. कभीकभी वह अपना दर्द अपनी सहयोगी तारावती से बयां करती थी. वह उस से कहती थी कि बड़ी बेटी पिंकी के ब्याह की चिंता सता रही है. घर की माली हालत खराब है, ऐसे में उस की शादी कैसे होगी. पिंकी के अलावा 3 अन्य बेटियां भी हैं, जो साल दर साल बड़ी हो रही हैं.

30 जनवरी की शाम 4 बजे रामभरोसे घर आया. उस समय श्यामा के अलावा उस की चारों बेटियां घर पर ही थीं. रामभरोसे ने आते ही श्यामा से शराब पीने के पैसे मांगे. उस ने पैसा देने से मना किया तो रामभरोसे ने पास में रखा डंडा उठाया और श्यामा को पीटने लगा.

प्रियंका और रूबी शोर मचाने लगीं तो रामभरोसे ने उन्हें भी पीटना शुरू कर दिया. मांबेटी अपनी जान बचा कर भागीं तो उस ने उन का पीछा किया. उन्होंने किसी तरह रामशरण के घर में घुस कर जान बचाई. गुस्से से लाल रामभरोसे घर आया. उस ने घर का सामान तहसनहस कर दिया, घर के बाहर पड़ा छप्पर उलट दिया. फिर वह  शराब पीने ठेके पहुंच गया.

इधर श्यामा पति की हैवानियत से इतनी ऊब गई थी कि उस ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया था. वह बाजार से फसलों के बीज बेचने वाली दुकान से क्विक फास के 7 पाउच खरीद लाई. यह दवा गेहूं को घुन से बचाने के लिए गेहूं भंडारण में रखी जाती है.

दवा लाने के बाद श्यामा ने चारों बेटियों को अपने सामने बिठाया और बोली, ‘‘तुम्हारे नशेड़ी बाप की हैवानियत से मैं टूट चुकी हूं. उस के जुल्म अब और नहीं सह पाऊंगी. इसलिए मैं ने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया है.’’

यह सुन कर पिंकी बोली, ‘‘मां, आप तो मेरी संबल हो. आप के हौसले से ही हम जिंदा हैं. जब आप ही नहीं रहोगी तो हम जी कर क्या करेंगे. हम सब एक साथ ही मरेंगे.’’

‘‘शायद तुम ठीक कहती हो. क्योंकि मेरे न रहने पर वह नशेड़ी अपने नशे के लिए या तो तुम सब को बेच देगा या फिर घर को देह व्यापार का अड्डा बना देगा. इसलिए उस के जुल्मों से बचने के लिए आत्महत्या करना ही बेहतर है.’’

जब श्यामा की चारों बेटियां एक राय हो कर मां के साथ आत्महत्या करने को राजी हो गईं, तब श्यामा ने कमरे की अंदर से कुंडी बंद कर दी.

इस से बुरा क्या हो सकता है कि श्यामा के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि जहर मिलाने के लिए कोल्डडिंक या कोई पेय ले आती.

वह चूंकि फैसला कर चुकी थी, इसलिए उस ने भगौने में आटे का घोल बनाया और जहर की 7 में से 4 पुडि़या घोल में मिला दीं.

इस के बाद दिल को कड़ा कर के बारीबारी से चारों बेटियों को घोल पिला दिया और खुद भी पी लिया. जहरीले घोल ने कुछ देर बाद ही अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. सभी मूर्छित हो कर आड़ेतिरछे एकदूसरे पर गिर गईं. उन के प्राणपखेरू कब उड़े, किसी को पता नहीं चला.

लगभग 33 घंटे बाद इस घटना की जानकारी तब हुई, जब निरंकारी बालिका विद्यालय की छात्रा प्रीति श्यामा के घर आई. उस ने दरवाजा न खोलने की जानकारी श्यामा के ससुर रामसागर को दी. रामसागर ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो मां व उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी हुई. पुलिस ने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो नशेड़ी पति की हैवानियत से ऊब कर आत्महत्या करने की यह घटना प्रकाश में आई.

5 फरवरी, 2020 को थाना सदर कोतवाली पुलिस ने रामभरोसे को फतेहपुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया.

औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 3

विवेचना हाथ में आते ही एसएसआई शर्मा तुरंत सक्रिय हो गए और तहकीकात शुरू कर दी. सब से पहले उन्होंने वादी तथा रीना के प्रेमी मोनू चौहान के बयान दर्ज किए. बाद में काररवाई को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने सीओ हेमेंद्र सिंह नेगी से दिशानिर्देश लिए. सीओ के निर्देश पर अंकुर शर्मा ने रीना की जानकारी देने के लिए कई मुखबिरों को तैनात कर उन की मौनीटरिंग करने लगे.

विवेचनाधिकारी शर्मा को इतना तो पता चल ही गया था कि रीना पिछले कई दिनों से घर पर नहीं है. उसे आसपास के लोगों ने भी कहीं आतेजाते नहीं देखा. संदेह के आधार पर गांव रामपुर रायघटी के निकट गंगा नदी के किनारे की तलाश शुरू करवा दी ताकि नदी के आसपास रीना का कोई सुराग मिल जाए.

गंगा नदी के किनारे के रास्ते पर तलाशी के दरम्यान 12 अगस्त, 2022 की दोपहर को पुलिस को बालावाली रेलवे पुल के नीचे तैरता हुआ एक प्लास्टिक का बोरा दिखाई दिया. उसे नदी से बाहर निकाल कर खोला गया. उस में एक लड़की का शव था.

शव की शिनाख्त के लिए तुरंत मोनू को बुलवाया गया. मोनू मौके पर आ कर शव के हाथ पर बने 3 स्टार ओम के निशान को देख कर उस ने उस की शिनाख्त अपनी प्रेमिका रीना पुत्री मदन के रूप में कर दी.

महिला थानेदार मनीषा ने रीना के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. इस मामले में आईपीसी की धाराएं 302 व 201 भी जोड़ दी गईं.

मोनू के बयान और आरोपों पर भरोसा करते हुए पुलिस ने जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ाई. जल्द ही 16 अगस्त, 2022 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर रीना के भाई रवि को भोगपुर शाहपुर रोड से गिरफ्तार कर लिया.

लक्सर कोतवाली ला कर पुलिस उस से पूछताछ करने लगी. सख्ती से पेश आने पर रवि ने पुलिस के सामने रीना की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उस के बाद उस ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह इस प्रकार है—

काफी समय से नाबालिग रीना व मोनू के बीच प्रेम संबंध चल रहे थे. 3 महीने पहले रीना और मोनू घर से भाग कर देहरादून चले गए और उन्होंने कोर्ट में मैरिज करने का प्रयास किया, मगर रीना के नाबालिग होने के कारण यह शादी नहीं हो सकी थी.

उस के बाद दोनों अगले दिन ही घर लौट आए. परिवार की बदनामी के डर से रीना के घर वालों ने मोनू के खिलाफ कोई कानूनी काररवाई नहीं की थी.

रवि के परिवार में मांबाप के अलावा एक भाई और 2 बहनें थीं. बड़ी बहन रीता की शादी 4 साल पहले बंटी से हुई थी.

घर वालों ने रीना को मोनू से दूर रहने और संबंध खत्म करने की हिदायत दी थी. चेतावनी के साथ यह भी कह दिया था कि भविष्य में अगर उस ने फिर कोई ऐसा कदम उठाया तो इस का अंजाम बुरा हो सकता है. उसे जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इस के बाद में घर वालों ने रीना की शादी के लिए नगीना (बिजनौर) में अपनी बिरादरी का एक लड़का भी देख लिया था.

रीना अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. वह घर वालों की पसंद के लड़के से शादी करने के लिए तैयार नहीं थी, जिस से घर के सभी लोग अपमानित महसूस कर रहे थे. रीना द्वारा घर वालों की पसंद के लड़के से शादी की मनाही करने पर बिरादरी में थूथू होने लगी थी. इस कारण परिवार में काफी तनाव का माहौल बन गया था.

बात 6 अगस्त, 2022 के आधी रात की है. रात के 2 बजे खटपट की आवाज से रीना के भाई रवि की नींद टूट गई. जब वह चारपाई से उठा, तब देखा कि रीना घर से भागने की तैयारी कर रही थी. उस समय पिता घर पर नहीं थे. वे नदी से रेत लाने गए हुए थे. रवि ने रीना को पकड़ लिया और उसे नहीं भागने के लिए समझाया, मगर रीना नहीं मानी. बहुत समझाने पर भी जब वह अपनी जिद पर अड़ी रही तब रवि को गुस्सा आ गया.

गुस्से में उस ने दोनों हाथों से उस का गला पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा. कमजोर रीना भाई के हाथों की पकड़ को नहीं छुड़ा पाई. कुछ मिनट में ही वह बेजान हो गई. गला घुटने से उस की मौत हो चुकी थी. जैसे ही रवि ने उस का गला छोड़ा, वह वहीं धड़ाम से गिर गई.

रीना की मौत हो गई थी. इस के बाद रवि ने रीना की मौत की खबर अपने बहनोई बंटी को फोन कर के दी. वह पास के ही गांव ओसपुर में रहता है. आधे घंटे बाद बंटी ससुराल आ गया. बंटी को रवि ने रीना की हत्या के बारे में बता दिया.

दोनों के सामने रीना की लाश पड़ी थी. यह देख कर दोनों डर गए. पुलिस से बचने के लिए उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई. उस के अनुसार, पहले दोनों ने रीना की लाश को एक प्लास्टिक के बोरे में डाल कर बोरे का मुंह रस्सी से बांध दिया. उस बोरे को ले कर बंटी रवि की प्लेटिना मोटरसाइकिल पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वे दोनों गंगा नदी के किनारे चलते हुए बालावाली रेलवे पुल के पास जा पहुंचे. वहां उन्होंने उस बोरे को पुल के नीचे फेंक दिया और घर लौट आए.

पुलिस ने रवि के इस बयान को दर्ज करने के बाद उसी दिन ही शाम को उस के जीजा बंटी को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

बंटी ने भी पुलिस के सामने रवि के बयानों की पुष्टि करते हुए रीना की लाश को ठिकाने लगाने में मदद करने की बात स्वीकार ली. इसी के साथ पुलिस ने रीना के शव को ले जाने वाली रवि की काले रंग की बजाज प्लेटिना बाइक नंबर यूके 08एपी 5865 उस के घर से बरामद कर ली.

अगले दिन पुलिस ने रवि व बंटी को कोर्ट में पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

रीना हत्याकांड का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम में कोतवाल यशपाल सिंह विष्ट, एसएसआई अंकुर शर्मा, एसआई मनोज ममगई, विनय मोहन द्विवेदी, कांस्टेबल अनिल व मोहन शामिल रहे. रीना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया.

कथा लिखे जाने तक रवि व बंटी जेल में ही थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रीना परिवर्तित नाम है

मर्यादा की हद से आगे – भाग 3

भाभी की बात सुन कर कल्लू को भी गुस्सा आ गया. वह घर में तोड़फोड़ करने लगा. दयाशंकर ने कल्लू को समझाने का प्रयास किया तो वह उस से भी भिड़ गया. इस पर दयाशंकर को गुस्सा आ गया. उस ने कल्लू को मारपीट कर घर से बाहर कर दिया.

भाई की पिटाई से कल्लू का नशा हिरन हो गया था. रात भर वह घर के बाहर पड़ा रहा. उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि अब वह भैयाभाभी का रोटी का एक टुकड़ा भी मुंह में नहीं डालेगा. कमा कर ही खाएगा.

वंदना की तीखी जुबान लक्ष्मी के सीने को छलनी कर देती थी. कल्लू के प्रति उस का दुर्व्यवहार भी दिल में दर्द पैदा करता था, लेकिन वह लाचार थी. अत: उस ने कल्लू को समझाया, ‘‘बेटा, तू जवान है. हट्टाकट्टा है. कहीं भी चला जा और अपमान की रोटी खाने के बजाए इज्जत की रोटी कमा कर खा.’’

मां की बात कल्लू के दिल में उतर गई. उस के बाद उस ने फैजाबाद छोड़ दिया और नौकरी की तलाश में कानपुर आ गया. कुछ दिनों के प्रयास के बाद रमाशंकर उर्फ कल्लू को पनकी गल्ला मंडी में पल्लेदारी का काम मिल गया. शुरू में तो कल्लू को पीठ पर बोझ लादने में परेशानी हुई, लेकिन बाद में अभ्यस्त हो गया.

गल्ला मंडी में गेहूं चावल के 3 बड़े गोदाम हैं. इन्हीं गोदामों में गेहूं चावल का भंडारण होता है. ट्रक आते ही पल्लेदार बोरा उतरवाई की मजदूरी तय कर के माल गोदाम में उतार देते हैं. रमाशंकर उर्फ कल्लू भी ट्रक से माल लोड अनलोड का काम करने लगा.

कुछ महीने बाद कल्लू की मेहनत रंग लाने लगी. अब वह मांबहन को भी पैसा भेजने लगा और खुद भी ठीक से रहने लगा. यही नहीं, जब वह घर जाता तो मांबहन के साथसाथ भैयाभाभी के लिए भी कपड़े वगैरह ले जाता.

कल्लू के काम पर लग जाने से जहां मांबहन खुश थीं, वहीं वंदना और दयाशंकर ने भी राहत की सांस ली थी. वंदना अब मन ही मन सोचने लगी थी कि जिसे वह खोटा सिक्का समझ बैठी थी, वह सोने का सिक्का निकला.

कल्लू पनकी नहर किनारे बसी कच्ची बस्ती में किराए पर रहता था. कुछ दिनों बाद मकान मालिक ने अपना कमरा 5 हजार रुपए में बेचने की पेशकश की तो जोड़जुगाड़कर के कल्लू ने कमरा खरीद लिया. इस कमरे के आगे कुछ जमीन खाली पड़ी थी.

कल्लू ने वह भी अपने कब्जे में ले ली. बाद में कल्लू ने इस खाली पड़ी जमीन पर मिट्टी का एक कमरा और बना लिया, उस कमरे की छत उस ने खपरैल की बना ली. मतलब अब उस का अपना स्थाई निवास बन गया था.

रमाशंकर उर्फ कल्लू पनकी गल्लामंडी स्थित जिस गोदाम में पल्लेदारी करता था, उसी गोदाम में पवन पाल भी पल्लेदारी करता था. पवन मूलरूप से कानपुर देहात के थाना नर्वल के अंतर्गत आने वाले गांव दौलतपुर का रहने वाला था.

पवन पाल के पिता देवी चरनपाल तहसील कर्मचारी थे, जबकि बड़ा भाई दयाशंकर खेती करता था. पवन पाल शहरी चकाचौंध से प्रभावित था. वह पल्लेदारी का काम करते हुए पनकी गंगागंज में किराए के कमरे में रहता था.

पवन व कल्लू दोनों हमउम्र थे. पल्लेदारी का काम भी साथसाथ करते थे. दोनों में जल्दी ही गहरी दोस्ती हो गई. कल्लू भी खानेपीने का शौकीन था और पवन पाल भी. शाम को दिहाड़ी मिलने के बाद दोनों शराब के ठेके पर पहुंचे जाते.

खानेपीने का खर्चा 2 बराबर हिस्सों में बंटता था. रविवार को गोदाम बंद रहता था. उस दिन पवन पाल अपने गांव चला जाता था. कभीकभी वह कल्लू को भी अपने साथ गांव ले जाता था. वहां भी दोनों की पार्टी होती थी.

एक रोज कल्लू के बड़े भाई दयाशंकर ने फोन पर उसे बताया कि मां की तबीयत खराब है. एक महीने से उस का बुखार नहीं उतर रहा है. मां की बीमारी की जानकारी मिलने पर कल्लू चिंतित हो उठा. उस ने अपने दोस्त पवन से विचारविमर्श किया और फिर मां का इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में कराने का निश्चय किया.

इस के बाद वह फैजाबाद गया और मां को कानपुर ले आया. मां की देखभाल के लिए वह बहन मानसी को भी साथ ले आया था. कल्लू ने मां को हैलट अस्पताल में दिखाया. डाक्टर ने लक्ष्मी को देख कर अस्पताल में भरती तो नहीं किया, लेकिन कुछ जांच और दवाइयां लिख दीं. इस तरह घर रह कर ही लक्ष्मी का इलाज शुरू हो गया.

कल्लू के पल्लेदार दोस्त पवन को जब पता चला कि कल्लू अपनी मां को इलाज के लिए कानपुर ले आया है तो वह उस की बीमार मां से मिलने उस के घर पहुंचा. कल्लू ने अपनी मां और बहन मानसी से उस का परिचय कराया. पवन ने खूबसूरत मानसी को देखा तो पहली ही नजर में वह उस के दिल की धड़कन बन गई. पवन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि काले कलूटे भाई की बहन इतनी खूबसूरत होगी.

पवन पाल अब कल्लू की बीमार मां को देखने के बहाने उस के घर आने लगा. जब भी वह आता, फल वगैरह ले कर आता. इस दरम्यान उस की नजरें मानसी पर ही टिकी रहतीं. जब कभी दोनों की नजरें आपस में टकरातीं तो मानसी की पलकें शरम से झुक जातीं.

पवन जब मानसी की मां लक्ष्मी से बतियाता तो वह मानसी के रूपसौंदर्य की खूब तारीफ करता. मानसी अपनी तारीफ सुन कर मन ही मन खुश होती. इस तरह आतेजाते पवन मानसी पर डोरे डालने लगा.

पवन पाल शरीर से हृष्टपुष्ट व सजीला युवक था. कमाता भी अच्छा था. रहता भी खूब ठाटबाट से था. मानसी को भी पवन का घर आना अच्छा लगने लगा था. वह भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी. कभीकभी पवन बहाने से उस के अंगों को भी छूने की कोशिश करने लगा था. इस छुअन से मानसी सिहर उठती थी.

आखिर पवन और मानसी का प्यार परवान चढ़ने लगा. कभी कभी पवन पाल उस से शारीरिक छेड़छाड़ के साथ हंसीमजाक भी करने लगा था. मानसी दिखावे के लिए छेड़छाड़ का विरोध करती थी, लेकिन अंदर ही अंदर उसे सुख की अनुभूति होती थी. प्यार की बयार दोनों तरफ से बह रही थी, लेकिन प्यार का इजहार करने की हिम्मत दोनों में से एक की भी नहीं थी.

आखिर जब पवन से नहीं रहा गया तो उस ने एक रोज एकांत पा कर मानसी का हाथ थाम कर कहा, ‘‘मंजू, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना मुझे सब कुछ सूनासूना लगता है. तुम्हारी चाहत ने मेरा दिन का चैन और रातों की नींद छीन ली है.’’

मानसी अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, ‘‘पवन, पहली ही मुलाकात में तुम मेरी पसंद बन गए थे. लेकिन मैं अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकी. अब जब तुम ने प्यार का इजहार कर ही दिया तो मैं मन ही मन खुशी से झूम उठी. मुझे भी तुम्हारा प्यार स्वीकार है. मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’

मानसी की बात सुन कर पवन खुशी से झूम उठा. वह उसे बांहों में भर कर बोला, ‘‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’

बहन की सौतन बनने की जिद – भाग 3

27 वर्षीय नेहा सिंह मूलरूप से बिहार के बेगूसराय जिले के थाना लोहिया नगर स्थित कस्बा आनंदपुर की रहने वाली थी. उमाशंकर प्रसाद सिंह की 6 संतानों में नेहा सब से बड़ी थी. 5 बेटियों के बाद एक बेटा था. उन की सारी बेटियां एक से बढ़ कर एक थीं.

उमाशंकर ने बेटियों को पढ़ा कर इस काबिल बना दिया कि कभी मुश्किल की घड़ी आए तो डट कर उस का मुकाबला कर सकें.

नेहा बड़ी हुई तो उन्होंने योग्य वर देख कर उस के हाथ पीले कर दिए क्योंकि अभी उन की 4 बेटियां और थीं ब्याहने के लिए.

बड़े अरमानों के साथ उमाशंकर ने बड़ी बेटी नेहा का विवाह लखीसराय के मिंकू सिंह के साथ किया था. उन्होंने शादी में दिल खोल कर खर्च किया था.

शादी के बाद एक साल तक नेहा और उस के पति के बीच संबंध बहुत मधुर रहे. इस दौरान नेहा एक बेटे की मां भी बनी.

इसे समय का तकाजा कहें या नेहा की किस्मत, 2 साल बाद नेहा और उस के पति के बीच छोटीछोटी बातों को ले कर किचकिच होने लगी. यह विवाद आगे चल कर बढ़ता गया. स्थिति ऐसी बन गई कि एक छत के नीचे दोनों अजनबियों की तरह जिंदगी जी रहे थे. पतिपत्नी के विवाद के बीच में मासूम बेटा पिस रहा था.

इस बीच ससुराल छोड़ कर नेहा अपने मायके आनंदपुर बेटे को ले कर चली आई और मांबाप के साथ रहने लगी. मगर दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ था फिर भी दोनों एक नहीं हुए थे. शायद नियति को तो कुछ और ही मंजूर था. उमाशंकर प्रसाद सिंह ने अपनी दूसरी बेटी निशा की भी शादी अपने ही जिले के महमदपुर गौतम में श्याम के साथ कर दी थी. उस के बाद बड़ी बेटी नेहा मायके आई थी.

एक बाप के लिए तब जीना कितना मुश्किल होता है जब उन की आंखों के सामने ब्याहता बेटी या बेटे की गृहस्थी उजड़ती है. नेहा के पिता के साथ भी यही हुआ. बेटी का घर टूटते ही उमाशंकर से देखा नहीं गया और वह सदमे के चलते दुनिया से ही चले गए.

पिता की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराने वाली नेहा ने उसी दिन कसम खाई कि अपने जीते जी भाईबहनों को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने देगी. वह इतना कमाएगी कि उन की हर जरूरतों को पूरा कर सके. सचमुच नेहा अपनी कसम पर खरी उतरी और शहर के तनिष्क ज्वैलर्स शोरूम में बतौर सेल्सगर्ल की नौकरी कर ली.

मझली बहन के पति को दे बैठी दिल

जिम्मेदारियों की चक्की में पिसती नेहा जब कभी एकांत में बैठती थी तो अतीत की यादों की बरसात से उस का दामन भीग जाता था. आखिर वह भी हाड़मांस की थी. उस के भी सीने में दिल था, जो कभी किसी के लिए धड़कता था. अब किसी और के लिए धड़कने को बेताब हो रहा था.

निशा के पति श्याम को नेहा ने जब से देखा था, उस के दिल में उन के लिए एक खास जगह बन गई थी. आंखों की भाषा पढ़ने वाले श्याम को यह समझते देर नहीं लगी कि नेहा अपने दिल पर राज करने के लिए उसे आमंत्रित कर रही है. बहनोई जानता था कि उस का पति के साथ करीबकरीब संबंध विच्छेद हो चुका है.

धीरेधीरे श्याम नेहा के करीब और करीब आता गया तो नेहा ने उसे अपने दिल का राजकुमार बना लिया. रिश्तों को ताख पर रख कर दोनों एकदूसरे की बाहों में झूलते प्यार की पींगें भरने लगे. अपने स्वार्थ में नेहा यह भूल चुकी थी कि वह अपनी सगी बहन के प्यार पर डाका डाल रही है. उस ने यह भी नहीं सोचा कि बहन को जब यह सच्चाई पता चलेगी तो उसे कितना दुख पहुंचेगा.

आखिरकार वही हुआ. निशा को बड़ी बहन और पति के बीच पनपे अनैतिक रिश्तों की जानकारी हो गई थी. उसे ऐसा लगा जैसे उस के शरीर से किसी ने आत्मा ही निकाल ली हो और पैरों तले से जमीन खिसक गई हो.

निशा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की अपनी सगी बड़ी बहन ही उस का घर उजाड़ देगी. उस के पति पर डोरे डालेगी. वह यह हरगिज बरदाश्त नहीं कर सकती थी कि बड़ी बहन के चलते उस की बसीबसाई गृहस्थी उजड़ जाए. वह अपने जीते जी उसे अपनी सौतन नहीं बनने देगी.

श्याम ने पत्नी के सामने उस की बड़ी बहन से शादी करने का प्रस्ताव भी रख दिया था. इस बात को ले कर निशा और उस के पति श्याम के बीच खूब घमासान हुआ था. अपनी गृहस्थी बचाने के लिए वह पति से लड़ पड़ी थी और उसे सौतन बनाने के लिए हरगिज तैयार नहीं हुई, जबकि नेहा सौतन बनने की जिद पर अड़ी थी.

उस दिन के बाद निशा नेहा का नाम सुनते ही जलभुन जाती थी. उसे पति के आसपास देखती या पति को फोन पर बातें करती सुनती तो उस के बदन में आग सी लग जाती थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्या करे, जिस से नेहा नाम की बला से उसे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए.

छोटी बहन अर्पिता का भी प्रेम प्रसंग आया सामने

बात इसी साल के शुरुआत की है. नेहा के फोन का बैलेंस खत्म हो गया था और उसे किसी को अर्जेंट काल करनी थी. अर्पिता के अलावा घर पर कोई था नहीं तो उस ने उस का फोन मंगवाया और उस से कहा कि काल करने के बाद फोन उसे लौटा देगी.

नेहा को पता नहीं क्या सूझा कि फोन कर के जब वह फारिग हुई तो उस की फोटो गैलरी खोल कर देखने लगी. उस में अर्पिता की विविध मुद्राओं में खींची गई अनेक तसवीरें कैद थीं.

उन्हीं तसवीरों में कुछ ऐसी भी तसवीरें सामने आईं जिसे देख कर वह चौंक गई. जब उस ने उस फोन के वीडियो देखे तो उस के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. वीडियो में अर्पिता निशा के देवर कुंदन के साथ प्यार करती हुई दिख रही थी. फोटो में भी दोनों लिपटे हुए थे.

यह सब देख नेहा आगबबूला हो गई. उस ने अर्पिता को अपने पास बुला कर उस से सारी बातें पूछीं तो अर्पिता ने सारी सच्चाई बड़ी बहन के सामने बता दी. वह बहन के देवर कुंदन से प्यार करती थी और कुंदन भी उस से प्यार करता था. दोनों के बीच यह प्रेम का खेल महीनों से चल रहा था.

दोनों के बीच में प्यार का खेल तब श्ुरू हुआ था, जब अर्पिता निशा की ससुराल उस से मिलने जाया करती थी. चूंकि अर्पिता और कुंदन के बीच जीजा और साली का रिश्ता था, ऊपर से वह बला की खूबसूरत थी, सो कुंदन अर्पिता को दिल दे बैठा था.

अर्पिता और कुंदन के फोटो ऐसी पोजीशन में खींचे गए थे कि कोई बाहर वाला देख ले तो उस से कभी शादी न करे. नेहा ने अर्पिता से कहा कि अब तुम्हारी शादी कुंदन से ही होगी. यह बात नेहा ने अपने तक सीमित रखी और अर्पिता को भी समझाया कि किसी से मत बताना.

कुंदन मुकर गया शादी से

नेहा ने कुंदन को फोन कर के पहले दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में पूछा. फिर उसे बहन से शादी करने के लिए कहा तो कुंदन एकदम पलट गया. उस ने साफ कह दिया कि जो करते बन पड़े कर लेना, मुझे अर्पिता से शादी नहीं करनी.

कुंदन के ये तेवर देख कर नेहा की आंखों में खून उतर आया. उस ने भी दोटूक जवाब दिया, ‘‘बहन की जिंदगी बरबाद कर के तुझे गुलछर्रे नहीं उड़ाने दूंगी कुंदन. फोटो और वीडियो वायरल कर के तेरी जिंदगी बरबाद कर दूंगी. तू अभी मुझे जानता नहीं है. तुझे तो अर्पिता से शादी करनी ही पड़ेगी.’’

उस दिन के बाद नेहा कुंदन को बहन से शादी करने के लिए डरानेधमकाने लगी और बात न मानने पर वीडियो वायरल करने की धमकी देने लगी.

बात यहीं खत्म नहीं हुई. उसे सबक सिखाने के लिए अपने कुछ परिचितों को भेज कर एक दिन बाजार में उसे बुरी तरह पिटवा दिया. रोजरोज की धमकी और सरेबाजार की गई बेइज्जती से कुंदन बुरी तरह परेशान हो गया था. उस से बदला लेने के लिए वह फड़फड़ा रहा था.

नेहा से बदला लेने के लिए कुंदन ने रास्ता निकाल लिया और भाभी निशा को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया. वह जानता था कि निशा भाभी नेहा से बदला लेने के लिए कैसे बेताब है और अपनी गृहस्थी बचाने के लिए भी.

कुंदन ने नेहा को रास्ते से हटाने के लिए भाभी का साथ मांगा तो वह तैयार हो गई. फिर कुंदन ने गांव के अपने दोस्त मुकेश सिंह को पैसे दे कर नेहा की हत्या की सुपारी दे दी.

योजना के मुताबिक, 11 जून, 2022 की रात करीब साढ़े 9 बजे निशा ने नेहा को फोन कर जानकारी ली कि वह कहां है. शोरूम से घर के लिए कब तक निकलेगी. उस ने बता दिया कि बस 2-4 मिनट का काम और बचा है. उस के बाद निकल जाएगी.

निशा ने कुंदन को फोन कर के यह बात बता दी कि तुम तैयार हो जाना नेहा निकलने ही वाली है. निशा की ओर से नेहा की लोकेशन मिलते ही कुंदन शूटर मुकेश को ले कर पन्हास और आनंदपुर चौक के बीच से हो कर आनंदपुर जाने वाली सड़क किनारे छिप कर खड़ा हो गया.

कुंदन अपनी बाइक से था. बाइक वही चला रहा था जबकि मुकेश पीछे बैठा था. नेहा जैसे ही घर जाने वाली सड़क के लिए मुड़ी कि घात लगाए कुंदन बाइक ले कर उस का रास्ता रोक कर खड़ा हो गया. फिर क्या हुआ, कहानी में ऊपर बताया जा चुका है.

कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी निशा सिंह और उस का देवर कुंदन जेल की सलाखों के पीछे थे. शूटर मुकेश अभी भी फरार था, जिसे पकड़ने के लिए पुलिस ने उस के कई ठिकानों पर दबिश भी दी लेकिन फिर भी उस का पता नहीं चल सका था.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अर्पिता परिवर्तित नाम है