Love Crime : भाभी को देवर ने तमंचे से मारी गोली

Love Crime : बबलू बड़े भाई की साली सोनी से प्यार करने लगा था, सोनी भी उसे प्यार करती थी. लेकिन बदली परिस्थितियों में जब सोनी की शादी बबलू के दूसरे भाई अनिल से हो गई तो प्रेमिका से भाभी बनी सोनी के नए रिश्ते को बबलू बरदाश्त नहीं कर पाया और…

सियाराम के तीसरे नंबर के बेटे अनिल कुमार उर्फ बंटू की पत्नी सोनी उर्फ सुनीता ने शादी के डेढ़ साल बाद बेटे को जन्म दिया था. अनिल ने जब फोन कर के यह खुशखबरी गांव में रह रहे अपने पिता को दी तो पूरे परिवार में खुशी छा गई. घर में जश्न मनाने की तैयारियां शुरू हो गईं. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनिल भी पत्नी सोनी और नवजात शिशु के साथ गांव आ गया. किसी ने सोचा भी नहीं था कि परिवार की खुशियों को अचानक ऐसा ग्रहण लगेगा कि 2-2 लाशें बिछ जाएंगी.

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना नगला खंगर क्षेत्र में एक गांव है गलपुरा. इस गांव में रहने वाले सियाराम के 5 बेटे हैं, इन में 3 बेटों राजेश, संजय व अनिल कुमार उर्फ बंटी की शादी हो चुकी थी, जबकि 19 साल का श्यामगोपाल उर्फ बबलू व सब से छोटा लवकुश अभी अविवाहित थे. बड़े बेटे राजेश की सीमा से, संजय की विनीता से और अनिल उर्फ बंटी की शादी सोनी से हुई थी. 22 साल की सोनी की शादी डेढ़ साल पहले ही अनिल के साथ हुई थी. संजय की पत्नी विनीता और अनिल की पत्नी सोनी सगी बहनें थीं. दोनों का मायका जिला इटावा के थाना जसवंतनगर क्षेत्र के गांव बनामई में था.

13 अगस्त, 2018 को सोमवार था. परिवार के लोग सुबह ही खेत पर धान की रोपाई करने चले गए थे. बहू विनीता कुछ देर पहले ही घर वालों के लिए खाना ले कर खेत पर गई थी. घर में केवल लवकुश और उस की भाभी सोनी ही थे. अचानक घर के अंदर से गोली चलने की आवाज आई. कोई कुछ समझ पाता इस से पहले ही घर के अंदर से लवकुश का बड़ा भाई श्यामगोपाल उर्फ बबलू तेजी से बाहर निकला, उस के हाथ में तमंचा था. घर से 10-12 कदम की दूरी पर गली में पहुंचते ही उस ने अपने सिर में गोली मार ली. गोली लगते ही वह रास्ते में गिर गया. उस के सिर से खून बह रहा था.

गोलियां चलने की आवाज सुन कर गांव में सनसनी फैल गई. सियाराम के घर के बाहर गांव वालों की भीड़ लग गई. घर के अंदर बबलू की भाभी सोनी और घर के बाहर देवर बबलू की लहूलुहान लाशें पड़ी थीं. बबलू की लाश के पास ही .315 बोर का तमंचा भी पड़ा था. बबलू ने अपनी भाभी सोनी को गोली मार कर हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली थी. सियाराम के दूसरे नंबर के बेटे संजय की शादी विनीता के साथ हुई थी. शादी के समय संजय की साली सोनी और भाई बबलू जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे थे. कभीकभी बबलू अपनी भाभी को विदा कराने उस के मायके बनामई जाता था.

वहीं पर सोनी और बबलू की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. बबलू को सोनी अच्छी लगी. सुंदर, चंचल और अल्हड़ सोनी को भी गठे बदन का बबलू मन भा गया. कुछ ही मुलाकातों में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे थे. दोनों के बीच काफीकाफी देर तक प्यार भरी बातें होने लगीं. बातों के बीच चुहलबाजी भी खूब होती. दोनों ही एकदूसरे को पसंद करने लगे थे. एक दिन अकेले में मौका पा कर बबलू ने सोनी का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘इस जन्म में ही नहीं, हम 7 जन्मों तक साथ रहेंगे.’’

दोनों ने एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाईं. प्यार के इजहार के बाद दोनों भविष्य के इंद्रधनुषी सपने संजोने लगे. अब दोनों को केवल सही वक्त का इंतजार था. सोनी और बबलू अपने प्यार की पीठ पर सवार हो कर भविष्य के सपने देख रहे थे. लेकिन इसी बीच सोनी की बड़ी बहन विनीता को अपने देवर और बहन के बीच पनपे प्रेम की खबर लग गई. विनीता ने यह बात घरपरिवार के लोगों को बता दी. कच्ची उम्र के दोनों प्रेमी कोई ऐसा भी कदम उठा सकते थे, जिस से परिवार की बदनामी हो. इसलिए उन लोगों ने सोनी की शादी बबलू के बड़े भाई अनिल से तय कर दी. बबलू चाह कर भी इसलिए कुछ नहीं कर सका, क्योंकि शादी दोनों परिवारों की मरजी से तय हुई थी.

दरअसल सोनी के घर वालों को मालूम था कि बबलू सोनी से उम्र में छोटा तो है ही, गुस्सैल स्वभाव का भी है. वह शराब भी पीता था. जबकि अनिल की हेयर कटिंग की दुकान थी, जिस से वह ठीकठाक पैसा कमा लेता था. दूसरी ओर सोनी और बबलू के दिलों में बराबर की आग लगी थी. बबलू इस इंतजार में था कि भाई अनिल की शादी हो जाने के बाद वह अपनी प्रेमिका सोनी से शादी करेगा. लेकिन अचानक ऐसी स्थिति बन जाएगी, इस बारे में उस ने सोचा तक नहीं था.

सोनी ने तो कल्पना भी नहीं की थी कि उसे अपने प्रेमी बबलू के घर उस के भाई की पत्नी बन कर जाना पड़ेगा. उस के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए थे. मजबूरी में उस ने दिल पर पत्थर रख लिया. अंतत: अनिल और सोनी की शादी हो गई. सोनी बबलू की भाभी बन कर उसी के घर में आ गई थी. प्रेमिका की शादी बड़े भाई से हो जाने की वजह से बबलू पूरी तरह टूट गया. वह चोरीछिपे सोनी से अपने प्यार का इजहार करता, लेकिन उस की ओर से अब कोई जवाब नहीं मिलता था. घर में सोनी के जेठजेठानी, बहन, ससुर, सास जावित्री के अलावा छोटा देवर लवकुश भी था. एक तो संयुक्त परिवार, दूसरे बदनामी का डर, इसलिए सोनी ने शादी के बाद बबलू के प्यार को हवा नहीं दी.

इस से बबलू परेशान रहने लगा. वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प रहा था. गुस्सेबाज तो वह था ही, ऐसी स्थिति में उस का गुस्सा और भी बढ़ गया. घर हो या बाहर वह किसी से भी उलझ पड़ता था. अब गांव में बबलू का मन नहीं लगता था. घर वालों के कहने पर बबलू गुड़गांव की एक कंपनी में काम करने चला गया. बबलू घर से दूर जरूर चला आया, लेकिन सोनी की यादों को दिल से दूर नहीं कर सका. उस के साथ बिताए पल उसे याद आते रहते थे. सोतेजागते उस की आंखों के सामने सोनी की तसवीर घूमती रहती थी. वह चाहता था कि सोनी को भूल जाए, लेकिन चाह कर भी वह उसे भुला नहीं पा रहा था.

इसी बीच अनिल अपनी पत्नी सोनी को ले कर सिरसागंज चला गया और वहां किराए का मकान ले कर रहने लगा. सिरसागंज में अनिल की हेयर कटिंग की दुकान भदान रेलवे फाटक के पास थी. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. शादी के डेढ़ साल बाद सोनी ने बेटे को जन्म दिया. इस की जानकारी उस ने गांव में रह रहे अपने परिवार को दी, तो सभी खुश हुए. उन्होंने जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर दी. घटना से 20 दिन पूर्व अनिल अपनी पत्नी व 25 दिन के बच्चे के साथ गांव आ गया. उधर घर में सोनी के आ जाने की जानकारी मिलने पर बबलू भी गुड़गांव से गांव आ गया. घर पहुंचते ही उस की नजर भाभी बनी सोनी से मिली तो दिल में समाई पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं.

बच्चे को गोद में ले कर उस ने खूब प्यार किया. एक दिन अकेले में मौका मिलने पर जब उस ने सोनी के सामने अपने प्यार का वास्ता दिया तो सोनी ने उस का कड़ा विरोध करते हुए पुरानी बातें भूल जाने को कहा. बबलू को सोनी से ऐसी उम्मीद नहीं थी. प्रेमिका रह चुकी सोनी की इस बेरुखी से बबलू अंदर तक टूट गया. बबलू को गुड़गांव से आए अभी कुछ दिन ही हुए थे. 13 अगस्त की सुबह 7 बजे सोनी ने लंच बना कर अपने पति अनिल को दिया. लंच ले कर अनिल अपनी कटिंग की दुकान पर चला गया. परिवार के सदस्य खेत पर धान की रोपाई करने गए हुए थे. सियाराम की पत्नी जावित्री 8 दिन पहले अपनी बेटी की ससुराल गांव दौकेली चली गई थी.

जावित्री की बेटी गर्भवती थी, इस लिए उस ने मदद के लिए मां को अपने पास बुला लिया था. उस दिन बबलू सुबह ही घर से निकल कर गांव में घूमने चला गया था. सोनी और उस की बहन विनीता ने मिल कर खाना बनाया. विनीता सभी के लिए खाना ले कर खेतों पर चली गई. छोटा देवर लवकुश कमरे में बैठा खाना खा रहा था. उस समय 10 बजे थे. सुनीता उर्फ सोनी हैंडपंप से पानी भर रही थी. वह एक बार पानी भर कर अंदर रख आई थी. दूसरी बार जब वह पानी लेने जा रही थी तभी बबलू घर आ गया. घर में आते ही उस ने आंगन में खड़ी सोनी के सामने गुस्से में बीती बातों को दोहराया. इस पर सोनी ने झुंझलाते हुए कहा कि तुम्हें घर और समाज में इज्जत से रहना है तो बीती बातों को भूलना होगा.

सोनी के इतना कहते ही बबलू ने अपनी कमर में खोंसा हुआ तमंचा निकाला और उस की कनपटी पर लगा कर गोली चला दी. गोली लगते ही सोनी कटे पेड़ की तरह आंगन में गिर पड़ी. बबलू ने जैसे ही दोबारा तमंचे में कारतूस डालने का प्रयास किया, कमरे में खाना खा रहा छोटा भाई लवकुश चीखता हुआ उस की तरफ दौड़ा और उसे रोकने की कोशिश की. इस पर बबलू तमंचा लोड कर के घर के बाहर भागा और घर से 10-12 कदम चलते ही उस ने तमंचे से अपने सिर में गोली मार ली. गोली लगते ही वह गिर कर ढेर हो गया.

गांव वालों ने इस घटना की सूचना पुलिस और बबलू के घर वालों को दी. जब यह खबर खेत पर पहुंची, तब सभी लोग खाना खा रहे थे, घर पर खूनी खेल खेला जाएगा इस का उन्हें अंदाजा नहीं था. सभी खाना छोड़ कर घर की ओर दौड़े. उधर कुछ गांव वालों ने अनिल की दुकान पर जा कर उस की पत्नी की हत्या की जानकारी दी. अनिल दुकान बंद कर के आ गया. सूचना मिलते ही नगला खंगर के थानाप्रभारी दीपक चंद्र दीक्षित, क्षेत्राधिकारी सिरसागंज अजय कुमार चौहान घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस वारदात की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एसएसपी फिरोजाबाद सचिंद्र पटेल, एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह गांव गलपुरा पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के साथसाथ गांव वालों व घर वालों से घटना की विस्तार से जानकारी ली.

पुलिस ने आंगन में पड़ी सोनी की लाश के पास से खाली कारतूस तथा बबलू की लाश के पास से तमंचा व उस में फंसा खोखा जब्त कर लिया. मृतका का पति अनिल जब गांव पहुंचा तो घर पर पुलिस व गांव वालों की भीड़ मौजूद थी. जावित्री को भी सूचना दे कर बुला लिया गया था. जावित्री ने जैसे ही बहू सोनी की लाश देखी तो वह उस से लिपट कर रोने लगी. गांव वालों के अनुसार बबलू सोनी को गोली मारने के बाद उस की लाश पर ही खुद को गोली मारना चाहता था, लेकिन भाई लवकुश के शोर मचाने पर उस ने घर के बाहर जा कर आत्महत्या कर ली.

घटना के संबंध में अनिल ने अपने भाई बबलू के खिलाफ अपनी पत्नी सोनी की हत्या की रिपोर्ट भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत थाना नगला खंगर में दर्ज कराई. पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. बबलू के सिर इश्क का जुनून इस कदर हावी था कि वह अपना पराया कुछ भी नहीं सोच पा रहा था. इसी के चलते उस ने यह घातक कदम उठाया. उस ने भाई की बसीबसाई गृहस्थी तो उजाड़ी ही, उस के दुधमुंहे बच्चे से उस की मां भी छीन ली.

सोनी को बेटा पैदा होने पर सियाराम के परिवार में खुशियां मनाई जानी थीं, लेकिन परिवार की खुशियों में 2-2 मौतों से ग्रहण लग गया.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Stories : कोठी नंबर 387 में हुआ रहस्यमयी कत्ल

Crime Stories : पुष्पा कोहली ने अपनी बेटी किरन की हत्या इसलिए कराई क्योंकि उस का आचरण सही नहीं था और उस के कर्मों से परिवार की बदनामी हो रही थी. लेकिन यह बात इसलिए गले नहीं उतरती क्योंकि परिवार के किसी अन्य सदस्य को इस बात की भनक तक नहीं थी. सैक्टर-46 फरीदाबाद के चौकीप्रभारी सोहनपाल अपनी टीम के साथ क्षेत्र की रात्रि गश्त पर निकलने की तैयारी कर रहे थे कि तभी पुलिस कंट्रोल रूम से फोन आ गया. उन्हें बताया गया कि सेक्टर-45 की कोठी

नंबर 387 में एक कत्ल हो गया है. पुलिस चौकी से घटनास्थल महज 2 किलोमीटर दूर था. सोहनपाल अपनी टीम के साथ 10 मिनट में उस जगह पहुंच गए, जहां वारदात हुई थी. वह पौश एरिया था और अकसर सुनसान रहता था. इस वजह से पड़ोसियों को भी इस घटना का पता नहीं चल पाया था. रात को लगभग 3 बजे पुलिस को आया देख आसपास की कोठियों से लोग बाहर निकल आए. कोठी नंबर 387 में मौजूद एक व्यक्ति ने कोठी का मेनगेट खोल दिया. पता चला वह उसी कोठी में रहने वाला किराएदार राजेश सिंह था.

चौकीप्रभारी सोहनपाल ने अंदर जा कर देखा तो बेड पर एक लड़की मरी पड़ी थी, जिस की हत्या गला रेत कर की गई थी. बिस्तर खून से पूरी तरह सना हुआ था. जिस कमरे में हत्या हुई थी, उस में रखी अलमारी और उस का लौकर खुला हुआ था. अलमारी का सारा सामान बिखरा पड़ा था. प्रथमदृष्टया मामला लूटपाट का लग रहा था. ऐसा लगता था जैसे हत्यारे लूटपाट के इरादे से घर में घुसे हों और विरोध करने पर लड़की की हत्या कर के कीमती सामान व नकदी ले कर फरार हो गए हों. पुलिस को सूचना कोठी की मालकिन पुष्पा कोहली ने दी थी. उस ने बताया कि मृतका उस की बेटी किरन है. पुष्पा के अनुसार उस का पति सुरेंद्र कोहली और 12 वर्षीय बेटा नितिन कोहली बीते दिन सुबह ही उस की अस्वस्थ मां को देखने बठिंडा, पंजाब गए थे. वारदात के वक्त पुष्पा कोहली और किरन ही घर में थीं.

पौश इलाके में हुई इस सनसनीखेज (Crime Stories) वारदात की सूचना पा कर पुलिस के उच्चाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पूछताछ में पुष्पा कोहली ने बताया कि बीती रात करीब पौने 10 बजे जब वह रसोई में खाना बना रही थी, तभी मेनगेट खोल कर बुरके वाली 2 औरतें अंदर आईं. किरन उन दोनों को अंदर ले आई. कुछ देर बाद जब उस ने किरन से उन दोनों के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वे उस की परिचित हैं और उसे उन के साथ कुछ हिसाबकिताब करना है. उस वक्त बुरके वाली दोनों औरतें सोफे पर बैठी थीं. वे दोनों चूंकि अपने चेहरों पर नकाब डाले हुए थीं इसलिए वह उन के चेहरे नहीं देख सकी थी. उन्हें बैठा छोड़ कर वह अपने कमरे में चली गई थी.

पुष्पा के अनुसार कुछ देर बाद किरन एक गिलास में पानी ले कर उस के कमरे में आई. उस ने चूंकि थोड़ी देर पहले ही खाना खाया था इसलिए पानी पी कर गिलास मेज पर रख दिया. उस के बाद या तो वह बेहोश हो गई थी या फिर सो गई थी. पुष्पा के अनुसार देर रात करीब 2 बजे जब वह उठी तो उस के दोनों हाथ और दोनों पैर दुपट्टे से बंधे हुए थे और मुंह में कपड़ा ठुंसा हुआ था. उस ने उठने की कोशिश की तो वह बिस्तर से नीचे गिर गई. कपड़ा ठुंसा होने की वजह से उस के मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी.

पुष्पा ने आगे बताया कि जैसेतैसे उस ने बेड पर पड़ा फोन उठा कर पहले किरन का नंबर मिलाया लेकिन उस ने फोन नहीं उठाया. फिर उस ने अपनी नौकरानी सपना के पति अजीत का नंबर मिलाया. नंबर तो लग गया लेकिन मुंह में कपड़ा ठुंसा होने की वजह से बात नहीं हो सकी. इस पर वह घिसटते हुए दरवाजे के पास पहुंची और दोनों पैरों से जोरजोर से कमरे का दरवाजा पीटा. दरवाजा पीटने की आवाज सुन कर किराएदार राजेश सिंह नीचे आया. वह बाहर से दरवाजा खोल कर अंदर आया और उस के हाथपैर खोल दिए. तब तक नौकरानी सपना और उस का पति भी आ गए थे.

पुष्पा कोहली ने आगे बताया कि उस के यह पूछने पर कि किरन कहां है, राजेश सिंह ने जवाब दिया कि वह अपने कमरे में सो रही होगी. लेकिन जब उस के कमरे में जा कर देखा गया तो किरन मरी पड़ी थी. किसी ने उस का गला काट कर उस की हत्या कर दी थी. उस का सारा बिस्तर खून में डूबा हुआ था और अलमारी का सामान इधरउधर फैला पड़ा था. यह देख कर उस ने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी. उपरोक्त बातें बतातेबताते पुष्पा कोहली फूटफूट कर रोने लगी. पुलिस ने उस से नंबर ले कर उस के पति सुरेंद्र कोहली को फोन कर के इस हादसे की सूचना दे दी और जल्दी से जल्दी फरीदाबाद पहुंचने को कहा. इस के साथ ही पुलिस ने पुष्पा की शिकायत पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 394 के तहत केस दर्ज कर लिया.

सुबह को एसीपी पूनम दयाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस की जांच इलाका पुलिस की जगह सीआईए एनआईटी इंचार्ज इंसपेक्टर विमल कुमार, सबइंसपेक्टर नरेंद्र कुमार और अश्विनी कुमार को सौंप दी ताकि पौश इलाके में हुई इस हत्या के मामले से जल्दी से जल्दी परदा उठ सके.इंसपेक्टर विमल कुमार ने अपनी टीम के साथ मौकाएवारदात का मुआयना किया. उन्होंने पुलिस फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया था ताकि जरूरी सुबूत जुटाए जा सकें. प्राथमिक काररवाई के बाद मृतका किरन की लाश को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया. पोस्टमार्टम से पता चला कि उस की मृत्यु श्वांस नली कट जाने के कारण हुई थी.

पूछताछ और पुलिस छानबीन में पता चला कि मृतका किरन के पिता सुरेंद्र कोहली काफी समय पहले पंजाब से आ कर फरीदाबाद में बस गए थे. उन का फरीदाबाद सैक्टर-28 में बिल्डिंग मैटीरियल का कारोबार था. सुरेंद्र कोहली का विवाह 1989 में बठिंडा, पंजाब की पुष्पा कोहली से हुआ था. विवाह के बाद कोहली के घर में किरन का जन्म हुआ जिसे घर में सब प्यार से गुडि़या कहते थे. किरन के जन्म के 11 साल बाद कोहली परिवार में बेटा जन्मा जिस का नाम नितिन रखा गया. 12 वर्षीय नितिन कोहली फिलहाल फरीदाबाद के एक नामी स्कूल में कक्षा-7 में पढ़ रहा था. पुष्पा कोहली घरेलू महिला थी और घर पर रह कर घरपरिवार व बच्चों की जिम्मेदारी संभालती थी.

किरन जवान हो चुकी थी. उस पर चूंकि कभी भी पारिवारिक पाबंदियां नहीं रही थीं इसलिए वह शुरू से ही फैशनपरस्त और आजादखयाल लड़की थी. मोबाइल, फिल्में, टीवी और इंटरनेट की दुनिया ने उसे और भी आधुनिक और स्वच्छंद बना दिया था. वह जो करना चाहती थी, कर गुजरती थी बिना इस बात की परवाह किए कि उस के परिवार वालों की नजर में वह अच्छा है या नहीं. इसी सब के चलते किरन ने अपने परिवार की मरजी के खिलाफ 22 नवंबर, 2010 को एक विजातीय युवक रंजीत त्रिपाठी से प्रेमविवाह कर लिया था. रंजीत गांव लकड़पुर जिला फरीदाबाद का रहने वाला था. शादी के बाद किरन घर छोड़ कर रंजीत त्रिपाठी के साथ दिल्ली स्थित सरिता विहार के निकटवर्ती इलाके मदनपुर खादर में किराए के मकान में रहने लगी थी.

परिवार से अलग रह कर जब जिंदगी की कड़वी सच्चाइयों से सामना हुआ तो किरन और रंजीत दोनों ने अलगअलग प्राइवेट फर्मों में नौकरी कर ली. किरन ने जिस फर्म में नौकरी की, वह रियल एस्टेट का कारोबार करती थी. उस के मालिक का नाम महफूज आलम था. महफूज आलम का औफिस कालिंदीकुंज में था. कालिंदीकुंज मदनपुर खादर के पास ही है इसलिए किरन को औफिस आनेजाने में कोई परेशानी नहीं होती थी. महफूज आलम के साथ काम करतेकरते किरन उस के लिए काफी महत्वपूर्ण बन गई थी.

नतीजतन महफूज आलम उसे अच्छी तनख्वाह के अलावा सौदे से मिलने वाली रकम में मोटा कमीशन भी देने लगा. इसी के चलते किरन ने अच्छाखासा बैंक बैलेंस इकट्ठा कर लिया था. दूसरी ओर उस के पति रंजीत को नौकरी से इतना पैसा भी नहीं मिलता था कि घर का खर्च ठीक से चल सके.जब उम्मीद से ज्यादा पैसा मिलने लगता है तो कई कमजोर लोगों के पैर बहकने लगते हैं. किरन के साथ भी ऐसा ही हुआ. आय का स्रोत बढ़ा तो उस ने शराब पी कर देर से घर आना शुरू कर दिया. रंजीत ने यह बात किरन की मां पुष्पा कोहली को बताई. मां ने अपने स्तर पर किरन को समझाने का प्रयास भी किया लेकिन इस से किरन की दिनचर्या और व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया.

नतीजतन पतिपत्नी के बीच मतभेद बढ़ने शुरू हो गए. इस बात को ले कर रंजीत और किरन के बीच कई बार गरमागरम बहस भी हुई. पति से जब ज्यादा मतभेद बढ़ गए तो किरन ने उस के खिलाफ दिल्ली की साकेत कोर्ट में तलाक का मुकदमा डाल दिया. इस के बाद वह 27 जून, 2013 को रंजीत का साथ छोड़ कर फरीदाबाद में मां के पास आ कर रहने लगी. घर लौट कर भी किरन में कोई बदलाव नहीं आया. अब उस ने नाइटक्लब में शराब पी कर देर रात घर आना शुरू कर दिया था. जवाब मांगने पर वह गालीगलौज और मारपीट तक पर उतर आती थी. किरन का हाईप्रोफाइल लाइफस्टाइल कोहली परिवार के लिए बदनामी का कारण बन रहा था.

एक तो शादी के बाद भी बेटी घर में बैठी थी, दूसरे वह शराब पी कर देर रात घर लौटती थी. मां पुष्पा कोहली इस बात को ले कर तनावग्रस्त रहने लगी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि इस समस्या का कैसे समाधान करे. यह सब चल ही रहा था कि किरन की हत्या हो गई थी. बहरहाल, इंसपेक्टर विमल कुमार ने अपनी टीम के साथ बेहद बारीकी से घटनास्थल का मुआयना किया तो पाया कि पुष्पा कोहली द्वारा लिखाई गई रिपोर्ट और मौकाएवारदात पर पाए गए सुबूतों में काफी झोल है. इसी को ध्यान में रख कर उन्होंने सुरेंद्र कोहली के किराएदार राजेश सिंह, नौकरानी सपना व उस के पति अजीत के अलगअलग बयान दर्ज किए.

जब उन बयानों को क्रौस चैक किया गया तो विमल कुमार को कई बातों पर शक हुआ. मसलन किरन ने पुष्पा को गिलास में पानी दिया था जिसे पी कर वह बेहोश हो गई थी और शायद बाद में सो गई थी. यह बात समझ के बाहर थी कि किरन ने बिना मांगे मां को पानी क्यों दिया और उस ने क्यों पीया? इंसपेक्टर विमल कुमार ने गिलास के बचे पानी को सूंघ कर देखा तो वह सामान्य पानी था और उस में किसी तरह की कोई गंध नहीं थी. फिर भी उन्होंने उस पानी और गिलास को जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवा दिया. दूसरे पुष्पा कोहली से जब दोनों बुरकेवालियों के डीलडौल, शक्ल और आवाज के बारे में सवाल किए गए तो वह कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सकी. संदेह हुआ तो पुलिस टीम ने पुष्पा कोहली का मोबाइल फोन सर्विलांस पर ले लिया और उस के फोन की पिछले 6 महीने की काल डिटेल्स निकलवाई.

इस बीच पुष्पा कोहली के पति सुरेंद्र कोहली, बेटा नितिन और कुछ अन्य रिश्तेदार भी आ गए थे. माहौल कुछ ऐसा था कि पुलिस पुष्पा से कड़ाई से पूछताछ भी नहीं कर सकती थी. अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद किरन का शव उस के परिवार को सौंप दिया गया. उन लोगों ने उसी दिन उस का अंतिम संस्कार कर दिया. अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए किरन की नानी भी आई थी. इंसपेक्टर विमल कुमार ने नानी से भी पूछताछ की. पता चला कि वह पूरी तरह से स्वस्थ थी. जबकि पुष्पा ने अपनी इसी मां को अस्वस्थ बता कर पति सुरेंद्र कोहली और बेटे नितिन को 250 किलोमीटर दूर बठिंडा भेजा था.

पुष्पा से टुकड़ों में हुई पूछताछ में महफूज आलम का नाम कई बार आया था. बुरकेवाली औरतों का जिक्र आने से पुलिस का शक महफूज आलम पर ही गया. पुलिस ने महफूज आलम से पूछताछ की लेकिन उस ने इस मामले में अपनी कोई भी भूमिका होने से इनकार किया. अलबत्ता यह जरूर माना कि किरन उस के यहां काम कर चुकी थी और वह उसे मोटा वेतन देता था. महफूज हालांकि किरन की हत्या में अपनी कोई भी भूमिका होने से इनकार कर रहा था. फिर भी हत्या का मामला होने की वजह से पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए थाने में ही बिठाए रखा बाद में उसे छोड़ दिया गया.

किरन की हत्या की सूचना पा कर उस का पति रंजीत त्रिपाठी भी फरीदाबाद आ गया था. वह फिलहाल मुंबई में नौकरी कर रहा था. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की लेकिन हत्या में उस की किसी भी तरह की भूमिका न मिलने पर अगले आदेश तक उसे घर छोड़ कर न जाने की कड़ी हिदायत दे कर जाने दिया गया. पुष्पा कोहली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स पुलिस के पास आ गई थी. उस का गहराई से अध्ययन करने पर पुलिस को उस में एक ऐसा नंबर मिला जिस पर पुष्पा दिन के समय हफ्ते में 2-3 बार फोन करती थी. यह नंबर पंजाब का था.

पुष्पा से इस नंबर के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि वह नंबर उस के  एक मुंहबोले चाचा का है, जो पंजाब में रहता है. उस से वह पारिवारिक बातें करती थी. घटना वाली रात पुष्पा कोहली के मोबाइल पर आनेजाने वाली कुल 3 काल्स पाई गई थीं. पहली काल रात 8 और 9 बजे के बीच आई थी जोकि मिस्ड काल थी. इसी नंबर पर पुष्पा कोहली के मोबाइल से 10 बजे के आसपास एक मिस्ड काल दी गई थी. तीसरी और आखिरी काल पुष्पा कोहली की नौकरानी सपना के मोबाइल से आई थी, जिसे रिसीव किया गया था. पुलिस ने उस नंबर पर जिस से मिस्ड काल आई थी और जिस पर पुष्पा ने मिस्ड काल दी थी, फोन किया तो वह नंबर लगातार बंद मिला.

जब उस नंबर की जांच की गई तो पता चला कि उस नंबर की सिम पंजाब से नकली आईडी और फरजी पते पर खरीदी गई थी. लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि घटना वाली रात उस नंबर की लोकेशन सेक्टर-45 और उस के आसपास थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस नंबर का इस्तेमाल किसी खास मकसद से ही किया गया था. इस से शक की सुई पूरी तरह से पुष्पा कोहली पर आ कर ठहर गई. अपने शक को और पुख्ता करने के लिए जब पुलिस ने पुष्पा की नौकरानी सपना से उस के द्वारा की गई फोन काल के बारे में पूछा तो इस हत्याकांड की तसवीर काफी हद तक साफ हो गई. लेकिन कुछ कारणों से पुलिस अब भी पुष्पा कोहली से पुलिसिया तरीके से पूछताछ नहीं कर सकती थी क्योंकि वह शिकायतकर्ता होने के साथसाथ महिला भी थी.

अंतत: इंसपेक्टर विमल कुमार ने अपने उच्चाधिकारियों से विचारविमर्श कर के 3 जनवरी 2014 को पुष्पा को हिरासत में ले लिया. जब सपना द्वारा दिए गए बयान को आधार बना कर उसे घेरा जाने लगा तो पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही लेकिन अंत में टूट गई. आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही सुपारी दे कर (Crime Stories) अपनी बेटी किरन की हत्या कराई थी. दरअसल पुष्पा की नौकरानी सपना ने घटना वाली रात कोठी के आगे वैगनआर कार खड़ी देखी थी. बाद में उस ने पुष्पा को फोन कर के पूछा था कि क्या घर में कोई मेहमान आया है. चूंकि पुष्पा ने सपना की काल रिसीव की थी इसलिए यही उस के लिए मुसीबत बन गई क्योंकि यह बात सपना ने पुलिस को बता दी थी. जबकि पुलिस को दिए बयान के अनुसार उस वक्त  पुष्पा बेहोश थी.

पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान में पुष्पा कोहली ने बताया कि किरन की आदतों और व्यवहार से वह तनावग्रस्त रहने लगी थी. अपनी इस समस्या को हल करने की योजना के तहत उस ने अपने गांव के मुंहबोले चाचा हवलदार कुलविंदर सिंह, जोकि जालंधर के कैंट थाने में तैनात था, को हत्या की रात फरीदाबाद बुलाया. कुलविंदर अपने एक अन्य साथी के साथ वैगनआर कार से 27 दिसंबर की देर शाम फरीदाबाद पहुंच गया था. वह अपना मोबाइल फोन जालंधर में अपने घर छोड़ आया था ताकि पुलिस की जांच में उस पर कोई आंच आए तो वह साबित कर सके कि वह हत्या के वक्त जालंधर में था.

कुलविंदर पंजाब से फरजी आईडी पर खरीदी गई नई सिम अपने साथ लाया था. इसी सिम को उस ने दूसरे मोबाइल में डाल कर पुष्पा कोहली को मिस्ड काल दे कर अपने फरीदाबाद पहुंचने की सूचना दी थी. पूर्व नियोजित योजना के तहत पुष्पा ने अपने मोबाइल से उसे मिस्ड काल दी जिस का मतलब था कि रास्ता साफ है, कभी भी अंदर आ सकते हो. इस के बाद रात के अंधेरे में कुलविंदर और उस के साथी ने घर के अंदर घुस कर किरन की गला रेत कर हत्या कर दी और कमरे में रखी अलमारी का सामान इधरउधर बिखेर दिया ताकि मामला लूट व हत्या का लगे. हत्या के वक्त पुष्पा कोहली अपने बेडरूम में चली गई थी और अपने कानों को तकिए से ढक लिया था ताकि बेटी के चीखने की आवाज उसे सुनाई न दे.

इस हत्या की एवज में पुष्पा कोहली ने कुलविंदर को 1 लाख रुपए व सोने के कुछ गहने दिए थे जिन्हें ले कर वह उसी रात अपने साथी के साथ पंजाब लौट गया था. पुष्पा के बयान के आधार पर पुलिस ने इस मामले में भादंवि की धारा 302, 494 के अलावा 34 भी जोड़ दी. पुष्पा कोहली को विधिवत 4 जनवरी 2014 को गिरफ्तार कर के फरीदाबाद की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कुलविंदर व उस के साथी की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम जालंधर गई लेकिन वह भूमिगत हो गया था. शायद उसे हरियाणा पुलिस के आने की सूचना पहले ही मिल गई थी. फरीदाबाद पुलिस उच्चाधिकारियों द्वारा दबाव बना कर फरार चल रहे हवलदार कुलविंदर और उस के साथी की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है. पुष्पा कोहली जेल में बंद है.

इस मामले में पुलिस किरन की हत्या की जो थ्योरी बता रही है, वह गले नहीं उतरती. क्योंकि कोई भी मां केवल अपने तनाव को दूर करने के लिए सुपारी दे कर बेटी की हत्या नहीं करा सकती. संभव है, पुलिस जांच में कोई और सच्चाई सामने आए. लेकिन इस की संभावना फिलहाल कम ही है.

—कथा पुलिस सूत्रों, परिजनों के बयानों पर आधारित है.