माफिया मुख्तार अंसारी की बेगम ने संभाला गैंग

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का यूसुफपुर इलाका, जहां मुख्तार अंसारी की शुरुआती पढ़ाई हुई. इस के बाद वह ग्रैजुएशन करने शहर पहुंच गया. गाजीपुर के पीजी कालेज में उन्होंने एडमिशन लिया. शाम को अकसर वह समय निकाल कर टाउन हाल के मैदान में क्रिकेट खेलने जाया करता था. उस की जैसी लंबी कदकाठी थी, वैसा ही उस का खेलने का स्टाइल था.  लंबी कदकाठी होने के नाते मुख्तार छक्के लगाने में माहिर था.

मुख्तार जिस टाउन हाल के मैदान में क्रिकेट खेलता था, उसी मैदान के पास ही अफशां का घर था. आतेजाते वह मुख्तार को क्रिकेट खेलते देखती थी. लेकिन कभी उस की उस से बात नहीं हुई. मुख्तार की आकर्षक और रौबदार कदकाठी से उस की अलग ही शख्सियत देखने में आती थी.

प्यार बदला अरेंज मैरिज में

गाजीपुर में अफशां एक गर्ल्स कालेज में पढ़ती थी, जो ठीक मुख्तार अंसारी के पीजी कालेज के पास था. यहीं से दोनों के रिश्ते की शुरुआत हुई. एक दिन मुख्तार ने हिम्मत दिखाई और अफशां से बात की. इस के बाद दोनों में बातें भी होने लगीं और मुलाकातें भी. इस तरह मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा. पहले दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया. इस के बाद 1989 में दोनों ने घर वालों की मरजी से निकाह कर लिया.

निकाह के बाद दोनों के 2 बेटे हुए, जिन के नाम अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हैं. मुख्तार से निकाह कर के अफशां के दिन फिर गए. क्योंकि निकाह के बाद मुख्तार मऊ से विधायक चुन लिया गया और माननीय बन गया. पर अपराध करना उस ने नहीं छोड़ा. उस की माफियागिरी भी बढ़ती गई और उसी के साथ अपराधों की लिस्ट भी बढ़ती गई.

साल 2005 में मुख्तार अंसारी को जेल जाना पड़ा. इसी के बाद अफशां मैदान में उतरी. मुख्तार के जेल जाने के बाद उस के गैंग को संभालने की जिम्मेदारी अफशां ने ले ली. आज अफशां मनी लांड्रिंग, जमीन हड़पने समेत 9 मुकदमों में वांछित है. इस तरह 5 बार विधायक रहे मुख्तार पर ही नहीं, उस की पत्नी अफशां, दोनों बेटे और बहू पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए. इन में से मुख्तार अंसारी, एक बेटा अब्बास और बहू निकहत जेल में है. जबकि एक बेटा और पत्नी फरार है.

इन के अपराधों की बात करें तो अफशां पर 9 मुकदमे दर्ज हैं तो उस के पति मुख्तार पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. बड़े बेटे एमएलए अब्बास पर 7 और बहू निकहत अंसारी पर अपने पति अब्बास को जेल से भगाने की साजिश रचने का आरोप है. अफशां का छोटा बेटा उमर जालसाजी और अवैध कब्जे में आरोपी है, जो मां की ही तरह फरार है.

जेल अधिकारी भी आया चपेटे में

अफशां की बहू निकहत अपने एमएलए पति अब्बास, जो चित्रकूट की जेल में बंद है, उस से मिलने 11 बजे पहुंच जाती थी तो 3-4 घंटे पति के साथ रह कर वापस आ जाती थी. डीएम और एसपी ने छापा मारा था तो वह जेलर के कमरे में मिली थी, जबकि उस का पति अब्बास बैरक में जा चुका था.

इस के बाद निकहत को गिरफ्तार कर लिया गया था. पता चला कि जेलर के कमरे में उस की मुलाकात पति से कराई जाती थी. तलाशी में उस के पास से मोबाइल, कैश के अलावा और भी अवैध चीजें मिली थीं. इस के बाद इस मामले में अब्बास, निकहत, जेल अधीक्षक सहित जेल के कुछ अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कर्वी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था.

कहा जाता है कि अब्बास चित्रकूट जेल में रह कर निकहत के फोन से मुकदमे के गवाहों, अभियोजन से जुड़े अधिकारियों को डराताधमकाता था और पैसों की मांग करता था. इस के बाद उस के गुर्गे पैसे वसूल कर उस तक पहुंचाते थे.

31 जनवरी, 2022 को पुलिस ने अफशां पर गैंगस्टर ऐक्ट लगाया था. दरअसल, उस ने एक फर्म बनाई थी विकास कंस्ट्रक्शन, जिस में अफशां के 4 सगे भाई आतिफ रजा, अनवर शहजाद और अन्य लोग शामिल थे. इस में जो जमीन ली गई थी, वह गलत तरीके से ली गई थी. उस के अगलबगल गरीबों की कुछ जमीन को इन लोगों ने दबंगई दिखा कर जबरदस्ती घेर लिया था.

जब यह बात प्रशासन तक पहुंची तो इस की जांच हुई. बात सच निकली तो थाना दक्षिण कोंडा में मुकदमा दर्ज हुआ. इस के बाद इन सब के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट लगा दिया गया, जिस के बाद से ये सभी फरार हैं. पुलिस को संदेह है कि मुख्तार के जेल जाने के बाद उस के गैंग को अफशां ही देख रही थी.

पुलिस रिकौर्ड के अनुसार अफशां पर कई गंभीर आरोप हैं. उस ने कंपनी बना कर भाइयों की मदद से जमीनों पर अवैध कब्जे किए हैं. मई, 2020 में ईडी ने मुख्तार पर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था. ईडी ने जब मुख्तार और अफजाल से इस मामले में पूछताछ की थी तो अफशां के भी शामिल होने के सबूत मिले थे.

इस के बाद ईडी ने अफशां के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया था. मनी लांड्रिंग के इस मामले में भी अफशां वांछित है. ईडी ने जो डोजियर तैयार किया है, उस के अनुसार अफशां अंसारी गाजीपुर की 3 फर्मों के माध्यम से मुख्तार के काले धन को सफेद करने में शामिल थी.

अफशां ने संभाला पति का गैंग

इन में 2 फर्में विकास कंस्ट्रक्शन और अंसारी कंस्ट्रक्शन इंटरप्राइज गाजीपुर की हैं और तीसरी फर्म ग्लोराइज लैंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ की है. इन तीनों फर्मों में अफशां पार्टनर है. ईडी की जांच के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने भी उस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर रखा है. मुख्तार के जेल जाने के बाद उस का सारा साम्राज्य अफशां के ही कंट्रोल में था. इस तरह मुख्तार अंसारी के 191 गैंग पर अफशां काबिज हो गई थी. पुलिस रिकौर्ड के अनुसार अफशां आईएस-191 गैंग के रूप में चिह्नित है.

अफशां की गाजीपुर और मऊ में 2 फर्में हैं. अंसारी कंस्ट्रक्शन के जरिए करोड़ों रुपए का काम कई जगहों पर किया गया. अफशां ने फरजीवाड़ा कर के मऊ में जमीन ली थी, गजल होटल लैंड डील के साथसाथ उस पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने के भी आरोप हैं. इस के बाद अफशां और उस के 2 भाइयों पर गैंगस्टर ऐक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था.

इस तरह मुख्तार के जेल जाने के बाद उस के अधूरे काम वह पूरे कर रही थी. मुख्तार ने अवैध रूप से जो पैसे कमाया था, उसे अब वही इनवैस्ट कर रही थी. पुलिस के पास इस के दस्तावेजी सबूत हैं. इसलिए पुलिस उस की तलाश कर रही है.

अफशां ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस के बाद लोअर हाईकोर्ट से अफशां के खिलाफ एक वारंट जारी किया गया था. तब पुलिस की एक टीम उसे गिरफ्तार करने पहुंची थी. लेकिन अफशां फरार हो गई थी. तब से फरार अफशां को गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस उस के पीछे पड़ी है.

दिल्ली का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड : महिला डॉक्टर से ठगे पौने 5 करोड़

राजधानी दिल्ली की एक 34 वर्षीया डा. शोभा कपूर हर रोज की तरह 5 मई की सुबह सवा 10 बजे के करीब अपने प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंच गई थीं. उन्होंने कुछ मरीजों को 11 बजे से मिलने का अपौइंटमेंट दे रखा था. मरीजों के आने में थोड़ा समय था, सो उन्होंने अपने केबिन में लैपटाप खोल लिया था. रिपोर्ट तैयार करने संबंधी कुछ काम करने लगी थीं.

इसी बीच मोबाइल पर एक काल आई. वह अनजान थी. इसलिए डाक्टर ने उसे नजरंदाज कर दिया. 8 सेकेंड के बाद रिंग बंद हो गया, लेकिन आधे मिनट बाद फिर उसी नंबर से काल आई. इस बार 10 सेकेंड के बाद भी रिंग बजती रही.

काम में बिजी डाक्टर कुछ पल के लिए असहज हो गईं, फिर केबिन के बाहर बैठे अपने कर्मचारी को आवाज लगाई. फोन उस की ओर बढ़ाते हुए बोलीं, “देखना कौन है, कोई मरीज होगा तो उसे साढ़े 12 के बाद का अपौइंटमेंट दे देना.”

बात करने पर डर गईं डा. शोभा

उस के बाद वह फिर अपने काम में लग गईं. तब तक कर्मचारी बोला, “मैडम, आप से ही बात करना चाहता है. बोल रहा है अर्जेंट है.”

“होल्ड करने को बोल. ला, इधर फोन रख. सब को अर्जेंट ही रहता है, पहले इस फाइल को सेव कर लूं.” उस के बाद सामने रखा फोन उठा कर बोली, “हैलो!”

“फोन सुनने में इतनी देरी मैडम, क्या बात है?” उधर से तीखे लहजे में आवाज आई.

“आप कौन साहब बोल रहे हैं?”

“मैं मुंबई से नारकोटिक्स विभाग का औफिसर बोल रहा हं. आप के खिलाफ एक शिकायत मिली है.”

“कैसी शिकायत? मैं तो पिछले कई सालों से मुंबई गई तक नहीं.” डाक्टर चौंकती हुई बोलीं.

“मैडम, अभी पता चल जाएगा. आप डाक्टर कपूर ही बोल रही हैं न!” उधर से तहकीकात के अंदाज में आवाज आई.

“हांहां, मैं डा. शोभा कपूर (बदला नाम) ही बोल रही हूं. बताइए, क्या शिकायत है?”

“मुंबई की अंधेरी पुलिस ने कुरियर से भेजा आप के नाम का एक पार्सल जब्त किया है. उस से बड़ी मात्रा में एमडीएमए ड्रग बरामद हुआ है. एमडीएमए समझती हैं न आप!”

“एमडीएम… ड्रग!” डा. कपूर चौंकती हुई बोलीं.

“चौंकिए नहीं, फेडएक्स कुरियर के पैकेट पर आप का नाम और दिल्ली का पता लिखा हुआ है.”

“यह कैसे हो सकता है, मैं ने तो कहीं भी कोई कुरियर भेजा ही नहीं?”

“मैडम ऐसा ही है, फेडएक्स के जरिए भेजे गए पैकेट में आप का पासपोर्ट, बैंक के डाक्यूमेंट्स और 2 जोड़ी जूते के साथ 140 ग्राम मिथाइलेन डाइआक्साइड मेथामफेटामाइन ड्रग है. यह पार्सल 21 अप्रैल को मुंबई से ताइवान के लिए भेजा गया था.” औफिसर ने बताया.

“मैं नहीं मानती. यह सब एकदम गलत है, बकवास.” चिढ़ती हुई डा. कपूर बोलीं.

“आप के नहीं मानने से क्या होता है. मेरे पास इस का प्रूफ है. आप ने आईसीआईसीआई के्रडिट कार्ड से 25,025 रुपए प्लस जीएसटी का पेमेंट किया हुआ था.” औफिसर ने कहा.

इस पर जब डाक्टर ने दोबारा कहा कि उसे किसी कुरियर के बारे में नहीं पता. तब अफसर ने उसे अंधेरी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने को कहा.

“आप खुद अंधेरी पुलिस स्टेशन आ कर पता कर लीजिए. अगर लगता है कि यह गलत है तो पुलिस में इस की शिकायत दर्ज करवा दीजिए. सब कुछ पता चल जाएगा. क्या गलत है और क्या सही. लेकिन हां, देरी मत कीजिए.” नारकोटिक्स विभाग का अफसर बोला.

“लेकिन मैं तो दिल्ली में हूं, इतनी जल्द कैसे वहां पहुंच सकती हूं?” डा. कपूर बोली.

“इस का भी समाधान है. टेक्नोलौजी का जमाना है मैडम, सब कुछ आप के वहां बैठेबैठे हो जाएगा. पुलिस स्टेशन में आप की शिकायत भी दर्ज हो जाएगी और मामले को रफादफा भी कर दिया जाएगा.” अफसर ने समझाया.

डा. कपूर ने राहत की सांस ली और बोली, “मुझे क्या करना है?”

फिर काल किसी इंसपेक्टर स्मिता पाटिल को ट्रांसफर कर दी गई. इंसपेक्टर पाटिल ने सलाह दी कि औनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए स्काइप ऐप डाउनलोड करें.

“आप को स्काइप पर अपना अकाउंट खोलना है और उस के जरिए आप शिकायत दर्ज कर सकती हैं.”

स्काइप के द्वारा हुई अनोखी ठगी

असल में स्काइप से दुनिया भर में वीडियो चैट की जा सकती है. यह इंटरनेट से संचालित होता है और कंप्यूटर या मोबाइल पर इस का इस्तेमाल किया जाता है. कोई भी व्यक्ति इस पर अपना अकाउंट बना कर मित्रों और परिवार से संपर्क के लिए उपयोग कर सकता है.

“इस बारे में अधिक जानकारी लेनी है तो 1 डायल कीजिए.” अफसर ने स्काइप के बारे में बताते हुए स्काइप पर बात करने के लिए दबाव बनाया. इंसपेक्टर स्मिता के कहे अनुसार डा. कपूर उस की नई स्काइप आईडी से जुड़ गईं. दोनों लाइव थे. उन के बीच पूछताछ के सिलसिले में वार्तालाप शुरू हो गई. स्काइप का यह काल मुंबई अंधेरी ईस्ट साइबर क्राइम नाम की प्रोफाइल से आया था.

फिर डा. कपूर से पुलिस की आईडी पर बयान दर्ज कराने को कहा गया. साथ ही उसे होल्ड पर डाल कर किसी और से बात कर कन्फर्म करने की कोशिश कि गई कि उस की आईडी का मिसयूज तो नहीं हुआ है. इस सिलसिले में डा. कपूर ने सुना कि कोई व्यक्ति काल पर ही बता रहा है कि उन की आईडी का इस्तेमाल मुंबई में 23 बैंक खाते खोलने में हुआ है. मनी लांड्रिंग का शक है. फिर इंसपेक्टर बनी महिला ने कहा कि डाक्टर के खिलाफ कई अपराधों की जांच होगी और उसे गिरफ्तार करना पड़ेगा.

डा. कपूर तब तक फोन करने वाले की बातों में आ चुकी थीं. उस ने बातोंबातों में मुंबई पुलिस के डीसीपी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो समेत तमाम दूसरे विभाग के अफसरों के बारे में बताया. साथ ही उस की पेशी करने और मामले को सुलझाने में मदद का आश्वासन दिया. डा. कपूर ने उस के निर्देश पर वह सब किया, जैसा उसे बताया गया. इस क्रम में डाक्टर से स्काइप पर आईडी बनवाई गई और उन से अपनी बैंक अकाउंट डिटेल्स देने के लिए मजबूर कर दिया गया.

मनी लांड्रिंग का नाम सुनते ही डा. कपूर घबरा गईं. वह आए दिन खबर सुनती थीं कि इस धंधे में लोगों को जेल जाना पड़ता है. यह हवाला जैसे धंधे से जुड़ा हुआ है. इस का दिल्ली में भी अज्ञात गिरोह है, जो देशविदेश तक अपना पैर पसारे हुए है.

इस के बाद डॉक्टर से बैंक अकाउंट डिटेल्स और फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस की डिटेल मांगी गई. घबराई डाक्टर ने अपनी सारी जानकारी उन को दे दी. उस के बाद एक और पुलिस अफसर ने डाक्टर से बात की. उस ने उन से आरटीजीएस फार्म भरने के लिए कहा. इस दौरान डाक्टर की कथित आरबीआई अफसर और नारकोटिक्स डिवीजन के लोगों से भी बात करवाई गई.

घबराई हुई डाक्टर ने जब उन से इस मुसीबत से निकलने का उपाय पूछा तो महिला इंसपेक्टर स्मिता ने कहा, “हां, रास्ता है. मैं जैसा कहती हूं वैसा करो.” उस ने डाक्टर से कहा, “सभी बैंक अकाउंट में कितना बैलेंस है, इस का स्क्रीनशौट दो.” उस के बाद घबराई डा. कपूर ने एकएक रुपए की जानकारी उन्हें दे दी. जो कहा गया वह करती चली गईं.

साइबर ठगों ने ऐंठ लिए पौने 5 करोड़ रुपए

काल पर मौजूद पुलिस वालों ने सलाह दी कि जब्ती और वेरिफिकेशन के लिए फिक्स्ड डिपौजिट तुड़वानी होगी. उस के कहने पर डा. कपूर ने 1.15 करोड़ की एफडी तुड़वाई और फिर बाकी के लिए गोपीनाथ बाजार स्थित ब्रांच जाने को कहा गया. उस से इस में किसी को इनवौल्व नहीं करने की सख्त हिदायत दी गई. अपने पति तक को भी नहीं, क्योंकि फिर उन्हें भी अपराध में सहयोगी माना जाएगा.

उस के बाद इंसपेक्टर ने आगे के काम के लिए डीसीपी बल सिंह राजपूत को आगे कर दिया. उन्होंने ही डाक्टर से आरटीजीएस फार्म भरने को कहा. एक नई स्काइप आईडी से कौंटैक्ट को कहा गया, जिस का नाम ‘महाराष्ट्र नारकोटिक्स डिवीजन’ था. खुद को रिजर्व बैंक औफ इंडिया का अधिकारी बताने वाला एक अधिकारी भी जुड़ गया.

इस तरह चल रही प्रक्रिया के दरम्यान डाक्टर से कहा गया कि उस के खाते में जमा पैसा अपराध का है और उसे आरबीआई के खाते में ट्रांसफर कर दे. वेरिफिकेशन के बाद रकम वापस कर दी जाएगी. मुंबई पुलिस के लेटरहेड पर एक शिकायत डाक्टर को भेजी गई. साथ में आरबीआई की एक चिट्ठी भी आई. महिला को फिर कहा गया कि 1 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन कर स्क्रीनशौट शेयर करे. उस के बाद 90 लाख रुपए का एक ट्रांसफर और हुआ.

इस क्रम में महिला डाक्टर को उस के पति के साइन लेने पर मजबूर किया गया. फिर जौइंट एफडी तुड़वा कर वह रकम भी ट्रांसफर करा ली गई. जब कुल 4.73 करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए तो महिला से कहा गया कि वह आरबीआई की क्लियरेंस रिपोर्ट का इंतजार करे.

पैसे निकाले जाने के बाद डा. कपूर के होश उड़ गए. उस के बाद जिस नंबर से अनजान काल आया था, उस पर काल करने के बाद वह नौट रीचेबल मिला. स्काइप आईडी से भी लिंक फेल पाया गया. वह समझ गई कि वह साइबर फ्रौड का शिकार हो चुकी हैं. उन्होंने तुरंत दिल्ली पुलिस से संपर्क किया. अपने साथ हुई सारी घटना के बारे में विस्तार से बताया.

हालांकि डाक्टर को यकीन था कि उस का पैसा ड्रग्स से नहीं आया, फिर भी उस ने इंतजार किया. 9 मई तक मुंबई नारकोटिक्स डिवीजन, आरबीआई और अंधेरी पुलिस थाने में से किसी का जवाब नहीं आया. आखिर में उन्हें क्लियरेंस सर्टिफिकेट भेजे गए थे. इन में लिखा था कि उस के खाते ठीक हैं और उन से कोई अवैध लेनदेन नहीं पकड़ा गया.

डा. कपूर द्वारा 20 मई, 2023 को दर्ज की गई साइबर अपराध की शिकायत पर उन के बयान दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आईएफएसओ) इकाई में दर्ज किए गए. शिकायतकर्ता डा. कपूर के अनुसार उन के साथ हुई धोखाधड़ी में साइबर फ्रौड की एक बड़ी टीम ने काम किया. उन में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन, भारतीय रिजर्व बैंक, सीमा शुल्क विभाग, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और यहां तक कि साइबर ठग एक डीसीपी सहित विभिन्न प्राधिकरणों के अधिकारी तक बन गए. वे सभी फरजी थे.

पीडि़ता के आरोपों के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 389, 170 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया. लिखे जाने तक तहकीकात जारी थी, जिसमें जालसाजों ने कई संस्थाओं के अधिकारियों को लगा दिया था.

धोखाधड़ी की योजना कथित तौर पर भ्रामक स्काइप काल के माध्यम से सामने आई थी, जिस में पीडि़ता को यह विश्वास करने के लिए मजबूर किया गया कि उसने एक गंभीर अपराध किया है. यहां तक कि उसे गैरजमानती सजा और तुरंत जेल तक की धमकी दी गई थी. स्काइप से ठगी की यह अनोखी घटना थी.

पीडि़त की केवाईसी जानकारी से समझौता किया गया था. जालसाजों ने डाक्टर को यह विश्वास दिलाने के लिए हेरफेर किया कि उसे जब्ती और सत्यापन उद्ïदेश्यों के लिए अपनी फिक्स्ड डिपौजिट को खत्म करने की आवश्यकता है. डा. कपूर की केवाईसी जानकारी से समझौता किया गया था, जिस में साइबर गिरोह को समझौता किए गए विवरण का उपयोग कर 23 धोखाधड़ी खाते बनाने की अनुमति दी गई थी. इन में से कुछ खाते मनी लांड्रिंग गतिविधियों में शामिल थे.

इसी के साथ डा. कपूर को यह विश्वास दिलाने का धोखा दिया गया था कि जब्त की गई राशि को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सत्यापन उद्ïदेश्यों के लिए स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त होने का संदेह था. जालसाजों ने पीडि़ता को भरोसा दिया कि एक बार सत्यापन पूरा हो जाने के बाद राशि उसे वापस कर दी जाएगी. इस धोखाधड़ी में तमाम बड़े विभागों के इस्तेमाल किए जाने के कारण गंभीर साइबर फ्रौड बताया गया है.

जांच करने वाली दिल्ली पुलिस ने जालसाजों की हिम्मत और दादागिरी का लोहा मान लिया. जालसाजों ने डाक्टर से यहां तक कहा था कि वे उस का नया आधार आईडी बनवा देंगे. कारण, पिछला वाला ब्लौक कर दिया गया है. साथ ही उसे स्काइप पर हुई सारी बातचीत डिलीट करने को कहा गया.

साइबर ठगों द्वारा डा. शोभा कपूर से पौने 5 करोड़ रुपए की साइबर ठगी हो जाने के बाद लोग यह सोच कर आश्चर्यचकित हो रहे हैं कि आखिर एक उच्चशिक्षित महिला साइबर ठगों की बातों में कैसे फंस गई. बहरहाल, यह सच है कि उन के साथ ठगी तो हुई है.

कथा लिखने तक पुलिस उन साइबर अपराधियों की जांच में जुटी हुई थी.

गेमिंग ऐप से ठगे करोड़ों

गेमिंग ऐप से ठगे करोड़ों – भाग 3

अभी इस बात को एक ही दिन गुजरा होगा. पुलिस कमिश्नर को मुख्य मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से फोन कर के कहा गया कि 15 फरवरी को फेडरल बैंक द्वारा आमिर खान नाम के व्यक्ति के खिलाफ बैंक में फरजी खाते खुलवा कर लेनदेन किया गया.

आमिर खान के द्वारा लांच ई-नगेट्स मोबाइल गेमिंग ऐप के द्वारा लोगों से लाखों रुपए इन खातों में जमा करवा कर निकासी को अचानक रोक दिया गया. यह लोगों के साथ सरासर औनलाइन धोखाधड़ी है. इस की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से करवाई जाए और कोर्ट को बताया जाए कि आमिर खान की सच्चाई क्या है.

पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल को यह पता ही था कि थाना पार्क स्ट्रीट में कुछ लोगों ने ई-नगेट्स गेमिंग ऐप के मालिक आमिर खान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. चूंकि उन्हें अब कोर्ट का आदेश मिला था, इसलिए उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय को इस संबंध में पत्र लिख दिया.

और फिर 10 सितंबर, 2022, शनिवार की सुबह उस वक्त गार्डन रीच इलाके में रहने वाले लोग हैरान रह गए जब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने आमिर खान के साधारण से नजर आने वाले मकान पर छापा डाल दिया. यह काररवाई प्रिवेंशन औफ मनी लांड्रिंग ऐक्ट 2002 के प्रावधान के तहत हुई. ईडी के साथ केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान, फेडरल बैंक के अधिकारी, पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल व पार्क स्ट्रीट थाने के इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी भी पुलिस वालों के साथ आमिर खान के दोमंजिला मकान पर उपस्थित थे.

आमिर के घर से बरामद हुए 17 करोड़ रुपए

आमिर खान और उस के बाप नासिर अहमद की नींद जूतों की आवाजों से खुली तो घर में ईडी की टीम को देख कर उन के चेहरे सफेद पड़ गए. इधर ईडी की टीम ने आमिर खान के घर पर तलाशी अभियान शुरू किया तो उन की आंखें आश्चर्य से फैलती चली गईं.

अदंर के कमरे में उन्हें 10 लोहे के ट्रंक नजर आए. उन्हें खोला गया. 5 ट्रंकों में 200-500 और 2000 रुपयों के नोट ठूंसठूंस कर भरे हुए थे. इतने नोट हाथों से गिनना असंभव भी था और देर भी हो सकती थी, इसलिए ईडी टीम ने राज्य के विभिन्न बैंकों से नोट काउंटिंग करने वाली मशीनें मंगवा ली.

आमिर खान के इस साधारण से दिखने वाले मकान में ईडी टीम ने सुबह 6 बजे छापा डाला था. ट्रंकों और पलंग के गद्दे के नीचे छिपा कर रखे गए नोटों की गिनती रात के 8 बजे तक चली. आमिर खान के मकान से 17 करोड़ 32 लाख रुपया जब्त किया गया.

ईडी टीम ने राज्य के साल्ट लेक में सीजीओ कौंप्लेक्स में स्थित औफिस से यह नोट ले जाने के लिए खुला ट्रक और स्टील के बाक्स मंगवाए. इन्हें उन बौक्स में भर कर सीलमोहर किया गया और सीजीओ में स्थित औफिस में भेजा गया.

आमिर खान न जाने कब और कैसे अपने घर से भागने में सफल हो गया था. उस का पिता नासिर अहमद पकड़ में आ गया. उसे ईडी की टीम सीजीओ कौंप्लेक्स में स्थित औफिस ले कर आ गई. उस से कड़ी पूछताछ कर के ईडी टीम ने आमिर खान की मोबाइल गेमिंग ऐप में हिस्सेदारी कर रहे 5 लोगों के घर फिर से एक साथ छापा डाला.

पहली टीम पार्क स्ट्रीट थाना क्षेत्र के 34, मेकलाड स्ट्रीट की बहुमंजिला इमारत में एक वकील के घर घुसी.

दूसरी टीम शाही अस्तबल मसजिद लेन स्थित निसार अली के आवास पर पहुंची. यहां एक ट्रंक में 500 और 2000 रुपयों का जखीरा मिला, जिसे गिनने के लिए काउंटिंग मशीनें मंगानी पड़ी.

तीसरी टीम ने एक कपड़ा व्यवसायी के मयूरभंज रोड, मोमीपुरा स्थित घर पर रेड डाली. एक टीम ने कायतला रोड पर नगर पालिका का काम देख रहे एक अधिकारी के घर में छापा डाला. ईडी की टीम को हर जगह से करोड़ों रुपए मिले. इन्हें जब्त कर के इन्हें छिपा कर रखने वाले आमिर खान के पार्टनरों को गिरफ्तार कर लिया गया.

आमिर इस साइबर क्राइम का असली मास्टरमाइंड था. पार्क स्ट्रीट के जयंत मुखर्जी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे. ईडी की छापेमारी के 2 सप्ताह बाद आखिर आमिर खान को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने भादंवि की धारा 406/409 के तहत केस दर्ज कर के इन्हें बंकशाल कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश कर दिया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

देखना यह है कि लाखों लोगों को ठगने वाले इन जालसाजों के खिलाफ ईडी और राज्य पुलिस क्या चार्जशीट तैयार करती है और इन्हें कितनी कठोर सजा दिलवाती है.

—कथा में जया घोष, करण बहादुर और दिलीप घोष परिवर्तित नाम हैं.

लालच में न फंसें

आज के आधुनिक दौर में चाकू और रिवौल्वर दिखा कर लोगों को लूटने का चलन पुराना हो चला है. अब एक ही रात में करोड़पति बनने का सपना देखने वाले शातिर दिमाग वाले चालबाज अपराधी, डिजिटल साधनों को अपना हथियार बना कर लोगों को लूटने और ठगने लगे हैं.

इस में जितने दोषी वह शातिर अपराधी हैं, उतने ही लोग भी हैं. अधिकांश व्यक्ति इस फेर में पड़े रहते हैं कि अधिक से अधिक धन कहां से और कैसे हासिल किया जाए. इसी लालच में वह शातिर चालबाज लोगों के साइबर क्राइम का शिकार बन जाते हैं. जैसा कि आमिर खान ने ई-नगेट्स मोबाइल गेमिंग ऐप बना कर लाखों लोगों को बेवकूफ बना कर ठग लिया. यदि आमिर द्वारा बुने गए जाल से बचना है तो लोगों को अपने आंख, कान ही नहीं, दिमाग का ढक्कन भी खुला रखना चाहिए.

याद रखिए, एक रात में अमीर बनने का सपना कभी मत देखिए, कोई भी आप को लालच दे कर ठग सकता है. आप सचेत रहेंगे तो साइबर क्राइम अपराधी आप को हानि नहीं पहुंचा पाएगा. यदि आप किसी भी तरह की औनलाइन ठगी का शिकार हो गए हैं तो राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर शिकायत कर सकते हैं या फिर गृह मंत्रालय द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल कर सकते हैं.

गेमिंग ऐप से ठगे करोड़ों – भाग 2

थाने पहुंचे ठगे गए लोग

कोलकाता का पार्क स्ट्रीट पुलिस स्टेशन. पुलिस इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी एक जरूरी केस की फाइल मंगा कर देख रहे थे. अचानक अपने कक्ष के बाहर शोरशराबा सुन कर वह हैरत में भर गए. फाइल बंद कर के वह कक्ष से बाहर आए तो उन्हें 25-30 पुरुषमहिलाएं आपस में बात करते नजर आए. उन के पास ही पुलिस हैडकांस्टेबल भी मौजूद दिखा तो वह कुछ कदम चल कर उन के पास आ गए.

“मामला क्या है, आप लोग यहां किस समस्या को ले कर आए हैं?” एसएचओ जयंत मुखर्जी ने उन लोगों से पूछा.

“सर, हम लुट गए हैं. हमारे लाखों रुपए डूब गए हैं.” सभी एक साथ बोले तो जयंत मुखर्जी ने हाथ उठाया और बोले,

“देखिए, आप एकएक कर के मुझे अपनी बात बताएं. एक साथ बोलेंगे तो मैं नहीं जान पाऊंगा, किस के साथ क्या हुआ?”

इन पुरुषमहिलाओं की भीड़ में करण बहादुर भी था और उस की प्रेमिका जया घोष भी. करण बहादुर ने लोगों को इशारे से कहा कि वह बात करेगा, फिर वह उन सभी के आगे आ कर बोला, “सर, कुछ समय पहले मोबाइल पर एक ई-नगेट्स नाम की एक गेमिंग एप्लिकेशन लांच की गई थी. इसे किसी आमिर खान नाम के शख्स ने शुरू किया था. इस में यूजर्स द्वारा लगाई गई धनराशि पर कमीशन और रिवार्ड दिए गए. यूजर्स के वालेट में कैश भी भेजे गए.

यूजर्स यानी हम को जब यह विश्वास हो गया कि हम इस गेमिंग ऐप से लाखों रुपए कमा सकते हैं तो हम ने अपनी तमाम जमापूंजी लगा दी. ऐसा यहां मौजूद सभी लोगों ने किया है और शायद और भी बहुत से लोग होंगे, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई को इस गेमिंग ऐप में लगा दिया होगा.”

“आप लोगों ने पूंजी लगाई तो क्या आप की वह पूंजी अब सुरक्षित नहीं है?” एसएचओ जयंत मुखर्जी ने पूछा.

“यदि जमापूंजी सुरक्षित होती तो सर, हम लोग फरियाद ले कर यहां क्यों आते. हमें लूट लिया गया है.” भीड़ में से एक महिला ने जोर से कहा.

“आप बताइए? आप ने पूंजी लगाई तो फिर क्या हुआ?” जंयत मुखर्जी ने करण बहादुर के चेहरे पर नजरें डाल कर पूछा.

“सर, इस ई-नगेट्स मोबाइल गेमिंग ऐप के मालिक आमिर खान ने इस ऐप की वालेट से पूंजी निकासी को रोक दिया. इस से हमारा सारा रुपया फंस गया. मैं ने और मेरी मित्र जया घोष ने जब इस संबंध में आमिर खान से पूछा तो उस ने हमें गोलमोल जवाब दिया. उस ने सिस्टम के अपग्रेड न होने के बहाने बनाए.

“हमें शक है कि आमिर खान ने हम से धोखाधड़ी की है. मुझ में और जया घोष के मन में इस ऐप से जुडऩे वाले अन्य लोगों के विषय में जान लेने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. मैं ने जया घोष से कहा कि हमारी तरह अन्य लोग भी इस गेम ऐप के द्वारा ठग लिए गए होंगे. हमें यह पता लगाना चाहिए.

“तब जया और मैं ने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू की और उन लोगों को हम से जुडऩे के लिए आमंत्रित किया, जो इस ऐप के मालिक आमिर खान द्वारा धोखे का शिकार हुए. यह 25-30 लोग अभी तक हम से जुड़े हैं इंसपेक्टर साहब. मुझे विश्वास है, हमारी तरह सैकड़ों या हजारों लोग इस गेमिंग ऐप का शिकार हुए हैं.”

पुलिस ने आमिर खान से की पूछताछ

इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी को मामला गंभीर लग रहा था. वह बहुत गंभीर हो गए, “आप की बात में सच्चाई है तो निस्संदेह ही इस मोबाइल गेमिंग एप्लिकेशन को लांच करने वाले आमिर खान ने लोगों के साथ धोखाधड़ी की है. इस मोबाइल गेमिंग ऐप के हजारों लोग शिकार हुए होंगे. मैं आप की इस बात से सहमत हूं. आप सभी लोग अपनी शिकायत लिख कर दे दीजिए. मैं देखता हूं कि आमिर खान क्या चीज है.”

इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी ने फोन द्वारा पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल को मोबाइल ऐप के द्वारा सैकड़ों लोगों को ठगने की जानकारी देते हुए दिशानिर्देश मांगा. गोयल ने इस मामले को गंभीरता से देखने का आदेश जयंत मुखर्जी को दे दिया.

पार्क स्ट्रीट थाने के इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी ने ठगे गए लोगों की एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस बल के साथ आमिर खान के घर का रुख किया. एफ-7, गार्डन रीच में आमिर खान का दोमंजिला साधारण सा मकान देख कर जयंत मुखर्जी का माथा ठनका. उन्हें लगा कि लोगों ने झूठे ही आमिर खान के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है. साधारण से मकान में रहने वाला व्यक्ति यदि इतनी बड़ी जालसाजी करता तो यहां नहीं रहता.

उन्होंने घर का दरवाजा खटखटाया. एक युवक ने दरवाजा खोला. सामने पुलिस को देख कर वह चौंका. खुद को शीघ्र ही संभाल लेने के बाद उस ने बहुत इत्मीनान से पूछा, “आप को किस से मिलना है साहब?”

“आमिर खान से मिलना है मुझे, उसे बुलाइए.” जयंत मुखर्जी ने कहा तो युवक मुसकरा पड़ा.

“मेरा ही नाम आमिर खान है साहब.”

जयंत मुखर्जी ने उस युवक को ऊपर से नीचे तक हैरानी से देखा. यह 22 वर्षीय युवक चेहरेमोहरे से शांत स्वभाव का दिखाई दे रहा था. उस के चेहरे पर मक्कारी जैसे कोई भाव नहीं थे.

“आप अंदर आ कर बैठिए साहब.” आमिर खान ने शिष्टाचार दिखाते हुए दरवाजे से हट कर इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी को रास्ता दिया.

जयंत मुखर्जी अंदर आ कर उस बैठकनुमा कमरे में पड़ी कुरसी पर बैठ गए. पुलिस के 4 सिपाही उन के साथ थे. वे आ कर खड़े हो गए. तब आमिर खान अंदर जा कर सभी के लिए पानी ले आया.

“हमारे स्वागतसत्कार को छोड़ो आमिर, तुम सामने बैठ कर मेरे सवालों का जवाब दो.” जयंत मुखर्जी ने गंभीर हो कर कहा तो आमिर खान उन के सामने बैठ गया.

“आमिर खान, तुम्हारे खिलाफ 2 दरजन से ज्यादा लोगों ने मेरे थाने में शिकायत दर्ज करवाई है कि तुम ने उन लोगों को लूटा है. उन से धोखाधड़ी की है.”

“वे कौन लोग हैं साहब, मैं ने तो किसी को नहीं ठगा, न किसी के साथ धोखाधड़ी की है.” आमिर खान हैरान होते हुए बोला,

“आप स्पष्ट शब्दों में बताइए, मामला क्या है?”

“वे कोलकाता के संभ्रांत नागरिक हैं आमिर खान. उन का कहना है कि तुम ने मोबाइल पर ई-नगेट्स गेमिंग ऐप लांच किया. उस गेम में लोगों ने अपनी मेहनत की जमापूंजी लगा दी. तुम से उन को शिकायत है कि तुम ने उस ई-नगेट्स गेमिंग ऐप से पैसों की निकासी को अचानक रोक कर उन का पैसा हड़प लिया.”

आमिर खान मुसकरा पड़ा, “ऐसा नहीं है साहब. मैं मानता हूं कि मैं ने ई-नगेट्स गेमिंग ऐप को एक व्यवसाय के तहत शुरू किया है. कुछ दिन पहले मुझे ई-नगेट्स गेमिंग ऐप सिस्टम अपग्रेडेशन न होने के कारण बंद करना पड़ा है. जैसे ही सिस्टम अपग्रेड हो जाएगा, मैं इसे फिर से चालू कर दूंगा. किसी की मेहनत की कमाई मैं धोखे से खा जाऊं, यह मेरे लिए हराम है साहब.”

पुलिस को आमिर खान लगा बेकुसूर

जयंत मुखर्जी के पास आमिर खान की बात पर विश्वास कर लेने के अलावा कोई चारा नहीं था. वह भी जानते थे, सिस्टम में खराबी आ जाना या सिस्टम को अपग्रेड करना मोबाइलों में आम बात होती है.

आमिर खान को क्लीन चिट देते हुए उन्होंने कहा, “आमिर, यदि तुम सच बोल रहे हो तो मैं तुम पर कोई काररवाई नहीं करूंगा. हां, तुम्हें यह जरूर कहूंगा कि अपने गेमिंग ऐप सिस्टम को तुरंत ठीक कर के शुरू कर दो ताकि खुद को ठगा हुआ समझने वाले यूजर्स राहत की सांस ले कर अपनी एफआईआर वापस ले सकें.”

“ठीक है साहब,” आमिर खान ने कहा.

इंसपेक्टर जयंत मुखर्जी थाने लौट आए. शिकायतकर्ता अपनी रिपोर्ट लिखवा कर जा चुके थे. उन के मोबाइल नंबर लिख लिए गए थे, जयंत मुखर्जी ने हैडकांस्टेबल को निर्देश दिया कि सभी को फोन कर के समझा दिया जाए कि आमिर खान जल्द ही ई-नगेट्स गेमिंग ऐप शुरू कर देगा.

                                                                                                                                         क्रमशः

गेमिंग ऐप से ठगे करोड़ों – भाग 1

जया घोष दुबलेपतले जिस्म की 19 वर्षीय युवती थी. देखने में वह बेहद खूबसूरत थी. दूध में केसर मिले रंग जैसी काया. आंखों में किसी को भी मदहोश कर देने वाला नशा, गुलाबी अधर और सेब जैसे लाल गालों ने उस के चेहरे को आकर्षक बना दिया था. जवानी उस पर पूरी तरह मेहरबान थी. उन्नत वक्ष, भारी नितंब और पतली कमर. जब वह हिरणी सी मदमस्त चाल से चलती थी तो राह से गुजरने वाले लोग आह भर कर रह जाते थे.

जया घोष की दिल को लुभाने वाली मुसकान मनचलों के दिलों पर बिजलियां गिराती थी. कितने ही युवक जया घोष को अपनी ओर आकर्षित करने के चक्कर में घंटों उस के बंगले के सामने खड़े रह कर उस के बाहर आने का इंतजार करते रहते थे. हर एक की यही तमन्ना रहती थी कि जया घोष कयामत भरी एक नजर उस पर भी डाल ले. वे मनचले यह क्या जानते थे कि जया तो अपनी नजरों में कभी का एक हीरो बसा चुकी है, वह अपना दिल उस हीरो पर वार चुकी है.

वह हीरो था करण बहादुर. नेपाली मूल का करण बहादुर एक साल पहले उसे कोलकाता के चौरंगी लेन पर उस समय टकराया था, जब कादिर नाम के एक बदमाश ने बीच राह में जया को रोक कर उस का हाथ पकड़ लिया था. चौरंगी लेन का वह उभरता हुआ बदमाश था.

अपनी हेकड़ी जमाने के लिए कादिर जवान और खूबसूरत युवती का हाथ थाम कर उसे सीने से लगा लेता था, कभी दिल करता तो वह उस का चुंबन भी ले लेता था. राह चलते लोग उस की इस हरकत पर चूं तक नहीं करते थे. कारण था, उस बदमाश का छुरा, जिसे वह पैंट में यूं खोंस कर रखता था कि वह हर किसी को दिखाई देता रहे.

जया यूं अचानक अपना हाथ उस बदमाश द्वारा पकड़ लिए जाने से डर कर चीख पड़ी थी. वह बदमाश हो..हो… कर के हंस पड़ा था, ‘सुंदर हो, नाजुक भी हो, तुम्हारे इन गालों पर एक चुम्मा तो बनता है मेरा. राजी से दोगी तो तुम्हें भी आनंद आएगा, राजी से नहीं दोगी तो पछताओगी कि कादिर की आगोश में आ कर मजा नहीं मिला. बोलो, क्या बोलती तू?’

जया घोष हाथ पकड़े जाने से पहले ही डरी हुई थी, उस का इरादा जान कर बुरी तरह डर गई. वह जोरजोर से चीखने लगी,

“बचाओऽऽ बचाओऽऽ.”

“कोई नहीं बचाएगा तुझे,” कादिर मुसकराता हुआ बोला, “अगर कोई बचाने आया तो उस की मैं बोटीबोटी कर डालूंगा.”

कहने के बाद कादिर ने जया को अपनी तरफ खींचा, तभी बाज की तरह झपट कर करण बहादुर ने जबरदस्त घूंसा कादिर की नाक पर जड़ दिया. करण उस वक्त वहां से गुजर रहा था. जया की मदद करने के लिए वह तुरंत ऐक्शन में आ गया था. किसी फिल्मी सीन की तरह घूंसा खा कर कादिर 2 कदम पीछे जा कर गिरा.

जया हाथ छूटते ही करण से आ लिपटी, “मुझे बचा लीजिए प्लीज.” वह गिड़गिड़ाई थी.

करण ने उसे एक तरफ खड़ा कर के सडक़ से उठते हुए कादिर को लातघूंसों पर ले लिया. थोड़ी ही देर में कादिर बेदम हो गया.जया घोष की नजरों में करण बहादुर हीरो बन कर उभरा था. उसी रोज से वह करण बहादुर के करीब आ गई. करण बहादुर नेपाली मूल का था और जया घोष बंगाली. दोनों ही जानते थे कि उन का प्रेम संबंध उन के घर वाले मंजूर नहीं करेंगे, फिर भी दोनों अपने प्रेम की डोर मजबूत करते गए.

जया घोष ने प्रेमी को बताई अमीर होने की तरकीब

जया घोष के पिता दिलीप घोष सरकारी ओहदे पर थे. घर में किसी तरह की परेशानी नहीं थी. करण बहादुर गरीब घर से था, वह नेपाल में अपने मांबाप और जवान बहन को छोड़ कर काम की तलाश में भारत आया था. कोलकाता में उसे बहुत धक्के खाने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में स्टोर कीपर की नौकरी मिल गई थी. वह अपनी जरूरत का खर्चा निकाल कर बाकी रुपए अपने मांबाप को नेपाल भेज देता था. जया घोष यह हकीकत जानती थी.

दिलीप घोष ऐसे गरीब लडक़े से बेटी का विवाह करने के इच्छुक नहीं थे. यदि करण बहादुर की इनकम अच्छी होती तो उन्हें बेटी का हाथ उसे सौंपने में ऐतराज नहीं होता. क्योंकि वह बेटी को हमेशा खुश देखना चाहते थे. जया घोष चाहती थी कि करण बहादुर यहां ढेर सारा रुपया कमाए, जिस से वह उस के पिता दिलीप घोष बाबू से उस का हाथ मांग सके. लेकिन उसे भी यह समझ नहीं आ रहा था कि करण किस तरह ढेर सारा रुपया कमाएगा.

करण ने ग्रैजुएशन तो कर रखा था, लेकिन अच्छी नौकरी के अभाव में वह प्राइवेट फर्म में कम सैलरी में काम करने को मजबूर था. करण बहादुर के लिए जया घोष परेशान थी, लेकिन उस के हाथ ऐसा नुस्खा आ चुका था, जिस से वह अपने प्रेमी करण बहादुर को लखपति बना सकती थी.

तैयार हो कर जया आटो में बैठ कर करण से मिलने के लिए घर से निकल गई थी. उस ने करण बहादुर को फोन कर के शोभा बाजार में स्थित मित्रा कैफे में तुरंत पहुंचने को कह दिया. जया घोष जब वहां पहुंची, करण बहादुर भी वहां आ चुका था. जया घोष उसे ले कर एक टेबल पर आ गई.

“तुम ने मुझे यहां क्यों बुलाया है जया?” करण बहादुर ने हैरानी से पूछा.

“करण, मैं तुम्हें लखपति बनाने वाली हूं.”

“क्या तुम्हारे हाथ कोई जादुई चिराग आ गया है? तुम अच्छी तरह जानती हो, मुझे सिर्फ 15 हजार रुपए सैलरी मिलती है.”

“जादुई चिराग ही हाथ लगा करण, मैं ने कल रात को एक घंटे में एक लाख रुपया कमा लिया है.” जया ने मुसकरा कर कहा.

“यार जया, तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आ रही हैं, साफसाफ बताओ मुझे, तुम ने एक लाख रुपया कैसे कमाया है?”

जया ने अपना मोबाइल टेबल पर रखा. उस में एक ई नगेट्स गेमिंग एप्लिकेशन नाम का ऐप खोला और जया ने करण बहादुर की ओर देख कर कहा, “करण, इस ऐप पर हम जितनी पूंजी इनवैस्ट करेंगे, हमारे वालेट में हमारा कमीशन आएगा.

इस में आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात है. हमारा एक कैश खाता खुल जाएगा, जिस में हमारी पूंजी भी सुरक्षित रहेगी, हम जब चाहेंगे अपनी पूंजी वापस निकाल सकेंगे. साथ ही हमें रिवार्ड भी मिलेंगे. यह गेमिंग ऐप हमें मालामाल बना देगा.”

“सच कह रही हो जया?” करण हैरत से बोला.

“हां.” जया ने कहने के बाद अपने पर्स से एक लाख रुपया निकाल कर टेबल पर रख दिया, “यह एक लाख रुपए मैं ने पापा के रुपए इस गेमिंग में लगा कर कमाए हैं करण. अब तुम इन रुपयों से अपनी किस्मत चमकाओगे. अगर तुम्हें और रुपयों की जरूरत पड़ेगी तो तुम बिना किसी झिझक के मुझे फोन कर के मांग लेना.”

“ठीक है जया,” करण भावुक स्वर में बोला, “आज मैं ने महसूस किया है कि तुम मेरे लिए कितना सोचती हो.”

“सोचूंगी क्यों नहीं करण,” जया मुसकरा कर बोली, “तुम मेरे होने वाले पति जो हो.”

“वो तो हूं,” करण ने कहा. उस ने टेबल पर रखा एक लाख रुपया उठा कर जेबों में ठूंस लिया.

कुछ ही देर बाद दोनों उस रेस्टोरेंट से बाहर आ गए और अपनेअपने रास्ते चले गए.

                                                                                                                           क्रमशः