डेढ़ सौ करोड़ की मालकिन शुभांगना की मौत की मिस्ट्री – भाग 3

पुलिस ने एक सितंबर को राजकुमार को थाने बुला कर सुबह से रात तक कई दौर में पूछताछ की. वकील की मौजूदगी में हुई इस पूछताछ में राजकुमार ने पुलिस को बताया कि इसी साल जुलाई में शुभांगना से उस का दोबारा संपर्क हुआ था. राजकुमार के परिचितों का कहना है कि कालेज राजकुमार संभालता था. उस के कालेज में जाने से रोक लगाने के बाद कालेज की स्थिति बिगड़ने लगी थी. तब जुलाई में शुभांगना ने उसे फोन किया था.

इस के बाद भी उस ने कई बार संपर्क किया. इस बार कालेज में उम्मीद के मुताबिक बच्चों के प्रवेश नहीं हुए थे. इस की वजह से भी वह मानसिक रूप से परेशान थी. राजकुमार ने शुभांगना को समझाया भी था. राजकुमार के मोबाइल में इस से संबंधित सबूत मौजूद बताए जाते हैं. पुलिस ने राजकुमार के 2 मोबाइल फोन जब्त किए हैं. उन में राजकुमार और शुभांगना की बातों की कुछ कौल रिकौर्डिंग हैं.

आरोपप्रत्यारोप

पता चला है कि घटना से 5-6 दिनों पहले शुभांगना ने अपने जेठ और सास को फोन कर के घर बुलाया था. मां और भाई ने राजकुमार को भी वहां बुलाया था, लेकिन वह नहीं आया.

बाद में शुभांगना उसे अपनी गाड़ी से ले कर आई थी. उस समय शुभांगना ने राजकुमार से कहा था कि पापा को उस के यहां आने का पता नहीं चलना चाहिए. शुभांगना का जयपुर के मनोचिकित्सक से इलाज चलने की भी बात कही जा रही है.

दूसरी ओर प्रेम सुराणा और शुभांगना के वकील अनिल शर्मा ने राजकुमार और उस के घर वालों पर कई तरह के आरोप लगाए हैं. प्रेम सुराणा का कहना है कि राजकुमार के कई लड़कियों, महिला कर्मचारियों और नौकरानी से संबंध थे. शुभांगना को जब इन बातों का पता चला तो उस ने राजकुमार को टोका. तब शराब के नशे में वह शुभांगना से मारपीट करने लगा.

उस ने कालेज में भी लाखों रुपए का घोटाला किया है. वह शुभांगना की जासूसी भी कराता था. उन्होंने राजकुमार पर शुभांगना की हत्या का शक जताते हुए पुलिस अधिकारियों को कुछ दस्तावेजी सबूत भी दिए हैं. इन में मौत से पहले शुभांगना की ओर से अपने वकील को भेजे गए ईमेल और वाट्सएप पर राजकुमार से हुई बातचीत के अंश शामिल हैं.

प्रेम सुराणा का कहना है कि पुलिस इस मामले में ढंग से जांच नहीं कर रही है. शुभांगना की मौत के मामले में 6 सितंबर को वह समाज के कुछ लागों को ले कर जयपुर में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से मिले थे. तब गृहमंत्री ने उन्हें न्याय दिलाने की बात कही थी.

विवादास्पद बातें

शुभांगना के वकील अनिल शर्मा का कहना है कि 25 अगस्त की रात को राजकुमार सीतापुरा स्थित कालेज गया था. उस ने कालेज में रुकने के लिए शुभांगना को फोन किया था.

कालेज में लगे सीसीटीवी कैमरों में राजकुमार के आने की फुटेज थी, जो बाद में नष्ट कर दी गई. उन का यह भी कहना है कि राजकुमार ने शुभांगना के मोबाइल में कोई ऐप डाउनलोड कर दिया था, जिस से जब वह मोबाइल पर किसी से बात करती थी तो वह राजकुमार तक पहुंच जाती थी.

वह जब भी कालेज जाता था, तब वहां आया कैश ले जाता था. शुभांगना के फर्जी हस्ताक्षर कर के उस ने कई जगहों से कर्ज भी लिया था. कुछ दिनों पहले उस ने 90 लाख रुपए का एक फ्लैट बेचा था.

जब वह शुभांगना के साथ रहता था, तब उसे काफी परेशान करता था. कई दिनों के लिए उसे कमरे में बंद कर देता था, खाना भी नहीं देता था. मायके वालों से मिलने पर पाबंदी लगा रखी थी. शुभांगना ने ये सारी बातें वकील प्रदीप शर्मा को ईमेल और वाट्सएप पर लिख कर भेजी थीं.

दूसरी ओर राजकुमार सावलानी का कहना है कि शुभांगना ने 23 अगस्त को उसे घर पर बुलाया था. जब वह नहीं गया तो वह खुद उसे लेने आ गई. घर ले जा कर उस ने नाश्ता कराया था और एक मोबाइल फोन गिफ्ट किया था. नए नंबर ले कर फोन चालू किया, जिस पर शुभांगना के मैसेज और फोन आए थे. 25 अगस्त को जब शुभांगना के मातापिता को पता चला कि वह मुझ से बात कर रही है तो उन्होंने उसे काफी डांटाफटकारा.

शुभांगना पहले से ही मानसिक रूप से परेशान थी, वह दबाव में आ गई. 26 अगस्त की सुबह 3 बज कर 41 मिनट पर मेरे मोबाइल पर उस का मैसेज आया. मैसेज में उस ने कहा था कि ‘मुझे माफ कर दो और कालेज व रिसौर्ट चला दो.’ इस के बाद 4 बजे उस का फोन आया तो उस ने 32 मिनट तक बात की.

वह यही कहती रही कि मेरे मातापिता ने तुम्हारे साथ अच्छा नहीं किया. राजू हम दोनों साथ रहना चाहते हैं, लेकिन मेरे मातापिता नहीं चाहते कि हम साथ रहें. इसी वजह से मैं डिप्रेशन में हूं. अब मुझ से काम भी नहीं संभल रहा है. मैं ने कहा कि इस बारे में सुबह बात करेंगे. सब ठीक हो जाएगा.

राजकुमार का कथन

सुबह बेटे ने फोन कर के बुलाया, तब पता चला कि शुभांगना की मौत हो गई है. राजकुमार ने शुभांगना की मौत के लिए प्रेम सुराणा और उन के घर वालों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि ‘मैं ने लवमैरिज की थी, यह बात प्रेम सुराणा कभी नहीं भुला पाए. इसीलिए मुझे शुभांगना की मौत के मामले में फंसाना चाहते हैं.’

शुभांगना की मौत की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में 7 सितंबर को थाना अशोक नगर के थानाप्रभारी बालाराम को जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने लाइनजाहिर कर दिया था. इस के बाद उन्हें जयपुर रेंज में लगा दिया गया. अब उन्हें थानाप्रभारी न लगा कर नौन फील्ड में रखने के निर्देश दिए गए हैं. उन पर आरोप लगा है कि वह शुभांगना की मौत के मामले में न तो घटनास्थल पर गए और ना ही एफएसएल टीम बुलाई. उन्होंने घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी नहीं कराई. लाश का पोस्टमार्टम भी मैडिकल बोर्ड से नहीं कराया गया.

कथा लिखे जाने तक यह हाईप्रोफाइल मामला एक मिस्ट्री बना हुआ था. पुलिस शुभांगना की मौत का रहस्य पता लगाने की कोशिश में जुटी हुई थी. डीसीपी योगेश दाधीच के नेतृत्व में जांच चल रही है. बहरहाल अगर किसी ने अपराध किया है तो कानून उसे अवश्य सजा देगा. लेकिन वृद्धि और मिहिर को अब मां का प्यार कभी नहीं मिल पाएगा.

शुभांगना भले ही अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उस की आंखें इस दुनिया को देख रही हैं. क्योंकि पति राजकुमार और पिता प्रेम सुराणा ने उस की आंखें दान कर दी थीं. शुभांगना की आंखें जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती 2 लोगों को प्रत्यारोपित कर दी गई थीं.

शक का कीड़ा : परिवार का हुआ नाश

कहा जाता है कि शक का कोई इलाज नहीं है. पतिपत्नी के संबंध विश्वास की बुनियाद पर ही कायम रहते हैं. यदि इन संबंधों से भरोसा उठा कर बेवजह शक का कीड़ा मन में बैठा लिया जाए तो जिंदगी दुश्वार हो जाती है. ये कहानी भी ऐसे ही एक शक्की पति सुदर्शन वाल्मीकि की है, जिस ने अपनी पत्नी पर किए गए शक की वजह से अपनी गृहस्थी खुद उजाड़ दी.

मध्य प्रदेश के जबलपुर के तिलवारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत मदनमहल की पहाडि़यों के पास के एक इलाके का नाम भैरों नगर है,  इस जगह पर गिट्टी क्रेशर लगे होने के कारण इसे क्रेशर बस्ती के नाम से भी जाना जाता है. इसी बस्ती में दशरथ वाल्मीकि का परिवार रहता है. दशरथ के परिवार में उस की पत्नी के अलावा उस का 39 साल का बेटा सुदर्शन उर्फ मोनू वाल्मीकि, उस की पत्नी प्रीति और 22 माह की बेटी देविका भी रहती थी.

दशरथ के परिवार के सभी वयस्क सदस्य जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मैडिकल कालेज में साफसफाई का काम करते थे. सुदर्शन मैडिकल कालेज में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था. परिवार के सदस्यों के कामधंधा करने से अच्छीखासी आमदनी हो जाती है और परिवार हंसीखुशी से अपनी जिंदगी गुजार रहा था.

17 जनवरी, 2020 की सुबह सभी लोग अभी बिस्तर से सो कर उठे भी नहीं थे कि सुदर्शन और उस की पत्नी ने घर में यह कह कर कोहराम मचा दिया कि उन की बेटी देविका बिस्तर पर नहीं है. उन्होंने अपने मातापिता को बताया कि शायद किसी ने देविका का अपहरण कर लिया है. देविका के दादादादी का तो यह खबर सुन कर बुरा हाल हो गया था. देविका को वे बहुत लाड़प्यार करते थे.

जैसे ही बस्ती में देविका के कमरे के भीतर से गायब होने की खबर फैली तो आसपास के लोगों की भीड़ सुदर्शन के घर पर जमा हो गई. लोगों को यह यकीन ही नहीं हो रहा था कि कैसे कोई व्यक्ति इतनी छोटी सी बच्ची का अपहरण कर सकता है.

चूंकि कुछ दिनों पहले ही जबलपुर नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने सुदर्शन के मकान का पिछला हिस्सा तोड़ दिया था, जिस की वजह से पीछे की ओर ईंटें जमा कर उस हिस्से को बंद कर दिया था.

लोगों ने अनुमान लगाया कि इसी दीवार की ईंटों को हटा कर अपहर्त्ता शायद अंदर घुसे होंगे. देविका की मां प्रीति लोगों को रोरो कर बता रही थी कि 16 जनवरी की रात वे अपनी बेटी देविका को बीच में लिटा कर ही सोए थे, पर अपहर्त्ताओं ने देविका के अपहरण को इतनी चालाकी से अंजाम दिया कि उन्हें इस की आहट तक नहीं हुई.

लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कौन ऐसा दुस्साहस कर सकता है कि अपने मां बाप के बीच सो रही बच्ची का अपहरण कर के ले जाए. मासूम बच्ची देविका की खोजबीन आसपास के इलाकों में लोगों द्वारा करने के बाद भी उस का कोई अतापता नहीं चला तो उस के गायब होने की रिपोर्ट जबलपुर के तिलवारा पुलिस थाने में दर्ज करा दी.

पुलिस थाने में सुदर्शन ने उस के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि रात को 11 बजे वह खाना खा कर पत्नी और बच्ची के साथ सो गया था, रात लगभग 2 बजे देविका ने उठने की कोशिश की तो उसे दोबारा सुला दिया गया. सुबह 8 बजे वह सो कर उठे तो विस्तर से देविका गायब थी.

तिलवारा थाने की टीआई रीना पांडेय ने आईपीसी की धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जानकारी तुरंत ही पुलिस के आला अधिकारियों को दे दी और वह घटनास्थल की ओर निकल पड़ीं. जैसे ही रीना पांडेय भैरों नगर पहुंचीं, वहां तब तक भारी भीड़ जमा हो चुकी थी.

उन्होंने एफएसएल टीम और डौग स्क्वायड को भी वहां बुला कर मौका मुआयना करवाया. खोजी कुत्ता सुदर्शन के घर के आसपास ही चक्कर लगाता रहा.

घटना की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर के एसपी अमित सिंह ने एडीशनल एसपी (ग्रामीण) शिवेश सिंह बघेल एवं एसपी (सिटी) रवि सिंह चौहान के मार्गदर्शन में थानाप्रभारी तिलवारा रीना पांडेय के नेतृत्व में एक टीम गठित की. टीम में क्राइम ब्रांच के एएसआई राजेश शुक्ला, विनोद द्विवेदी आदि को शामिल किया गया.

पुलिस ने भैरों नगर के तमाम लोगों से जानकारी ले कर कुछ संदिग्ध लोगों को पुलिस थाने में बुला कर पूछताछ भी की, मगर किसी से भी देविका का कोई सुराग हासिल नहीं हो सका. इस घटनाक्रम से भैरों नगर में रहने वाले वाल्मीकि समाज के लोगों की पुलिस के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही थी. उन्होंने प्रशासन के खिलाफ धरना देना शुरू कर दिया था. वे पुलिस प्रशासन से मांग कर रहे थे कि जल्द ही मासूम बच्ची देविका को खोज निकाला जाए.

इधर पुलिस प्रशासन की नींद हराम हो चुकी थी. देविका को गायब हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका था, पर पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि देविका का अपहरण आखिर किसलिए किया गया है. यदि फिरोती के लिए अपहरण हुआ है तो अभी तक किसी ने फिरोती की रकम के लिए सुदर्शन के परिवार से संपर्क क्यों नहीं किया. पुलिस टीम को जांच करते एक माह से अधिक समय हो गया था, लेकिन वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी.

26 फरवरी 2020 को भैरों नगर की नई बस्ती इलाके में बने एक कुएं के इर्दगिर्द बच्चे खेल रहे थे. खेल के दौरान कुएं में अंदर झांकने पर उन्हें कोई चीज तैरती दिखाई दी, तो बच्चों ने चिल्ला कर आसपास के लोगों को इकट्ठा कर लिया. बस्ती के लोगों ने कुएं में उतराते शव को देखा तो इस की सूचना तिलवारा पुलिस को दे दी. सूचना पा कर पुलिस दल मौके पर पहुंचा और शव को कुएं से बाहर निकलवाया गया. शव की हालत इतनी खराब हो चुकी थी, कि उसे पहचान पाना मुश्किल था.

शव के सिर की ओर से रस्सी से लगभग 15 किलोग्राम वजन का पत्थर बंधा हुआ था. पुलिस की मौजूदगी में आसपास के लोगों ने मोटरपंप लगा

कर कुएं का पानी खाली किया तो कुएं की निचली सतह पर कपड़े मिले, जिस के आधार पर सुदर्शन के परिजनों द्वारा उस की पहचान देविका के रूप में की गई.

पुलिस ने काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टर द्वारा देविका की मृत्यु पानी में डूबने के कारण होनी बताई. परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने प्रकरण में धारा 364, 302 और इजाफा कर दी.

अब पुलिस के सामने बड़ी चुनौती यही थी कि देविका के हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए. 40 दिनों तक चली तफ्तीश में टीआई रीना पांडेय को बस्ती के लोगों ने बताया था कि सुदर्शन और उस की पत्नी में अकसर विवाद होता रहता था. सुदर्शन अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था. जब सुदर्शन के शक का कीड़ा कुलबुलाता तो उन के बीच विवाद हो जाता.

इसी आधार पर पुलिस टीम को यह संदेह भी हो रहा था कि कहीं इसी वजह से सुदर्शन ने ही तो देविका की हत्या नहीं की? जांच टीम ने जब देविका की मां प्रीति और पिता सुदर्शन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों के बयानों में विरोधाभास नजर आया.

पूछताछ के दौरान प्रीति ने जब यह बताया कि कुछ माह पहले सुदर्शन देविका को जान से मारने का प्रयास कर चुका है, तो पुलिस को पूरा यकीन हो गया कि देविका का कातिल उस का पिता ही है. जब पुलिस ने सुदर्शन से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने जल्द ही अपना गुनाह कबूल कर लिया.

अपनी फूल सी नाजुक बेटी की हत्या करने का गुनाह करने वाले सुदर्शन उर्फ मोनू ने पुलिस को जो कहानी बताई उस ने तो बस यही साबित कर दिया कि अपने दिमाग में शक का कीड़ा पालने वाला मोनू देविका को अपनी बेटी ही नहीं मानता था.

सुदर्शन की शादी अब से 3 साल पहले बड़े धूमधाम से रांझी, जबलपुर निवासी प्रीति से हुई थी.

शादी के पहले से सुदर्शन रंगीनमिजाज नौजवान था और उस की आशिकमिजाजी शादी के बाद भी जारी रही. इसी के चलते भेड़ाघाट में एक लड़की के बलात्कार के मामले में शादी के 2 माह बाद ही उसे जेल की हवा खानी पड़ी थी.

जैसेतैसे वह कुछ माह बाद जमानत पर आया तो उसे मालूम हुआ कि उस की पत्नी गर्भ से है. बस उसी समय से सुदर्शन के दिमाग के अंदर शक का कीड़ा बैठ गया. वह बारबार यही बात सोचता कि मेरे जेल के अंदर रहने पर प्रीति गर्भवती कैसे हो गई.

देविका के जन्म के बाद तो अकसर पतिपत्नी में इसी बात को ले कर विवाद होता रहता. सुदर्शन प्रीति को हर समय यही ताने देता कि यह लड़की न जाने किस की औलाद  है. इसी तरह लड़तेझगड़ते जिंदगी गुजारते प्रीति फिर से गर्भवती हो गई.

पत्नी के चरित्र पर हरदम शक करने वाले सुदर्शन को लगता था कि देविका उस की बेटी नहीं है. उस का मन करता कि देविका का काम तमाम कर दे.

एक बार तो उस ने देविका को मारने की कोशिश भी की थी, मगर वह कामयाब न हो सका. पतिपत्नी के विवाद की वजह से देविका की देखभाल भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रही थी, जिस की वजह से वह अकसर बीमार रहती थी.

16 जनवरी, 2020 की रात 10 बजे सुदर्शन मैडिकल कालेज के बाहर बैठा अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहा था. तभी उस की पत्नी प्रीति का फोन आया कि जल्दी से घर आ जाओ, देविका की तबीयत ठीक नहीं है. सुदर्शन को तो देविका की कोई फिक्र ही नहीं थी. वह तो चाहता था कि उस की मौत हो जाए.

इधर प्रीति देविका की तबीयत को ले कर परेशान थी. वह बारबार पति को फोन लगाती और वह जल्दी आने की कह कर शराब पीने में मस्त था.

प्रीति के बारबार फोन आने पर वह तकरीबन 11 बजे अपने घर पहुंचा तब तक उस के मातापिता दूसरे कमरे में सो चुके थे. देविका की तबीयत के हालचाल लेने की बजाय वह बारबार फोन लगाने की बात पर पत्नी से विवाद करने लगा, जिसे देख कर मासूम देविका रोने लगी.

सुदर्शन ने गुस्से में देविका का गला दबा दिया, जिस के कारण उस की मौत हो गई. देविका की हालत देख कर प्रीति जोरजोर से रोने लगी तो सुदर्शन ने उसे डराधमका कर चुप करा दिया. सुदर्शन ने प्रीति को धमकाया कि यदि इस के बारे में किसी को कुछ बताया तो वह उस के गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ उसे भी खत्म कर देगा. बेचारी प्रीति अपने होने वाले बच्चे की खातिर इस दर्द को चुपचाप सह कर रह गई.

सुदर्शन ने प्रीति को पाठ पढ़ाया कि सुबह लोगों को देविका के अपहरण की कहानी बता कर मामले को शांत कर देंगे.

इस के लिए उस ने घर के पिछले हिस्से में रखी कुछ ईंटों को हटा दिया, जिस से लोग यह अनुमान लगा सकें कि यहीं से घुस कर देविका का अपहरण किया गया है. रात के लगभग 2 बजे सुदर्शन एक रस्सी ले कर देविका के शव को कंधे पर रख कर घर के बाहर कुछ दूरी पर बने एक कुएं के पास ले गया.

वहां पर उस ने रस्सी के सहारे शव को एक पत्थर से बांध कर कुएं में फेंक दिया और वापस आ कर चुपचाप सो गया. सुबह उठते ही उस ने अपनी बेटी देविका के गायब होने की खबर फैला दी.

6 मार्च 2010 को जबलपुर के पुलिस कप्तान अमित सिंह, एसपी (सिटी) रवि सिंह चौहान, एडीशनल एसपी (ग्रामीण) शिवेश सिंह बघेल, टीआई तिलवारा रीना पांडेय की मौजूदगी में प्रैस कौन्फ्रैंस कर हत्याकांड के राज से परदा उठाते हुए आरोपी को प्रेस के समक्ष पेश किया.

सुदर्शन को देविका की हत्या के अपराध में धारा 363, 364, 302, 201 आईपीसी के तहत गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जबलपुर जेल भेज दिया गया.

पत्नी की खूनी साजिश : प्यार में पागल लड़की ने प्रेमी से करवाई पति की हत्या

डेढ़ सौ करोड़ की मालकिन शुभांगना की मौत की मिस्ट्री – भाग 2

शुभांगना ने भले ही घर वालों की मर्जी के खिलाफ जा कर दूसरी जाति के अपनी हैसियत से कम वाले राजकुमार से शादी कर ली थी, लेकिन पिता प्रेम सुराणा ने उस का साथ नहीं छोड़ा. वह उसे पहले की तरह ही लाड़प्यार करते रहे. शुभांगना पढ़ीलिखी थी, उसे पिता के व्यवसाय की भी अच्छी समझ थी. इसलिए राजकुमार से शादी के बाद उस ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाया.

पिता प्रेम सुराणा से जो भी हो सका, मदद की. धीरेधीरे उस ने एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस स्थापित कर लिए. वहीं, राजकुमार ने भी अन्य व्यवसाय कर लिए. दोनों ने मेहनत से पैसा कमाया. धीरेधीरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होती चली गई. इस बीच राजकुमार और शुभांगना के 2 बच्चे हुए. पहली बेटी वृद्धि, उस के बाद बेटा मिहिर.

बढ़ता व्यवसाय

पैसा आया तो राजकुमार ने अपने छोटेमोटे धंधे छोड़ कर इंपोर्टएक्सपोर्ट का काम शुरू कर दिया. अब उस की गिनती बडे़ बिजनैसमैनों में होने लगी. प्रेम सुराणा ने शुभांगना को जयपुर के गोखले मार्ग की पौश कालोनी की सी स्कीम में एक बंगला गिफ्ट कर दिया. शुभांगना और राजकुमार बच्चों के साथ उसी बंगले में रहते थे. बाद में राजकुमार और शुभांगना ने अन्य व्यवसाय के साथ जैसलमेर में एक रिसौर्ट भी शुरू किया, लेकिन फिलहाल वह घाटे में चल रहा है.

शुभांगना और राजकुमार के जसोदा देवी कालेजेज एंड इंस्टीट्यूशंस के तहत जयपुर में 4 पौलिटैक्निक, एक बीएड, एक आईटीआई, बीबीए, बीसीए एवं पीसीडीसीए कालेज चल रहे हैं. इन के अलावा उन्होंने कई बेशकीमती फ्लैट और चलअचल संपत्तियां भी खरीदीं. राजकुमार और शुभांगना की गिनती जयपुर के धनीमानी लोगों में होने लगी थी.

शुभांगना तो बचपन से ही अमीर घर में पलीबढ़ी थी, इसलिए उसे घूमनेफिरने, पार्टियों में जाने आदि के महंगे शौक थे. पैसा आया तो शुभांगना अपने शौक पूरे करने लगी. हाईप्रोफाइल जिंदगी जीने वाली शुभांगना जयपुर में पेज थ्री का जानामाना चेहरा और सोशलाइट थी. रोजाना लाखों रुपए में खेलने वाले राजकुमार को भी महंगे शौक लग गए थे. उसे महंगी कारों का शौक था.

उस के पास एक करोड़ रुपए की कीमत की जगुआर एक्सजे, 42 लाख रुपए की औडी ए4, 60 लाख रुपए की लैंड रोवर और 78 लाख की बीएमडब्ल्यू जेड 4 जैसी महंगी कारें थीं. दोनों को अकसर जयपुर में होने वाली हाईप्रोफाइल पार्टियों में देखा जाता था. राजकुमार को भी घूमनेफिरने, महंगे होटलों में एंज्वौय करने, हवाई यात्राएं करने और ऐशोआराम की जिंदगी जीना आ गया था.

राजकुमार और शुभांगना की गृहस्थी बढि़या चल रही थी. सन 2014 में दोनों गोवा घूमने गए, वहीं किसी बात को ले कर दोनों के बीच पहली बार विवाद हुआ. धीरेधीरे यह विवाद बढ़ता गया. शुभांगना ने राजकुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की. इस के बाद शुभांगना ने तलाक का मुकदमा दायर कर दिया. 8 महीने पहले शुभांगना ने पिता द्वारा गिफ्ट किए गए बंगले पर और सीतापुरा स्थित कालेज में राजकुमार के आने पर रोक लगा दी. इस के बाद वह बंगले में बेटे मिहिर और नौकरानी टीला के साथ रहने लगी.

गोखले मार्ग पर बने जिस बंगले में शुभांगना रहती थी, वह 4 मंजिला है. इस बंगले में 3 ही लोग रहते थे. कोई मेहमान आता था तो वह भूतल पर ठहरता था. पहली मंजिल पर मिहिर रहता था. दूसरी मंजिल पर शुभांगना रहती थी. नौकरानी टीला को रहने के लिए बंगले की तीसरी मंजिल पर जगह दी गई थी. बंगले के अंदर ही ऊपरनीचे आनेजाने के लिए लिफ्ट लगी थी. शुभांगना की बेटी वृद्धि मुंबई में पढ़ रही थी, जबकि बेटा मिहिर मां के साथ रहते हुए जयपुर में ही निजी स्कूल में पढ़ता था.

शुभांगना की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी प्रेम सुराणा को विश्वास नहीं हो रहा था कि बेटी इस तरह आत्महत्या कर सकती है. इसलिए उन्होंने शुभांगना के पति राजकुमार पर हत्या का आरोप लगाते हुए थाना अशोक नगर पुलिस को एक तहरीर दी, जिस में तीन स्तरों पर जांच कराने की बात कही गई थी.

एक- राजकुमार शुभांगना की हत्या कर सकता है. दो- खुद के बजाय किसी अन्य व्यक्ति से हत्या करवा सकता है. तीसरी- शुभांगना को प्रताडि़त कर आत्महत्या के लिए उकसा सकता है.

पुलिस ने प्रेम सुराणा की तहरीर पर राजकुमार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया. शुभांगना के पिता और घर के अन्य लोगों के अनुसार, शुभांगना को या तो हत्या कर के पंखे से लटकाया गया था या बेहोशी की हालत में. उन्होंने इस बारे में तर्क भी दिए.

शुभांगना की मौत पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 25 अगस्त की रात करीब साढ़े 10 बजे और 26 अगस्त की सुबह 4 बजे आधेआधे घंटे तक उस की राजकुमार से मोबाइल फोन पर बात हुई थी. जबकि दोनों के बीच बातचीत बंद थी और तलाक का मुकदमा चल रहा था. घर वालों का कहना है कि शुभांगना ने अचानक राजकुमार से बात क्यों की? आरोप है कि किसी अन्य व्यक्ति ने शुभांगना के मोबाइल से राजकुमार का नंबर लगाया. एक सवाल यह भी उठ रहा है कि शुभांगना ने पार्टी वीयर और गहने पहन कर आत्महत्या क्यों की? जबकि शाम को कालेज से घर आते ही वह सामान्य कपड़े पहन लेती थी.

शुभांगना ने सीतापुरा स्थित कालेज और बंगले पर राजकुमार के आने पर रोक लगा रखी थी. इस के बावजूद घटना से पहले एक सप्ताह में वह 2 बार कालेज गया. उस की 25 अगस्त की रात 10 बज कर 6 मिनट पर कालेज आने और 26 अगस्त की सुबह 7:02 बजे बाहर जाने की एंट्री दर्ज है. इस से पहले राजकुमार 22 अगस्त को भी कालेज गया था. सवाल उठ रहा है कि घटना की रात राजकुमार कालेज क्यों गया था?

मीडिया ने केस का रंग बदला

पुलिस ने शुभांगना की मौत को आत्महत्या का सामान्य मामला मानते हुए जांच शुरू की थी. यह हाईप्रोफाइल मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो पुलिस ने गहराई से जांच शुरू की. पुलिस ने शुभांगना का मोबाइल फोन और डायरी जब्त कर ली है. शुभांगना डायरी लिखती थी.

टीला के अनुसार, 25 अगस्त की रात खाना खा कर शुभांगना सो गई थी. 26 अगस्त की सुबह जब वह मैम साहब के लिए चाय ले कर गई तो वह पंखें से लटकी मिलीं. शुभांगना के पड़ोसियों और कालेज स्टाफ से भी पूछताछ की गई है. पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी देखी है. शुभांगना के घर के आसपास लगे कैमरों में 25 अगस्त की रात उस के घर कोई आदमी आता दिखाई नहीं दिया. शुभांगना के अपने बंगले पर 2 गार्ड भी रहते थे, पुलिस को उन से भी कोई खास जानकारी नहीं मिली.

देवर-भाभी का खूनी प्यार

पहली अप्रैल, 2021 को सुबह के करीब पौने 8 बज रहे थे. राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ थाने  के थानाप्रभारी विनोद सांखला को फोन पर सूचना मिली कि जखराना बसस्टैंड के पास एक बाइक और स्कौर्पियो गाड़ी की भिड़ंत हो गई है.

सूचना मिलते ही विनोद सांखला पुलिस टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल पर काफी भीड़ जमा थी. पुलिस को देखते ही भीड़ थोड़ा हट गई. पुलिस ने देखा कि वहां एक व्यक्ति की दबीकुचली लाश सड़क पर पड़ी थी. थोड़ी दूरी पर मृतक की मोटरसाइकिल गिरी पड़ी थी.

घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि नीमराना की तरफ से स्कौर्पियो गाड़ी आई थी. स्कौर्पियो में सवार लोगों ने जानबूझ कर मोटरसाइकिल को टक्कर मारी थी. बाइक सवार स्कौर्पियो की टक्कर से उछल कर दूर जा गिरा. तब स्कौर्पियो यूटर्न ले कर आई और बाइक से गिरे युवक को कुचल कर चली गई.

गाड़ी के टायर युवक के सिर से गुजरे तो सिर का कचूमर निकल गया. जब स्कौर्पियो सवार निश्चिंत हो गए कि बाइक सवार की मौत हो गई है, तब वे वापस उसी रोड से भाग गए.वहां मौजूद लोगों ने थानाप्रभारी विनोद सांखला को बताया कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है. स्कौर्पियो में सवार अज्ञात लोगों ने बाइक सवार को जानबूझ कर टक्कर मार कर हत्या की है.

थानाप्रभारी ने घटना की खबर उच्च अधिकारियों को दे दी. खबर पा कर बहरोड़ के सीओ और एसडीएम घटनास्थल पर आ गए. बाइक सवार युवक की पहचान कृष्णकुमार यादव निवासी भुंगारका, महेंद्रगढ़, हरियाणा के रूप में हुई.

कृष्णकुमार यादव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जखराना में अपर डिविजन क्लर्क के पद पर कार्यरत था. कृष्णकुमार के एक्सीडेंट होने की खबर पा कर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि कृष्णकुमार यादव अपने पिताजी की औन ड्यूटी मृत्यु होने पर उन की जगह मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पर लगा था.

कृष्णकुमार अपने मांबाप का इकलौता बेटा था. वह अपने गांव भुंगारका से रोजाना बाइक द्वारा ड्यूटी आताजाता था. सीओ देशराज गुर्जर ने भी घटनास्थल का मुआयना किया और उपस्थित लोगों से जानकारी ली. जानकारी में यही सामने आया कि कृष्णकुमार की हत्या की गई है.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज निकाले. फुटेज से पता चला कि प्रत्यक्षदर्शियों ने जो बातें बताई थीं, वह सच थीं. हत्यारे कृष्णकुमार की हत्या को दुर्घटना दिखाना चाह रहे थे. मगर लोगों ने यह सब अपनी आंखों से देखा था.

मृतक के परिजनों को भी हत्या की खबर दे दी गई. खबर मिलते ही मृतक के घर वाले एवं रिश्तेदार घटनास्थल पर आ गए. उन से भी पुलिस ने पूछताछ की और शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद वह परिजनों को सौंप दिया. मृतक के परिजनों की तरफ से कृष्णकुमार की हत्या का मामला बहरोड़ थाने में दर्ज करा दिया गया.

थानाप्रभारी विनोद सांखला, एसआई सुरेंद्र सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों की टीम ने सीसीटीवी फुटेज और स्कौर्पियो गाड़ी के नंबरों के आधार पर जांच शुरू की. पुलिस ने स्कौर्पियो गाड़ी का नंबर दे कर सभी थानों से इस नंबर की गाड़ी की जानकारी देने को कहा.

तभी जयपुर पुलिस ने सूचना दी कि इस नंबर की स्कौर्पियो गाड़ी पावटा जयपुर में खड़ी है. पुलिस टीम ने पावटा पहुंच कर वहां से स्कौर्पियो गाड़ी सहित 2 युवकों अशोक और पवन मेघवाल को भी हिरासत में ले लिया. गाड़ी के मालिक अजीत निवासी भुंगारका सहित कुछ और संदिग्ध युवकों को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए उठा लिया.

थाने में इन सभी से पूछताछ की. अशोक व पवन मेघवाल एक ही रट लगाए थे कि उन की कृष्णकुमार से कोई दुश्मनी नहीं थी. अचानक वह गाड़ी से टकरा गया था. बाइक के एक्सीडेंट के बाद हड़बड़ाहट में गाड़ी घुमाई तो कृष्णकुमार पर गाड़ी चढ़ गई.

उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात का डर लग रहा था कि लोग उन्हें पकड़ कर मार न डालें, इस डर के कारण वे गाड़ी भगा ले गए. मगर आरोपियों की यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. भुंगारका निवासी अजीत ने पुलिस को बताया कि उस ने अपनी स्कौर्पियो गाड़ी एक लाख 80 हजार रुपए में सन्नी यादव को बेच दी. सन्नी ने अशोक के नाम पर यह गाड़ी खरीदी थी.

अजीत ने पुलिस को सन्नी का नाम बताया. तब तक पुलिस को लग रहा था कि अजीत का इस मामले से कोई संबंध नहीं है. अशोक और पवन मेघवाल 4 दिन तक पुलिस को एक ही कहानी बताते रहे कि अचानक बाइक से गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था. पुलिस को भी लगने लगा था कि मामला कहीं दुर्घटना का ही तो नहीं है. मगर सीसीटीवी फुटेज में जो एक्सीडेंट का दृश्य था, वह बता रहा था कि कृष्णकुमार की साजिश के तहत हत्या की गई थी. हत्या को उन्होंने साजिश के तहत दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की थी.

तब पुलिस अधिकारियों ने अपना पुलिसिया रूप दिखाया. बस फिर क्या था. पुलिस का असली रूप देख कर वे टूट गए और स्वीकार कर लिया कि उन्होंने जानबूझ कर कृष्णकुमार यादव की हत्या की थी, फिर उन्होंने हत्या की कहानी बता दी.

हरियाणा के नांगल चौधरी इलाके के भुंगारका गांव में कृष्णकुमार यादव अपनी पत्नी कुसुमलता (35 वर्ष) के साथ रहता था. कृष्णकुमार की 4 बहनें हैं, जिन की शादी हो चुकी थी. वे सब अपनी ससुराल में हैं. पिता की औनड्यूटी मृत्यु होने के बाद आश्रित कोटे के तहत कृष्णकुमार की क्लर्क पद पर सरकारी स्कूल में नौकरी लग गई थी. वह अपने मातापिता का इकलौता बेटा था.

कृष्णकुमार के पड़ोस में उस के चाचा मुकेश यादव रहते थे. उन का बड़ा बेटा सन्नी 10वीं कक्षा में फेल हो गया तो उस ने स्कूल छोड़ दिया. वह कोई कामधंधा नहीं करता था. कृष्णकुमार के परिवार के ठाठबाट देखता तो उसे जलन होती थी. क्योंकि कृष्णकुमार के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति थी.

कृष्णकुमार के नाम करीब 50 बीघा जमीन थी. जोधपुर, राजस्थान के फलोदी में 17 बीघा जमीन, बहरोड़ में 2 कामर्शियल प्लौट, भुंगारका गांव में 32 बीघा जमीन व आलीशान मकान था. यह सब कृष्णकुमार के नाम था. सन्नी ने योजना बनाई कि अगर कुसुमलता को वह प्यार के जाल में फंसा क र कृष्णकुमार को रास्ते से हटा दे तो वह कुसुमलता से विवाह कर के उस की करोड़ों की प्रौपर्टी का मालिक बन सकता है.

आज से करीब 3 साल पहले सन्नी ने कुसुमलता पर डोरे डालने शुरू किए. कुसुमलता रिश्ते में उस की भाभी लगती थी. सन्नी से कुसुमलता उम्र में 10 साल बड़ी थी. मगर वह जायदाद हड़प कर करोड़पति बनने के चक्कर में अपने से 10 साल बड़ी भाभी के आसपास दुम हिलाने लगा. कृष्णकुमार ड्यूटी पर चला जाता तो कुसुमलता घर में अकेली रह जाती थी. कृष्णकुमार की गैरमौजूदगी में सन्नी उस की बीवी के पास चला आता था. सन्नी कुसुमलता के चाचा ससुर का बेटा था.

वह भाभी से हंसीमजाक करतेकरते उसे बांहों में भर कर बिस्तर तक ले आया. कुसुमलता भी जवान देवर की बांहों में खेलने लगी. वह सन्नी की दीवानी हो गई. सन्नी की मजबूत बांहों में कुसुमलता को जो शारीरिक सुख का चस्का लगा, वह दोनों को पतन के रास्ते पर ले जा रहा था.

सन्नी ने कुसुमलता को अपने रंग में ऐसा रंगा कि वह उस के लिए पति के प्राण तक लेने पर आमादा हो गई. आज से करीब डेढ़ साल पहले सन्नी ने कुसुमलता से कहा, ‘‘कुसुम, तुम रात में कृष्णकुमार को बिजली के करंट का झटका दे कर मार डालो. इस के बाद हम दोनों के बीच कोई तीसरा नहीं होगा. पति की जगह तुम्हारी नौकरी भी लग जाएगी. फिर मैं तुम से विवाह कर लूंगा और फिर हम मौज की जिंदगी जिएंगे.’’

‘‘ठीक है सन्नी, मैं पति को रास्ते से हटाने का इंतजाम करती हूं.’’ कुसुमलता ने हंसते हुए कहा. वह देवर के प्यार में पति की हत्या करने करने का मौका तलाशने लगी. एक दिन कृष्णकुमार रात में गहरी नींद में था. तब कुसुमलता ने उसे बिजली का करंट दिया. करंट का कृष्णकुमार को झटका लगा तो वह जाग गया. तब बीवी ने कूलर में करंट आने का बहाना बना दिया. कृष्णकुमार को करंट का झटका लगा जरूर था, मगर वह मरा नहीं.

यह सुन कर सन्नी बोला, ‘‘कुसुम, जल्द से जल्द कृष्ण का खात्मा करना होगा.’’  ‘‘तुम ही यह काम किसी से करा दो. मैं तुम्हारे साथ हूं मेरी जान.’’ कुसुमलता बोली.कुसुमलता और सन्नी जल्द से जल्द कृष्णकुमार को रास्ते से हटाना चाहते थे. कृष्ण के ड्यूटी जाने के बाद वाट्सऐप कालिंग पर दोनों बातचीत करते थे. सन्नी ने अपने छोटे भाई की शादी कर दी थी. खुद शादी नहीं की थी. उस का मकसद तो करोड़ों की मालकिन कुसुमलता से शादी करना था. सन्नी भाभी से शादी कर के वह जल्द से जल्द करोड़पति बनना चाहता था.

एक दिन सन्नी और कुसुमलता के संबंधों की जानकारी किसी ने कृष्णकुमार को दे दी. बीवी और चचेरे भाई के संबंधों की बात सुन कर कृष्णकुमार को बहुत गुस्सा आया. उस ने अपनी बीवी से इस बारे में बात की तो वह त्रियाचरित्र दिखाने लगी. आंसू बहाने लगी. मगर कृष्णकुमार के मन में संदेह पैदा हुआ तो वह उन दोनों पर निगाह रखने लगा.

इस के बाद कुसुमलता ने सन्नी को सचेत कर दिया. दोनों छिप कर मिलने लगे. मगर उन्हें हर समय इसी बात का डर लगा रहता कि कृष्णकुमार को कोई बता न दे. कृष्णकुमार ने सन्नी से भी कह दिया था कि वह उस के घर न आए. यह बात कृष्ण, कुसुम और सन्नी के अलावा कोई नहीं जानता था. किसी को पता नहीं था कि कृष्ण अपनी बीवी और सन्नी पर शक करता है.

ऐसे में कुसुमलता और सन्नी ने उसे एक्सीडेंट में मारने की योजना बनाई ताकि उन पर कोई शक भी न करे और राह का कांटा भी निकल जाए. सन्नी ने इस काम में कुछ खर्चा होने की बात कही तो कुसुमलता ने खुद के नाम की 4 लाख रुपए की एफडी मार्च 2021 के दूसरे हफ्ते में तुड़वा दी. 4 लाख रुपए कुसुम ने सन्नी को दे दिए.

सन्नी ने योजनानुसार 18 मार्च, 2021 को भुंगारका के अजीत से एक लाख 80 हजार रुपए में एक स्कौर्पियो गाड़ी एग्रीमेंट के तहत अशोक कुमार के नाम से खरीदी. अशोक को उस ने 2 छोटे मोबाइल व सिम दिए. इन्हीं सिम व मोबाइल के जरिए अशोक की बात सन्नी से होती थी. कृष्णकुमार को मारने के लिए सन्नी ने अशोक को डेढ़ लाख रुपए भी दे दिए.

उसी स्कौर्पियो गाड़ी से अशोक ने सन्नी के कहने पर कृष्णकुमार का एक्सीडेंट करने की कई बार कोशिश की मगर वह सफल नहीं हुआ. तब 26 मार्च, 2021 को राहुल अपने दोस्त पवन मेघवाल को भुंगारका के हरीश होटल पर ले आया. यहां अशोक से पवन की जानपहचान कराई.

रात में तीनों शराब पी कर खाना खा कर होटल पर रुके और सुबह चले गए. 30 मार्च, 2021 को अशोक ने पवन से कहा कि मुझे स्कौर्पियो से एक आदमी का एक्सीडेंट करना है. तुम मेर साथ गाड़ी में रहोगे तो मैं तुम्हें 40 हजार रुपए दूंगा.

पवन की अशोक से नई दोस्ती हुई थी और वैसे भी पवन को सिर्फ गाड़ी में बैठे रहने के 40 हजार रुपए मिल रहे थे, इसलिए 40 हजार रुपए के लालच में पवन ने हां कर दी. 31 मार्च, 2021 को अशोक और पवन मेघवाल स्कौर्पियो गाड़ी ले कर जखराना आए लेकिन उस दिन कृष्णकुमार ड्यूटी पर नहीं गया.अशोक रोजाना की बात सन्नी को बता देता था. सन्नी अपनी प्रेमिका भाभी कुसुमलता को सारी बात बता देता था. पहली अप्रैल 2021 को सुबह साढ़े 7 बजे कृष्णकुमार अपने गांव भुंगारका से ड्यूटी पर जखराना निकला. यह जानकारी कुसुमलता ने अपने देवर प्रेमी सन्नी को दी. सन्नी ने अशोक को यह सूचना दे दी. अशोक कुमार गाड़ी में पवन को ले कर जखराना बसस्टैंड पहुंच गया. जैसे ही कृष्णकुमार मोटरसाइकिल से जखराना बसस्टैंड से स्कूल की ओर जाने लगा, तभी अशोक ने स्कौर्पियो से कृष्णकुमार को सीधी टक्कर मार दी. टक्कर लगते ही कृष्णकुमार उछल कर दूर जा गिरा.

इस के बाद अशोक ने गाड़ी को यूटर्न लिया और कृष्णकुमार के ऊपर एक बार चढ़ा दी, जिस के बाद उस की मौके पर ही मौत हो गई. इस के बाद सूचना पा कर बहरोड़ पुलिस आई. प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे हत्या बताया. तब पुलिस ने जांच कर हत्या के इस राज से परदा हटाया.

अशोक कुमार और पवन मेघवाल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल रहे सन्नी और उस की प्रेमिका कुसुमलता को भी गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों ने भी कृष्णकुमार की हत्या में शामिल होने का अपराध स्वीकार कर लिया.

पूछताछ के बाद कुसुमलता, सन्नी यादव, अशोक यादव और पवन मेघवाल को बहरोड़ कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित